फेसबुक पर कमेंट
कागजी पहलवान या कमेंट के लिए कुछ भी करेंगें
एक जानकार हमेशा फेसबुक पर बेटी पर अपने कमेंट पोस्ट करते हैं स्वाभाविक है कि अच्छा लगता है कल उनकी बेटी मार्किट में मिली. मेरे पूछ्ने पर कि आजकल क्या कर रही हो इस पर वो बोली कि एमबीए करके खाली बैठी हूं. पापा उसकी नौकरी करने के सख्त खिलाफ है.
वही एक अन्य जानकार फेसबुक पर अपील कर रही थी इस दीपावली पर सिर्फ दीए से घर सजाए. वो भी गरीबों के घर से दीए खरीद कर लाएगी ताकि उनके घर जगमगा सकें. उस कमेंट पर उसे लगभग 200 लाईक और ढेरों कमेंट मिले जिसमें उसने सभी का पर्सनल धन्यवाद भी किया पर मार्किट से सजावटी चाईना लाईट और लडियां खरीदती हुई जब पकडी गई तो बोली अरे.. वो तो वैसे ही लिख दिया था लाईट और लडियों के बिना दीपावली का मजा ही नही.
ठीक ऐसे ही एक जानकार जब भी मिलते खाने की महत्ता बताते और समझाते कभी प्तेट में खाना नही छोडना चाहिए .. वही एक दो शादियों मे भरी खाने की प्लेट डस्टबीन में डालते देखे गए. हैरानी तो इस बात की हुई कि इस के अबद भी फेसबुक पर अपने ऐसे लिखे कमेंटस को जारी रखा…
तो ये क्या है या कमेंट पाने के लिए कुछ भी झूठ, अंट शंट लिखते जाएगें … क्या वाकई में ये लाईक के लायक हैं भई जो मात्र कागजी पहलवान ही हैं जिनकी करनी कथनी मे बेहद फर्क है वो मेरी नजर में वो मित्र नही.. भले ही फेसबुक हो..
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