Monica Gupta

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July 7, 2015 By Monica Gupta

नुक्ताचीनी – नुक्ताचीनी करना सही नही

नुक्ताचीनी करने की कई लोगो मे बहुत आदत होती है. हर बात में कमी ही निकालते हैं और हर बात पर टोकतें हैं बिना जाने की दूसरे को महसूस हो सकता है उसे भी बुरा लग सकता है उसकी भी भावनाए आहत हो सकती हैं…

नुक्ताचीनी – नुक्ताचीनी करना सही नही

पिछ्ले दिनों मेरी सहेली छुट्टियों मे गई हुई थी. पूछ्ने पर कि कैसी रही छुट्टियां… वो उदास थी. उसने बताया कि जहां भी जिस घर में गए पति उस महिला की तारीफ करने लगते… तारीफ की भी कोई बात नही  पर उसे उसे कम दिखाने की कोशिश करते

जैसाकि एक जानकार के घर लंच पर गए तो पति बोले भाभी जी आप चपाती बहुत अच्छी बनाती है जरा इसे भी सीखा दो कैसी बनती है इतनी नर्म और मुलायम.. फिर बोले जरुर सीख लेना … उसने बताया कि उस समय तो वो मुस्कुरा दी पर गुस्सा बहुत आया… बात को कहने का ढंग होना चाहिए कि सुनने वाले को बुरा न लगे और अपनी बात भी कही जाए …

मैं हंस पडी… अरे … ये तो छोटी छोटी बाते होती हैं इनमे अपना मूड खराब करने की क्या जरुरत… तुम बोल देती ठीक है सीख लूंगी तो बात इतनी बढती ही नही… तब मुझे भी एक बात याद आई जो मेरे मित्र ने सुनाई थी….

 

नुक्ताचीनी

नुक्ताचीनी

जहाँ पत्नी अपने पति को खुश रखने की कोशिश करती है वही पति भी नुक्ताचीनी करने का कारण खोज ही लेता है.  मानसी ने नाश्ते मे पति को खुश करने के लिए स्वादिष्ट आमलेट बनाया तो महाशय बोले. ओ,  आमलेट बनाया है ??आज तो अंडे की भुज्जी खाने का मन था. बेचारी ने कुछ नही कहा पर अगले दिन उसने भुज्जी बना दी. पति महाशय आज भी नही चूके और मुहँ बना कर बोले भई, आज तो आमलेट ही खाने का मन था. मानसी फिर चुप रही.मेरी सहेली बेहद चुपचाप मेरी बात सुन रही थी.

अगले दिन उसने आमलेट और भुज्जी दोनो सर्व कर दी तो पता है महाशय क्या बोले अरे, जिस अंडे की भुज्जी बनाई उसका आमलेट बनाना था और जिस अंडे का आमलेट बनाया. उसकी भुज्जी मुझे खानी थी. कोई भी काम ढंग से नही कर सकती. अब मानसी के पास कहने को कुछ नही बचा. अकसर घरो मे झगडे की वजह खाना ही होता है.  दो दिन तक मानसी ने अपने पति से  बोलचाल बंद रखी.

मेरी सहेली की जान मे जान आई कि चलो उसके साथ इतना ज्यादा तो नही हुआ. अक्सर पति पत्नी मे नोकझोंक हो ही जाती है पर दोनो को अपनी उदारता दिखलाते हुए नाराजगी खत्म कर देनी चाहिए. अन्यथा कई बार बात बढ जाती है और तालाक तक की नौबत आ जाती है … अपने अपने अहम के चक्कर में बच्चे बेचारे पिस कर रह जाते हैं.

महिला पढी लिखी है कमाती है इसका मतलब ये नही कि वो घर मे अपनी चलाए … यही बात पति पर भी लागू होती है.. हंसी मजाक मे उडा कर मस्त हो जाना चाहिए .. मेरी बात सुनकर मेरी सहेली ने कहा वैसे वो महिला चपाती वाकई मे बहुत मुलायम बना रही थी… आज फोन करके उससे जरुर सीखूगी … 🙂

सकारात्मक सोच – Monica Gupta

सकारात्मक सोच हो तो कोई डर नही !!! घना अंधेरा था गरीब बच्चों के पास कोई बिजली का उपकरण नही था डर था कि गहन जंगल से बाहर कैसे जाएगें पर हिम्मत नही हारी कुछ जुगुनूओ को पकड लिया राह दिखाने के लिए और निडर बेखौफ चलते चले गए और घर पहुंच गए… सकारात्मक सोच – Monica Gupta

 

 

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