Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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December 23, 2012 By Monica Gupta Leave a Comment

Prayer

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Prayer

A prayer for gang rape  vicitim girl…..

 

December 19, 2012 By Monica Gupta Leave a Comment

रक्तदान और हीमोफीलिया

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रक्तदान और हीमोफीलिया

आमतौर पर जब भी मैं स्वैच्छिक रक्तदान के बारे मे लोगो को प्रेरित करती हूं तो थैलेसीमिया तथा हीमोफीलिया नामक बीमारी का जिक्र जरुर करती हूं क्योकि इन रोगो के होने पर रक्त की बहुत ही ज्यादा आवश्यकता पडती है.थैलेसीमिया के मरीजो से तो बहुत बार बात हुई है पर हीमोफीलिया के किसी मरीज से कभी मिलना नही हुआ. हीमोफीलिया अनुवांशिक रोग है. जिसमे शरीर के बाहर बहता रक्त जमता नही है.लगातार बहता ही रहता है. इस कारण ऐसे रोगियो के लिए कोई भी चोट या दुर्धटना जानलेवा हो सकती है.

तभी एक दिन श्री जगदीश कुमार जी से मुलाकात हुई. 49 साल के जगदीश जी जम्मू में रहते हैं और सीनियर लेक्चरर हैं. जगदीश जी हीमोफीलिया से पीडित हैं. दिल्ली मे जन्मे जगदीश को बचपन मे अक्सर नकसीर या दांत टूटने पर रक्तस्राव तो होता पर कभी इस बारे मे सोचा नही कि यह एक बीमारी भी हो सकती है.

सन 90 मे अचानक परिवार मे एक साथ तीन मौत हुई. एक इनकी माता जी की और दो मामा जी की. जगदीश जी ने बताया कि जब इनकी माता जी को पीजीआई चंडीगढ ले  कर  गए तब उनको  इस बीमारी का पता चला. पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी और अत्याधिक रक्तस्राव के कारण उनकी माता जी नही बच पाई.

सन 94 मे इनको कोहनी से रक्तस्राव होने लगा. जोकि 24-25 दिन लगातार होता ही रहा. तब ये दिल्ली के एम्स मे भर्ती हुए और चैकअप करवाया तब पता चला कि यह बीमारी इनको भी है. वहां के डाक्टर ने बताया इलाज का खर्च 5 लाख आएगा.

जगदीश बहुत साधारण से परिवार से है पर फिर भी कैसे भी करके रुपया इकठठा करके इलाज करवाया गया. थोडा ठीक होने पर जब ये वापिस जम्मू पहुचे तब तक यह मन मे ठान चुके थे कि ऐसे लोगो की एक संस्था बनाएगे और इस बारे मे  आम जनता को जागरुक करेगे. करीब सौ से ज्यादा उन्हे जम्मू मे ऐसे मरीज मिले और इन्होने अपनी जेब से रुपए लगाकर संस्था का गठन किया.

आजकल ये संस्था जगह जगह कैम्प लगाकर बच्चों और बडो को इस रोग के बारे मे जागरुक करती है. कैम्प लगाती है और इंजेक्शन आदि लगाने का भी प्रबंध करती है. जगदीश जी ने बताया कि चाहे घर पर हो या आफिस मे, सडक पर जा रहे हो या किसी वाहन मे, बहुत ध्यान से रहना पडता है.

हर समय एक अंजाना सा डर लगा रहता है कि कही कट ना लग जाए, चोट न अलग जाए. इसके साथ साथ दवाई खासकर दर्द निवारक दवा भी बहुत ध्यान से लेते हैं. कोई भी दवाई डाक्टर से पूछ कर लेनी पडती हैं. काफी लोग तो इस बीमारी के आने पर डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं.

जगदीश जी ने बताया कि वो सिर्फ और सिर्फ रक्तदाताओ की वजह से ही जिंदा हैं. अगर उन्हे रक्त नही मिलेगा तो इस बीमारी से पीडित कोई भी रोगी बच नही पाएगे. उन्हें इस बात का दुख है कि पढे लिखे लोग भी रक्तदान के प्रति जागरुक नही है इसलिए सभी रक्तदाताओ से उन्होने नम्र निवेदन किया कि स्वैछिक रक्तदान करें और दूसरो को भी इसके लिए प्रेरित करें क्योकि उनके द्वारा दिया हुआ अमूल्य दान बहुत घरों के चिरागो को बुझने से रोक सकता है.

जगदीश जी ने बताया कि आज बेटे हर तीसरे महीने नियमित रुप से रक्तदान करते हैं और जब तक उन्हे अपनी बीमारी का भी पता नही था तब तक वो भी 11 बार रक्तदान कर चुके थे.

 वाकई में, जगदीश जी  बहुत बहादुरी से इस बीमारी का सामना कर रहे है. संस्था के माध्यम से  ना सिर्फ वो जनता को बीमारी के प्रति जागरुक कर रहे है बल्कि इस बीमारी से पीडित दिलो मे नई आशा का भी संचार कर रहे हैं. उनकी यह एक छोटी सी पहल है पर अगर हम दिल से उनका साथ देना चाह्ते है तो स्वैछिक रक्तदान करके उनका साथ देना चाहिए. इस बीमारी का मात्र रक्तदान ही उपचार है कोई शक नही कि  रक्तदान वाकई मे पुण्य का काम है. और मह्त्वपूर्ण बात यह है कि हम यह कर सकते हैं.

जगदीश जी के उत्साह को देखते हुए बस एक ही बात मन मे आ रही है …

जो सफर की शुरुआत करते हैं

वो मंजिलो को पार करते हैं

एक बार चलने का हौंसला तो रखो

मुसाफिर का तो रास्ते भी इंतजार करते हैं

 

मोनिका गुप्ता

  

December 19, 2012 By Monica Gupta Leave a Comment

डरना मना है

(यह कहानी नही सच्ची बात है)

 Gang rape incident

    डरना मना है

एनसीआर में रहने वाली मधु( परिवर्तित नाम) आफिस के लिए तैयार हो रही थी. दिल्ली में दो दिन पहले हुई गैंगरेप की धटना को टीवी पर देखते हुए वो सोच रही थी कि पता नही उसके पापा मम्मी की क्या प्रतिक्रिया होगी. वो उसे आफिस भी जाने देंगे या नही. कल मम्मी की बातो से टेंशन साफ झलक रही थी.

 तैयार होते होते वो दूसरे कमरे से मम्मी पापा की आवाजे सुनने लगी. मम्मी कह रही थी कि छोडो ,क्या रखा है नौकरी मे. छुडवा दो नौकरी और कोई लडका देख कर शादी करवा देते हैं. अब वो साँस रोक कर अपने पापा की प्रतिक्रिया सुनने लगी.

पापा बोले, पागल हो गई हो तुम. यही सोच अगर सभी को हो गई तो अपराधियो और मनचलों के हौंसले और बढ जाएगे. ये ही सही समय है जब हमे अपनी बिटिया को आत्मविश्वासी बनाना है.

घर की चार दीवारी से जब बाहर कदम रख ही दिया है तो पीछे नही खिंचना. उसे प्रेरित करना है. हो सका तो उसे ट्रैनिंग भी दिलवाएगे और बजाय डर और भय के उसके मन मे यह डालने की कोशिश करेगे कि वो किसी से कमजोर नही अपनी रक्षा को खुद करना जानती है. मधु में पापा की बात सुन कर एक नया हौंसला और आत्मविश्वास जाग चुका था.

पापा के गले लग कर उन्हे ढेरो धन्यवाद कहती अब वो नए विश्वास के साथ अपने आफिस जा रही थी.मम्मी भी बालकनी से मुस्कुराती हुई हाथ हिला रही थी मानो वो अपने पति की बात से शत प्रतिशत सहमत हो 🙂

 

मोनिका गुप्ता

December 18, 2012 By Monica Gupta Leave a Comment

निंदनीय धटना

निंदनीय धटना

चाहे फेसबुक हो या ब्लाग सभी अपने अपने माध्यम से गैंगरेप जैसे दुष्कर्म की तीव्र निंदा कर रहे हैं. निसंदेह, दिल्ली मे हुई गैंग रेप धटना ने एक बार फिर झंकोर कर रख दिया.

दुख और शर्म की बात है कि पिछ्ले कुछ समय पहले हमारा हरियाणा भी इस मामले मे सुर्खियो मे था.ऐसी धटना को सुनने और कवर करने मे बहुत रोष होता कि आखिर ये हो क्या रहा है. क्या ऐसे लोगो को किसी कानून का खौफ ही नही रहा या ये उन्ही का सहारा लेकर बेधडक, बैखौफ  होकरऐसी शर्मनाक धटनाओ को अंजाम दे रहे हैं.

विपक्ष को एक और मुद्दा मिल गया और वो बढ चढ कर बोल रहे हैं. उधर चैनल वाले भी बहस का मुद्दा बनाए हुए है. वही अभी तक इस केस से सम्बंधित जिन अपराधियो को पकडा है वो शर्म से मुहं छिपाए जा रहे हैं. उन्हे मुहं छिपाने की क्या जरुरत है? सबसे पहले तो उनके चेहरे से नकाब खिंचना होगा. उनका धिनौना चेहरा समाज के आगे लाना होगा. जनता के सामने इतना शर्मसार करना होगा कि वो खुद अपनी मौत के लिए प्रार्थना करे. कानून या फास्ट ट्रैक कोर्ट बनानी होगी ताकि ऐसे मामले ज्यादा से ज्यादा हफ्ते भर मे निबट जाए. कठोर से कठोर कानून बनाना होगा ताकि कोई ऐसी हिमाकत ही ना कर सके.

वही सूत्रो के मुताबिक 23 साल की पीड़िता की हालत अब भी नाजुक बनी हुई है। राजधानी के सफदरगंज अस्पताल में पीड़िता को वेंटिलेटर पर रखा गया है. कुछ लिखते नही बन पड रहा…. !!

December 17, 2012 By Monica Gupta Leave a Comment

Life is beautiful

Life is beautiful

Worth a read story …..

It was their anniversary, and Amrita was waiting for her husband Rajiv to show up.
Things had changed since their marriage, the once cute couple couldn’t-live-without-each-other had turned bitter. Fighting over every little things, both didn’t like the way things had changed. Amrita was waiting to see if Rajiv remembered it was their anniversary!

Just as the door bell rang she ran to find her husband wet and smiling with a bunch of flowers in his hand.
The two started re-living the old days. Making up for fights, then was d plan for champagne, light music And it was raining outside!

It was perfect. But the moment paused when the phone in the bedroom rang. Amrita went to pick it up and it was a man.

“Hello ma’am I’m calling from the police station. Is this Mr Rajiv Mehra’s number?”
“Yes it is!”
“I’m sorry ma’am; but there was an accident and a man died. We got this number from his wallet; we need you to come and identify his body.”

Amrita’s heart sank.!!! WTH.! But my husband is here with me?”

“Sorry ma’am, but the incident took place at 2 pm, when he was boarding the train.”

Amrita was about to lose her conscience. How could this happen?!
She had heard about the soul of the person coming to meet a loved one before it leaves!
She ran into the other room. He was not there. It was true! He had left her for good!!
Oh God she would have died for another chance to mend every little fight!
She rolled on the floor in pain. She lost her chance! Forever!

Suddenly there was a noise from the bathroom, the door opened and Rajiv came out and said… “Darling, I forgot to tell you my wallet got stolen today”.

LIFE MIGHT NOT GIVE YOU A SECOND CHANCE. SO NEVER WASTE A MOMENT WHEN YOU CAN STILL MAKE UP FOR YOUR WRONGS!!!

Its the last month of the year so let’s start making amends.

To parents
To siblings
To friends
And to everyone we think we have done wrong to

When we make mistake we expect to be forgiven so we can do the same thing to others !!

Life is still beautiful !!

December 17, 2012 By Monica Gupta Leave a Comment

कार्टून वाच का स्वीट 17

 कार्टून वाच का स्वीट 17 

कार्टून वाच (देश की एकमात्र कार्टून मासिक पत्रिका,रायपुर) अपने सत्रहवें वर्ष मे प्रवेश कर रही है.निसंदेह, हम पाठको के साथ साथ पत्रिका के सम्पादक श्री त्र्यम्बक शर्मा जी के लिए भी बहुत खुशी का विषय है. आखिर इन सत्रह सालो का सफर कैसा रहा.

 

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यह जानने के लिए मैने जब शर्मा जी से बात की तो वो मुस्कुराते हुए,यादो के झरोखो में, सन 1991 मे जा पहुचे जब उन्होनें लेखन के साथ साथ कार्टून जगत मे कदम रखा. राह आसान नही थी क्योकि उन्हे कार्टून की जरा भी जानकारी नही थी. बस एक जनून था कि कार्टून बनाने हैं.

फिर नव भारत समाचार पत्र  से एक नया सफर शुरु हुआ और उसके बाद दैनिक भास्कर मे आ गए. ‘अपनी अपनी” कालम से कार्टून जगत मे पदार्पण करने वाले कलाकार की आँखो मे अभी भी ढेरो सपने तैर रहे थे. एक मन हुआ कि वो भी दिल्ली या मुम्बई जाकर कार्टूनिस्ट रुप मे स्थापित हो जाए और एक बार प्रयास भी किया पर वहां की भागदौड भरी जिंदगी रास नही आई और फिर कुछ हट कर करने पर विचार करने लगे.

तभी उन्हे पता चला कि कार्टूनिस्टो की एक पत्रिका “शंकर विकली” के नाम से निकला करती थी पर वो सन 1975 मे बंद हो गई. उन्होने उस पत्रिका की खोज शुरु की और बहुत खोजने के बाद उन्हे उसकी कुछ प्रतियां मिली. बस, उसी दिन उन्होने मन ही मन यह निश्चय कर लिया कि वो भी एक ऐसी ही पत्रिका निकालेगे और नए, पुराने सभी कार्टूनिस्टों को इसमे स्थान देगे. यह विचार इसलिए भी मन मे आया क्योकि इस कला के क्षेत्र मे कलाकार तो बहुत थे पर कलाकारो को मंच ही नही मिल रहा था इसलिए कलाकार इस क्षेत्र को छोड रहे थे.

उन्होनें अपने मन की बात अपने पिता श्री मृत्युंजय शर्मा जी को बताई. उनके पिता जी ने  ना सिर्फ मबोबल बढाया बल्कि कदम कदम पर सहयोग भी किया और इस उत्साहन वर्धन का परिणाम यह हुआ कि  “कार्टून वाच” का जन्म हुआ.

त्रयंम्बक जी बता रहे थे कि उस दिन जब उन्होने अपने पिता जी के सामने कार्टून वाच की बात की तो उन्होने मुस्कुराते हुए बस  दो ही शब्द कहे  Go Ahead..!!! बस उनका आशीर्वाद मिलने के बाद वो इस क्षेत्र मे जुट गए  और उन्होने बहुत काम किया. अलग अलग राज्यों मे जाकर कार्टूनिस्टो को खोजा उनसे मुलाकात की और अपनी पत्रिका की जानकारी दी. धीरे धीरे इस क्षेत्र से जुडे कलाकार पत्रिका से भी जुडने लगे.  

पहला अंक सन 1996 मे छ्पा और उस समय खुशी और भावनाए ऐसी थी जिन्हे शब्दों में नही पिरोया जा सकता पर उस समय की भावनाओ को वो आज भी वैसे ही महसूस कर सकते हैं. वो बता रहे थे कि उस समय कार्टूनिस्ट “श्री पांडुरंग राव जी” का बहुत सहयोग मिला. कुछ एक नए उभरते कार्टूनिस्ट जैसे “रवि शर्मा” आदि का भी बहुत सहयोग रहा. इसके साथ साथ साथ कार्टूनिस्ट “वाही जी”(जोकि अब इस दुनिया मे नही रहे) का सहयोग भी चिरस्मरणीय रहेगा. उसके बाद से कार्टून वाच आगे बढती रही और नए नए लोग जुडते रहे. सफर आसान नही था पर मुशिकल भी नही था. बस एक जुनून था और सारे प्रयास सार्थक हुए जा रहे थे.

चेहरे पर मुस्कान लिए त्र्यम्बक जी बता रहे थे कि पत्रिका का 16वां साल भी बहुत शानदार रहा. ‘लिम्का बुक आफ रिकार्ड’ ने सम्मानित करके इस पत्रिका को नई पहचान दी. इसके साथ साथ अनेक राज्य और राष्ट्रीय स्तरीय प्रतियोगिताए भी करवाई गई. जिसमे ढेरो पुरुस्कारो से विजेताओ  को सम्मानित किया गया. इसके अतिरिक्त कामिक्स भी प्रकाशित की गई. जिसमे छतीसगढ के हीरो यानि पुरुष रत्न और नारी रत्न के व्यक्तित्व पर कामिक्स प्रकाशित की तथा “राजीम कुम्भ” जोकि वहाँ का बहुत सुप्रसिद्द कुंभ है उस पर भी सचित्र पौराणिक कथा बनाई गई. जिसे बहुत पसंद किया गया. इसके इलावा बाला साहिब ठाकरे जी के मातोश्री मे कार्यक्रम का आयोजन किया गया और वही उन्हे सम्मानित भी किया गया. वो भी एक शानदार अनुभव रहा था. कार्टूनिस्ट बाला साहब ने कार्टून वाच का भरपूर आन्नद लिया था.

बात आगे बढाते हुए मेरे पूछ्ने पर कि कार्टून विवादो मे भी बहुत रहा इस पर उन्होने बहुत सहज रुप मे जवाब दिया कि वैसे तो यह अप्रत्यक्ष रुप से राजनैतिक स्टंट ही था पर इन सारे विवादो से फायदा यह हुआ या सकारात्मक बात यह हुई कि कार्टून सुर्खियो मे आ गया और लोग कार्टूनस पर और ध्यान देने लगे.

अब मैं यह जानना चाह रही थी कि 17वे साल मे क्या योजनाए हैं. इस पर उन्होने पुन: मुस्कुराते हुए बताया कि बहुत कुछ सोचा हुआ है. अनेंक प्रतियोगिताए करवानी है. कार्टून फैस्टिवल का आयोजन करवाना है. इसके साथ साथ एक एनिमेशन फिल्म पर भी विचार किया जा रहा है. बाकि जैसे आदरणीय पाठक बताएगे उनकी पसंद नापसंद को ध्यान मे रखते हुए पत्रिका को सजाया संवारा जाएगा.

मेरे पूछ्ने पर कि पाठको के लिए क्या संदेश है. इस पर उन्होने बताया कि पाठको की तरफ से हमे बहुत प्रेम मिल रहा है बस ऐसा ही मिलता रहे. तनाव भरी जिंदगी मे हम अपने उपर हंसे और और अपने दारा की गई गल्तियो पर भी हंसे.कहने का मतलब यही है कि हास्य को महत्व दें और हमेशा मुस्कुराते रहें.

 

मेरा साक्षात्कार “मृत्युंजय शर्मा जी ”( कार्टून वाच पत्रिका के संस्थापक) के संदेश के बिना अधूरा था. मैने जब उनसे बात की तो वो भी बहुत उत्साहित थे. उन्होने सारा श्रेय अपने बेटे त्र्यम्बक शर्मा को देते हुए कहा कि कि ये उनका जनून ही है कि आज कार्टून वाच सफलता के शानदार 16 साल पूरे कर चुकी है. ना सिर्फ देश मे बल्कि विदेश मे भी कार्टून वाच अपने झंडे गाड चुकी है.लंदन मे भी प्रर्दशिनी लगी थी फिर अमेरिका, चीन, नेपाल से भी बहुत अच्छा रिस्पांस मिला. ईश्वर की असीम कृपा हुई है और वो हमेशा ही ऐसी बनी रहे. उन्होने ढ्रेरो आशीर्वाद और शुभकामनाएं कार्टून वाच को दी!

 कोई शक नही आज कार्टून वाच बेहतरीन मंच है जहां कलाकार कार्टूनो के माध्यम से अपनी प्रतिभा का मंचन करता है. देश भर के जाने माने कार्टूनिस्ट इस पत्रिका से जुडे हुए है.

मेरी तथा सभी पाठको की ओर से कार्टून वाच को एक बार फिर उसके सत्रहवें जन्मदिन पर ढेर सारी शुभकामनाएं और बधाई !!

 Monica Gupta

 

December 16, 2012 By Monica Gupta Leave a Comment

शादी बनाम नेता जी

शादी बनाम नेता जी

कुछ दिन पहले एक शादी मे जाना हुआ. अचानक माहौल मे गहमागहमी बढ गई. पता चला कि नेता जी पधारने वाले हैं. वर पक्ष वाले अपने नाते रिश्तेदारो को छोड कर नेता जी की आवभगत कैसे करेगे उसमे जुट गए.

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वही बारात भी आ गई थी पर वर वधू दोनो नेता जी की इंतजार मे बैठे रहे कि वो आएगे तो वरमाला होगी. पता चला को दस बजे के आते आते नेता जी 11.30 पर पहुचें क्योकि तीन शादिया और भी निबटानी थी. टू टू टू करती कार आई नेता जी उतरे.

शादी बनाम नेता जी

वरमाला के समय(जहां परिवार के लोगो को होना था ) वही नेता जी और उनके बोडी गार्ड ने फोटो करवाई. नेता जी को बडा सा उपहार प्यार स्वरुप दिया गया. कन्या पक्ष ने अपनी तरफ से नेता जी के स्वागत मे कोई कसर नही रखी पर ना जाने वर पक्ष ने नुक्स निकाल ही लिया.

वही दूसरी तरफ बराती व मित्र गण भी इतने इंतजार के बाद भूखे ही लौट गए क्योकि पहला भोग नेता जी ने लगाना था. नेता जी तो दो बादाम खाकर निकल लिए पर उनके साथ 10 गाडियां और उसमे सवार 50-60 अंगरक्षको ने जम कर खाया. खैर, ये तो अपनी अपनी हैसियत या रसूख की बात है पर वहां आए मेहमानो और रिश्तेदारो आदि किसी को दिखावा पसंद नही आया. टू टू टू टू काफिला चलता बना शायद नेता जी एक और शादी मे भी जाना था !!!!  शादी बनाम नेता जी !! ऐसे में आप क्या कहेंगें … !!!

 

 

December 16, 2012 By Monica Gupta Leave a Comment

दीदी की चिठ्ठी

दीदी की चिठ्ठी … मोनिका गुप्ता

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दीदी की चिठ्ठी

“दैनिक नवज्योति”, जयपुर से लगातार तीन साल तक रविवारीय में, “दीदी की चिठ्ठी” प्रकाशित होती रही.”

December 13, 2012 By Monica Gupta Leave a Comment

Teachers n Teaching

 Teachers n Teaching

 कुछ समय पहले एक सहपाठी मिली जो कालिज मे साथ पढती थी. वो बहुत नालायक किस्म की थी ना कभी पाठ याद करना और ना कभी कालिज नियमित आना इसलिए अक्सर टीचर से डांट खाती थी पर प्रैक्टिक्ल मे जब भी बाहर से परीक्षक आते उन्हे किसी की मृत्यु या घर के सदस्य की बीमारी का वास्ता देकर रोंदू सा मुहं बन लेती और बहुत सारे अंक बटोर लेती.

इतना ही नही फाईनल परीक्षा मे भी पता नही कैसे परीक्षक से सैंटिंग कर लेती और आराम से नकल मारती. सच, उसे देख कर बहुत दुख होता और गुस्सा भी आता था. मैं,बस, चुप ही हो जाती और सोचती कि इस लडकी का क्या होगा.

इसको सदबुधि देना भगवान!!! फिर मेरे पापा की बदली कही दूसरी जगह हो गई और हम चले गए.

 कुछ समय पहले जब वो मिली तो पता चला कि बहुत नामी गिरामी कालिज मे 15 साल से वो शिक्षिका है. आप सोच रहे होंगे कि तो क्या हुआ. हो सकता है कि अब समझदार हो गई हो और ढंग से पढाने लगी हो. पर जब मैने उसी के कुछ स्टूडेंट से बात की तो समझ गई कि अभी भी मामला वैसा ही है उन बच्चों ने कही और प्रैक्टिकल की ट्यूशन रखी हुई है और किसी अन्य शिक्षक से उस विषय की पढाई करते हैं. आज फिर ऐसी हालत देख कर हे भगवान निकल रहा है किस के लिए शायद आप भी समझ गए होग़ें ! Teachers n Teaching 🙁

 

Monica Gupta

December 9, 2012 By Monica Gupta Leave a Comment

दीदी की चिट्ठी

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दीदी की चिट्ठी

दैनिक नवज्योति, जयपुर से प्रकाशित दीदी की चिठ्ठी

मोनिका गुप्ता

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