Always Love and Respect Your Parents – बड़ों के प्रति व्यवहार कैसा हो – बड़े बुजुर्गों का सम्मान करें – कल एक जानकार के घर गए. बहुत उम्र के हैं और बहुत परेशान लग रहे थे उनकी ज्वाईट फैमली है… उस समय बेटा, बहू किसी शादी में बाहर गए हुए थे… उन्होनें बताया कि बच्चे घर बेच रहे हैं इस घर से इतनी पुरानी यादें जुडी हैं … कैसा जाऊंगा इसे छोड कर… हम भी कुछ नही बोले और चुपचाप चले आए.. वापिस लौटते समय मुझे एक कहानी याद आई जो नेट पर ही पढी थी… और बहुत ही अच्छी लगी थी… !!
Always Love and Respect Your Parents – बड़ों के प्रति व्यवहार कैसा हो – बड़े बुजुर्गों का सम्मान करें
कहानी कुछ ऐसे हैं कि एक बुजुर्ग अपने बेटे बहू और दो पोतों के साथ रहते थे… … सारी सुख सुविधाएं थी… उनका बहुत बडा बंगला, कार, नौकर चाकर थे… सारा परिवार मिलजुल कर रहता..
एक बार उन बुजुर्ग की तबियत खराब हो गई और अस्पताल दाखिल करवाना पडा… वहां पता लगा कि उन्हें कोई गम्भीर बीमारी है हालाकि ये छूत की बीमारी नही है… पर फिर भी इनका बहुत ध्यान रखना पडेगा…
कुछ समय बाद वो घर आ गए… घर पर पूरी सेवा होने लगी… और पूरे समय का नौकर और नर्स को रखा ही हुआ था…
और धीरे धीरे उनके पोतो ने उनके कमरे में आना बंद कर दिया कि दादू बीमार रहते हैं बेटा, बहू भी ज्यादतर अपने कमरे मे रहते…
बुजुर्ग को अच्छा तो नही लगता पर वो कुछ कहते नही थे.. एक दिन शाम को जब टहल रहे थे तो उन्हें बेटे बहू की आवाज सुनाई दी… वो अपने कमरे में बात कर रहे थे कि पिताजी को वृद्धाश्रम में भर्ती करवा दो या किसी अस्पताल के प्राईवेट कमरे में…
पैसे की कोई कमी तो है नही और हम मिलने जाते ही रहेंगें.. 24 घंटे बीमार पडे रहते हैं अच्छा नही लगता.. घर घर नही अस्पताल ज्यादा लगता है … मुझे तो डर है कि कही बच्चे भी बीमार न हो जाएं..
फिर उनके बेटी की आवाज आई कि सही कह रही हो, मैं आज ही पिताजी से बात करूँगा….
और पिता चुपचाप अपने कमरे में लौट आए…सुनकर दुख तो हुआ … पर उन्होनें मन ही मन कुछ सोच लिया था…
शाम को कमरे में लेटे हुए थे.. तभी बेटा आया .. बेटे को देखते ही उन्होनें बोला कि अरे मैं तुम्हें ही याद कर रहा था… कुछ बात करनी है … बेटा बोला जी पिताजी मुझे भी आपसे कुछ बात करनी है.
आप बताओ क्या बात है… तो वो बोले तुम्हें तो पता ही है कि मेरी तबियत ठीक नही रहती… इसलिए अब मैं चाहता हूँ कि मैं अपना बचा खुचा जीवन मेरे जैसे बीमार, असहाय, बेसहारा बुजुर्गों के साथ बिताऊं
सुनते ही बेटा मन ही मन खुश हो गया कि उसे तो कहने की जरुरत ही नही पडी… पर दिखावे के लिए उसने कहा .. ये आप क्या कह रहे हो पिताजी आपको यहां रहनें मे क्या दिक्कत है.. ??
तब बुजुर्ग बोले कि नहीं बेटे, मुझे यहाँ रहने में कोई तकलीफ नहीं… लेकिन यह कहने में तकलीफ हो रही है कि तुम अब अपने रहने की व्यवस्था कहीं और कर लो, मैंने इस बँगले को “वृद्धाश्रम ” बना रहा हूं ..
यहां कुछ असहाय और बेसहारों की देख रेख करते हुए अपना जीवन व्यतीत करुंगा… अरे हां तुम भी कुछ कह रहे थे न .. बताओ… … और हाँ, तुम भी कुछ कहना चाहते थे …
कमरे में एक चुप्पी थी…..
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