बाल साहित्यकार
आज नेट पर सर्च करते हुए अचानक कुछ ऐसा पढने को मिला कि दिल खुश हो गया. असल में , सर्च के दौरान मैने अपनी कहानी भईया पर जाने माने साहित्य कार श्री मनोहर चमोली “मनु” जी की प्रतिक्रिया पढी. वैसे तो वो लेख है जिसमे देश भर के जाने माने बाल साहित्यकारों की रचनाओं को लेकर उन्होने अपनी राय दी है. मेरी लिखी कहानी “भईया” पर उन्होनें अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा है
बाल साहित्यकार
मोनिका गुप्ता (हरियाणा)रिश्तों की कथाकार हैं। वे बच्चों के बीच आत्मीय संबंधों का खुलासा भी करती हैं। उनकी एक कहानी है ‘भईया‘। भाई-बहिनों में कभी-कभार तकरार-नोंकझोंक हो ही जाती है। लेकिन एकदम से वह प्यार में भी बदल जाती है।
यह कथाकार बेहद सरल तरीके से गहरे तक रिश्तों की पड़ताल कर लेती हैं। दोस्ती से लेकर झगड़ों के भावपूर्ण कथाएं कहना आसान नहीं। वह भी तब जब उनका अंत सकारात्मक हो। मोनिका गुप्ता की कहानियों में बालिकाओं की मनस्थिति का सूक्ष्म अवलोकन मिलता है।
बाल साहित्यकार