अच्छे काम की तारीफ जरुर होगी – रक्तदान पर कहानी – acche kaam ki tareef jarur hogi – बहुत लोग मजाक भी उडाते हैं तंग भी करते हैं पर परवाह नही करनी चाहिए किसी ना किसी रुप में इन्हें सबक जरुर मिलता है … ऐसी ही कहानी लिखी थी … कुछ समय पहले … कहानी का शीर्षक है महापुरुष …
अच्छे काम की तारीफ जरुर होगी – रक्तदान पर कहानी
कल्पना कीजिए एक आफिस है और वहां की बॉस महिला है और पांच बार घंटी बजा कर पूछ चुकी हैं कि महापुरुष आया या नही … असल में महापुरुष अमर सिंह 40 वर्षीय दुबले पतले चपडासी है , ऑफिस में महापुरुष की उपाधि मिली हुई थी। ऑफिस में मैडम जी समेत सभी उसका मजाक उड़ाते थे। वो गरीबों की सेवा करने में और अपना खून देने में वो सबसे आगे रहता था। उसने ना सिर्फ अपनी आंखें दान में की हुई थीं बल्कि अपना शरीर भी दान कर दिया था।
जब वो 20 साल का था खून की कमी की वजह से उसकी गर्भवती पत्नी मर गई थी तभी से वो समाज सेवा से जुड़ गया था। कल अमर सिह किसी से फोन पर बात कर रहा था असल में किसी को रक्त की जरूरत थी और वो फोन पर किसी का पता बता रहा था … इस बात से नाराज होकर बॉस मैडम ने मोबाईल अपने पास रख लिया … आज सुबह से मोबाइल बजे ही जा रहा था। और वो खुद नदारद था..
उसे उठाने की बजाय गुस्से में उन्होने उसे बंद कर दिया और कर्मचारी को बुलाकर कहा कि जब भी वो ऑफिस आए उसका इस्तीफा ले लेना क्योंकि उन्हें ऐसे महापुरुष की जरूरत नहीं है…।
तभी मैड़म जी का मोबाइल बजा। उनके पति का फोन था। उन्होंने तुरन्त अस्पताल पहुंचने को कहा। मैडम जी बिना देरी किए वहां पहुंचीं तो पता लगा कि स्कूल जाते वक्त उनके बेटे को किसी कार वाले ने टक्कर मार दी।
बहुत खून निकल चुका था। पता लगा कि उनके बेटे का रेयर ब्लड है एक भला आदमी रक्तदान कर रहा है
मैडम जी उस व्यक्ति का धन्यवाद करने के लिए परदा हटा ही रही थीं कि डॉक्टर रक्तदाता से नाराज होकर कह रहे थे कि बीस बार मोबाइल पर घंटी दी।
पर उन्होंने उठाया नहीं तो उनके घर नर्स को भेजना पड़ा। अच्छा हुआ कि वो घर पर मिल गए क्योंकि बच्चे का खून सिर्फ उनके ही खून से मेल खा रहा था। वो तो इस बच्चे के भाग्य अच्छे थे…. कि ….।
अब मैडम के पास कहने को कोई शब्द नहीं थे। आज सही मायनों में वही अमर सिंह महापुरूष बन कर उसके सामने था। अपनी गलती का प्रायश्चित मैडम जी ने अपने ऑफिस में रक्तदान कैम्प लगा कर किया जिसका उद्घाटन उसी महापुरुष से करवाया।
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