Create Writing Interest in Kids – बच्चों को लिखना कैसे सिखाएं – Make Writing Fun – how to get child interested in writing – How can I help my child learn to write? कल मैं मार्किट गई हुई थी कुछ सामान खरीदने. जिस दुकान पर गई वहां एक महिला अपनी छोटी सी लड़की के साथ आई हुई थी वो लड़की बार बार कुछ लिखा हुआ बता रही थी और वो महिला सामान खरीद रही थी…बाद में जब हम एक ही काऊंटर पर थे तो वो महिला उससे पूछ रही थी कि चैक कर लो कुछ रह तो नही गया… उसने बताया कि नही.. सब आ गया तो वो महिला बोली अरे चॉकलेट तो ली नही जाओ अपने लिए चॉकलेट भी ले आओ… और वो लडकी भाग कर चॉकलेट लेने चली गई.. मेरे पूछ्ने पर उस ने बताया लिस्ट इसी ने बनाई और अपने हाथ से की लिखा.. उसने मुझे पेपर भी दिखाया बहुत अच्छा लगा ये देख कर..
Create Writing Interest in Kids – बच्चों को लिखना कैसे सिखाएं – Make Writing Fun
बच्चों मे पढ़ने-लिखने का शौक जगाना ये पेरेंटस का ही काम है.. और देखिए खेल खेल में सब कितना आसान हो गया. कि बच्चे से ही लिस्ट बनवाई और फिर शापिंग भी की और एनकरेज भी किया..
बहुत पेरेंटस को बहुत चिंता रहती है कि बच्चे लिखते नही तो इस तरह से इंटस्ट क्रिएट किया जा सकता है.. इसके इलावा भी कुछ एक टिप्स है कि छोटे बच्चों में लिखने में कैसे रुचि जगाएं.. लिखते ही नही है तो चलिए आज इसी बारे में बात करते हैं..
सबसे पहले तो जब बच्चों को पढाए तो एक जगह फिक्स होनी चाहिए.. माहौल बनाना चाहिए.
उनकी अपनी टेबल चेयर हो… वो दोनो चीज आरामदायक हों.. जब बच्चा लिखे तो हाथ दर्द न हो.. ऐसा नही की अपने आराम के हिसाब से कही भी पढा दिया… कभी पंलग पर कभी डाईनिंग रुम में.. कभी टीवी के सामने नही..
हम जब राईटिंग की बात करते हैं तो हमारा फोक्स बस इसी बात पर रहता है कि होमवर्क करे बस… राईटिंग का मतलब सिर्फ होमवर्क ही नही होता… और भी अलग अलग एक्टिविटी से बच्चों को एनकरेज करना चाहिए..
राईटिंग बॉक्स हो… लिखने का सारा मैटिरियल उनके पास हो… सारे टूल्स हो.. पेपर पैंसिल डायरी, स्केल, कलर पैंसिल..
बच्चे को ड्राईंग करने के लिए एनकरेज करे.. वो अपने मन का कुछ बनाए… और बना कर लिखे कि वो क्या है…
बच्चे को पहले पहल अपना नाम लिखना सीखाए.. उन्हें बहुत खुशी होती है फिर धीरे धीरे छोटे छोटे शब्द मम्मी पापा, उन्हें बहुत अच्छा लगता है..
कभी मान लीजिए बच्चे के दोस्त का जन्मदिन है तो बच्चे को खुद ही लिखने दें हैप्पी बर्थ डे.. तो बच्चे को बहुत अच्छा लगेगा..
और फिर बच्चे का लिखा दूसरो को भी दिखाए.. उससे उनका हौंसला बढता है..
बच्चों को जो आईसक्रीम पसंद है जो फल पसंद है वो लिखने को बोलिए.. या
एक कहानी बनाईए..
एक राजा था. राजा का नाम था. रानी का नाम था. उनकी प्यारी सी राजकुमारी का नाम था. वो जगह रहते थे. राजकुमारी की सहेली का नाम था.
एक कहानी भी बन गई और बच्चों की क्रिएटिविटी भी हो गई और सोच कर अलग अलग नाम भी लिखे. ऐसे अलग अलग तरीके से बच्चों मे शौक जगाया जा सकता है.
ऐसे में पेरेंटस साथ तो बैठ सकते हैं पर लिखने में मदद नही करे.. सोचने समझने दीजिए और लिखने दीजिए…
कई बार बच्चों को समझाने के लिए खुद स्टूडेट बन जाए और बच्चा टीचर तो बच्चा अच्छे सी सीखा सकता है..
बहुत पेरेंटस ऐसा करते हैं.बच्चे में शौक पैदा करने के लिए आप उन्हें नए नए आईडियाज दे सकते हैं जैसा कि मैंने अलग अलग तरह की कहानी लिखी थी… राजस्थान पत्रिका मे प्रकाशित मेरी ये कहानी
Alphabet को जोड कर कहानी बना भी सकते है या मम्मी पापा खुद ऐसी ही मिलती जुलती कहानी बना कर दें और बच्चे पढे..
अंग्रेजी वर्णमाला को जोड कर बनाई कहानी
W की मिठाE –
अभी w बहुत ही छोटा पर शरारती बच्चा था. मम्मी कहने पर पापा ने उसे A टू Z V द्यालय में दाखिल करवा दिया…. V द्यालय Jल K पास होने की वजह से वहां बहुत Cपाही घूमते थे. सड्क के दूसरी Oर Bकानेर नमकीन और Kक की दुकान थी. Aकता, Tटू, Bना, Eशा, Oमी, अच्छे दोस्त थे. नैंC Tचर बहुत अच्छी थी.
दूसरी कहानी अकों को जोड कर बनाई हैं.. राजस्थान पत्रिका मे प्रकाशित मेरी ये कहानी
100रभ की 6तरी
2पहर के समय बर7 शुरु हो गई. स्कूल से लौटते समय 100रभ ने आस3 ऊपर कर ली. आज उसका जन्मदिन था. रास्ते में उसे उसकी 1कता दीदी मिल गई. वो 6मिया राम जी की 2हती थी. उन्होने सारा समा4 जाना और बाय करके अपने घर चली गई. 100रभ के पिता 3का राम जी और दीदी के पापा 6मिया राम एक ही जगह 9करी करते थे..
पढाई को कैसा भी करके मनोरंजक बनाया जा सकता है..
फिर इस बात का भी ख्याल रखना चाहिए जो लिखा है उस पर सही रिस्पॉस दीजिए.. ऐसा नही की गलती निकालें कि ये मात्रा spelling सही नही ये गलत है.. एक बार लिखने दीजिए… गलती निकालने से कई बार उन्हें डर बैठ जाता है और बहुत मुश्किल लगता है फिर वो लिखने से कतराने लगते हैं..
टाईम जरुर फिक्स करें पर बहुत ज्यादा समय नही.. कई बार बच्चे बहुत जल्दी बोर हो जाते हैं और फिर पढने लिखने से कतराने लगते हैं..
खुद करने से बचे. कई बार पेरेंटस खासतौर पर मदर्स खुद ही बोर होकर तंग होकर बच्चे का काम कर देती हैं सोचती हैं चलो आज तो निबटा कल देख लेगें.. ये सबसे बडी गलती होती है खुद पर कंट्रोल करें और बच्चों को करने दे खुद से
जरुरत है writing activities को drawing or painting के साथ जोडने की.. ताकि खेल खेल में ही सीख सकें..
बच्चों की scrap book भी बना सकते हैं जो उन्होने लिखा, चित्रकारी की.. उसे एक किताब का रुप देकर उन्हें एनकरेज किया जा सकता है..
बच्चों को एनकरेज करने के लिए जब भी आप उनके साथ खेले तो स्कोर Score बच्चे को ही लिखने दें. पेपर पैन दीजिए कि आप लिखते रहिए नाम के आगे किसके कितने मार्क्स हुए.. इससे भी बच्चे में इंटस्ट होगा..
या बहुत स्कूल्स में तो स्कूल मैगजीन छपती है तो बच्चो को बोलिए कि कुछ भी अच्छा लिखा तो आपका नाम मैगजीन में आएगा.. देखिए अलग अलग तरीको से बच्चों को मोटिबवेट किया जा सकता है..
प्रैक्टिस प्रैटिस और प्रैक्टिस के साथ साथ पैशंस पैंशस और पैशेंस बहुत जरुरी है और फिर प से प्यार … बहुत ही ज्यादा जरुरी है…
तो बच्चे में अलग अलग तरीके से शौक जगाईए और एक रोल मोडल बन कर दिखाईए.. जैसे मार्किट में देखा कि शॉपिंग करने गई और छोटी बच्ची से ही लिखवाया और वो ही बता रही थी…
तो ये थीं कुछ बातें.. इसी से मिलती जुलती एक और वीडियो भी बनाई हुई है उसका लिंक नीचे दिया हुआ है.. वैसे आप बताईए. ??
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