आज के समय मे सकारात्मक लिखना बहुत कठिन हो गया
है क्योकि हमारी सोच इतनी नकारात्मक हो चुकी है कि कोई अच्छी लिखी या बोली
बात अच्छी ही नही लगती यकीन मानिए बदलता समय और हमारा लेखन में तो हमारी भूमिका और भी चुनौती पूर्ण हो जाती है. वाकई में, अच्छा और सकारात्मक लिखना किसी चुनौती
से कम नही. अगर किसी के बारे मे अच्छा लिख दो तो पाठक सोचते हैं कि पता नही किसलिए !!!!
एक ब्लागर से जब मैने पूछा कि आप इतना नकारात्मक किसलिए लिखते
हैं. किसी का इतना क्यों मजाक उडाते हैं इस पर वो बोले कि उससे मुझे कोई
मतलब नही !!!मुझे बस कमेंट से मतलब है. मेरे लिखे पर जितने कमेंट आएगे उतना
ही अच्छा लगता है !!! यानि कुछ भी अटरम शटरम, अनाप शनाप, बेफालतू लिखे जाओ
!!!50-60 कमेंट पा लो और लेखनी हो गई !!! इस बात से मैं 100% असहमत हूं…!!!!
इसलिए भले ही कमेंट मिले ना मिले आपको पसंद आए या ना आए भले ही एक भी कमेंट ना
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