Sportsmanship is important in reality shows …. रियलटी शो-इंडियन आइडल जूनियर शुरु हो गया है इस तरह के शो वाकई में बहुत अच्छे लगते है. जैसे लोग क्रिकेट मैच देखने के लिए चिप्स और ठंडा पेय अपने पास रख लेते हैं ऐसे ही अक्सर मैं भी करती हूं. पर शो के दौरान एक बच्चे की मासूमियत को देख कर उस पर तरस आया और उसके माता पिता पर बेहद गुस्सा. हुआ ये कि एक 7 साल का बच्चा अपना ओडिशन देने पिछले साल भी आया था पर डर या धबराहट में कुछ गा नही सका .पिछले साल का वो सीन भी दिखलाया था. क्या गाऊं क्या गाऊं कह कर बच्चा नर्वस हो गया था और बिना कुछ कर गाए वो चला गया . इस साल वो फिर आया पूरा तैयार होकर और आते ही उसने गाना सुनाना शुरु कर दिया. अच्छा था पर थोडा लय मे नही था. तीनों जज उसे इशारा करके रुकने को कहा पर वो रुका नही उल्टा उन्ही को इशारे मे मना करके गाता रहा.
एक जज स्टेज पर आ गए और उसे समझाया लेकिन अब उसे एक ही जिद थी कि पास कर दो … उसने पास कर दो कि रट लगा ली. बाहर खडे बच्चे के चाची बता रही थी कि पिछ्ली बार जब ये गा नही पाया था तो इसे इसके पापा से बहुत डांट पडी थी और शायद उसी का डर होगा कि स्टेज पर आते ही उसने गाना शुरु कर दिया और रुका नही और दूसरी बात उसका बार बार कहना कि पास कर दो .. जब तक पास नही करोगें मैं जाऊगां ही नही… मैं यही बैठा हूं.. मन में एक दर्द सा भर गया. इतना प्रैशर बच्चे पर …!!! फिर स्टेज पर उसके चाचा चाची , बुआ और मां को बुलाया गया और उन्हें भी समझाया गया वो भी अडे रहे कि बच्चे ने अच्छा गया वो जागरण मे भी गाता है. उसी के साथ साथ उन्होनें यह भी स्वीकारा कि बच्चे पर गाने का दवाब तो डाला ही है. जज से हो रही बात चीत मे बच्चा घबरा गया और उसे लगा कि उसका सिलेक्श्न नही हो पाएगा और उसने रोना शुरु कर दिया. बच्चे को रोता देख मन उदास हो गया बस यही बात मन में आ रही थी कि बच्चों को गायकी के साथ Sportsman spirit आनी भी सिखानी चाहिए और उससे भी ज्यादा जरुरी है कि माता पिता को यह भावना पहले सीखनी होगी
एक बात होती है शौक और टेलेंट और एक होती है थोपना … अगर अपनी खुशी से गाया जाए तो वो गाने में साफ झलकती है .. पर मासूम पर दवाब डाला जाए कि इस बार सेलेक्ट होना ही है नही तो … बच्चे में डर सा बैठ जाता है और गानें मे उसका डर साफ झलकता है.
कोई शक नही हर माता पिता चाह्ते हैं कि उनके बच्चे टीवी पर आए पर तनाव नही देना चाहिए बहुत ज्यादा उम्मीद नही बना लेनी चाहिए वो कहते हैं ना कि खेल भावना यानि Sportsman spirit भी सिखानी चाहिए और खुद भी आनी चाहिए कि चलो इस बार नही तो कोई नही अगली बार सही. पर बच्चे पर दबाव डालना और जब बच्चे का सिलेक्श्न न हो तो जजों पर ही गलती निकलना ये भी सही नही है.
बच्चे मासूम और कोमल मन के होते हैं. बेशक, माता पिता को बहुत मेहनत करनी पडती है बच्चों के साथ …
क्या बच्चों का खेल है रिएलटी शो ?
भारत में टैलेंट से जुड़े रिएलटी शो की दिवानगी किसी से छुपी नहीं है. लगभग हर टीवी चैनल पर एक ऐसा शो दिखाई पड़ ही जाता है जिसे देखकर माता-पिता को लगे कि उनका बच्चा भी इसमें जा सकता है.
टेलैंट शो में आई हज़ारों की भीड़ में जहां बच्चे का चयनित होना खुशी की बात होती हैं, वहीं ना चुने जाने पर बच्चे के मनोबल पर क्या असर पड़ता है ? तनुजा कहती हैं “रिजेक्शन सहने की शक्ति कई बार बच्चों में नज़र नहीं आती. कई बार तो वो मानने को ही तैयार नहीं होते की उनमें वो टैलेंट नहीं है जिसे ढूंढा जा रहा है.” See more…
इंडियन आयडल, जूनियर में विशाल डडलानी एवं सलीम मर्चेंट और गायिका शालमली खोलगाडे, शो के जज हैं
संगीत निर्देशक विशाल डडलानी ने बताया, ‘‘एक गायक के रूप में, यह देखना वाकई में अद्भुत लगता है कि पैरेंट्स अपने सपनों को पूरा करने के लिए अपने बच्चों को इस छोटी सी उम्र में किस तरह प्रोत्साहित करते हैं और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए प्रेरित करते हैं। माता-पिता आजकल अपने बच्चों पर डाॅक्टर, इंजीनियर अथवा वकील बनने का दबाव नहीं डालते, बल्कि उनके रचनात्मक पहलू को निखारते हैं और उनके सर्वश्रेष्ठ पहलू को सामने लाते हैं। मुझे पूरा भरोसा है कि जिन बच्चों का चयन किया गया है, वे सिंगिंग रियलटी शोज में नये मानदंड स्थापित करेंगे और संगीत उद्योग को वास्तव में कुछ बेहतरीन प्रतिभायें देंगे।‘‘
मशहूर गायिका शालमली खोलगाडे ने कहा, ‘‘इस सीजन में कुछ युवा उभरते गायक नजर आयेंगे। इनमें से कुछ निश्चित ही भारतीय संगीत उद्योग में नई लहर लेकर आयेंगे।‘‘
सलीम मर्चेंट ने बताया, ‘‘इंडियन आइडल ने भारत में सबसे बड़े सिंगिंग टैलेंट शो के रूप में अपनी अलग जगह बनाई है। इस साल की प्रतिभायें वाकई में बेहतरीन है। मैं अपने देश की प्रतिभा को देखकर बहुत दंग हूं।‘‘
बेशक इंडियन आइडल रियलटी शो जैसे अन्य शो प्रतिभावान बच्चों के लिए एक शानदार मंच साबित होते है पर जरुरत इस बात की है कि बच्चे को संगीत की शिक्षा के साथ साथ खेल भावना यानि Sportsman spirit भी सिखानी चाहिए और यही भावना पेरेंटस में खुद भी होनी चाहिए ताकि बच्चा अगर पीछे रह जाए तो उस को डांट न लगाई जाए दवाब न बनाया जाए …
How to Be a Good Sport: 6 Steps
Sportsmanship is essential when playing a sport of any kind. No one wants to play with a sore loser. Want know how to be a good sport? Read on! Read more…
कुला मिला कर यही बात कहना चाह्ती हूं कि बेशक ऐसे शो बहुत बडा मंच देते हैं और बच्चा रातो रात फेमस हो जाता है पर अगर किसी वजह से बच्चा आगे नही आ पाता तो माता पिता को भी बच्चे के दिल को समझते हुए Sportsmanship रखनी चाहिए यह खुस समझना और समझना चाहिए कि मंजिल यही खत्म नही हो गई है …