शरारत और बचपन के दिन
Shararat aur Bachpan, मासूम बचपन, प्यारा बचपन ,
बच्चों की दुनिया बहुत प्यारी है इसे प्यारा ही बने रहने दीजिए.
आज सुबह हमारे शहर में बहुत धुंध थी. मैं बाहर खडी मौसम देख रही थी. कुछ बच्चे धुंध में बच्चे अपनी स्कूल बस की इंतजार कर रहे थे और कुछ बच्चे बाते करते हुए जा रहे थे.तभी पीछे से एक बच्चे की आवाज आई देख मै सिग्रेट पी रहा हूं. मै हैरान कि स्कूल जाने वाले बच्चे ये क्या कर रहे है और मेरे मन में सैकडो बाते आ गई उस बच्चे के भविष्य को लेकर और मैने उसी समय पीछे मुड कर देखा कि .पता है मैने क्या देखा. बच्चा धुंध की वजह से मुहं से जान बूझ कर, हंसता हुआ, धुंआ निकाल कर सिग्रेट् पीने की एक्टिंग कर रहा था. मै उसकी मासमूयित पर मुस्कुरा दी.
सच, आज के तनाव भरे वातावरण मे हम इतने घुल मिल गए है कि बचपन, मासूमियत और उनकी शरारतो को भूलते ही जा रहे हैं जबकि हमे उन्हे जिंदा रखना है. फिर मै भी उन बच्चो के मिल कर हंसते हंसते जानबूझ कर एक्टिंग करके मुहं से धुंआ निकलने लगी….!!! उनकी मासूम और प्यारी हंसी हमेशा ऐसी ही बनी रहॆ उसके एक लिए हमे ही प्रयास करने होंगें ..
बचपन
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