Plants कुछ देर पहले मैं तेज धूप छिपने के बाद पौधों को पानी दे रही थी. अचानक एक गमले में मुझे लगा कि कुछ पौधे चुप चुप से हैं. वैसे वो अक्सर ऐसे नही रहते हमेशा लहराते हुए मिलते हैं. फिर आज क्या … क्या आज गर्मी ज्यादा तेज है … ओह .. तभी ध्यान आया कि आज मैने उसी गमले से दो तुलसी के पौधे निकाल कर अपनी सहेली को दिए थे…
शायद तभी वो अकेलापन महसूस कर रहे होंगें और शायद इसीलिए ही चुप से होंगे. बच्चे भी जब घर से बाहर पढाई या नौकरी के लिए जाते है तब मम्मी पापा को भी कुछ ऐसा ही महसूस होता है पर धीरे धीरे जब उन्हे पता चलता है कि बच्चा ठीक है उसका मन लग गया है तो वो भी सेट हो जाते है.
मेरा मन नही माना और उसी समय मैं उसी सहेली के घर गई वो पौधे देखने . उसने पौधे को बहुत सम्भाल कर बरामदे में गमले मे लगा कर रखा था. थे तो वो भी चुप चुप पर मुझे पूरा विश्वास है कि नए वातावरण मॆं वो खुद को जल्द ही ढाल लेंगे और खूब खिल उठेंगें …. इसी सोच मे मैं भी खिल गई … Plants