माता पिता और बच्चे
एक समय ऐसा आता है जब माता पिता को अपने बच्चे से दोस्त जैसा व्यवहार करना चाहिए ताकि बच्चा अपने मन की सारी बात उनसे शेयर कर सके पर कई बार माताए ज्यादा भावुक हो जाती है और अपना गुबार या भडास बच्चों के सामने निकाल देती हैं या बच्चों के सामने कुछ ऐसा बोल जाती हैं जो उन्हे नही बोलना चाहिए था मसलन अपनी सास की बुराई या फिर यह बोलना कि मैं तो तंग ही आ गई जिंदगी से बस तुम बच्चों की खातिर ही जी रही हूं इससे बच्चे के मन मे विपरीत असर पडता है .
माता पिता और बच्चे मेरा लिखा यह लेख दैनिक भास्कर की मधुरिमा में प्रकाशित हुआ .
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