एक पत्र दुल्हनियां के नाम ….
बचपन मे घर घर खेलने वाली देखते ही देखते इतनी बडी हो गई कि आज अपना ही घर बसाने पिया के घर जा रही है.जहां एक तरफ् मम्मी पापा को खुशी होती है वही दूसरी ओर उनके सुखद भविष्य को लेकर अंजाना सा भय उनके मन मे व्याप्त रहता है.
इसमे कोई शक नही कि समय बहुत तेजी से बदल रहा है और इसी आपा धापी मे हमारी मान्याताए भी बदल रही है. आजकल पापा तो व्यस्त रह्ते ही है साथ ही साथ मम्मियां भी नौकरी करने लगी है और इसी वजह से ज्यादातर बच्चे होस्टल मे रहने लगे है और यहां तक की अपने घर की शादी जैसे मौको पर मम्मी को भी आफिस से ज्यादा से ज्यादा हफ्ते की छुट्टी ही मिल पाती है.
वैसे देखा जाए तो इसमे कोई दिक्कत भी नही है आजकल सब रेडिमेट हो रहा है.शादी के लिए हाल ,खाना पीना आदि वगैरहा सारे इंतजाम. बस आर्डर बुक करवा दो और सभी चिंताओ से मुक्त हो जाओ. और मेहमान भी चंद घंटे के लिए आते हैं और चले जाते है किसी के पास समय ही नही होता.
मम्मी पापा को शादी के समय बस एक ही चिंता हमेशा रहती है और वो है शादी के बाद वो अपना घर बार कैसे सम्भालेगी. इसमे कोई शक नही कि आजकल आप सभी लडकियां बहुत स्मार्ट हो गई हो. खूब शिक्षित हो गई हो और हजारो कमाने लगी हो.और आप अपना भला बुरा खूब अच्छी तरह से समझती हो या कई बार ऐसा भी होता है कि आप किसी की बात सुनना भी पसंद नही करती.
प्यारी दुल्हनियां, शादी कोई गुड्डे गुडिया का खेल नही. यह एक बेहद पवित्र बंधन है और इस रिश्ते की गरिमा को रखने के लिए कुछ बाते ख्याल रखनी बहुत ही जरुरी है. पति पत्नी के एक साथ मिल जुल कर ही गृहस्थी रुपी गाडी आराम से चला सकते हैं. आप आजकल देख ही रही है कि एकल परिवार ज्यादा होने लग गए है. बेटा भी अपने घर से दूर रह कर नौकरी करने लगा है.ऐसे मे पति पत्नी दोनो की सूझबूझ से घर खूबसूरत बन सकता है. अपना आचरण नारी सुलभ यानि लज्जा,सादगी, शालीनता और वाणी मे मिठास रखें. अपने घर परिवार को पूरा समय दें. बजाय जो आपके घर मे होता था उसका अनुसरण करने के आपको अपने नए घर और पति के परिवार के हिसाब से ही एडजस्ट करना होगा. बात बात पर व्यंग्य करना या किसी बात पर कटाक्ष करना बहुत चुभ जाता है इसलिए जो भी बोले और किसी के लिए भी बोले बहुत सोच समझ कर ही बोले.वैसे यही बात वर पक्ष पर भी लागू होती है और यह सब आपसी तालमेल से ही आएगी.
सबसे जरुरी बात यह है कि अपने घर की बात घर की चार दीवारी मे ही रहे. छोटा मोटा झगडा हर घर मे होता है इसलिए बजाय इधर उधर बाते करने के या हर बात फोन करके घर बताने के कोशिश करे कि बात घर मे ही मिल बैठ कर करे और उसका निष्कर्ष निकाले. सूझबूझ से आप अपने घर की बगिया महका सकती हैं. अपने नए प्यारे से घर को समझे और समझादारी से काम लें…
बाते तो बहुत सारी है अभी आप नई दुनिया मे कदम रखने जा रही है इसलिए अभी के लिए इतना ही ….
अपने नए जीवन की शुरुआत के पहले कदम ले लिए ढेर सारी शुभकामनाएं…
शेष फिर
आपकी शुभचिंतक