Bravery Awards and speech of Modi ji
Republic Day गणतंत्र दिवस से पहले आज, मोदी जी ने 25 बहादुर बच्चों को वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया. ये सभी बच्चे गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल होंगें.
मुझे गणतंत्र दिवस दो वजह से बेहद अच्छा लगता है एक तो 26 जनवरी को हमारे देश की झांकिया दिखाई जाती हैं जोकि एक शानदार अनुभव होता है और दूसरा वीर बहादुर सम्मानित बच्चे… इन्हें देख कर न सिर्फ खुशी मिलती है बल्कि गर्व का अहसास होता है. अक्सर यही दिन होता है जब एक बहुत पुरानी घटना मेरे दिमाग में घूम जाती है.
बात सन 73 की हरियाणा के जीन्द की है. तब पापा की पोस्टिंग वहां थी और घर के पीछे रेस्ट हाऊस था. तब मैं पांचवी क्लास में थी. शाम को हमेशा की तरह हम रेस्ट हाऊस खेलने गए हुए थे. पार्क के बीचों बीच पानी का छोटा सा तालाब सा बना रखा था. हम खेल ही रहे थे कि अचानक आवाज आई बचाओ वो पानी में गिर गई. हमारे पडोस में रहने वाली लडकी खेलते हुए पानी में गिर गई थी. हम सभी भागे मुझे पता नही क्या हुआ कि मैने हाथ लम्बा करके उसे हाथ पकडने का इशारा किया और जितना दूर तक अपने आप को खींच सकती थी लम्बा किया और उस लडकी को खींच लिया और पानी से बाहर निकाल कर उसे घास पर लिटा दिया और पता नही कैसे जाने अनजाने उसका पेट भी दबा दिया उसका सारा पानी निकल गया और वो खांसी करने लगी..
जो अभी तक माहौल में एक दम शांत था अचानक उसकी खांसी से खिल उठा और सब खुशी से चिल्लाने लगे चोची बच गई … बच गई… !!! हम उसे घर तक छोडने गए और सारे रास्ते बच्चे नारे लगाते गए मोनिका ने बचा लिया मोनिका ने बचा लिया. उसके पापा तिवारी अंकल को सारी बात बताई तो बेहद खुश हुए और मुझे शाबाशी भी दी.
उस दिन के बाद बहुत सालों को मैने इस बात को याद रखा और सभी को बताती कि मैने कैसे एक लडकी की जान बचाई थी. तभी कुछ साल पहले वही तिवारी अंकल मुझे किसी जानकार के घर मिले. मैं शायद नही पहचान पाई पर उन्होने पहचान लिया और बताया कि जिसकी तुमने जान बचाई थी आजकल वो चंडीगढ हाईकोर्ट मे प्रैक्टिस कर रही है.
वही सारी बातें मेरे दिमाग में धूमने लगी कि मैने कैसे उसकी जान बचाई थी और फिर मैं इस बात के उदाहरण देने लगी और कई बार सोचती कि अब मैं और ऐसा क्या करुं जो किसी की जान बचाऊं या मदद कर पाऊं… पर कुछ समझ नही आ रहा था..पर इतना पक्का था कि कुछ न कुछ करना जरुर है…
और तब कुछ दिनों बाद रक्तदान के क्षेत्र में काम कर रही संस्था आईएसबीटीआई से जुडी और मुझे एक शानदार मकसद मिला और वो मकसद था रक्तदान से किसी की जान बचाना … बेशक, किन्हीं कारणों से मैं रक्तदान नही कर पाई पर संजय जी ने मुझे मोटिवेट किया कि कोई बात नही लोगों को रक्तदान के प्रति जागरुक करों यही बहुत बडी बात है फिर मेरे पास एक दिन फेसबुक पर मैसेज आया कि किसी दिल्ली में एक बच्ची के दिल का आपरेशन है उसे रक्त चाहिए.
मैने इस बात को गम्भीरता से लिया और बहुत जगह फोन घुमाए और आखिर बच्ची के लिए रक्त का इंतजाम हो गया. वो पहला केस था जब मैने किसी की जान बचाने मे मदद की उस दिन के बाद से मैने धीरे धीरे नेटवर्क तैयार किया और फेसबुक और अन्य माध्यमों से जागरुक रक्तदाताओं से जुडने लगी और आज की तारीख में पंजाब, राजस्थान महाराष्ट्र,हरियाणा, दिल्ली, गुजरात बहुत अच्छा नेट वर्क बहुत अच्छे लोग मिलें जिन तक मैं रक्तदान की जरुरत का संदेश पंहुचा देती हूं और मरीज की जान बच जाती है. अभी तक ईश्वर का आर्शीवाद रहा कि ऐसा कोई केस नही हुआ जहां मरीज की जिंदगी को कोई खतरा हुआ हो.
आज मोदी जी अपने भाषण में यही कुछ कह रहे थे कि एक बार जान बचाने का यह अर्थ नही कि बस हो गया हमें निरंतर कुछ न कुछ करते रहना है और मेरा प्रयास यही है कि मैं निरंतर कुछ न कुछ करती ही रहूंगी क्योकि अभी भी इस क्षेत्र में जागरुकता का बहुत अभाव है और भ्रांतियां भी बहुत हैं जिन्हे दूर करना बेहद जरुरी है…
सफर जारी है … प्रयास जारी है … और मैं मोदी जी का भाषण सुनने लगी…
( तस्वीर गूगल सर्च से साभार )
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