Monica Gupta

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June 16, 2015 By Monica Gupta

नारियल का फैसला – कैसे बचे बाबाओं से

नारियल का फैसला – ( बाल कहानी) टोने टोटके , पाखंड के खिलाफ पोल खोलती कहानी है नारियल का फैसला. भारतीय संस्कृति में नारियल को बहुत पवित्र माना जाता है… नारियल का फैसला क्या लिया ये जानने के लिए पढनी होगी कहानी

नारियल का फैसला – कैसे बचे बाबाओं से

आज दोपहर ही गांव से दादी अम्मा का तार आया है। उसमें लिखा था कि दादी बीमार है, तुरन्त चले आओ. तार पढ़ने के बाद मनोज के पापा का मन दफ्तर में नहीं लगा।

वह तुरन्त ही दो-तीन दिन की छुट्टी लेकर मनोज और अपनी पत्नी मनीषा के साथ गांव रवाना हो गए। रास्ते भर वह सोचते रहे कि अम्मा को शहर ले आएंगे। यहीं उनका इलाज करवाएंगे। तीन घंटे में वह गांव पहुंच गए।

वहाँ अड़ोसी-पड़ोसी इकटठे हुए थे। गांव की यही बात अच्छी है कि एक-दूसरे का सब बेहद ख्याल रखतें हैं। दादी के घर पहुंचे तो देखा, दादी बैठी हुर्इ थी। वह बहुत ही परेशान दिख रही थी। पापा ने उन्हें हाथ लगा कर देखा पर वह गर्म नहीं था।

मनोज के पापा ने राहत की साँस ली। दादी अम्मा के पड़ोसी छाछ ले आए। थोड़ा रूक कर मनोज के पापा ने पूछा, अम्मा बुखार कब उतरा?  अम्मा बोली बुखार तो था ही नहीं। पर अब चढ़ेगा। मनोज के पिता हैरान रह गए।

लेकिन वो तार भिजवाया था आपने ? पापा बोले। हाँ, भिजवाया तो था, तुझे जो बुलवाना था। इसलिए भिजवाना पड़ा। अम्मा रूआंसी होकर बोली। मनोज के साथ-साथ उसके मम्मी-पापा को दाल में कुछ काला लगा। उन्होंने पूछा, भर्इ, बताएं ना आखिर क्या बात है?

तभी गांव के सरपंच दीनू काका बोले, बेटे बात ये है कि हमारे गांव में एक साधु महाराज पधारे हैं और अम्मा भी उनके दर्शनों के लिए गर्इ थी। अब बात यह है कि किस व्यक्ति का  और किसके परिवार का भविष्य उज्ज्वल होता है ? यह सब बाबा एक नारियल देकर ज्ञात कर लेते हैं। क्या नारियल से?

मनोज के मम्मी-पापा ने उत्सुकता से पूछा। मनोज की मम्मी को भी ऐसे जादुर्इ बाबा के किस्से बहुत अच्छे लगते थे। तब दीनू काका ने बताया कि, बाबा एक नारियल लेने को कहते हैं। वहां बहुत से नारियल रखे होते हैं।

जिस नारियल को हम हाथ लगाते हैं, बाबा उसे खोलते हैं। अब अगर उसमें से फूल निकले तो उसका तथा  उसके परिवार का जीवन खुशहाल रहता है पर जिस नारियल में आग लग जाती है, उसके परिवार का नाश हो जाता है।

बस, अम्मा तीन बार से बाबा के पास नारियल दिखवाने जा रही है और हर बार नारियल में आग निकल रही है। अम्मा को वहम हो गया कि उनके परिवार पर जरूर मुसीबतें आने वाली हैं। इसलिए उन्होंने आप सभी को तार देकर बुलवाया है।

मनोज की मम्मी को चिंतित हो गर्इ पर मनोज समझदार बालक था। वह जिस विधालय में पढ़ता था, वहां उनको यह शिक्षा भी दी जाती थी कि ढ़ोंगी साधु कैसे भोली-भाली जनता को लूटते हैं, उसे पता था कि उस बाबा ने क्या पाखंड किया होगा।

अगले दिन मनोज और उसके मम्मी-पापा तथा दादी सब उसी दरबार में गए। मनोज ने कहा, इस बार नारियल वो ही उठाएगा। बाबा के दरबार में खूब भीड़ थी। गांव वाले बाबा पर खूब चढ़ावा चढ़ा रहे थे। चारों तरफ जबर्दस्त धूप की खुशबू फैली हुर्इ थी।

मनोज अपने साथ एक नारियल लेकर गया और बाबा से बोला, बाबा मेरा भविष्य बताइए। बाबा ने उसे ड़ांटा, मूर्ख, तू हमारा अपमान करता है, सिर्फ हमारे द्वारा रखे नारियल से ही भविष्य बताया जाएगा क्योंकि ये पूजा किए गए नारियल हैं। तब उसने अपना नारियल अपने पापा को दे दिया और बाबा द्वारा रखे नारियल में से एक नारियल उठा लिया। मनोज नारियल उठाते ही उसे सूंघने लगा।

अब बाबा कुछ सकपकाए। बोले, मूर्ख, नारियल क्यों सूंघता है? मनोज बोला, बाबा मैं परिवार की सुख-समृद्धि वाला नारियल चाहता हूँ। इसलिए आपको ऐसा ही नारियल सूंघ कर दूंगा, जिसमें हमारे परिवार का कल्याण हो।

भीड़ के सभी लोग सकते में आ गए। पूरी भीड़ में खामोशी सी छा गर्इ। बाबा भी कुछ परेशान हो गए। मनोज ने एक नारियल हाथ में लिया और बोला , बाबा, आप इसे खोलें , इसमें अवश्य ही फूल होंगें। बाबा ने उसे हाथ में लेकर पानी के कुछ छींटे देकर उसे पवित्र कर कुछ मंत्र पढ़े और जब उसे खोला तो उसमें फूल निकले।

क्यों, दादी माँ, अब तो कोर्इ बीमार नही पड़ेगा, देखो, अब फूल निकला है नारियल में।

बाबा को पोल खुलती नज़र आर्इ। उन्होंने शिष्यों से कहा कि आज उनकी तबियत ठीक नहीं है। अब वह दरबार कल सुबह लगाएंगे। लेकिन अब पासा पलट चुका था। बाबा को स्टेज पर जबर्दस्ती रोककर मनोज ने बताना शुरू कर किया, आमतौर पर साबुत नारियल के सिर पर तीन काली बिन्दी बनी होती है।

बस थोड़ी सी सावधानी से, इसमें से एक बिन्दी में छेद करके छोटी सी फूलों की 2या 3 कलियां नारियल में ड़ाल दी जाती हैं। करीब सात घण्टे पहले ही और फिर छेद को आराम से बंद कर दिया जाता है। ये तो बात रही कि नारियल में फूलों के निकलने की। अब बात बची है नारियल में आग लगने की।

तो होता यूं है कि नारियल के बालों या जटाओं में सोडियम के बहुत ही छोटे छोटे टुकड़े जो तेल से भिगो कर निकाले जाते हैंं। उन्हें इसमें छिपा कर रख देतें है और जब आप लोग नारियल चुन कर देतें हैं तो बाबा, उसमें जल छिड़क कर उसे शु़द्ध करते हैं, जो कि एक बहाना ही है।

असल में,  होता यह है कि केरोसिन युक्त सोडियम धातु पर पानी डलते ही वह जलने लगती है। बस, बाबा कह देते हैं कि परिवार पर कष्ट आएगा और वो भोली-भाली जनता से धन, गहने, जमीन आदि खूब ऐंठते हैं। क्यों बाबा, मैंने सब ठीक कहा ना। अगर कुछ भूल गया हूँ तो बता देंं।

मनोज ने अपनी बात पूरी की। बाबा सिर झुकाए बैठे रहे। उनकी पोल खुल चुकी थी। ये कुछ और नही बस जादू की ट्रिक्स ही थीं  उनके पास सारे गहने, रूपया, जमीन आदि वापिस करने के अलावा कोर्इ दूसरा रास्ता नहीं था। चारों तरफ मनोज की जय-जयकार होने लगी। दादी तो एकदम हक्की-बक्की सी बैठी ही रह गर्इ। वो बहुत खुश हुर्इ कि ढ़ोंगी को सबक मिल गया।

नारियल का फैसला

नारियल का फैसला

नारियल का फैसला कहानी आपको कैसी लगी … ???

Photo by YIM Hafiz

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