बच्चों की छोटी कहानी – जब पौधे को हुई फूड पॉयजनिंग – क्या होता है जब पौधे को हो जाती है फूड पॉयजनिंग .., एक छोटे से बच्चे की मासूम गलती की वजह से पौधे को हो जाती है फूड पॉयजनिंग.. आखिर कैसे होती है … क्या पौधा बच जाता है या मर जाता है बच्चों की प्यारी और मजेदार मेरी लिखी कहानी सुनिए … ये कहानी बहुत साल पहले बाल भारती पत्रिका में भी प्रकाशित हुई थी…
बच्चों की छोटी कहानी – जब पौधे को हुई फूड पॉयजनिंग
मैं हूं नोनू। चौथी क्लास में पढ़ता हूं। पिछले कुछ दिनों से मैं उदास हूं। असल में, बात यह हुर्इ कि दस दिन पहले मेरा जन्मदिन था। पापा ने बहुत सुंदर-सा पौधा उपहार में दिया और मुझसे कहा कि इस पौधे की जिम्मेदारी मेरी है; अगर यह पौधा पूरे साल बढ़ता रहा तो वो मेरे अगले जन्मदिन पर मुझे दो पहियों वाली साइकिल दिलवाएंगे।
( Published in Bal Bharti) बाल भारती में प्रकाशित कहानी
मैं बहुत खुश था। हमारे घर में पहले से ही ढ़ेर सारे पौधे हैं। मम्मी उनकी देखभाल करती रहती है। मैं मम्मी को देखता हूं। बस, पानी ही तो देना होता है। इसमें क्या मुशिकल काम है। मेरी साइकिल तो पक्की ही समझो। पौधा आने के बाद मैं बार-बार उसमें पानी देता ताकि जल्दी-जल्दी बड़ा हो। मेरे दोस्त विक्रम, सन्नी, मीशू और सामी भी पौधा देखने आए और उन्होंने अपने सुझाव दिए कि पौधे को जल्दी से बड़ा कैसे किया जाता सकता है।
इस बात को लगभग दस दिन हो गए हैं लेकिन आज पता नहीं क्यों मुझे मेरा पौधा चुप-चुप सा लग रहा था। मैंने मम्मी को आवाज देकर बुलाया और पौधा देखने को कहा। मम्मी ने प्यार से मेरे बालों में हाथ फेरा और गमले के पास बैठकर उसे ध्यान से देखने लगीं- ठीक वैसे ही जैसे डाक्टर मरीज को देखता है। मम्मी ने मुझसे पूछा कि पौधे को पानी कब-कब दिया। मैंने बताया कि दिन में चार-पांच बार पानी दिया और दो दिन पहले ही सर्फ के पानी से धोया था और उसी दिन से बार-बार फिनाइल भी ड़ाल रहा हूं ताकि आस-पास मच्छर ना आएं।
मम्मी मेरी बात सुनकर घबरा गर्इ और बोली, अरे! तुम्हारे पौधे को तो फूड पायज़निंग हो गर्इ है। मुझे समझ में तो कुछ नहीं आया पर इतना पता था कि कुछ बहुत बुरा हुआ है। मैं बहुत उदास हो गया। मम्मी ने बताया कि इसे बचाने के लिए इसका तुरन्त आप्रेशन करना पड़ेगा। मम्मी फटाफट खुरपी और घर के बाहर से ताजी मिट्टी ले आर्इं। उन्होंने एक खाली गमले में भरी और उस पौधे को गमले से बहुत ध्यान से निकालकर नए गमले में आराम से खड़ा करके दबा दिया।
अब मेरा पौधा नई मिट्टी और नए गमले में खड़ा था पर वह अब भी चुप था। नए गमले में धीरे-धीरे पानी डालते हुए मम्मी ने कहा कि तुम्हारे पौधे का आप्रेशन तो हो गया है पर अभी भी कुछ नही कहा जा सकता है। अगले तीन दिन में ही पता लग पाएगा कि पौधा ठीक है या मर गया है। मैं बुरी तरह से डर गया। मम्मी मुझे गोद में उठाकर रसोई में ले गई और मुझे ब्रैड देते हुए बोली कि पौधे को फिनाइल क्यों दी?
मैंने बताया कि मेरे दोस्त विक्रम ने बताया था कि अगर पौधे को सर्फ के पानी से नहलाओगे तो वह साफ-सुथरा हो जाएगा और फिनाइल डालेंगे तो कभी कीड़ा नहीं लगेगा, आसपास मच्छर भी नहीं आएगा। इससे पौधा जल्दी-जल्दी बड़ा होगा।
मैंने मम्मी से डरते-डरते पूछा कि यह फूड पॉयजनिंग…… क्या होती है?? मम्मी ने बताया कि फूड मतलब खाना और पायज़न मतलब जहर…..। यानि खाने में जहर। पौधे को खाने में फिनाइल, सर्फ देकर जहर देने का ही काम किया है। पौधे की जड़ों में अगर यह जहर चला गया तो पौधा मर जाएगा और जड़ों में ज्यादा जहर नहीं फैला है तो शायद पौधा बच जाए। अब तो बस भगवान जी की दया चाहिए।
मैं भागकर मंदिर में गया और वहां से अगरबत्ती और माचिस ले आया। मम्मी ने गमले के पास अगरबत्ती जला दी। अब मैंने मम्मी को ध्यान से देखना शुरू किया कि वो पौधों की देखभाल कैसे करती हैं। कितनी बार पानी देती हूं। इन दो-तीन दिनों में मैंने भीगी हुई दाल और पानी ही पौधे को दिया ताकि उसमे जल्दी-जल्दी ताकत आए। मेरे वाले पौधे के नीचे के तीन-चार पत्ते बिल्कुल सूख चुके थे। उधर विक्रम से मैंने कुट्टी कर ली थी क्योंकि उसकी वजह से ही मेरे पौधे का ये हाल हुआ था।
मुझे कल सुबह का इंतजार है क्योंकि जब मैं सोकर उठूंगा तो पूरे 72 घंटे हो जाएंगे। हे भगवान, मेरा पौधा ठीक हो जाए।
अगली सुबह, मैं जब उठा और गमले के पास भागा तो मम्मी जड़ से पौधे को निकाल रही थी और मुझे देखकर कहने लगीं कि वो पौधे को बचा नहीं पाई। मैं रोने लगा। मुझे साइकिल न आने का इतना दुख नहीं था जितना कि पौधे का इस तरह मर जाना था। मैं जोर-जोर से रोने लगा।
तभी मम्मी की आवाज मेरे कानों में पड़ी। अरे…….मैं तो सपना देख रहा था। मम्मी मुझे खुशी-खुशी बता रही थी कि आपरेशन सफल हुआ। उस पौधे में एक नया पत्ता आ गया है। यानि अब पौधा बिल्कुल ठीक है। वह खतरे से बाहर है। मैं भागकर पौधे के पास गया और बहुत ध्यान से देखने पर एक छोटा-सा पत्ता दिखाई दिया।
सुबह – सुबह की सूरज की रोशनी पौधे पर पड़ रही थी। वह हवा में आगे-पीछे झूल रहा था। ऐसा लग रहा था मानो खुशी में झूलता हुआ वह कह रहा हो कि मैं बिल्कुल ठीक हूं…
अब मेरा ख्याल रखना। मैं भागकर मंदिर से अगरबत्ती और माचिस ले आया।
मम्मी ने मुझे प्यार किया और भगवान का नाम लेकर अगरबत्ती जला दी। मेरी डाक्टर मम्मी ने पौधे की बीमारी ठीक कर दी। अब मैं जान गया था कि पौधे की देखभाल कैसे की जाती है। मैं खुशी-खुशी स्कूल जाने के लिए तैयार हो गया क्योंकि दोस्तों को भी तो बताना था।
जब पौधे को हुई फूड पॉयजनिंग – बताना कि ये कहानी कैसी लगी….
बच्चों की मनोरंजक कहानी – कहानी घर घर की – Monica Gupta
बच्चों की मनोरंजक कहानी – कहानी घर घर की – हरियाणा साहित्य अकादमी की ओर से 2015 का “बाल साहित्य पुरस्कार” मेरी लिखी किताब “वो तीस दिन” को मिला. बाल साहित्य बच्चों की मनोरंजक कहानी – कहानी घर घर की – Monica Gupta