देश के प्रति हमारा कर्तव्य और अधिकार – कितने जागरूक नागरिक हैं हम – desh ke prati hamare kartavya aur adhikar समाज के प्रति हमारा दायित्व हो या समाज के प्रति हमारा कर्तव्य होना चाहिए कितने जागरुक हैं हम इस बात को लेकर … दिन रात अपने अधिकारों की बात करते हैं क्या कभी अपने कर्तव्य भी सोचते हैं हम ???
देश के प्रति हमारा कर्तव्य और अधिकार – कितने जागरूक नागरिक हैं हम
कल एक सरकारी आफिस government office में जाना पडा तो वहां पार्किंग में एक जानकार मिल गए … उन्हें बहुत गुस्सा आ रहा था कि सब बेकार लोग हैं कोई किसी काम का नही मैने सोचा कि इससे पहले मैं अपनी राय दू वजह तो पूछ लू कि हुआ क्या तो वो बोले कल समय लिया था मिलने के लिए तो उन्होने दस बजे का समय दिया था … तो … उन्होने बताया कि वो 11 बजे पहुंचें तो आफिसर मीटिंग में व्यस्त थे … ऐसे भी क्या busy की मिल ही ही नही सकते … बुरे हाल है ….नखरे दिखाते हैं …
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मैने पूछा कि आप आए किस काम के लिए थे तो वो बोले कि उनका बेटा बिना हेलमेट पहने मोटर साईकिल चला रहा था तो बस यही कहने आए थे कि बेटे का चलान किसलिए किया …
सारी दुनिया धूमती है बिना हेलमेट के उन्हें बस मेरा बेटा मिला … कह कर चलते बने … उनके जाने के बाद मैं सोच रही थी कि दोनो बातों में गलती उनकी ही है … समय लिया था तो समय पर पहुंचना चाहिए था और वहीं बेटा बिना हेलमेट के था तो गलती तो हुई ही है …
फिर इतनी नाराजगी किसलिए …
असल में हम चाह्ते हैं कि हमारा देश अच्छा हो सभ्य समाज बने … पर अगर हम इसमे योगदान नही देंगें … तो कैसे बात बनेगी … या अगर कोई अच्छा काम कर रहा है और हम उसे appreciate नही करेंगें तो कैसे बात बनेगी …
अपने अधिकार की बात आती है तो हम सभी जोर शोर से उठाते हैं पर दुख इस बात का होता है कि अपने कर्तव्य भूल जाते हैं हमारे देश के प्रति हमारा कर्तव्य, समाज के प्रति हमारा दायित्व ….
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