निर्भया और कितनी- मन की बात
Life Ok चैनल पर ‘सावधान इंडिया’ का एक विज्ञापन आ रहा था जिसमे एक पत्नी अपने पति को बोलती है “कितना डरते हैं आप”…. सच .. आज की व्यवस्था देख कर हर आम आदमी आज डरने लगा है… जी हां … मैं भी डर गई हूं… बहुत डर गई हूं.. हमारा रहा सहा विश्वास कोर्ट पर ही टिका है पर जब उसके फैसले ही तनाव पैदा कर दें तो हमारा डरना स्वाभाविक है.
कुछ दिन पहले सबूतों के अभाव में जानी मानी फिल्मी हस्ती को बा इज्जत बरी कर दिया गया था. वही तीन साल पहले निर्भया कांड जिस तरह से सुर्खियों में रहा …तब न्याय प्रणाली पर विश्वास सा जगा था… निर्भया कांड न जाने कितनी लाखों आखें नम कर गया था…. कितनी प्रार्थनाएं की गई थी निर्भया की सेहत को लेकर… मोमबत्ती मार्च निकाले गए थे और लोगो मे जोश देख कर सरकार तक हिल गई थी.
निर्भया कांड का केस Rare Case यानि दुलर्भ मामला की श्रेणी में रखा गया था और वो नाबालिग सबसे ज्यादा निर्दयी, जधन्य अपराधी रहा था जोकि साबित भी हुआ था पर अब उसे ही 20 दिसम्बर को आजाद कर दिया जाएगा.
निर्भया गैंगरेप का नाबालिग दोषी 20 दिसंबर को सुधारगृह से रिहा हाे जाएगा
मन में डर तो है पर डरकर भी क्या होगा…!!! बडा प्रश्न न्याय और उसकी प्रणाली पर भी है कि न्याय प्रणाली पर कैसे विश्वास करें. घटना क्रम को देखते हुए विचार करते हुए अब तो बस एक ही बात समझ आती है कि महिलाए खुद को मजबूत और तैयार रखें सम्भल कर रहें और जागरुक रहें और एक रेखा में रहें, सीमा में रहें और उसे लांधे नही…
टीवी चैनल की बहस तो महज आज आज की ही है कल उसे एक नया मुद्दा मिलेगा और वो वहां लपक लेगा हो सकता है कल के लिए टीआरपी बढाने वाला मुद्दा मिल भी गया होगा .. फिर कौन निर्भया और कौन उसके माता पिता … तीन सालों में कुछ नही बदला पर अब हमे बदलना पडेगा … जागरुक होना पडेगा… !! जागरुक रहना पडेगा !!!
डर जरुर लगेगा पर डरपोक न बनें … !!
अब ना निर्भया, न गुडिया, ना पीडिता बनना है … !!! जागरुक बनाना है
निर्भया और कितनी- मन की बात
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