सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश – मन की बात
हमारी न्यायप्रणाली और भावुक हुए जस्टिस ठाकुर के मन की बात
बहुत नाइंसाफी है ये माई लार्ड …
आज लाईट गई हुई थी. बहुत बार फोन किया पहले तो मिला ही नही जब मिला तो बिजली विभाग वाले बोले कि आने में थोडा समय लगेगा… और पता है ये थोडा समय चार घंटे था. जब मैने पूछा तो बिजली वाले ने बताया कि क्या करें विभाग में आदमी ही नही है .. शिकायतों की भरमार रहती है और आदमी है नही … कहां कहां जाए बिजली ठीक करने … !!कहते कहते वो भावुक सा हो गया.
खैर, उनके आने के बाद तो फटाफट बिजली ठीक हो गई. उन के जाने के बाद मैं न्यूज देखने लगी. खबरों में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश श्री टी एस ठाकुर जजों और मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में न्यायपालिका पर बढते बोझ को लेकर भावुक हो गए और रो दिए. उन्होने बताया कि जजों की संख्या पर मामूली बढोतरी हुई है जबकि केस लगातार बढते ही जा रहे हैं .
भारत में 10 लाख लोगों पर एक ही जज है. समय पर न्याय नही मिलता और दस लाख से ज्यादा मामले लम्बित हैं. उन्होने सरकार से अपील की कि जजों की नियुक्ति और खाली पद जल्द भरे जाने चाहिए.उन्होने एक गणित का उदाहरण भी दिया कि एक सडक 5 आदमी 10 दिन में बनाते हैं तो वही सडक एक दिन में बनानी हो तो कितने आदमी चाहिए . उत्तर होता है 50 –50 आदमी. अब 38 लाख 88 हजार केस निबटाने के लिए कितने आदमी चाहिए ये भी सोचने की बात है …
Speaking about the massive burden on Indian judiciary, CJI becomes emotional – Navbharat Times
Chief Justice of India TS Thakur breaks down during his speech at Jt conference of CMs and CJ of HCs in Delhi read more at indiatimes.com
वाकई बहुत सोचने की बात है.
क्षेत्र कोई भी हो man power में कमी नही होनी चाहिए क्योकि अगर सभी काम समय पर होते रहेंगें तो आम आदमी को दिक्कतों का सामना नही करना पडेगा और वो खुश रहेगा और अगर समाज में आदमी खुश तो समाज खुद ब खुद तरक्की करेगा … !!
चलो अच्छी बात यह हुई कि मोदी जी के सामने ये बात कही गई है अब देखते हैं इसका असर कब तक होगा . सोचते सोचते मैने मणि से बात करने के लिए landline मिलाया पर फोन dead था … हे भगवान !! यहां भी शिकायत करनी पडेगी और manpower यहां भी कम …. !!!
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