ये अंधा कानून है. देश का खोखला कानून है क्योकि हर रोज कुछ न कुछ ऐसा पढने सुनने को मिल जाता है कि कानून पर से विश्वास ही उठता नजर आता है.
आज भी कुछ ऐसा ही हुआ. नेट पर सर्च करते हुए अचानक ध्यान एक खबर की और चला गया. खबर थी कि फिल्म ‘पिंक “का पहले क़्लाईमैक्स कुछ और था यानि उन्हें केस हारते हुए दिखाया जाना था पर इसका अंत बदल दिया गया और तीनो केस जीत गई. पढ पिंक के बारे में रही थी पर चेहरे का रंग गुस्से के मारे लाल हो गया.
न्याय की देवी और आंंखों में पट्टी
देश का खोखला कानून है.
मुझे खबर पढने के बाद हरियाणा के रुचिका गिरहोत्रा यौन शोषण और हत्याकांड की याद आ गई जिसमे अभी पांच दिन पहले ही हरियाणा के पूर्व डीजीपी शंभू प्रताप सिंह राठौड़ को राहत दी. राठौर पर 14 साल की नाबालिग रुचिका का उत्पीडऩ करने के लिए दोषी पाया गया था ।
हरियाणा के पंचकुला में रहने वाली 15 साल की उभरती हुई टेनिस खिलाड़ी रुचिका ने 1990 में राठौड़ द्वारा यौन उत्पीड़न किए जाने के तीन साल बाद खुदकुशी कर ली थी।
उन दिनों राठौड़ हरियाणा लॉन टेनिस एसोसिएशन के अध्यक्ष थे, उन पर अपने ऑफिस में रुचिका के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगा था.
सीबीआई की एक विशेष अदालत ने राठौड़ को दोषी मानते हुए दिसंबर 2009 में 6 महीने की सजा सनाई थी और केवल 1000 रुपए का जुर्माना लगाया था और अब
छेडछाड के आरोप में ये फैसला आया है कि सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सजा को बरकरार रखते हुए टिप्पणी की है कि उन्हें जेल नहीं जाना होगा, वे जो जेल काट चुके हैं वह काफी है
ये है हमारे देश का कानून … एक लडकी ने जिस आदमी की वजह से आत्महत्या कर ली कोर्ट उनकी उम्र का हवाला देते हुए, स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए उन्हे अब जेल नही जाना होगा क्योकि सजा वो पह्ले ही काट चुके हैं…ये बात 1990 की है जब केस दर्ज हुआ था और आज 26 साल हो गए फैसला आते आते और सजा 6 महीने भी नही… वाह कानून … वाह !!
अगर पिंक मूवी का अंत यही होता कि वो केस हार गए तो कोई आश्चर्य नही होना था …
pink’s original climax was changed for viewers – Navbharat Times
‘पिंक’ का क्लाइमैक्स सोचा कुछ और ही गया था, बाद में बदला गया! हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘पिंक’ के सितारे इन दिनों बॉक्स ऑफिस इस फिल्म को मिल रही सफलता का जश्न मना रहे हैं। दमदार कॉन्सेप्ट और बेहतरीन अदाकारी के लिए … read more at indiatimes.com
वैसे आपकी क्या राय है ???
(तस्वीर गूगल से साभार)
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