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पिछ्ले हफ्ते एक फेसबुक मित्र फेसबुक से गायब थी. असल मे, वो पूरे दिन आन लाईन रहती और अक्सर मेरे लिखे पर कमेंट या लाईक जरुर करती थी. अपनी न्यूज फीड पर वो हमेशा ईमानदारी और सच्चाई की बहुत बाते और उदाहरण दिया करती थी. जब वो हफ्ते भर से नही आई तो मेरा चिंतित होना स्वाभाविक था.
करीब दस दिन बाद जब वो फेसबुक पर आई तो मेरे पूछ्ने पर उसने बताया कि असल मे, वो सरकारी दफ्तर मे काम करती है. पिछ्ले हफ्ते छुट्टी बहुत थी इसलिए … मेरे पूछ्ने पर कि क्या घर पर नेट नही है. उसने बताया कि कौन घर पर नेट लगवाए और खर्चा भी बढाए. वैसे भी घर पर सैकडो काम होते हैं और कौन इस नेट के पचडो मे पडे. ये तो खाली बैठे और निठल्लो का काम होता है. बच्चे भी बिगडते है इसकी वजह से. आफिस की बात तो अलग है. यहां नेट फ्री भी है और दूसरी बात सारे दिन खाली ही बैठते है काम तो होता नही है कुछ इसलिए समय इसमे व्यर्थ ही गवाती हूं वैसे कोई ढंग की चीज नही है ये नेट वेट !!!
पता नही, पर,मै हैरान थी कि ईमानदारी और सच्चाई की बाते करने वाली कैसी बाते कर रही है. मुझे अच्छा नही लगा और मैने उसे बता कर अनफ्रेंड कर दिया.
ऐसी सोच वाले !!!बाप रे बाप !!! वैसे आप तो ऐसे नही होगे … है ना !!!
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