Caring Mother
देखा जाए तो बात है भी और नही भी है .. असल में, बात ये है कि जब मैं छोटी थी और जब भी स्कूल से घर आती या खेल कर आती और मम्मी के हाथ का टेस्टी टेस्टी खाना खाती तो बहुत बार टार्चर कर लेती यानि की ज्यादा खा लेती ओवर ईंटिग कर लेती . खासकर राजमा चावल का बेहद शौक होने के कारण मैं खुद को कंट्रोल नही कर पाती थी और उसी चक्कर में मम्मी अपने हिस्से का भी मुझे दे देती … और मैं झट पट खा लेती और हमेशा सोचती कि जब मैं बडी होऊगी और मेरे बच्चे होंगें तो अपने हिस्से के राजमा चावल तो कभी नही दूंगी …
ह हा हा … मैं बडी भी हो गई बच्चे भी हैं पर आज भी जब बच्चों को खाना अच्छा लगता है चाहे वो राजमा चावल ही क्यों न हों … और वो और की मांग यानि टार्चर करें तो मेरा यही जवाब होता है … अरे !! अभी बहुत रखा है रसोई में आप आराम से खाओ…
न जाने देने मे कितनी खुशी मिलती है एक अहसास सा होता है कि खुद का पेट तो अपने आप ही भर गया … शायद यही मां होती है ..
Caring Mother