कन्या भ्रूण हत्या – डाक्टर और समाज
ताजा खबर: पटना में एक महिला ने अपनी 3 महीने की बच्ची को जिन्दा जमीन में दबाने की कोशिश की वो तो बच्ची रोने लगी और पडोस के लोग बाहर आ गए और बच्ची को बाहर निकाला जिससे उसकी जान बच गई.
ये तो सिर एक उदाहरण है समाज में ना जाने कितने उदाहरण तो सामने ही नही आ पाते होंगें और कितनी मासूम जिंदगियां जीवन से हाथ धो बैठती होगी !! हमारी मानसिकता के साथ साथ बहुत डाक्टर भी पैसा कमाने के चक्कर में कन्या भ्रूण हत्या जैसा जधन्य अपराध कर रहे हैं.
कुछ समय पहले मेनका गांधी(केंद्रीय मंत्री) ने बोला कि भ्रूण लिंग परीक्षण को सभी बंदिशों व पाबंदियों से आजाद कर देना चाहिए और सभी गर्भवती महिलाओं के लिए अनिवार्य किया जाना चाहिए ..
जबकि ये विचार बिल्कुल सही नही है … हमारे देश में अभी भी लडकी को लेकर सोच विकसित नही हुई है और लडका लडकी में बहुत फर्क माना जाता है.
इसी बारे में जब मैने कुछ जानकार मित्रों से जोकि गृहणी, डाक्टर, अध्यापक हैं पूछा तो सभी का एक ही जवाब था कि ये सही नही है. भ्रूण लिंग परीक्षण नही होना चाहिए.
वैसे मेरा भी यही विचार है कि इससे लाभ क्या होगा ये तो हो नही सकता कि अगर ये पता लगे कि महिला को बेटा होगा तो क्या उसका खान पान अलग और बेटी होने पर क्या खान पान अलग रखा जाएगा… नही ना … तो अगर दोनों का ध्यान एक ही तरह से देना है तो लिंग जांच का क्या औचित्य !!!
एक महिला जब गर्भवती होती है तो गर्भ में बेटा है या बेटी इस बात को ध्यान देने की बजाय सही खान पान और उसकी उचित देखभाल हो ताकि बच्चा जच्चा स्वस्थ हों और अगर कुछ मजबूत करना ही है तो सरकारी अस्पतालों का स्तर सुधारे. सही सुविधाएं और दवाईयां उपलब्ध करवाईए. अस्पतालों में उपचार के लिए डाक्टर और महिला डाक्टर उपलब्ध करवाईए ताकि गर्भवती अपने नौ महीने चैन से बिता सके और एक स्वस्थ शिशु को जन्म दे सके..!!!
वर्षा देशपांडे, सदस्य, नेशनल इंस्पेक्शन एंड मॉनिटरिंग कमेटी, आरोग्य मंत्रालय ने कहा कि
यह विचार देश की ग्राउंड रियलिटी के खिलाफ है। गर्भ में कन्या है, पता लगने पर महिला के साथ प्रताड़ना शुरू हो जाएगी। गर्भवती की हत्या की आशंका भी बढ़ जाएगी। प्रत्येक गर्भवती की सुरक्षा के लिए क्या सरकार के पास इंफ्रास्ट्रक्चर है? अभी प्रतिबंध से डॉक्टरों को मोटी कमाई से वंचित होना पड़ रहा है। ऐसे में फायदा केवल डॉक्टरों को होगा। दरअसल मेनका जी के कंधों पर बंदूक रखकर कोई और चला रहा है.
BBC
भारत के लिंगानुपात को बेहतर करने और गर्भ में ही बच्चियों को मार देने की समस्या के सुझाए एक हल से नया विवाद खड़ा हो गया है.
महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने भ्रूण के लिंग का पता लगाने का सुझाव दिया जिससे विवाद शुरु हो गया है.
उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेस में कहा, “अगर हर महिला के गर्भवती होने के बाद अल्ट्रासाउंड कर उसके भ्रूण का लिंग पता कर उसे रजिस्टर करना चाहिए. इसके बाद अंत तक ये देखा जा सकेगा कि बच्चा पैदा होता है या नहीं.” Read more…
खैर, अगर हम राजनीति को एक तरफ रख कर एक स्वस्थ समाज की बात करें तो लिंग जांच के मुद्दे को अभी ना ही उठाया जाए तो बेहतर होगा… अभी समाज को जागरुक करना होगा !! बेहद दुखद है कि चंडीगढ और दिल्ली जैसे हाई फाई समझे जाने वाले राज्यों में भी आज 1000 पुरुषों के मुकाबले महिला अनुपात 818 और 866 है. बेशक, केरल, तामिलनाडू, छ्तीसगढ आदि में बेहद सुधार है पर अभी भी बहुत लम्बा रास्ता तय करना है.. !!! बेटा हो या बेटी एक समान हैं जरुरत उनकी उचित देखभाल ही है ताकि हमारा समाज स्वस्थ बन सके…
गर्ल है तो कल है !!!
कन्या भ्रूण हत्या – डाक्टर और समाज … वैसे आप इस बारे मे क्या राय रखते हैं जरुर बताईएगा 🙂
Photo by raebrune
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