How to Stop being Selfish – Selfish होने से कैसे बचें – Stop being Selfish – माना बुरी है दुनिया हर तरफ धोखा है.. पर अरे भई.. हम तो अच्छे बनें हमें किसने रोका है
आम आमतौर पर दूसरो को तो फटाफट कह देते हैं कि वो देखो कितना मतलबी है कितना Selfish है मैंने अपनी लाईफ में ऐसा आदमी नहीं देखा.. पर हम खुद कैसे हैं.. क्या हम खुद स्वार्थी मतलबी नही बन जाते कई बार जाने अंजाने हम भी Selfish हो जाते हैं
How to Stop being Selfish
मुझको क्या हक, मैं किसी को मतलबी कहूँ.. मैं खुद ही ख़ुदा को, मुसीबत में याद करता हूं
जब हम Selfish लोगो को पसंद नहीं करते तो दूसरे भी तो हमें पसंद नहीं करेंगें तो खुद को कैसे ठीक करे.. अगर हमे लगता है कि हम Selfish स्वार्थी हैं तो कैसे
इस बारे में मैं आपको बता रही हूं कुछ बातें…
1. जब हम स्वार्थी होते हैं तो सिर्फ अपने बारे में ही सोचते हैं तो बजाय अपने बारे में सोचना छोड कर दूसरों को अहमियत दें…
आदत डालिए कि दिन में एक बार हम दूसरे की मदद के लिए जरुर आगे आएगें जैसा कि मैं किसी दुकान में गई हूं वहां काऊंटर पर लम्बी लाईन है मेरे पीछे एक बुजुर्ग व्यक्ति खडे हैं तो मुझे उन्हें आगे कर देना चाहिए कि आप आगे आ जाओ…
मदद उनकी ही करनी है जो आपको genuine लगे…ये भी न हो कि लोग आगे आते जाएं और आप पीछे होते जाएं कोई महिला है उसकी गोदी में बच्चा है वो रो रहा है तो उन्हें आगे आने दीजिए…
2. खुद को दूसरे की जगह रख कर देखना है.. कई बार हम बहुत इमपेशेंट हो जाते हैं..बजाय दूसरे पर चिल्लाने के गुस्सा करने के दूसरे की जगह खुद को रख कर देखना है… जैसा कि मैं एक मॉल में गई.. वहां पर सेल्स मैन दूसरे कस्टर्मस को अटेंड कर रहा है और मुझे गुस्सा आ रहा है कि इतनी देर से खडी हूं और इसे देखो दूसरो को ही अटेंड कर रहा है तो मुझे खुद को उसकी जगह रख कर सोचना चाहिए कि मैं होती तो क्या करती.. मैं भी जो कस्टर्मस पहले खडे हैं उन्हें ही दिखाऊंगी ना… तो संयम रखना आना चाहिए.. इसके एंगल से सोचिए कि वो बेचारा खाली थोडे न खड़ा है वो भी तो काम ही कर रहा है…
3. Selfish people दूसरो की सुनते ही नहीं है.. अपनी बातें ही करते रहेंगें मेरे साथ ये हुआ.. मेरे साथ वो हुआ.. मैं ये मैं वो… तो सुनना आना चाहिए. 50 – 50 रेशो होना चाहिए और हम क्या करते हैं 80 -20 रखते हैं तो इस पर भी कंट्रोल करके सुनने की और उनकी बातों में interest भी दिखाने की कोशिश करनी चाहिए…
कई बार हमें कोई क्रिटीसाईज करे तो वो भी हमें पसंद नहीं आता तो बजाय ये सोचने के कि वो गलत बोल रहा है उसकी बात को समझना चाहिए हो सकता है कि वो हमारे अच्छे के लिए ही हो… जैसे मैने नारी शक्ति पर एक लेख लिखा और मेरी एक जानकार ने कहा कि उतना अच्छा नहीं है इसमे और क्यूटेशन डाल कर और भी बेहतर बनाया जा सकता है और मुझे अच्छा नहीं लगा ये सुनना तो मुझे समझना चाहिए और विचार जरुर करना चाहिए.. सिरे से खारिज करने की बजाय विचार जरुर करना चाहिए..
4. अपनी लाईफ को सिम्पल बनाईए.. जितनी लाईफ सिम्पल होगी उतना ही हम कम सैलफिश होंगे…
दो बातें होती हैं मुझे चाहिए या ये मेरी जरुरत है… मुझे मोबाइल फोन चाहिए क्योंकि मुझे उसकी बहुत जरुरत है और मुझे फोन तो चाहिए पर सबसे महंगे वाला… नहीं तो कोई भी नहीं चाहिए तो इस सोच को भी बदलना होगा कि जिंदगी जितनी सिम्पल होगी उतनी ही आसान होगी नहीं तो बहुत कॉम्प्लीकेटिड होती जाएगी… ये चाहिए वो चाहिए…
5 .अपने दोस्तो, परिवार वालो या आस पडोस को हमेशा काम के वक्त ही याद नहीं कीजिए.. अदर वाईस भी याद कीजिए या मिलने जाई… बिना वजह ही फोन कर लिया कि क्या हाल है बहुत दिन हो गए.. घर पर सब कैसे हैं ?? तो दूसरों को भी अच्छा लगेगा नहीं तो वो यही सोचेंगें कि बहुत ही मतलबी है कुछ काम ही होगा तभी फोन आया है.
एक हमारे जानकार हैं वो कुछ समय तक सरकारी नौकरी में थे और बहुत फोन आते थे.. मिलने वालो की लाईन लगी रहती थी अब जब वो रिटायर हो गए कोई नहीं आता…
उनके खास दिन याद रखने हैं…या किसी का जन्मदिन है, शादी की सालगिरह है कोई पार्टी नहीं दे रहा फिर भी उसे फोन करके या घर जाकर कोई उपहार दे आए… तो अच्छा लगता है..
या जब किसी को जरुरत हो तो आगे आना है मदद के लिए ये नहीं कि मैं हूं पर जब काम पडा तो पीछे हट गए…
कुछ यूँ हुआ कि, जब भी जरुरत पड़ी मुझे, हर शख्स इतेफाक से, मजबूर हो गया.
6. जैसे हम बात करते हैं कि like minded लोगो के साथ रहो.. इसमे नहीं रहना.. उन लोगो के साथ नहीं रहना जो selfish हो बल्कि उन लोगो के साथ रहना है जो ऐसे न हो… और अगर किसी की बात अच्छी लगे तो जरुर compliment भी देना है कि बहुत खूब… ये ना हो कि बस हमें अपने बारे में ही सुनना है…
ढूंढना ही है तो परवाह करने वालों को ढॅूढ़ीये इस्तेमाल करने वाले तो ख़द ही आपको ढॅूढ़ लेंगे…
माना बुरी है दुनिया हर तरफ धोखा है..
पर अरे भई.. हम तो अच्छे बनें हमें किसने रोका है
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