क्यों नहीं लगता बच्चों का पढ़ाई में मन
क्यों नहीं लगता बच्चे का पढ़ाई में मन – आमतौर पर हम parents बच्चों के बारे में ये तो जल्दी से बोल देते हैं कि बच्चा पढ़ता नही, ध्यान नही देता….. पर कभी वजह जानने की कोशिश की है ??
हम पेरेंट्स बोल तो बहुत जल्दी देते हैं कि बच्चा पढ़ता नही, मन नहीं लगता, बहाने बनाने लगता है, पढ़ने के नाम पर एक्टिंग करता है पर असली वजह क्या है ये जानने की कोशिश नहीं करते तो आज मैं 7 बातें बता रही हूं कि बच्चे का मन किस लिए नहीं लगता
1 सबसे पहले तो बच्चे में awareness ही नहीं है studying के प्रति… उन्हें उसकी importance ही नहीं पता थी… कि पढाई कितनी जरुरी है और जब उसकी importance ही पता नहीं होगी तो सोचने वाली बात है कि interest create कैसे होगा…
2. पढाई का तरीका Difficult Syllabus बहुत Difficult लगता है और स्कूल में बस पढाने पर ही जोर दिया जाता है समझाने पर नहीं.. एक साथ हर सबजेक्ट का बहुत प्रेशर रहता है और जल्दी जल्दी होने वाली assessment.. याद तो होता नहीं उपर से exam इससे मन में बहुत तनाव भर देते हैं और वो अप्ढने से कतराने लगते हैं
वही कई बार स्कूल में कुछ टीचर का बहुत स्टिक्ट होना भी इसका कारण बनता है और उनके मन में टीचर के प्रति डर बैठ जाता है और वो पढने में ध्यान नहीं लगा पाए..
3.पेरेंटस की उम्मीदे बहुत ज्यादा उम्मीद लगा लेते हैं कि सारी सुख सुविधाए दे रखी हैं, महंगे स्कूल में डाला है, कार और ड्राईवर अलग से दिया हुआ है.. टयूशन अच्छे से अच्छी रखवाई हुई है अब फर्स्ट आना है.. उससे बच्चों के मन में डर बैठ जाता है कि नहीं आए फर्स्ट तो क्या होगा…
4.घर का माहौल भी वजह हो सकता है जैसाकि घर पर पेरेंटस का आपसी झगडा, आस पडोस का शोर शराबा, या फिर पढाई करते समय टीवी का चलना या दूसरा बच्चा वीडियो गेन खेल रहा है या बाहर खेल रहा है तो उसका भी मन है खेलने का… यानि माहौल ऐसा बन जाता है कि बच्चा ध्यान नहीं लगा पाता.. जैसे कि बच्चे का कम एग्जाम है और आज किसी शादी में जाना है या घर पर किसी का डिनर है… कैसे होगी पढाई
5. फिर इसमे एक वजह बच्चे की हैल्थ भी बनती है physical हो या mental… जैसे बच्चे के पेट दर्द या सिर दर्द रहता है जिस वजह से वो पढ नहीं पाता.. जब शरीर ही हैल्दी नहीं रहेगा तो कैसे पढाई में ध्यान लगा पाएगा.. या फिर कई बार कोई मानसिक तनाव भी होता है जैसाकि कोई बच्चे उसे बहुत छेडते हैं तंग करते हैं स्कूल में या घर के आसपास के.. उसकी वजह से वो तनाव में आ जाता है तो ऐसे में कैसे ध्यान लगा पाएगा..
6.फिर एक बात ये भी है कि बच्चा अगर कुछ अच्छा करता है तो उसे शाबाशी नहीं देते.. या कोई ईनम की बच्चे का पढाई में मन लगे जैसा कि अगर आप इसे लर्न कर लोगे तो आपको ये एमन मिलेगा… या अगर एग्जाम में इतने मार्क्स आएगें तो हम हिल स्टेशन पर घूमने जाएगें.. मतलब कहीं से मोटिवेशन नहीं मिलती बच्चे को…
7. पेरेंटस की भूमिका उनका रोल… ये जितने भी पोईंटस बताए इसमें पेरेंटस का अहम रोल है.. अगर वो चाहें तो इन सारी प्रोब्लम्स को दूर करके बच्चे में इंट्स्ट क्रिएट कर सकते हैं…
Kanchi says
Very nice blog.
Ma’am mere do bete he bara 13 saal ka aur chhota 5 saal ka.dono ek dusre k saath hi rahte he aur complaint bhi karte rahte he,kya karu samajh nahi aata.please is par bhi blog banayiye
Regards
Kanchi