Benefits of Eating with Hands
अक्सर शादी या अन्य समारोह में भीड बहुत होती है और उसका फायदा मिल जाता है.Benefits of Eating with Hands फायदा इस बात का मिलता है कि स्टाल वाली कुछ चीजों को हाथ से खाया जा सकता है मसलन, टिक्की … गरमागरम टिक्की, करारी सीधा तवे से उतरी हुई खाने का अपना ही मजा है इसकी दो वजह है एक तो टिक्की के साथ जो चमच्च मिलता है वो प्लास्टिक का होता है न जाने कब टूट जाए और दूसरा हाथ से खाएगें तो कितना गरम है अंदाजा लग जाएगा और मुंह नही जलेगा… अब इसके लिए जरुरी है भीड … ताकि सब अपने में मस्त हो और हम भी हाथ से खाने में पूरा एंजाय करें..
वैसे दक्षिण में तो ज्यादातर हाथ से ही खाया जाता है पर हमें अपने आस पास का माहौल देख कर हाथ से खाने का मन बनाना चाहिए अन्यथा हंसी के पात्र बनने में भी देर नही लगती.
Benefits of Eating with Hands
वैसे हाथों में है प्राण ऊर्जा- आयुर्वेद के अनुसार हमारे हाथों प्राणाधार एनर्जी होती है। इसका कारण है कि हम सब पांच तत्वों से बने हैं, जिन्हे जीवन ऊर्जा भी कहते हैं। ये पांचों तत्व हमारे हाथ में मौजूद हैं। हमारे हाथों का अंगूठा अग्नि का प्रतीक है। तर्जनी उंगली हवा की प्रतीक है। मध्यमा उंगली आकाश की प्रतीक है। अनामिका उंगली पृथ्वी की प्रतीक है और सबसे छोटी उंगली जल की प्रतीक है। इनमे से किसी भी एक तत्व का असंतुलन बीमारी का कारण बन सकता है।
जब हम हाथ से खाना खाते हैं तो हम उंगलियों और अंगूठे को मिलाकर खाना खाते हैं और इससे जो हस्त मुद्रा बनती है। उसमें शरीर को निरोग रखने की क्षमता होती है। इसलिए जब हम खाना खाते हैं तो इन सारे तत्वों को एक जुट करते हैं जिससे भोजन ज्यादा ऊर्जादायक बन जाता है और यह स्वास्थ्यप्रद बनकर हमारे प्राणाधार की एनर्जी को संतुलित रखता है
हाथ से खाने से ना सिर्फ एकाग्रता बढती है बल्कि पाचन भी सुपाच्य होता है.
और इसी के साथ साथ बचपन में जब हम बीमार पड जाते थे तो मम्मी अपने हाथ से खाना खिलाती थी और अगर और बचपन में जाए तो नानी दादी भी बच्चों के पीछे दौड दौड कर दाल चावल खिलाती थी … ये जो स्पर्श का अनुभव है ना … ये बहुत कामगर सिद्द होता है इससे आपसी प्रेम भी बढता है… कुछ दिन पहले मैं अपनी सहेली से बात कर रही थी तो उसने बताया कि सबसे ज्यादा मजा करवा चौथ पर आता है जब हाथ मे मेहंदी लगा रखे होती है और पति अपने हाथों से खाना खिलाते है…
वैसे जैसे नियम कांटे छुरी से खाने के हैं इसके भी कुछ नियम होते हैं जैसे कि सब्ज़ी खाते समय उसकी तरी को पूरी उंगलियों में नहीं लिपटने देना चाहिए और केवल उंगलितयों के पोरो का इस्तेमाल होना चाहिए ना कि पूरी की पूरी उउंगली तरी मे डूब जाए फिर यहां वहां लोगों को भी असुविधा हो… खाते वक्त चपचप की आवाज भी न हो तो बेहतर है. इसके अलावा खाने के बाद भी हाथ धोने के लिए आमतौर पर प्रत्येक व्यक्ति को उंगलियां धोने के लिए एक कटोरा जिसमें गुनगुने पानी और कटा हुआ नींबू होता है दिया जाना चाहिए.
बेशक हमें हाथ से खाते हुए शर्म आती हो पर बहुत विदेशी हमारे देश में आकर हाथ से खाना खाने मे गर्व महसूस करते हैं…
benefits of eating with hands hindi
हाथ (hands) से खाना खाना असल में भारत (India) में जितना कॉमन है उतना किसी और देश में नहीं है पश्चिम में लोग खाना खाने के लिए छुरी और कांटे का इस्तेमाल करते है कई जगह इसे भोजन सम्बन्धी शिष्टाचार से जोड़कर भी देखा जाता है और कुछ लोग मानते है कि हाथ से भोजन (eating with hands) करना सुरक्षित नहीं है लेकिन फिर भी कुछ भी कुछ जानकार ये मानते है कि हाथ से खाना खाने (eating with hands) का एक अलग ही मजा होता है और यह किसी भी छुरी या कांटे या किसी भी अन्य औजार से खाने में नहीं है साथ ही हाथ से खाना खाना स्वास्थ्यवर्धक (health beneficial) तो होता ही है और इसके कुछ और भावनात्मक पहलु भी है जिनपर हम थोडा गौर करते है | तो चलिए इस बारे में थोड़ी और बात करते है –
हाथ से खाने के स्वस्थ्य लाभ / benefits of eating with hands – पिछले कुछ दिनों में अमरीका के एक राज्य में कुछ लोगो के समूह ने छुरी और कांटे को छोड़कर हाथ से खाने की इच्छा जताई और इसके पीछे कई कारन है जिनमे से एक है कुछ जानकर मानते है कि हाथ से खाना खाते समय जो हाथ की अंगुलियाँ और अंगूठे की मुद्रा बनती है वो विशेष होती है और उसमे हमारे शरीर को स्वस्थ (healthy) रखने की क्षमता होती है वन्ही कुछ लोग यह भी मानते है कि जिस तरह हमारा शरीर पांच तत्वों (five elements) का बना होता है उसी तरह हमारे हाथ की पांच उंगलिया भी इसी तरह उन पांचो तत्वों की प्रतीक है इसलिए हाथ से खाना खाते (eating with hands) समय हम उन पांचो तत्वों को रोटी का कौर बनाते समय एकजुट करते है और इस से भोजन उर्जादायक बन जाता है और खाने में अतिरिक्त स्वाद भी आता है | Read more…
Benefits of Eating with Hands जो भी हो हाथ से खाने का अपना ही मजा है एक अलग ही तरह की संतुष्टि मिलती है … तो शुरुआत हो जाए दाल चावल से … एक मेरी सहेली बता रही थी कि चाय को भी सुडप करने यानि आवाज करके पीने मे अलग ही मजा है … नही … ये नही … अभी इतना ही काफी है 😆