चुनाव प्रचार के नारे- चुनाव जीतने के तरीके क्या हो इसके लिए चुनाव प्रचार के नारे पर बहुत बल दिया जाता है जैसा कि मोदी जी के समय में भी लहर चली थी … ‘अच्छे दिन आने वाले हैं, मोदी जी आने वाले हैं’ को कौन भूल सकता है …
चुनाव प्रचार के नारे
किसी भी अभियान की जान होते हैं नारे…
“गरीबी हटाओ”,
“इंडिया शायनिंग”,
“जय जवान, जय किसान” जैसे नारे सदाबहार रहे
2008 के अमरीकी राष्ट्रपति चुनावों में दिए गए बराक ओबामा के नारे “यस वी कैन” को कम ही लोग भूले होंगें
“अबकी बार मोदी सरकार”या हर हाथ शक्ति, हर हाथ तरक्की या फिर “कट्टर सोच नहीं, युवा जोश.” ने भी बहुत वाहवाही बटोरी.
तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बैनर्जी ने “मां, माटी, मानुष” नारे के साथ सफल प्रचार किया और सत्ता में आईं.
जैसा पिछ्ले चुनाव में हुआ था लहर चली थी …
वैसे कुछ बहुत मजेदार भी थे जैसा कि जब तक रहेगा समोसे में आलू, तब तक रहेगा बिहार में लालू’
कुछ लुभावने भी थे जैसा कि
सोनिया नहीं ये आंधी है, दूसरी इंदिरा गांधी है’
खैर अब सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक प्रशांंत किशोर ने कुछ नए नारे तैयार करवाएं हैं
1) एक अनोखी पहल शुरू हो गई गांव-गांव खाट सभा शुरू हो गई,
देवरिया से दिल्ली किसानों में उम्मीद जग गई.
2) राहुल जी के इस अभियान में
सभी किसान भाई चल रहे हैं शान में.
3) जो कभी न हुआ अब होगा, किसानों का कर्ज माफ होगा,
उत्तर प्रदेश मे विकास होगा, राहुल जी का साथ होगा.
4) अखिलेश जी आप थक चुके, अब आप से कुछ नहीं होगा, 2017 आपके लिए बाय-बाय होगा
अब आप करो आराम, किसानों का ना जीना करो हराम. किसान अब जाग गए है नेताजी की असलियत पहचान गए हैं.
क्या लगता है कि दाढीवाले राहुल जी से या इन नारों से पार्टी में जान आ सकती है … ??? क्या खाट किसी की खटिया खडी कर सकती है ?? क्या … क्या ??? बहुत क्या, कौन, कैसे हैं ??
वैसे अभी तो पार्टी शुरु हुई है … आगे आगे देखते है होता है क्या फिलहाल साफ और स्वच्छ भारत की उम्मीद मे है यूपी और समस्त देश की जनता …
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