भावनाओं को समझो और महसूस करो – Bhavnao ko samjho aur mehsoos karo “स्टेच्यू स्टेच्यू खेलते खेलते हम इंसान कब पत्थर का बन गए पता ही नहीं चला” आजकल एक डायलॉग बहुत सुनने को मिलता है कि लोगो में फीलिंग्स ही नही रहीं .. यही डायलॉग मैने भी आज मार्किट जाते समय महसूस किया वाकई …
भावनाओं को समझो और महसूस करो
कल मार्किट से आते वक्त देखा कि लोगो में होड लगी है आगे निकलने की अगर कोई अपनी कार बैक भी कर रहा है तो इतना सब्र भी नही है कि एक पल रुक जाए … और कही टक्कर हो गई तो लडने झगडने मारने पर उतारु हो जाते है फीलिंग्स ही नहीं रहीं … भावनाए ही नही रहीं …
घर आई और टीवी चलाया तो एक खबर आ रही थी कि एक महिला रोबोट की वो न सिर्फ घर के सारे काम करती है बल्कि उसमे इमोशन भी हैं वो अपने बाल ठीक करती है.. पलक झपकाती है हंसती है और रोती भी है … बताईए रोबोट में इमोशन भरे जा रहे हैं और हम भावनाएं रहित….
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मैं न्यूज देख ही रही थी कि तभी तभी एक फोन आया … कि क्या मैं मोनिका जी से बात कर रही हूं … मैने कहा जी … तो बोली कि मैं बताना चाहूंगी कि आपका मोबाईल बिल … मैने उसे बीच में टोका कि आप मशीन की तरह किसलिए बात कर रही हैं आराम से बात कीजिए …उसे बोलते हुए खांसी भी हुई फिर भी वो बोलती रही कि आपकी जानकारी के लिए मैं बताना चाहूगी कि इस बार आपका बिल इतना है … बात करने के लिए शुक्रिया आपका दिन शुभ हो …
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