दीपावली की कहानी – पांच पर्वों का प्रतीक है दीवाली . दीवाली को दीपावली भी कहते हैं. हमारे देश में बहुत धूमधाम से मनाया जाने वाला त्योहार है दीपावली. दीपवाली को पांच पर्वो का प्रतीक भी कहा जाता है आईए जाने दीपावली की कहानी
दीपावली की कहानी – पांच पर्वों का प्रतीक है दीवाली
वो पांच दिन (बाल कहानी)
वो दिन भी आ गया और वो दादी के पास आलथी पालथी मार कर बैठ गया कि दिवाली पर कुछ रोचक बाते बताईए. दादी ने दिवाली के बारे में बताना शुरु किया कि कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दिवाली या दीपावली का त्योहार मनाया जाता है। दिवाली एक त्योहार नही बल्कि त्योहारों की एक श्रृंखला है क्योंकि इस पर्व के साथ पांच पर्व जुड़े हुए हैं। सभी पर्वों के साथ दंत-कथाएं जुड़ी हुई हैं। दिवाली का त्योहार दिवाली से दो दिन पूर्व आरम्भ होकर दो दिन पश्चात समाप्त होता है।
रवि ध्यान से सारी बात सुन रहा था. दिवाली का शुभारंभ कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष त्रयोदशी के दिन से होता है। इसे धनतेरस कहा जाता है। इस दिन आरोग्य के देवता धन्वंतरि की आराधना की जाती है। इस दिन नए-नए बर्तन, आभूषण इत्यादि खरीदने का रिवाज है। रवि को याद आया कि मम्मी भी इस दिन बर्तन जरुर खरीदती हैं. इस दिन घी के दिये जलाकर लक्ष्मी जी का आहवान किया जाता है।
दूसरे दिन चतुर्दशी को नरक-चौदस मनाया जाता है। इसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है। इस दिन एक पुराने दीपक में सरसों का तेल व पाँच अन्न के दाने डाल कर इसे घर की नाली ओर जलाकर रखा जाता है। यह दीपक यम दीपक कहलाता है। एक अन्य दंत-कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन नरकासुर राक्षस का वध कर उसके कारागार से 16,000 कन्याओं को मुक्त कराया था।
तीसरे दिन अचानक रवि बोल उठा कि फिर आती है दीपावली… दादी ने खुशी खुशी बताया कि हां, अमावस्या को दिवाली का त्योहार खूब हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। नए नए कपडे पहनते हैं मिठाई खाते हैं और दूसरों को भी खिलाते हैं और हैप्पी दिवाली बोल कर एक दूसरे को बधाई दी जाती है. इस दिन देवी लक्ष्मी व गणेश की पूजा की जाती है।
दिवाली के पश्चात अगले दिन अन्नकूट मनाया जाता है। यह दिवाली की श्रृंखला में चौथा उत्सव होता है। लोग इस दिन विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाकर गोवर्धन की पूजा करते हैं। इस दिन मन्दिरों में खूब पकवान बनाए जाते हैं जिसे बहुत चाव से खाया जाता है. रवि ने बताया कि पिछ्ली बार वो भी मंदिर से कढी और पूरी लाया था.
और फिर आता है भईया दूज. भाई-दूज या भैयादूज नाम से त्योहार मनाया जाता है. ये हैं पाचं त्योहार जो हम सभी धूमधाम से मनाते हैं
रवि सारी बात समझ चुका था अब उसका प्रश्न था कि दिवाली पर दीए ही क्यो जलाए जातें है दिवाली पर तब दादी ने बताया कि दीपक जलाने की प्रथा के पीछे अलग-अलग कारण या कहानियाँ हैं।
मान्यता है कि दिवाली वाले दिन अयोध्या के राजा राम लंका के अत्याचारी राजा रावण का वध कर के अयोध्या लौटे थे। उनके लौटने कि खुशी यह पर्व मनाया जाने लगा।
ये भी मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी राजा नरकासुर का वध किया था। इस नृशंस राक्षस के वध से जनता में अपार खुशी हुई और जनता ने खुशी में घी के दीये जलाए।
रवि सारी बात समझ चुका था और अच्छी बात ये भी है कि वो पांच दिन सारे त्योहार देखेगा और हर त्योहार की फोटो भी लेगा ताकि एक अच्छा सा लेख या दीपावली की कहानी लिख कर वो टीचर को दिखा सके…
दीपावली की कहानी – पांच पर्वों का प्रतीक है दीवाली आपको कैसी लगी … जरुर बताईएगा …
Photo by sangeeta Nath
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