Blood donation video
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रक्तदान से बढकर कोई दूसरा पुण्य का कार्य नही है और अगर हम (खासकर महिलाए) किसी वजह से रक्तदान न कर पाए तो लोगों को स्वैच्छिक रक्तदान के लिए प्रेरित करने से बढ कर अन्य कोई नेक कार्य नही है किसी को जन्म देना हो या रक्तदान करके किसी को नया जीवन देना हो दोनों की नेक कार्य है…
जिस तरह से लोग जानकारी के अभाव मे रक्त न मिलने की वजह से मर रहे हैं लोगो को रक्तदान के लिए प्रेरित करना हमारा फर्ज है ताकि रक्त की कमी से किसी को मरने न दिया जाए. ऐसे ही रक्त दान से सम्बंधित ट्रैनिंग के दौरान प्रेरित करती !!
क्या आपने कभी रक्तदान किया है या कभी रक्तदान के लिए किसी को प्रेरित किया है जरुर बताईएगा …
निर्भया
निर्भया
निर्भया Nirbhaya दिल्ली में 16 दिसम्बर 2012 के बहुचर्चित बलात्कार और हत्या की आपराधिक घटना की पीड़िता को समाज व मीडिया द्वारा दिया गया नाम है। भारतीय कानून व मानवीय सद्भावना के अनुसार ऐसे मामले में पीड़ित की पहचान को उजागर नहीं किया जाता। ऐसी धटना के बाद भी जिस तरह से रेप केस बढे जा रहे हैं लग रहा है मानो अब महिलाओं और बच्चियों का बस यही नाम रह जाएगा ऐसा प्रतीत हो रहा है
अफसोस !! बेहद दुखद !!! इतनी असुरक्षा !!!
निर्भया
अच्छे दिन आयेंगे
अच्छे दिन आयेंगे
बहुत समय से अच्छे दिनों की इंतजार है. महिला असुरक्षा इतनी बढ गई है कि घर से निकलते हुए डर लगता है. कानून अव्यवस्था , रेप, महिला असुरक्षा … बस बहुत बुरा हाल है ..
मोदी सरकार का नारा था चुनावों में कि अच्छे दिन आएंगें .. उसी की इंतजार है पता नही बाहर कब आऊं हो सकता है जल्दी या फिर कभी नही …
मन मे बार बार यही प्रश्न परेशान कर रहा है कि क्या अच्छे दिन आयेंगे ????
रक्तदाता महिलाएं
रक्तदाता महिलाएं
Blood Donation के क्षेत्र में महिलाएं भी किसी से कम नही हैं. वो चाहे तो रक्तदान की पूरी जानकारी लेकर अपने पूरे परिवार को रक्तदान के लिए प्रेरित कर समाज में अलग पहचान बना सकती हैं
कुछ समय पहले आईएसबीटीआई की ओर से स्वैच्छिक रक्तदान पर एक दिवसीय सम्मेलन था. बहुत दर्शक और बहुत वक्ता थे. रक्तदान के बारे मे बहुत पुरुषों ने बोला कि उन्होने जब रक्तदान किया तब घर पर अपनी पत्नी को नही बताया या अपनी मां को नही बताया क्योकि वो नाराज हो जाती कि रक्त किसलिए दे कर आए हो. एक ने तो बताया कि उन्होने 5 साल तक अपने घर मे किसी को खबर नही लगने दी कि वो रक्तदान कर रहे हैं. अगर पता चल जाता तो वो उसे रक्तदान नही करने दिया जाता.
वही उसी कार्यक्रम मे एक सज्जन ने बताया कि महिलाओ की कुछ परेशानियां ऐसी होती है कि वो खून नही दे सकती जैसा कि स्तनपान, महावारी और एनीमिया इसलिए पुरुषो को आगे आना चाहिए और ज्यादा से ज्यादा रक्तदान करना चाहिए.
एक सज्जन ने यह भी बताया कि भले ही रक्तदान के लिए महिलाओं मे बहुत उत्साह देखने को मिलता है और वो बढ चढ कर र्क्तदान के लिए कैम्पो मे आती भी हैं पर जब उन्हे पता चलता है कि उनमे खून की कमी यानि एनीमिया है वो रक्तदान नही कर सकती तब उन्हें मजबूरन पीछे हटना पडता है.
तब मेरे दिमाग मे बस एक ही बात आई कि भले ही हम महिलाओं को हर महीने किसी न किसी रुप मे परेशानी से दो चार होना पडता है पर अगर कम से कम हमें रक्तदान के बारे मे विस्तार से जानकारी होगी तो अपने घर परिवार के लोगो को तो बजाय रक्तदान पर नाराज होने के होने प्रेरित तो कर सकती हैं.और इसके साथ साथ भले ही रक्तदान ना करे पर इतना तो करें कि खुद मे तो रक्त हो यानि ब्लड डोनर से पहले रक्त ओनर तो बनें.
अगर महिलाए एनीमिया से कम ग्रसित होगी तो रक्त की भी कम जरुरत पडेगी. इसके साथ साथ यह भी जानकारी भी होनी जरुरी है कि रक्तदान से कोई नुकसान नही होता.चाहे स्वयं रक्तदान करे या अपने घर परिवार मे किसी का, तो भी बहुत जागरुकता आ सकती है. असल मे, रक्तदान के बारे मे जब भी महिलाओ से बात की तो यही जवाब मिला कि हमे तो किसी ने कहा ही नही या हमे तो पता ही नही था.
महिला दिवस पर यही संकल्प लें कि रक्तदान के बारे मे सारी जानकारी लेगी और अगर होमोग्लोबिन 12.5 है तो रक्तदान करके खुद महसूस करेगी कि क्या अनुभव रहा और अगर किसी वजह से खुद ना कर पाई तो कम से कम अपने परिवार के सदस्यो को नाराजगी दिखाने के बजाय रक्तदान के लिए जरुर प्रेरित करेगी. जैसे
किसी को जन्म देना एक खूबसूरत अहसास है ठीक वैसे ही किसी को नई जिंदगी देना भी एक खूबसूरत अहसास से कम नही है.
रक्तदाता महिलाएं
Photo by Armed Services Blood Program
Mahila Diwas
Mahila Diwas
महिला दिवस
एयर पोर्ट पर एक नवयुवती पुरुषो के पास जा जा कर रोता हुआ मासूम चेहरा लिए नम्र निवेदन कर रही थी कि उसका सामान ज्यादा हो गया है प्लीज इसे आप रख ले. अपने गंतव्य पर पहुंच कर वो ले लेगी. पर यह बात सिर्फ पुरुषो से ही कह रही थी. महिलाओ के पास नही जा रही थी और जब भी समय मिलता एक किनारे पर खडी होकर किसी से हंस बोल कर मोबाईल पर बतियाने लगती. आदमी जंहा उसकी मदद को तैयार थे वही महिलाए उसे गुस्से वाली निगाहों से देख रही थी कि किस तरह अपनी मासूमियत का फायदा उठा रही है.
दो दिन पहले एक महिला से मुलाकात हुई. उसने बताया कि करीब चार महीने पहले एक जानी मानी पत्रिका के सम्पादक ने उसका साक्षात्कार लिया और उसे पहले कहा कि अगले महीने साक्षात्कार आएगा और इसी सिलसिले मे ना सिर्फ उसकीफोन पर बात हुई बल्कि पर्सनली मुलाकातें भी हुई. अब इस बात को महीनो बीत गए. महिला लगातार फोन कर रही है पर अब शायद मतलब निकल गया है तो सम्पादक ने फोन उठाना बंद कर दिया है. वैसे ऐसा ही कुछ फिल्म लाईन मे अकसर सुनने मे आता है कि हीरोईन बनने की चाह मे महिला कई बार बेवजह बहुत आगे बढ जाती है और उसका अंत दुखद होता है.
वही एक अन्य महिला अपने आसूं के बल पर ना सिर्फ आफिस मे अपने बॉस बल्कि बहुत लोगो की भावनाओ के साथ खेल रही हैं. कुल तनखाह मात्र 5000 है पर 15 हजार के फ्लैट मे रह रही है और 25 हजार फीस वाले स्कूल मे अपनी बच्ची को दाखिल करवाया हुआ है. हैरानी हो रही है ना पर ये हकीकत है. एक परिवार मे माता पिता अपनी ही लडकी को जोर देते है कि तु जा और अपने मालिक से पर्सनल तालुकात रख.
वही कुछ पति भी जल्दी प्रमोशन के चक्कर मे बास के आगे पीछे धूमने को बुरा नही मानते. इससे भी ज्यादा दुखद बात तब होती है जब कोई महिला पर पुरुष से अपना मतलब ना निकलने पर उस पर उल्टा ही रेप जैसा धिनौना अपराध का नाम लगा देती है और बात बिगडने की दशा मे अपनी शिकायत वापिस ले लेती है.
ऐसी महिलाए देर सवेर अपने ही जाल मे फस जाती है और उबरना मुश्किल नही नामुमकिन सा हो जाता है और ऐसी सीख मिलती है कि जिंदगी भर उस बात की भरपाई नही हो पाती.एक अन्य उदाहरण मे एक महिला को एक व्यक्ति ने प्राईवेट कालिज मे नौकरी दिलवाई अब उनका आभारी होने के नाते वो उनके बच्चो को ट्यूशन पढाती है और पेपर मे क्या क्या आएगा उन्हे परोक्ष रुप मे जानकारी भी देती है. ऐसे ना जाने अनगिणत उदाहरण है.
कृप्या अपने मतलब के लिए अपना शोषण मत होने दें. चाहे नौकरी की बात हो, शादी ब्याह की बात हो या किसी भी अन्य तरह के लालच या प्रलोभन की बात हो. इससे पहले की कोई अनहोनी हो जाए. लोग आपका फायदा उठा जाए और आप सिर पर हाथ पे हाथ धर के बैठे रह जाए. और तब आत्महत्या के इलावा कोई दूसरी राह ही ना सूझे. आपको स्वयं ही जागरुक बनना पडेगा.
बेशक, राह बहुत कांटो भरी है इसलिए कई बार मन का विश्वास डगमगा जाता है पर ऐसी बाते ना हो उसके लिए अपने मन मे पक्का विश्वास पैदा करना होगा और और जल्दबाजी भी नही दिखानी होगी.अगर हम कदम सोच समझ कर चलेगी तो राह मुश्किल जरुर लगेगी पर सफलता भी जरुर मिलेगी. बस किसी भी वजह से खुद को शोषित ना होने दें, जागरुक बनें.
Mahila Diwas पर आपकी राय आपके विचारों का स्वागत है !!
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