हैलो आप कैसे हैं
फोन आना, मोबाईल पर घंटी बजना अच्छा लगता है पर और बताओ के चक्कर में अक्सर बोरियत हो जाती है . अगर बात करने को कुछ नही है तो बात नही करने का ..
मणि के घर गई तो वो किसी से फोन पर बात कर रही थी. बात करते करते दरवाजा खोला और बैठने का इशारा किया. बात कुछ इस तरह से जारी थी. ठीक … आप बताओ … बस … हां सब ठीक है … जी … हां … और आप बताईए ( स्माईल + परेशानी के साथ) और बस ठीक …
मैं हैरान क्योकि मेरी सहेली मणि का तकिया कलाम मतलब है और आज उस का तकिया कलाम “मतलब” से “और बताईए” पर कैसे शिफ्ट हो गया. .. और … बस … !! हे भगवान !! मैने जाने का इशारा किया कि दुबारा आ जाऊगी पर उसने मेरा हाथ पकड लिया… और फोन पर बोली ..चलिए फिर ठीक है … हां मैं करुंगी बात आपसे … !! बस सब ठीक ..नही नही जरुर … जी नमस्ते …!!
फोन रखते हुए मणि ने बताया कि उसकी आंटी हैं अक्सर फोन करती हैं अब बात करने को कुछ होता ही नही तो दस बार और बताईए बोलना पडता है … वैसे कई लोगो के पास बहुत समय होता है पर हैरानी इस बात की है जब बोलने को कुछ न हो तो और बताओ और सुनाओ … कितनी बार ???
वैसे और बताईए आप कैसे हैं ?? ह हा हा
हैलो आप कैसे हैं … आपको कैसा लगा ? जरुर बताईएगा !!
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