Family Relationships – रिश्तों को कैसे निभाएं – Dealing with Family Relationships – अनमोल रिश्ते – Healthy Relationships – जो रिश्ते हैं उन्हें निभाना चाहिए.. रिश्तों में निखार हाथ मिलाने से नहीं बल्कि विपरीत हालात में हाथ थामे रहने से आता है.. Relationship बनाए तो उन्हें निभाना भी आना चाहिए… कुछ रिश्ते तो ऐसे होते हैं जो जन्म से ही बने होते हैं जैसा कि मम्मी पापा, भाई बहन, नाना, नानी, दादा दादी आदि.. कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जो हम बनाते हैं जैसा कि दोस्त, पति पत्नी, सास, ससुर आदि… रिश्ते कोई भी हो उन्हें दिल से निभाने चाहिए.. आज ये बात मैं किसी वजह से बता रही हूं और वजह है मैं आपको बताती हूं..
Family Relationships – रिश्तों को कैसे निभाएं – Dealing with Family Relationships –
बात कल की है मैं एक जानकार से मिलने गई.. असल में उनकी मदर इन लॉ की तबियत खराब चल रही है वो अस्पताल में हैं तो मैं उनसे मिलने गई तो बहुत सारे लोग मिलने आ रहे थे और बार बार फोन भी आ रहे थे.. होता ही है ना… मुझसे बात करते करते उनसे फोन बंद कर दिया स्वीच ऑफ कर दिया कि दुखी हो गई जवाब देते देते.. बंद कर देती हूं शांति मिलेगी… मैंने उसे कहा कि फोन बंद मत करो कई बार कोई जरुरी फोन आ जाता है… और ये बात मैंने उसे किसी वजह से की.. वो वजह आज मैं आपसे शेयर कर रही हूं..
बात बहुत पुरानी है और ये बात मेरी एक जानकर ने बताई.. ये उसके साथ हुई थी.. हुआ क्या था कि मेरी जानकार अपने पति के साथ जयपुर में रहते थे और दोनो ही नौकरी करते थे… एक बार जो मेरी जानकार है उनके ससुर की तबियत खराब हो गई तो उन्होनें शहर आने को कहा कि यहां अस्पताल अच्छे हैं इलाज भी अच्छे से हो जाएगा… वो आ गए और दो दिन आई सी यू में रहे.. उनकी तबियत में सुधार था… बीमारी की वजह से बहुत लोगो का आना जाना लगा रहा और फोन भी बहुत आते रहे तो एक शाम उस जानकार ने दुखी होकर फोन ही बंद कर दिया कि बहुत दुखी करते हैं ससुराल वाले कम से कम रात को तो आराम से सो पाएगें… उसने पति का मोबाइल भी उनसे बिना पूछे स्विच ऑफ कर दिया और जो घर का लैंड लाईन था इसे भी बंद कर दिया.. ताकि कोई डिस्टर्बैंस न हो…
अगली सुबह 5 बजे आखं खुली बाहर डोर बैल बार बार हो रही थी.. वो उठ कर बाहर आई.. तो उसके पड़ोसी घबराए हुए खडे थे.. दरवाजा खोलते ही वो बोले की क्या आपके सारे फोन बंद है ?? अब वो झेंप गई.. इसी बीच उसके पति भी बाहर आ गए… पड़ोसी ने उन्हें फोन पकडाया की बात करो… इसे लगा कि अस्पताल से ही होगा ससुर जी की तबियत के बारे में… पर अब कहानी में ट्विस्ट था… और वो ये कि ये फोन उसके मम्मी का था… असल में, कल देर शाम वो अपने समधी से मिलने आ रहे थे.. रास्ते में पहले तो कार खराब हो गई फिर अचानक मेरी जानकार है उनके पापा की तबियत खराब हो गई.. बीच रास्ते में उनकी कार खडी हो गई.. बार बार फोन मिलाए तीनो फोन बंद… कैसे करके किसी भले आदमी ने लिफ्ट दी और अस्पताल तक पहुंचाया.. फिलहाल वो आईसीयू में है.. कैसे करके उन्हें पड़ोसी का नम्बर मिला
जानकार को बहुत ज्यादा दुख हुआ कि उसे फोन बंद नहीं करने चाहिए थे… उसकी हिम्मत नहीं थी कि वो अपने पति का सामना कर सके… हालाकि इसके पापा की तबियत ठीक तो हो गई पर उसे एक कभी ना भूलने वाला सबक मिला.. वही उसने मुझसे शेयर किया और मैं आपसे शेयर कर रही हूं… दुख सुख में ही तो अपने काम आते हैं और हम ऐसे समय में ही इनसे दूर भागेंगें तो कैसे बात बनेगी… जो रिश्ते हैं उन्हें निभाना चाहिए.. रिश्तों में निखार हाथ मिलाने से नहीं बल्कि विपरीत हालात में हाथ थामे रहने से आता है..
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