Mahila Diwas
महिला दिवस
एयर पोर्ट पर एक नवयुवती पुरुषो के पास जा जा कर रोता हुआ मासूम चेहरा लिए नम्र निवेदन कर रही थी कि उसका सामान ज्यादा हो गया है प्लीज इसे आप रख ले. अपने गंतव्य पर पहुंच कर वो ले लेगी. पर यह बात सिर्फ पुरुषो से ही कह रही थी. महिलाओ के पास नही जा रही थी और जब भी समय मिलता एक किनारे पर खडी होकर किसी से हंस बोल कर मोबाईल पर बतियाने लगती. आदमी जंहा उसकी मदद को तैयार थे वही महिलाए उसे गुस्से वाली निगाहों से देख रही थी कि किस तरह अपनी मासूमियत का फायदा उठा रही है.
दो दिन पहले एक महिला से मुलाकात हुई. उसने बताया कि करीब चार महीने पहले एक जानी मानी पत्रिका के सम्पादक ने उसका साक्षात्कार लिया और उसे पहले कहा कि अगले महीने साक्षात्कार आएगा और इसी सिलसिले मे ना सिर्फ उसकीफोन पर बात हुई बल्कि पर्सनली मुलाकातें भी हुई. अब इस बात को महीनो बीत गए. महिला लगातार फोन कर रही है पर अब शायद मतलब निकल गया है तो सम्पादक ने फोन उठाना बंद कर दिया है. वैसे ऐसा ही कुछ फिल्म लाईन मे अकसर सुनने मे आता है कि हीरोईन बनने की चाह मे महिला कई बार बेवजह बहुत आगे बढ जाती है और उसका अंत दुखद होता है.
वही एक अन्य महिला अपने आसूं के बल पर ना सिर्फ आफिस मे अपने बॉस बल्कि बहुत लोगो की भावनाओ के साथ खेल रही हैं. कुल तनखाह मात्र 5000 है पर 15 हजार के फ्लैट मे रह रही है और 25 हजार फीस वाले स्कूल मे अपनी बच्ची को दाखिल करवाया हुआ है. हैरानी हो रही है ना पर ये हकीकत है. एक परिवार मे माता पिता अपनी ही लडकी को जोर देते है कि तु जा और अपने मालिक से पर्सनल तालुकात रख.
वही कुछ पति भी जल्दी प्रमोशन के चक्कर मे बास के आगे पीछे धूमने को बुरा नही मानते. इससे भी ज्यादा दुखद बात तब होती है जब कोई महिला पर पुरुष से अपना मतलब ना निकलने पर उस पर उल्टा ही रेप जैसा धिनौना अपराध का नाम लगा देती है और बात बिगडने की दशा मे अपनी शिकायत वापिस ले लेती है.
ऐसी महिलाए देर सवेर अपने ही जाल मे फस जाती है और उबरना मुश्किल नही नामुमकिन सा हो जाता है और ऐसी सीख मिलती है कि जिंदगी भर उस बात की भरपाई नही हो पाती.एक अन्य उदाहरण मे एक महिला को एक व्यक्ति ने प्राईवेट कालिज मे नौकरी दिलवाई अब उनका आभारी होने के नाते वो उनके बच्चो को ट्यूशन पढाती है और पेपर मे क्या क्या आएगा उन्हे परोक्ष रुप मे जानकारी भी देती है. ऐसे ना जाने अनगिणत उदाहरण है.
कृप्या अपने मतलब के लिए अपना शोषण मत होने दें. चाहे नौकरी की बात हो, शादी ब्याह की बात हो या किसी भी अन्य तरह के लालच या प्रलोभन की बात हो. इससे पहले की कोई अनहोनी हो जाए. लोग आपका फायदा उठा जाए और आप सिर पर हाथ पे हाथ धर के बैठे रह जाए. और तब आत्महत्या के इलावा कोई दूसरी राह ही ना सूझे. आपको स्वयं ही जागरुक बनना पडेगा.
बेशक, राह बहुत कांटो भरी है इसलिए कई बार मन का विश्वास डगमगा जाता है पर ऐसी बाते ना हो उसके लिए अपने मन मे पक्का विश्वास पैदा करना होगा और और जल्दबाजी भी नही दिखानी होगी.अगर हम कदम सोच समझ कर चलेगी तो राह मुश्किल जरुर लगेगी पर सफलता भी जरुर मिलेगी. बस किसी भी वजह से खुद को शोषित ना होने दें, जागरुक बनें.
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