आज मेरी सहेली मणि ने एक ऐसी कहानी सुनाई कि जिसे सुनकर मैं निशब्द रह गई.
उसने नई मां कहानी कही पढी थी. कहानी कुछ ऐसे है
एक आदमी ने अपनी पत्नी के मरने के बाद दूसरी शादी की और अपने 5 साल के बेटे से पूछा कि उसे अपनी नई मां कैसी लगी. इस पर बेटा मासूमियत से बोला कि मेरी मां झूठी थी पर नई मां सच्ची है इस पर पिता हैरान हो गए और पूछा कि वो ऐसे कैसे कह सकता है इस पर बेटा बोला जब मैं शरारत करता था तो मां नाराज होकर कहती थी कि ठहर जा… तुझे तो मैं खाना ही नही दूंगी पर थोडी ही देर मे लाड प्यार करके पुचकार के गोद मे बैठा कर खाना खिलाती थी.
नई मां भी यही कहती है कई बार नाराज होकर कहती है कि तुझे खाना नही दूगी पर वो सच्ची है वो वाकई मे खाना नही देती “आज दो दिन हो गए मुझे खाना खाए” !!!!
( वैसे कहानियों का भी अलग ही संसार होता है कुछ कहानियां हसांती हैं गुदगुदाती है वही कुछ कहानियां ऐसी होती हैं जो कुछ सोचने पर मजबूर ही कर देती हैं. नई मां कहानी कुछ ऐसी की कहानी है …)