अनूप उपाध्याय – कॉमेडी की दुनिया का अनूठा अध्याय. आज अनूप उपाध्याय किसी परिचय के मोहताज नही … एक ऐसी शख्सियत जिसे देखते ही चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और जब अलग अलग किरदार में देखते हैं तो हंसी के मारे लोटपोट हो जाने को मन करता है … अपनी गम्भीर मुद्रा बना कर भी दर्शकों को गुदगुदाने में शत प्रतिशत सफल कलाकार हैं अनूप उपाध्याय. चाहे FIR हो, लापता गंज हो, भाभी जी घर पर हैं हो , May I Come In Madam हो कोई भी किरदार हो ऐसा लगता ही नही कि अनूप जी अभिनय कर रहे हैं ऐसा लगता है मानो वो हमेशा से ही इसी किरदार में हैं … और यकीनन यही एक अच्छे कलाकार की पहचान है.
अनूप उपाध्याय – कॉमेडी की दुनिया का अनूठा अध्याय
टीवी इंडस्ट्री में अपने सीरियस और कॉमेडी किरदार से दर्शकों के बीच खास पहचान बनाने वाले अभिनेता अनूप उपाध्याय हैं
अनूप उपाध्याय – कॉमेडी की दुनिया का अनूठा अध्याय-
इन्हीं बातो से प्रभावित होकर मन किया कि कैसे भी करके इस कलाकार से बात की जाए और जाना जाए उनके इस सफर के बारें में और आखिरकार टीवी की दुनिया से जुडे कुछ जाने माने कलाकारों की मदद से कुछ ऐसा मौका मिला कि अनूप जी से बात हो ही गई हुई …
तो आईए आज जानते हैं ऐसे ही एक बेहद शालीन, सुलझे हुए, और अपने काम में तल्लीनता से जुटे समर्पित अनूप उपाध्याय जी के बारे में …
अनूप जी से जब बात करने का समय लिया तो उन्होनें अपनी व्यस्त शूटिंग से कुछ पल निकाले और शुरु हुआ बातों का सिलसिला…
आजकल May I Come In Madam सीरियल अपने चरम पर है तो मैने सबसे पहले यही पूछा कि क्या मैं छेदी जी से बात कर रही हूं या फिर चश्मा पहने हुए कम्पनी के बॉस से … इस पर वो हंसते हुए कहने लगे कि फिलहाल आप बात कर रहीं है अनूप उपाध्याय से …
हंसी मजाक के साथ शुरु हुआ हमारी बातों का सिलसिला … 21 मई को यूपी के जिला एटा के गांव गंजडुण्वारा में अनूप जी का जन्म हुआ. गंजडुण्वारा नाम सुनकर यकीन आपको भी कुछ याद आया होगा … ये नाम रेडियो पर गीत माला में फरमाईशी प्रोग्राम में बहुत सुनने में आया करता था …
अनूप जी ने भी हामी भरी कि हमारा गांव गंजडुण्वारा इस मामले में बहुत अव्वल रहा … आमतौर पर बहुत गांव ऐसे होते हैं जिनके नाम ही नही सुने होते … पर गंजडुण्वारा अपवाद है.
बात आगे बढाते हुए अनूप जी ने बताया कि उनके पिता रेलवे में गार्ड थे. मां गृहणी थी. वो अपने 3 भाई और 2 बहनों में सबसे छोटे और लाडले रहे. बचपन में ज्यादा शरारती नही थे पर सोचते बहुत थे और जब फिल्में देखी तो एक्टिंग अपनी ओर आकर्षित करती चली गई और अपना शौक पूरा किया स्कूल में छोटे मोटे नाटकों में हिस्सा लेकर…
बचपन की यादें
बचपन की याद में झांकते हुए अनूप जी ने बताया कि बचपन में एक बार और शायद आखिरी बार घर के मंदिर से एक रुपये का सिक्का चुराया .. उसकी खूब सारी टॉफी भी खरीदी और सोच इस बात की थी कि इतना सामान खरीदा है इसे रखूं कहां ..और घर आकर इस समस्या का समाधान भी मिल गया …
असल में, चोरी करते हुए भाई ने देख लिया था और घर आकर जो मम्मी ने पिटाई की, जो मम्मी ने पिटाई की … वो एक ऐसा सबक मिला जो जिंदगी भर नही भूलेगा … उनका कहना है कि मां जितना प्यार करती हैं उतनी सख्ती भी जरुरी होती है क्योकि अगर उस दिन पिटाई नही हुई होती तो शायद वो उस दिन के बाद भी पैसे चुराते रहते …फिर कुछ पल वो चुप हो गए..
कैसे शुरु हुआ सफर एक्टिंग का
फिर बात चली एक्टिंग की.. उन्होनें बताया कि क्लास 5 से एक्टिंग करनी शुरु कर दी थी.. घर पर छोटा होने का ये फायदा मिला कि कोई रोक टोक नही थी सब कहते कर लो जो करना चाह्ते हो … पर एक ही शर्त थी कि पढाई पूरी करनी है … पढाई बीच में नही छोडनी और उन्होनें भी बहुत अदब से उनकी बात मानी और B.Sc. पूरी की …
घर पर सब सोचते कि डाक्टर बन जाएगा पर जिस दिन आखिरी पेपर था उसी दिन पेपर देकर घर वालो को टाटा बाय बाय बोला और एक्टिंग के लिए दिल्ली रवाना हो गए …
बेशक, दिल्ली से पहले लखनऊ का नाम सुझाया पर वहां जाकर दिल्ली श्री राम सैंटर का पता चला … फिर सफर शुरु हुआ दिल्ली का… सफर, वाकई आसान नही था … पर खुद पर पूरा विश्वास था कि कुछ बनने आया हूं और बनना ही है …
मंडी हाउस में हबीब तनवीर साहब से मुलाकात हुई. हबीब साहब लोकप्रिय हिन्दी नाटककार, एक थिएटर निर्देशक, कवि थे और उन दिनों “ देख रहें हैं नैन “ नाटक की तैयारी चल रही थी और यही से हुई सफर की शुरुआत … उन्हें राजा के बेटे का रोल मिला.
उस नाटक में नंदिता ठाकुर, आशीष विद्यार्थी भी थे और इस नाटक का मंचन लंदन, इंगलैंड , स्काटलैंड, में भी हुआ..
उसके बाद “आगरा बाजार” में भी उन्होनें काम किया जिसमें अय्याश लडका बनें जो कोठे पर जाता है और पुलिस उसके पीछे लगी है …
अनूप जी अपनी सारी बातें कुछ इस तरह से बता रहे थे मानों ये सब मेरे सामने ही चलचित्र के समान हो रहीं हो … शायद एक कलाकार की ये खासयित या विशेषता भी होती है …
दिल्ली टू मुम्बई का सफर
समय बीता और फिर शुरु हुआ दिल्ली टू मुम्बई का सफर. बात सन 1997 की है उन दिनों “शांति” सीरियल आया करता था मंदिरा बेदी का. उसमें उन्हें उनके पिता कामेश महादेवन ( जब वो जवान थे ) का रोल मिला था बेशक, शुरु में थियेटर से धारावाहिक में आना अलग ही अनुभव था पर धीरे धीरे वो इसमें भी रमते गए पर थियेटर नही छोडा … जब भी मौका मिला थियेटर किया.
जहां तक शूटिंग की बात है हर दिन, हर शूटिंग अपने में एक नया अनुभव है… सभी कलाकार मिलकर खूब मौज मस्ती करते हैं या ये कहिए कि हमारी पिकनिक हो जाती है. कहते हुए उन्होनें अपनी चिर परिचित हंसी बिखेर दी.
मेरा एक प्रश्न ये भी था कि कई बार हम मेहनत तो करते हैं पर उतनी पहचान नही मिल पाती ऐसे में क्या करना चाहिए ..
उन्होनें अपनी गम्भीर मुद्रा में बताया कि बस अपना काम करते रहिए … उम्मीद नही रखिए … जो भी करना है दिल से करिए बस … उन्होनें बताया कि मजाक उनका भी बनता था जब वो छोटे शहर में थे और कहते थे कि मुम्बई जाऊंगा… पर उन्होनें सभी बातों को अनसुना कर दिया और आज एक मुकाम पर हैं … !!
संदेश
बात करते करते समय बहुत हो गया था … इसलिए बस आखिरी बात पूछी कि जो युवा इस क्षेत्र में आना चाहते हैं उन्हें का मैसेज देना चाहते हैं. उन्होनें बताया कि अगर अपने पर, अपनी कला पर, योग्यता पर पूरा विश्वास है तो जरुर आईए. ये एक रण भूमि है और इसमें अस्त्र शस्त्र से लेस होकर ही आना जरुरी है और धैर्य भी बहुत जरुरी है क्योंकि परिश्रम भी बहुत है और संघर्ष भी . इसे भी एक तरह का व्यवसाय ही समझना चाहिए इसलिए इसे गम्भीरता से लेना चाहिए …
अपने Fans के लिए
अपने प्रशंसकों के लिए उन्होनें कहा कि “अपने फैंस से हाथ जोडकर कहना चाहता हूं कि बहुत शुक्रगुजार हूं कि आप इतना प्यार देते आएं हैं आगे भी ऐसे ही प्यार करते रहिए, सराहते रहिए और कोशिश रहेगी कि आप की उम्मीदों पर खरा उतरता रहूं… और भरपूर मंनोरंजन करता रहूं” … इस बीच उनका शूटिंग से बुलावा भी आ गया …
और हमें हंसानें, गुदगुदाने के लिए वो एक बार फिर अपने रण क्षेत्र में अस्त्र शस्त्र से सुसज्जित हो गए… और तमाम दर्शकों की तरफ से शुभकामनाएं देते हुए मैंने उनसे विदा ली और मन में एक ही बात आ रही थी
देखो तो ख्वाब है जिंदगी
पढो तो किताब है जिंदगी
सुनो तो ज्ञान है जिंदगी
पर हंसते रहो तो आसान है जिंदगी …
May I Come In Madam? – Monica Gupta
May I Come In Madam? आज मिर्चा सोमा राठौड हास्य धारावाहिकों की दुनिया में अपने अलग अंदाज और वजनदार भूमिका लिए अपनी अलग पहचान बना चुकी है . लापता गंज, भाभी घर पर है या May I Come In Madam ? मे अपने अभिनय से सभी को गुदगुदा रही है. आमतौर पर महिलाएं अपना … Read more…
(तस्वीर गूगल से साभार)
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