Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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December 25, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

New Year Resolutions – नए साल के संकल्प

New Year Resolutions

New Year Resolutions – नए साल के संकल्प – समय की एक खास बात होती है और वो ये कि टिकता नहीं है टिक टिक करता हुआ चलता ही रहता है.. अब जैसे देखिए साल कैसे देखते ही देखते बीत भी गया… जैसे हम हर रोज कैलेंडर की तारीख बदलते थे अब एक दिन आएगा जब हम कैलेंडर  ही बदल देंगें यानि नए साल का कैलेंडर  दीवार पर हमारी मेज पर सजा होगा.. तो कहने का मतलब यही है कि समय परिवर्तनशील  है बदलता रहता है…कभी खुशी कभी गम,  कभी पाना कभी खोना कुछ खोकर पाने की आशा यही है जीवन की परिभाषा –

New Year Resolutions – नए साल के संकल्प

और हम भी परिवर्तन चाहते हैं सभी चाहते है कि आने वाला साल बहुत अच्छा बीते… और ये हो भी सकता है अगर हम संकल्प ले तो.. और ठान लें… उस पर strict  हो जाएं..

क्या क्या हमारे Resolutions हो सकते हैं?? कुछ संकल्प ऐसे हैं जो हम सभी पर फिट बैठते हैं मैं आपको 5 संकल्प बता रही हूं…

1 खुद का ख्याल रखने का संकल्प… सबसे ज्यादा और सबसे जरुरी है अपनी सेहत का ख्याल रखना.. अगर हमारी हैल्थ अच्छी नहीं होगी तो हम कुछ भी नहीं कर पाएगें… तो अपनी सेहत का ख्याल रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए और अगर इसके इसके लिए रेगयूलर हैल्थ चैकअप करवाते रहना भी अच्छा है  अच्छी डाईट, चलना फिरना , अच्छी नींद लेना, ओर्गेनाईजड रहना अपनी रुटीन सेट करना और उस पर फॉलो करना…

2.  अपने रिश्तों को बेहतर बनाने का संकल्प… इसके लिए सबसे पहले तो माथे से बल निकाल कर रिलेस कीजिए और प्यारी सी स्माईल रखिए.. गुस्से को, चिल्लाने को चिढने को,जलन ईर्ष्या  को कर दीजिए टाटा बाय..और क्वालिटी टाईम दीजिए…  अपने परिवार को समय दीजिए… केयर कीजिए, और जता भी दीजिए.. टाईम सारा दिन मोबाइल या टीवी में वेस्ट नहीं

उंगलिया ही निभा रही है रिश्ते आजकल, जुबां से निभाने का वक़्त कहाँ है सब टच में बिजी है पर टच में कोई नहीं है

3.  अपने ड्रीम्स को, अपने पैशन को कैसे परस्यू करने का संकल्प .. इसमें जुट जाईए… टाईम मैनेज कीजिए… घबराना नहीं है.. challenge डर का सामना करना है.. मजबूती से.. कोई गलती हो गई तो बैठना नहीं चलो कोई नहीं अब इसे नहीं करुंगा ,मुझे सबक मिला है… जज्बा ये होना चाहिए कि

एक ना एक दिन हासिल कर ही लूंगा मंज़िल, ठोकरे ज़हर तो नहीं , जो खा कर मर जाऊंगा

एक और बहुत खूबसूरत बत पढी थी कि एक व्यक्ति जब एवरेस्ट पर नहीं चढ पाया तो बोला कि कोई न मैं दुबारा आऊंगा.. तुम तो एक पहाड़ हो अपनी शक्ति नहीं बढा सकते पर मैं तो बढा सकता हू ना आऊंगा और तुम पर विजय करके दिखलाऊंगा..

  1. खुद पर ध्यान देना है.. self improvement खुद का better version बनना है… अपनी परसनेल्टी, अपनी बॉडी लेग्वेज पर ध्यान देना है.. अपने माईनस पोईट खोजना जिंदगी का सबसे बड़ा प्लस पोईंट है… पॉजिटिव सोच रखनी है.. दूसरे को एप्रीशिएट करना है.. कुछ मैजिक वर्डस का खुल कर यूज करना है जैसे वाह, बहुत खूब  ‘Sorry’, ‘please’ and ‘thank you’ मैं को बाहर निकाल करना है

बस दिलो को जीतना ही ज़िन्दगी का मकसद होना चाहिए

वरना, दुनिया जीतकर भी सिकंदर खाली हाथ ही गए थे

  1. Financial goals set करना… इन सबके साथ साथ बहुत जरुरी है कि income  के सोर्स खोजना और savings करना.. बे हिसाब खर्च पर लगाम लगाना.. जो बहुत जरुरी है उसमे कंजूसी नहीं करना पर सम्भल कर चलना..

तो ये हैं कुछ ऐसे सकंल्प अगर आप पूरे दिल से निभाएगें तो आप खुद में बदलाव पाएगें.. वैसे आपके मन में आ रहा होगा कि हम ले तो लेते हैं पर पूरा नहीं कर पाते तो उसके लिए भी एक वीडियो बनाया हुआ है और इस बारे में भी बनाया है कि नए साल की शुरुआत कैसे करें… दोनो के लिंक नीचे से रही हूं…

जिंदगी एक संधर्ष ही तो है… जंगल में हर रोज सुबह होने पर हिरण ये सोचता है कि मुझे शेर से तेज दौड़ना है नही तो वो मुझे खा जाएगा..

वही हर सुबह शेर ये सोचता है कि मुझे हिरण से तेज दौड़ना है वरना मैं भूखा मर जाऊंगा …

आप शेर हो या हिरण कोई फर्क नही अगर अच्छी जिंदगी जीनी है तो हर रोज संघर्ष करना पडेगा…!!  

कभी खुशी कभी गम,  कभी पाना कभी खोना कुछ खोकर पाने की आशा यही है जीवन की परिभाषा

New Year Resolutions – नए साल के संकल्प

December 24, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

Solah Somvar Vrat Katha – सोलह सोमवार व्रत कथा

somvar vrat katha

Solah Somvar Vrat Katha – सोलह सोमवार व्रत कथा – Solah Somvar Vrat Katha in Hindi हिंदू धर्म में सोलह सोमवार के व्रत का विशेष महत्व है। वैसे तो भगवान शिव की शुभ आशीष पाने के लिए सोलह सेामवार का व्रत हर कोई कर सकता है, परंतु जिनके विवाह में कुछ अड़चन आ रही हो या अगर कोई मनचाहा जीवनसाथी पाना चाहता हो, तो उन्‍हें विशेष तौर पर सोलह सोमवार के व्रत करने की सलाह दी जाती है। माना जाता है, कि पार्वती जी ने भी सोलह सोमवार व्रत करके महादेव शिव को पाया था। आईए सुनते हैं सोलह सोमवार व्रत कथा…

Solah Somvar Vrat Katha – सोलह सोमवार व्रत कथा – Solah Somvar Vrat Katha in Hindi

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार पृथ्वी पर भ्रमण की इच्छा से भगवान शिव और पार्वतीजी अमरावती नगर में पहुँचे। वन-उपवन और सुंदर भवनों को देखकर भगवान शिव को नगर बहुत अच्छा लगा। उन्होंने कुछ दिन उसी नगर में रहने के लिए कहा। माता पार्वती को भी अमरावती नगर बहुत अच्छा लगा..

उस नगर के राजा ने भगवान शिव का एक विशाल मंदिर बनवा रखा था। शिव और पार्वती उस मंदिर में रहने लगे। एक दिन पार्वती ने भगवान शिव से कहा- ‘हे प्राणनाथ! आज मेरी चौसर खेलने की इच्छा हो रही है।’ पार्वती की इच्छा जानकर शिव पार्वती के साथ चौसर खेलने बैठ गए। खेल प्रारंभ होते ही उस मंदिर का पुजारी वहाँ आ गए। पार्वती ने पुजारी से पूछा- ‘पुजारीजी! चौसर के खेल में हम दोनों में से किसकी विजय होगी?’उस समय शिव और पार्वती परिवर्तित रूप में थे। पुजारी जी ने एक पल कुछ सोचा और झट से बोला- ‘चौसर के खेल में त्रिलोकीनाथ की विजय होगी।´ यह कहकर पुजारी पूजा-पाठ में लग गए

कुछ देर बाद चौसर में शिवजी की पराजय हुई और पार्वतीजी जीत गईं।

पार्वतीजी ने ब्राह्मण पुजारी के मिथ्या वचन से रुष्ट होकर उसे कोढ़ी हो जाने का शाप दे दिया और शिव और पार्वती उस मंदिर से कैलाश पर्वत लौट गए। पार्वती जी के शाप से कुछ ही देर में ब्राह्मण पुजारी का सारा शरीर कोढ़ से भर गया। नगर के स्त्री-पुरुष उस पुजारी की परछाई से भी दूर-दूर रहने लगे। कुछ लोगों ने राजा से पुजारी के कोढ़ी हो जाने की शिकायत की तो राजा ने किसी पाप के कारण पुजारी के कोढ़ी हो जाने का विचार कर उसे मंदिर से निकलवा दिया। उसकी जगह दूसरे ब्राह्मण को पुजारी बना दिया। कोढ़ी पुजारी मंदिर के बाहर बैठकर भिक्षा माँगने लगा। कुछ दिन बाद स्वर्गलोक की कुछ अप्सराएँ उस मंदिर में भगवान शिव की पूजा करने आईं। कोढ़ी पुजारी पर उनको बहुत दया आई। उन्होंने पुजारी से उस भयंकर कोढ़ के बारे में पूछा। पुजारी ने उन्हें भगवान शिव और पार्वतीजी के चौसर खेलने और पार्वतीजी के शाप देने की सारी कहानी सुनाई। शाप की कहानी सुनकर अप्सराओं ने पुजारी से कहा कि तुम सोलह सोमवार का विधिवत व्रत करो। तुम्हारे सभी कष्ट, रोग-विकार शीघ्र नष्ट हो जाएँगे।

पुजारी द्वारा पूजन विधि पूछने पर अप्सराओं ने कहा- ‘सोमवार के दिन सूर्योदय से पहले उठकर, स्नान आदि से निवृत्त होकर, स्वच्छ वस्त्र पहनकर,आधा सेर गेहूँ का आटा लेकर उसके तीन अंग बनाना। फिर घी का दीपक जलाकर

गुड़, नैवेद्य, बेलपत्र, चंदन, अक्षत, फूल, जनेऊ का जोड़ा आदि कुछ सामग्री लेकर प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा-अर्चना करना। पूजा के बाद तीन अंगों

में एक अंग भगवान शिव को अर्पण करके शेष दो अंगों को भगवान का प्रसाद मानकर वहाँ उपस्थित स्त्री, पुरुषों और बच्चों को बाँट देना।

इस तरह व्रत करते हुए जब सोलह सोमवार बीत जाएँ तो सत्रहवें सोमवार को एक पाव आटे की बाटी बनाकर, उसमें घी और गुड़ मिलाकर चूरमा बनाना। फिर भगवान शिव को भोग लगाकर वहाँ उपस्थित स्त्री, पुरुष और बच्चों को प्रसाद बाँट देना।

इस तरह सोलह सोमवार व्रत करने और व्रतकथा सुनने से भगवान शिव तुम्हारे कोढ़ को नष्ट करके तुम्हारी सभी मनोकामनाएँ पूरी कर देंगे। इतना कहकर अप्सराएँ स्वर्गलोक को चली गईं।

पुजारी ने अप्सराओं के कथन अनुनुसार विधिवत सोलह सोमवार का व्रत किया फलस्वरूप भगवान शिव की अनुकम्पा से उसका कोढ़ नष्ट हो गया। राजा ने उसे फिर मंदिर का पुजारी बना दिया। मंदिर में भगवान शिव की पूजा करता हुआ ब्राह्मण पुजारी आनंद से जीवन व्यतीत करने लगा।

 

कुछ दिनों बाद पुन: पृथ्वी का भ्रमण करते हुए भगवान शिव और पार्वती उस मंदिर में पधारे। स्वस्थ पुजारी को देखकर पार्वती ने आश्चर्य से उसके रोगमुक्त होने का कारण पूछा तो पुजारी ने उन्हें सोलह सोमवार व्रत करने की सारी कथा सुनाई।

पार्वतीजी भी व्रत की बात सुनकर बहुत प्रसन्न हुईं और उन्होंने पुजारी से इसकी विधि पूछकर स्वयं सोलह सोमवार का व्रत प्रारंभ किया। पार्वतीजी उन दिनों अपने पुत्र कार्तिकेय के नाराज होकर दूर चले जाने से बहुत चिन्तित रहती थीं। वे कार्तिकेय को लौटा लाने के अनेक उपाय कर चुकी थीं, लेकिन कार्तिकेय लौटकर उनके पास नहीं आ रहे थे।

सोलह सोमवार का व्रत करते हुए पार्वती ने भगवान शिव से कार्तिकेय के लौटने की मनोकामना की। व्रत समापन के तीसरे दिन सचमुच कार्तिकेय वापस लौट आए। कार्तिकेय ने अपने हृदय-परिवर्तन के संबंध में पार्वतीजी से पूछा- ‘हे माता ! आपने ऐसा कौन-सा उपाय किया था, जिससे मेरा क्रोध नष्ट हो गया और मैं वापस लौट आया?’ तब पार्वतीजी ने कार्तिकेय को सोलह सोमवार के व्रत की कथा कह सुनाई।

कार्तिकेय अपने एक ब्राह्मण मित्र ब्रह्मदत्त के परदेस चले जाने से बहुत दुखी थे। वह वापस नहीं आ रहा था। उसको वापस लौटाने के लिए कार्तिकेय ने सोलह सोमवार का व्रत करते हुए ब्रह्मदत्त के वापस लौट आने की कामना प्रकट की। व्रत के समापन के कुछ दिनों के बाद मित्र लौट आया

ब्रह्मदत्त ने लौटकर कार्तिकेय से कहा- ‘प्रिय मित्र! तुमने ऐसा कौन-सा उपाय किया था जिससे परदेस में मेरे विचार एकदम परिवर्तित हो गए और मैं तुम्हारा स्मरण करते हुए लौट आया?’ कार्तिकेय ने अपने मित्र को भी सोलह सोमवार के व्रत की कथा-विधि कह सुनाई। ब्राह्मण मित्र व्रत के बारे में सुनकर बहुत खुश हुआ। उसने भी व्रत करना शुरू कर दिया।

सोलह सोमवार व्रत का समापन करने के बाद ब्रह्मदत्त यात्रा पर निकला। कुछदिनों बाद ब्रह्मदत्त एक नगर में पहुँचा। नगर के राजा हर्षवर्धन की बेटी राजकुमारी गुंजन का स्वयंवर हो रहा था।

उस स्वयंवर में अनेक राज्यों के राजकुमार आए थे। स्वयंवर में राजा हर्षवर्धन की हथिनी जिसके गले मेंजयमाला डाल देगी, उसी के साथ राजकुमारी का विवाह होना था। ब्रह्मदत्त भी उत्सुकतावश महल में चला गए। वहाँ कई राज्यों के राजकुमार बैठे थे।

तभी एक सजी-धजी हथिनी सूँड में जयमाला लिए वहाँ आई। उस हथिनी केपीछे राजकुमारी गुंजन दुल्हन की वेशभूषा में चल रही थी। हथिनी ने ब्रह्मदत्त के गले में जयमाला डाल दी फलस्वरूप राजकुमारी का विवाह ब्रह्मदत्त से हो गया….सोलह सोमवार व्रत के प्रभाव से ब्रह्मदत्त का भाग्य बदल गया। ब्रह्मदत्त को राजा ने बहुत-सा धन और स्वर्ण आभूषण देकर विदा किया।

अपने नगर में पहुँचकर ब्रह्मदत्त आनंद से रहने लगा। एक दिन उसकी पत्नी गुंजन ने पूछा- ‘हे प्राणनाथ! आपने कौन-सा शुभकार्य किया था जो उस हथिनी ने राजकुमारों को छोड़कर आपके गले में जयमाला डाल दी।’ ब्रह्मदत्त ने सोलह सोमवार व्रतकी सारी कहानी बता दी। अपने पति से सोलह सोमवार का महत्व जानकर राजकुमारी गुंजन ने पुत्र की इच्छा से सोलह सोमवार का व्रत किया। निश्चित समय पर भगवान शिव की अनुकम्पा से राजकुमारी के एक सुंदर व स्वस्थ पुत्र उत्पन्न हुआ। पुत्र का नामकरण गोपाल के रूप में हुआ। दोनों पति-पत्नी सुंदर पुत्र को पाकर बहुत खुश हुए।

पुत्र ने भी माँ से एक दिन प्रश्न किया कि मैंने तुम्हारे ही घर में जन्म लिया इसका क्या कारण है। माता गुंजन ने पुत्र को सोलह सोमवार व्रत की जानकारी दी और कहा कि भगवान शिव के आशीर्वाद से ही मुझे तुम जैसा गुणी व सुंदर पुत्र मिला है। व्रत का महत्व जानकर गोपाल ने भी व्रत करने का संकल्प किया। गोपाल जब सोलह वर्ष का हुआ तो उसने राज्य पाने की इच्छा से सोलह सोमवार का विधिवत व्रत किया। व्रत समापन के बाद गोपाल घूमने के लिए समीप के नगर में गया।

उस नगर के राजा के महामंत्री राजकुमार के विवाह के लिए सुयोग्य वर की तलाश में निकले थे।

राजा ने गोपाल को देखा तो बहुत प्रसन्न हुए। फिर गोपाल से उसके माता-पिता के संबंध में बातें करके, उसे अपने साथ महल में ले गए।

वृद्ध राजा ने गोपाल को पसंद किया और बहुत धूमधाम से राजकुमारी का विवाह उसके साथ कर दिया। सोलह सोमवार के व्रत करने से गोपाल महल में पहुँचकर आनंद से रहनेलगा।

दो वर्ष बाद राजा का निधन हो गया तो गोपाल को उस नगर का राजा बना दिया गया। इस तरह सोलह सोमवार व्रत करने से गोपाल की राज्य पाने की इच्छापूर्ण हो गई। राजा बनने के बाद भी गोपाल विधिवत सोलह सोमवार का व्रत करता रहा। व्रत के समापन पर सत्रहवें सोमवार को गोपाल ने अपनी पत्नी मंगला से कहा कि व्रत की सारी सामग्री लेकर वह समीप के शिव मंदिर में पहुँचे।

मंगला ने पति की बात की परवाह न करते हुए सेवकों द्वारा पूजा की सामग्री मंदिर में भेज दी। मंगला स्वयं मंदिर नहीं गई। जब गोपाल ने भगवान शिव कीपूजा पूरी की तो आकाशवाणी हुई- ‘हे राजन्! तेरी रानी मंगला ने सोलह सोमवार व्रत का अनादर किया है। सो रानी को महल से निकाल दे, नहीं तो तेरा सब वैभव नष्ट हो जाएगा। तू निर्धन हो जाएगा।

’आकाशवाणी सुनकर गोपाल बुरी तरह चौंक पड़ा। उसने तुरंत महल में पहुँचकर अपने सैनिकों को आदेश दिया कि रानी मंगला को बंदी बनाकर ले जाओ और इसे दूर किसी नगर में छोड़ आओ।´ सैनिकों ने राजा की आज्ञा का पालन तत्काल किया। मंत्रियों ने राजा से प्रार्थना की कि वे रानी को अन्यत्र न भेजें

तब राजा गोपाल ने आकाशवाणी वाली बात बताई तो वे भी भगवान शिव के प्रकोप के भय से चुप होकर रह गए। रानी मंगला भूखी-प्यासी उस नगर में भटकने लगी। मंगला को उस नगर में एक बुढ़िया मिली। वह बुढ़िया सूत कातकर बाजार में बेचने जा रही थी, लेकिन बुढ़िया से सूत उठ नहीं रहा था। बुढ़िया ने मंगला से कहा- ‘बेटी! यदि तुम मेरा सूत उठाकर बाजार तक पहुँचा दो और सूत बेचने में मेरी मदद करो तो मैं तुम्हें धन दूँगी।’

मंगला ने बुढ़िया की बात मान ली। लेकिन जैसे ही मंगला ने सूत की गठरी को हाथ लगाया, तभी जोर की आँधी चली और गठरी खुल जाने से सारा सूत आँधी में उड़ गया। मंगला को मनहूस समझकर बुढ़िया ने उसे दूर चले जाने को कहा।मंगला चलते-चलते नगर में एक तेली के घर पहुँची।

उस तेली ने तरस खाकर मंगला को घर में रहने के लिए कह दिया लेकिन तभी भगवान शिव के प्रकोप से तेली के तेल से भरे मटके एक-एक करके फूटने लगे। तेली ने मंगला को मनहूस जानकर तुरंत घर से निकाल दिया। भूखी-प्यासी रानी वहाँ से आगे की ओर चल पड़ी। रानी ने एक नदी पर जल पीकर अपनी प्यास शांत करनी चाही तो नदी का जल उसके स्पर्श से सूख गया।

अपने भाग्य को कोसती हुई रानी आगे चल दी। चलते-चलते रानी एक जंगल में पहुँची।उस जंगल में एक तालाब था। उसमें निर्मल जल भरा हुआ था। निर्मल जल देखकर रानी की प्यास तेज हो गई। जल पीने के लिए रानी ने तालाब की सीढ़ियाँ उतरकर जैसे ही जल को स्पर्श किया, तभी उस जल में असंख्य कीड़े उत्पन्न हो गए। रानी ने दु:खी होकर उस गंदे जल को पीकर अपनी प्यास शांत की।

 

दोपहर की धूप से परेशान होकर रानी ने एक पेड़ की छाया में बैठकर कुछ देर आराम करना चाहा तो उस पेड़ के पत्ते पल भर में सूखकर बिखर गए। रानी दूसरे पेड़ के नीचे जाकर बैठी तो उस पेड़ के पत्ते भी गिर गए। रानी तीसरे पेड़ के पास पहुँची तो वह पेड़ ही नीचे गिर पड़ा।

पेड़ों के विनाश को देखकर वहाँ पर गायों को चराते ग्वाले बहुत हैरान हुए।ग्वाले मनहूस रानी को पकड़कर समीप के मंदिर में पुजारीजी के पास ले गए।रानी के चेहरे को देखकर ही पुजारी जान गए कि रानी अवश्य किसी बड़े घर की है। भाग्य के कारण दर-दर भटक रही है।

पुजारी ने रानी से कहा- ‘पुत्री! तुम कोई चिंता नहीं करो। मेरे साथ इस मंदिर में रहो। कुछ ही दिनों में सब ठीक हो जाएगा।’ पुजारी की बातों से रानी को बहुत सांत्वना मिली। रानी उस मंदिर में रहने लगी, लेकिन उसके भाग्य में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। रानी भोजन बनाती तो सब्जी जल जाती, आटे में कीड़े पड़ जाते। जल से बदबू आने लगती।

पुजारी भी रानी के दुर्भाग्य से बहुत चिंतित होते हुए बोले-‘हे पुत्री! अवश्य ही तुझसे कोई अनुचित काम हुआ है। जिसके कारण देवता तुझसे नाराज होकर, तुझे इतने कष्ट दे रहे हैं।’ पुजारी की बात सुनकर रानी ने अपने पति के आदेश पर मंदिर में न जाकर, शिव की पूजा नहीं करने की सारी कथा सुनाई।

पुजारी ने कहा- ‘अब तुम कोई चिंता नहीं करो। कल सोमवार है और कल से तुम सोलह सोमवार के व्रत करना शुरू कर दो। भगवान शिव अवश्य तुम्हारे दोषों को क्षमा करके तुम्हारे भाग्य को बदल देंगे।’ पुजारी की बात मानकर रानी ने सोलह सोमवार के व्रत प्रारंभ कर दिए। सोमवार को व्रत करके, विधिवत शिव की

पूजा-अर्चना करके रानी व्रतकथा सुनने लगी।

जब रानी ने सत्रहवें सोमवार को विधिवत व्रत का समापन किया तो उधर उसके पति राजा गोपाल के मन में रानी की याद आई। गोपाल ने तुरंत अपने सैनिकों को रानी मंगला को ढूँढकर लाने के लिए भेजा। रानी को ढूँढते हुए सैनिक मंदिर में पहुँचे और रानी से लौटकर चलने के लिए कहा। पुजारी ने सैनिकों से मना कर दिया और सैनिक निराश होकर लौट गए। उन्होंने लौटकर राजा को सारी बातें बताईं।

राजा गोपाल स्वयं उस मंदिर में पुजारी के पास पहुँचे और रानी को महल से निकाल देने के कारण पुजारीजी से क्षमा माँगी। पुजारी ने राजा से कहा- ‘यह सब भगवान शिव के प्रकोप के कारण हुआ है। इसलिए रानी अब कभी भगवान शिव की पूजा की अवहेलना नहीं करेगी।’ पुजारीजी ने समझाकर रानी मंगला को विदा किया।

राजा गोपाल के साथ रानी मंगला महल में पहुँची। महल में बहुत खुशियाँ मनाई गईं। पूरे नगर को सजाया गया। लोगों ने उस रात दिवाली की तरह घरों में

दीपक जलाकर रोशनी की। ब्राह्मणों ने वेद-मंत्रों से रानी मंगला का स्वागत किया। राजा ने ब्राह्मणों को अन्न, वस्त्र और धन का दान दिया। नगर में निर्धनों को वस्त्र बाँटे गए।

रानी मंगला सोलह सोमवार का व्रत करते हुए महल में आनंदपूर्वक रहने लगी। भगवान शिव की अनुकम्पा से उसके जीवन में सुख ही सुख भर गए। सोलह सोमवार के व्रत करने और कथा सुनने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं और जीवन में किसी तरह की कमी नहीं होती है। स्त्री-पुरुष आनंदपूर्वक जीवन-यापन करते हुए मोक्ष को प्राप्त करते हैं..

 

(तस्वीर गूगल से साभार )

Solah Somvar Vrat Katha – सोलह सोमवार व्रत कथा – Solah Somvar Vrat Katha in Hindi

December 21, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

How to Make Life Interesting – जिंदगी कैसे जियें – How to Make Life More Interesting

How to Make Life Interesting

How to Make Life Interesting – जिंदगी कैसे जियें – How to Make Life More Interesting – Monica Gupta – Life is Boring How to Make it Interesting What to Do to Make Life Interesting

Life को interesting कैसे बनाएं… कई बार लाईफ बहुत डल और बोरिंग हो जाती है… इससे बाहर कैसे निकले इसे interesting कैसे बनाएं.. तो मैं आपको बता रही हूं 9 बातें…

How to Make Life Interesting

1.जो चीज या जो बात आपको बोर कर रही है उससे छुटकारा पा लीजिए.. चाहे वो लोग है काम है या activity है

relax हो जाएं अपने लिए समय निकालिए अपनी सेहत का ख्याल रखिए… जो अच्छा लगता है वो कीजिए

2.ज्यादा से ज्यादा लोगो से मिलिए.. ये भी जिंदगी को interesting बनाने का अच्छा तरीका है.. हर किसी के अपने ideas अपने experience होते हैं.. जहां कही से invitation मिलता है वहां जाईए, कोई प्रोग्राम है वो अटेंड कीजिए..  वो सुनिए और अपने शेयर कीजिए… किसी से मिलेंगे नहीं, अपने में ही रहेंगें तो डल तो ही जाएगी जिंदगी…

3.कोई नई हॉबी अपना लीजिए… किसी नई चीजे कीजिए.. नई activity में इंवोल्व होईए.. आजकल हम ये भी नहीं कह सकते है कि कैसे ? नेट पर सब कुछ है.. मान लीजिए आप कोई म्यूजिक इंस्टूमेंट सीखना चाहते हैं या कोई नई भाषा सीखना चाहते हैं तो नेट है.. घर बैठो बैठो सैकडों चीजे सीखी जा सकती है…

कोई ऑनलाईन कोर्स भी ज्वाईन कर सकते हैं..

या कोई एनजीओ भी ज्वाईन कर सकते हैं जो आपके interest की हो.. ACT OF kINDNESS mood को change करता है और feel good होता life interesting लगने लगती है…

4.कुछ चीजे ऐसी होती हैं लाईफ में जो आपको किसी टाईम पसंद नहीं थी.. ना पसंद करते थे.. जो कभी आपको पसंद नहीं थी पर हो सकता है आज आप करो तो आपको अच्छी लगे तो आप उसे भी try कीजिए.. जैसे पहले आपको cooking पसंद नहीं थी.. पर अब हो सकता है आपको अच्छा लगे.. बोतियत से हट कर interesting बनाना है तो नई चीजे try कीजिए

5.रुटीब change कर लीजिए… हट कर करिए.. जब हम बात करते हैं कि कुछ डल सी हो गई है जिंदगी तो कुछ ऐसा करना चाहिए कि थोडा सा spicy हो जाए.. कुछ हट कर करो.. Computer, mobile से दूर हो जाईए. रुटीन को बिल्कुल हट कर बना लीजिए.. पार्टी organise event कर ली, लोकल प्रोग्राम होते हैं वहां चले गए..

Trip Plan कीजिए.. Travel कीजिए.. मान लीजिए छुट्टियाँ हैं तो बाहर का प्लान बनाईए कोई हिल स्टेशन या सी बीच पर या जहां आपका मन करे.. उससे क्या होगा कि नए लोगो से Interact करेंगें   नई तरह का खान पान होगा, पहनावा होगा भाषा होगी तो बहुत मजेदार लगेगा..

6. Independent  बनिए और जो आपका दिल कह रहा है मौके पर डिसीजन लीजिए… spontaneous बनिए.. हम सभी का एक फिक्स schedule होता है और हम उस पर stick भी रहते हैं पत्थर की लकीर बना लेते हैं यानि rigid हो जाते हैं… schedule पर stick रहने से हम बहुत सारी opportunities  मिस कर जाते हैं तो flexibility  रखनी चाहिए… और कुछ मौका मिले तो उसे grab कर ले लेना चाहिए.. independent decision लीजिए…

7. डर का सामना कीजिए चैलेंज दीजिए खुद को .. उन opportunities को grab कीजिए जो चैलेंजिंग है हम safe activity में ही रहना पसंद करते हैं जबकि हमें बहाने बनाने छोड कर डर का सामना कीजिए.. फिर आपको खुद ही life interesting  लगने लगेगी… जो चीज आपको चैलेंज करती है वही चीज आपको change करती है..

जो चीज अभी तक नहीं की.. खुद को लिमिट मत कीजिए.. अपने दायरे से बाहर आईए.. जैसे एक लड़की है उसे कार चलाने का मन है तो वो सीखे.. कई बार हमें कुछ करने से डर भी लगता है कि नहीं ये कैसे होगा.. वीडियो बनाने का ही उदाहरण लीजिए कि नहीं मन तो बहुत है पर कैसे बना पाऊंगा तो बनाईए.. अपने डर का सामना कीजिए..

8.हमे लाईफ को लॉक नहीं करना.. कि बस यही है जिंदगी में सैटल नहीं होना हमेशा ग्रो करते रहना है क्रिएटिव रहना चाहिए… कभी Settle मत हो.. इसका मतलब ये हैं कि  जैसे बस एक सरकारी नौकरी मिल गई वही समय वही काम हम तो Settle हो गए पर नए नए अनुभव लेते रहने चाहिए, नई नई चीजे सीखते रहनी चाहिए..

अकसर हम कहते है कि अपना एक गोल एक लक्ष्य बना लेना चाहिए और उसे फॉलो करना चाहिए पर कई बार बदलते समय के साथ  उसकी वेल्यू खत्म हो गई तो हमें उसे छोड़ देना चाहिए..

9. हम हमेशा अपने दुख और परेशानियों से ही धिरे रहते हैं नेगेटिवी में रहते हैं.. तो हमें उससे बाहर निकल कर दूसरों की परेशानियों को दूर करने की कोशिश करनी है.. इससे अच्छा महसूस होगा हमारे रिश्ते मजबूत होंगें और लाईफ इंटरस्टिंग लगने लगेगी… तो हमें खुद की परेशनियों से  बाहर निकल कर दूसरों की मदद करनी चाहिए.. हमें खुशी भी मिलेगी..  जोकि हमे बहुत अच्छा लगेगा..

अपने अंदर बचपना हमेशा जिंदा रखिए……बेशक बचपन नहीं रहा अब बडे हो गए पर बचपनें को हमेशा जिंदा रखना चाहिए..  जो आपके अंदर एक छोटा सा बच्चा है उसे जिंदा रखिए..

जिंदगी चाहे एक दिन की हो या चार दिन की

उसे ऐसे जीयो जैसे जिंदगी तुम्हें नहीं जिंदगी को तुम मिले हो…

 ज़िंदगी चाहे एक दिन की हो या चाहे चार दिन की ! उसे ऐसे जियो जैसे कि ज़िंदगी तुम्हें नहीं मिली, ज़िंदगी को तुम मिले हो !!

How to Make Life Interesting – जिंदगी कैसे जियें – How to Make Life More Interesting – Monica Gupta

December 18, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

How to Remember What You Studied – पढ़ा हुआ याद कैसे रखे – Tips for Teenagers – Monica Gupta

How to Remember What You Studied

How to Remember What You Studied – पढ़ा हुआ याद कैसे रखे – Tips for Teenagers – Monica Gupta – Pada Hua Yaad Kaise Rakhe – Bacho Ko Padhne Ka Tarika – Yaad Karne Ke Tips –  बहुत बार students कहते मिल जाते हैं कि हमें याद नहीं होता या parents कहते हैं बच्चे को याद नहीं रहता.. क्या करें ?? कैसे याद रखें वो पढ़ा हुआ.. तो मैं उसके लिए मैं एक एक करके 9 बातें बता रही हूं जोकि लर्निंग में helpful हो सकती हैं..

How to Remember What You Studied

Good Habits कुछ अच्छी आदतें डालनी है.. जैसा कि खुद को समय देना है.. अपना ख्याल रखना है खाना पीना, नींद, कसरत, कपडे..

अच्छी नींद लेनी है, हलका खाना खाना है.. मान लीजिए एक बच्चा खूब सारा खाना खा लेता है फिर उसे पढाई ही नहीं हो पाएगी.. लर्न करना तो दूर की बात है या बहुत पढ़ना है उस चक्कर में सो नहीं रहे और जब पढ रहे हैं तो नींद आ रही है..

और पढ़ते समय कपडे भी एकदम आरामदायक हो.. बहुत ज्यादा टाईट होंगें तो भी दिक्कत होगी…

तो हलका खाना, अच्छा सोना और कसरत बहुत जरुरी है… चलना फिरना टहलना बहुत जरुरी है…

फिर बात आती है कि जो आपकी पढने की जगह है वो साफ हो.. शांत हो..कहीं टीवी चल रहा है या कोई झगड़ा कर रहा है आवाज़े आए जा रही है तो मन एकाग्र नहीं होगा..

कुर्सी मेज़ हो… उस पर पढे कई बार हम पलंग पर बैठ कर पढ़ते हैं तो सुस्ती आ जाती है या टीवी चल रहा हो तो ध्यान वही चला जाता है… यानि कोई चीज ऐसी न हो जिससे ध्यान बढे.. distractions नहीं होनी चाहिए.. जैसे मान लीजिए आपका मोबाइल ही रखा है… तो उसे दूसरे कमरे में रख दीजिए कि जब तक मैं इसे लर्न नहीं कर लेता मैंने चैक ही नहीं करना.. या आपने खाना ही नहीं खाया तो पढने में मन नहीं लग रहा खाने की ओर ध्यान है… कि आज क्या बनेगा.. !

मन में stress भी नहीं रखना.. बहुत बार हम खुद ही सोच लेते हैं कि अरे नहीं.. हमसे तो ये लर्न ही नहीं हो पाएगा.. bad memory है मेरी तो…मुझे तो याद ही नहीं होता तो ये नेगेटिव बात दिमाग से निकाल दीजिए.. आपसे बिल्कुल होगा.. मन में विश्वास रखिए… मैं कर सकता हूं…

एक समय में एक ही सबजेक्ट पढें.. होता क्या है कि पढ तो इंगलिश रहे हैं और दिमाग में साईंस घूम रहा है.. पढ तो मैथ्स रहे हैं पर दिमाग में हिस्ट्री धूम रहा है.. इसके लिए बेस्ट यही है कि खुद को Organize कर लीजिए कैसे कि टाईम टेबल बना लीजिए.. इतनी देर इस सबजेक्ट को देनी है और मन लगा कर पढ़ना है..

मान लीजिए मैं अपना ही उदाहरण देती हूं कि मैं कल का टॉपिक तैयार कर रही हूं और ध्यान जा रहा है आज खाना क्या बनाना है .. ध्यान जा रहा है कि अभी बाई नहीं आई कब आएगी कब काम होगा.. तो या तो मुझे उसे छोड कर एक बार काम निबटा लेना चाहिए फिर आराम से बैठ कर काम करना चाहिए..

और बीच बीच में गेप भी देना है यानि एक सब्जेक्ट का काम पूरा हुआ तो थोडा सा मन रिलेक्स किया.. थोडा चल लिए..

मान लीजिए आपको एक ऐसे निबंध लर्न करना है तो उसे तीन चार पैराज में बांट दीजिए…  जैसे पहले भूमिका फिर वो जिस बारे में है उसे बताना और फिर उसे पोईट वाईज बना लेना.. ब्रेक करके बनाएगें short intervals तो बहुत अच्छे से लर्न होगा..

कई बार म्यूजिक भी हैल्पफुल हो सकता है जैसा कि मान लीजिए आप जो निबंध लर्न कर रहे हैं उसमे तीन चार क्यूटेशंस है… उसे आप किसी गाने की धुन से जोड दीजिए.. एक तो है हम सपाट याद कर रहे हैं और एक है गुनगुना कर तो वो जल्दी याद होगा..

लिखते वक्त हम अलग अलग Color से भी लिख सकते हैं या जो बहुत जरुरी पोईंट है उसे Highlight भी कर सकते हैं ताकि किताब खोलते ही वो नजर आ जाए..

तो इसमें लिखना, बोलना और सुनना बहुत हैल्पफुल रहता है..

कई बार लिखा हुआ हमें समझ नहीं आता तो उसे प्रैक्टकली करके के या उस जगह को देख कर हम बहुत अच्छी तरह समझ सकते हैं और जब समझ आ गई तो खुद ब खुद दिमाग में बैठ जाएगी.. जैसे मान लीजिए किसी वीडियो में उस बारे में विस्तार से दिखाया गया है हम किसी म्यूजियम में जाकर समझ सकते हैं… और ये सब एक दिन में नहीं होता जब हम बात करते हैं इस बारे में तो हमे रेगयूलर होना चाहिए.. भले ही आप एक घंटा पढे पर नियमित पढें.

हमें ना थोडा सा Be creative  बनना होगा.. कैसे कि हमें स्कूल या कॉलिज नियमित जाना होगा और क्लास बंक नहीं करनी होगी.. कई बार हम जाते है नहीं लेक्चर सुनते हैं नहीं समझ आता नहीं फिर भागते है नोटस लेने के लिए समझ तो आते नहीं और फिर हम लगाते हैं रट्टा.. तो क्लास जरुर जाईए और जो चीज समझ न आए उसे पूछ लीजिए.. समझिए और खुद नोटस बनाईए.. खुद रिसर्च कीजिए.. खुद नए नए पोईंटस खोजिए और खुद बनाईए.. बजाय दूसरे से नोटस लेने के कॉपी करने के… समझ कर अपनी भाषा में लिखिए… जिसे आप समझ सकते हैं.. हर किसी का अपना अलग तरीका होता है तो आपको जो शब्द आराम से समझ आते हैं उसका ही यूज कीजिए.. फिर देखिए कितना अच्छा लर्न होगा..

लर्न करने का एक तरीका ये भी है कि खुद का टेस्ट लेते रहिए.. या फिर तीन चार बच्चों का ग्रुप है उसमे एक दूसरे से सुनिए या एक दूसरे को टेस्ट दीजिए..

Teaching  कई बार जब हम किसी को समझाते हैं तो भी हमें खुद लर्न हो जाता है जैसा कि मान लीजिए आपका एक दोस्त है उसका लेकचर मिस हो गया आपने वो क्लास अटेंड की है तो आप बोलिए कि मैं समझा दूंगा और उसे वाईट बोर्ड पर एक टीचर की तरह समझाईए तो भी आपको अच्छे से लर्न हो जाएगा..

जब भी रिलेक्स करने का मौका मिले तो brain exercises कीजिए जैसे गेम्स खेलिए, fun puzzle crosswords, Sudokuया दूसरी games.. इससे ब्रेन और ज्यादा एक्टिव होता है..

Practice makes a man perfect… अभ्यास लगातार कीजिए.. बार बार लिखिए, जोर जोर से पढिए.. मन ही मन उसे लर्न करते रहिए..

मन लगा कर पढिए..  उसमे interest ले कर पढिए..

अपने आप पर विश्वास ही कामयाब होने है

जो अपने कदमों की काबिलियत पर विश्वास रखते हैं वही जीतते है.. कछुआ अपनी एक निष्ठा से जीता था…

सीढ़ियां उनके लिए बनी है जिन्होंने छत पर जाना है लेकिन जिनकी नज़र आसमान पर है उन्हें तो रास्ता खुद ही बनाना है …

How to Remember What You Studied – पढ़ा हुआ याद कैसे रखे – बहुत बार students कहते मिल जाते हैं कि हमें याद नहीं होता.. या parents कहते हैं बच्चे को याद नहीं रहता.. क्या करें ?? कैसे याद रखें वो पढ़ा हुआ.. तो मैं उसके लिए मैं एक एक करके कुछ बातें बता रही हूं – आपको पता है कछुआ और खरगोश  कहानी में कछुआ  कैसे जीता था ??  लक्ष्य के प्रति उसकी एकनिष्ठा  ही थी कि वो जीता था. और वैसे … सीढ़ियां उनके लिए बनी है जिन्होंने छत पर जाना है लेकिन जिनकी नज़र आसमान पर है उन्हें तो रास्ता खुद ही बनाना है …

December 17, 2018 By Monica Gupta 1 Comment

सोमवार व्रत कथा – Somvar Vrat Katha – सावन सोमवार व्रत कथा – Monday Fast Story – Monica Gupta

somvar vrat katha

सोमवार व्रत कथा – Somvar Vrat Katha – सावन सोमवार व्रत कथा – Monday Fast Story – Monica Gupta – Om Namah Shivay. सोमवार व्रत कथा – पौराणिक ग्रंथों के अनुसार सोमवार व्रत का, हिन्दू धर्म में बहुत बड़ा महत्व है ये व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है | माना  जाता है कि सोमवार का व्रत करने वाले भक्तों के जीवन से हर कष्ट समाप्त हो जाते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। सोमवार के व्रत तीन तरह के होते हैं- सामान्य सोमवार, प्रदोष सोमवार और सोलह सोमवार। तीनों ही प्रकार के व्रत अत्यंत फलदायी हैं।इस व्रत को कोई भी कर सकता है अविवाहित कन्या सुंदर वर के लिए इस व्रत को करती है विवाहित औरते अपने लम्बे और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए इस व्रत को करती है | पुरुष इस व्रत को इसलिए करते है ताकि सुखी और शांतिपूर्ण जीवन बिता सके |

सोमवार व्रत कथा – Somvar Vrat Katha –

                                                                                                                                                         तस्वीर गूगल से साभार…

 

सोमवार व्रत कहा कुछ इस प्रकार है…

एक समय की बात है, किसी नगर में एक साहूकार रहता था. उसके घर में धन की कोई कमी नहीं थी लेकिन उसकी कोई संतान नहीं थी इस कारण वह बहुत दुखी था. पुत्र प्राप्ति के लिए वह प्रत्येक सोमवार व्रत रखता और पूरी श्रद्धा के साथ शिव मंदिर जाकर भगवान शिव और पार्वती जी की पूजा करता था.

उसकी भक्ति देखकर एक दिन मां पार्वती प्रसन्न हो गईं और भगवान शिव से उस साहूकार की मनोकामना पूर्ण करने का आग्रह किया. पार्वती जी की इच्छा सुनकर भगवान शिव ने कहा कि ‘हे पार्वती, इस संसार में हर प्राणी को उसके कर्मों का फल मिलता है और जिसके भाग्य में जो हो उसे भोगना ही पड़ता है.’ लेकिन पार्वती जी ने साहूकार की भक्ति का मान रखने के लिए उसकी मनोकामना पूर्ण करने की इच्छा जताई.

माता पार्वती के आग्रह पर शिवजी ने साहूकार को पुत्र-प्राप्ति का वरदान तो दिया लेकिन साथ ही यह भी कहा कि उसके बालक की आयु केवल बारह वर्ष होगी.

माता पार्वती और भगवान शिव की बातचीत को साहूकार सुन रहा था. उसे ना तो इस बात की खुशी थी और ना ही दुख. वह पहले की भांति शिवजी की पूजा करता रहा.

कुछ समय के बाद साहूकार के घर एक पुत्र का जन्म हुआ. जब वह बालक ग्यारह वर्ष का हुआ तो साहूकार ने अपने पुत्र के मामा को बुलाकर उसे बहुत सारा धन दिया और कहा कि तुम इस बालक को काशी विद्या प्राप्ति के लिए ले जाओ और मार्ग में यज्ञ कराना. जहां भी यज्ञ कराओ वहां ब्राह्मणों को भोजन कराते और दक्षिणा देते हुए जाना.

दोनों मामा-भांजे इसी तरह यज्ञ कराते और ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देते काशी की ओर चल पड़े. रात में एक नगर पड़ा जहां नगर के राजा की कन्या का विवाह था. लेकिन जिस राजकुमार से उसका विवाह होने वाला था वह एक आंख से काना था. राजकुमार के पिता ने अपने पुत्र के काना होने की बात को छुपाने के लिए एक चाल सोची.

साहूकार के पुत्र को देखकर उसके मन में एक विचार आया. उसने सोचा क्यों न इस लड़के को दूल्हा बनाकर राजकुमारी से विवाह करा दूं. विवाह के बाद इसको धन देकर विदा कर दूंगा और राजकुमारी को अपने नगर ले जाऊंगा. लड़के को दूल्हे के वस्त्र पहनाकर राजकुमारी से विवाह कर दिया गया. लेकिन साहूकार का पुत्र ईमानदार था. उसे यह बात न्यायसंगत नहीं लगी.

उसने अवसर पाकर राजकुमारी की चुन्नी के पल्ले पर लिखा कि ‘तुम्हारा विवाह तो मेरे साथ हुआ है लेकिन जिस राजकुमार के संग तुम्हें भेजा जाएगा वह एक आंख से काना है. मैं तो काशी पढ़ने जा रहा हूं.’

जब राजकुमारी ने चुन्नी पर लिखी बातें पढ़ी तो उसने अपने माता-पिता को यह बात बताई. राजा ने अपनी पुत्री को विदा नहीं किया जिससे बारात वापस चली गई. दूसरी ओर साहूकार का लड़का और उसका मामा काशी पहुंचे और वहां जाकर उन्होंने यज्ञ किया. जिस दिन लड़के की आयु 12 साल की हुई उसी दिन यज्ञ रखा गया. लड़के ने अपने मामा से कहा कि मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं है. मामा ने कहा कि तुम अंदर जाकर सो जाओ.

 

शिवजी के वरदान अनुसार कुछ ही देर में उस बालक के प्राण निकल गए. मृत भांजे को देख उसके मामा ने विलाप शुरू किया. संयोगवश उसी समय शिवजी और माता पार्वती उधर से जा रहे थे. पार्वती ने भगवान से कहा- स्वामी, मुझे इसके रोने के स्वर सहन नहीं हो रहा. आप इस व्यक्ति के कष्ट को अवश्य दूर करें.

जब शिवजी मृत बालक के समीप गए तो वह बोले कि यह उसी साहूकार का पुत्र है, जिसे मैंने 12 वर्ष की आयु का वरदान दिया. अब इसकी आयु पूरी हो चुकी है. लेकिन मातृ भाव से विभोर माता पार्वती ने कहा कि हे महादेव, आप इस बालक को और आयु देने की कृपा करें अन्यथा इसके वियोग में इसके माता-पिता भी तड़प-तड़प कर मर जाएंगे.

माता पार्वती के आग्रह पर भगवान शिव ने उस लड़के को जीवित होने का वरदान दिया. शिवजी की कृपा से वह लड़का जीवित हो गया. शिक्षा समाप्त करके लड़का मामा के साथ अपने नगर की ओर चल दिया. दोनों चलते हुए उसी नगर में पहुंचे, जहां उसका विवाह हुआ था. उस नगर में भी उन्होंने यज्ञ का आयोजन किया. उस लड़के के ससुर ने उसे पहचान लिया और महल में ले जाकर उसकी खातिरदारी की और अपनी पुत्री को विदा किया.

इधर साहूकार और उसकी पत्नी भूखे-प्यासे रहकर बेटे की प्रतीक्षा कर रहे थे. उन्होंने प्रण कर रखा था कि यदि उन्हें अपने बेटे की मृत्यु का समाचार मिला तो वह भी प्राण त्याग देंगे परंतु अपने बेटे के जीवित होने का समाचार पाकर वह बेहद प्रसन्न हुए.

उसी रात भगवान शिव ने व्यापारी के स्वप्न में आकर कहा कि मैंने तेरे सोमवार के व्रत करने और व्रतकथा सुनने से प्रसन्न होकर तेरे पुत्र को लम्बी आयु प्रदान की है.

इसी प्रकार जो कोई सोमवार व्रत करता है या कथा सुनता और पढ़ता है उसके सभी दुख दूर होते हैं और समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. शिव भोले हैं और भक्त प्रेमी भी। पूरी श्रद्धा से की गई सामान्य पूजा भी वह अंतर्मन से स्वीकार करते हैं।

व्रत की विधि सोमवार का व्रत सामान्यतः दिन के तीसरे प्रहर तक होता है। इस दिन शिव पार्वती की पूजा-ध्यान में ही मन एकाग्र करना चाहिए।

फलाहार का कोई नियम नहीं है, पर भोजन केवल एक बार ग्रहण करना चाहिए। इस दिन सुबह से स्नान कर, साफ वस्त्र पहनकर शिव जी और मां पार्वती का ध्यान-पूजन करना चाहिए। पूजा के पश्चात कथा अवश्य सुनना चाहिए।

सोमवार व्रत कथा – Somvar Vrat Katha – सावन सोमवार व्रत कथा – Monday Fast Story – Monica Gupta

तस्वीर गूगल से साभार…

December 15, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

How to Deal with Disappointment – निराशा कैसे दूर करें – Dealing with Disappointment

How to Deal with Disappointment

How to Deal with Disappointment – निराशा कैसे दूर करें – Dealing with Disappointment – क्या करें जब आप disappointed हों – बहुत बार ऐसे पल आते हैं जब हम बहुत ज्यादा उदास , हताश और निराश हो जाते हैं… तो ऐसे में हमें इसी में घिरे रहना चाहिए या बाहर निकलना चाहिए.. यकीनन चाहते तो हम सभी यही हैं कि इससे बाहर निकले पर कैसे ? कैसे डील करें ?? इस बारे में मैं आपसे 5 बातें शेयर कर रही हूं और इस विश्वास के साथ कर रही हूं कि आप पूरी कोशिश करेंगे इससे बाहर निकलने की…

How to Deal with Disappointment

 

1.Face कीजिए disappointment  – सबसे पहले तो इसे face कीजिए… जब हम इसका सामना करेंगे तो हम इससे deal कर रहे हैं जबकि उदास रह कर हम अपने साथ साथ अपने परिवार को भी दुखी कर रहे हैं… चलिए मान लेते हैं कि एक महिला से disappointed है कि जो वो चाह रही थी उसे achieve नहीं कर पाई उसे डिग्री नहीं मिली… या बच्चे के behaviour से disappointed हैं

जब हम इसे acknowledge करते हैं मान लेते हैं तो इसका मतलब ये नहीं कि आप बुरे इंसान हैं ये आपके ही मन में है… तो इसका सामना करना face करना ज्यादा जरुरी है…

जब हम बात करते हैं कि face करो इसका मतलब ये भी होता है कि अपनी feelings express करना… जैसे मान लीजिए कि आप बहुत निराश हैं और आपको रोना आ रहा है तो रो दीजिए… इसका मतलब ये भी नहीं कि सभी के आगे रोना है… भावनाओं  को बाहर निकालना अच्छा है ना कि उसे दबा कर रखना…

पर ये भी नहीं होना चाहिए कि एक दम से गुस्से में आप कुछ भी बोलना या चिल्लाना शुरु कर दो… कि इमोशनल बाहर निकालने हैं… जैसे कि एक व्यक्ति को प्रमोशन नहीं मिली और उसे गुस्सा आ गया और उसने बिना सोचे समझे बॉस को ईमेल कर दिया और बहुत कुछ गलत भी लिखा तो उसका नतीजा ये हुआ कि उसे नौकरी से ही हाथ धोना पडा..

2.Change what you can

Disappointment ठीक उसी प्रकार है जैसे बर्तन में उबलता पानी… अगर हम बर्तन में ऐसे ही पानी को उबलने देंगें तो क्या होगा… धीरे धीरे सारा पानी उबल जाएगा और बर्तन भी जल जाएगा… बस यही काम निराशा भी करती है… निराशा उस खौलते पानी की तरह है अगर हमने उसे नहीं सम्भाला नहीं रोका तो शरीर को damage  कर देगा… और न सिर्फ हमारे बल्कि पूरे परिवार के लिए unhealthy होगा…

तो क्या कर सकते हैं हम या तो गैस बंद कर सकते हैं या उस बर्तन को नीचे उतार सकते हैं… तो हमें यही करना है जो चीजे हमें प्रोवोक trigger कर रही हैं हमें उसे बदलना है… ये बदलाव न सिर्फ आपको affect करेगी बल्कि आपके परिवार को भी affect करेगी…  

तो अब हम क्या कर सकते हैं कि.. एक महिला जो disappointed है कि जो वो चाह रही थी उसे achieve नहीं कर पाई उसे डिग्री नहीं मिली…तो दुबारा करें पढाई.. दुबारा कोई ऑनलाईन कोर्स ज्वाईन कर ले… बच्चे के behaviour से disappointed हैं तो उस फील्ड में काम करें कि कैसे सही हो सकता है…

3. Accept कीजिए और आगे बढिए move ऑन – मैं ही अकेला नहीं हूं ऐसा बहुतों के साथ होता है…

उसे मन ही मन स्वीकार कीजिए… इससे भी आपका मन हलका होगा… अब इसमे क्या क्या कर सकते हैं…

Take a break.. जैसे मान लीजिए आपको नौकरी से निकाल दिया है तो कुछ दिन ब्रेक लीजिए.. खुद को शांत कीजिए… और फिर खुद को तैयार कीजिए… मैं आपको एक और उदाहरण देती हूं कि ब्रेक लेना किस लिए जरुरी है… जैसे मान लीजिए मैं कुछ दिनों से वीडियो अपलोड कर रही हूं पर उसके कुछ भी वियूज नहीं है और मैं बहुत परेशान हू… तो मुझे दो तीन दिन का ब्रेक लेकर दिमाग को शांत करके ये सोचना चाहिए कि क्या करुं कि ज्यादा से ज्यादा वियूज आए… नहीं तो मैं वीडियोज डालती रहूंगी दिमाग में टेंशन वैसे ही रहेगी तो कोई फायदा नहीं होगा…

रिलेक्स करने के परिवार के साथ समय बिता सकते हैं

तो नए नए  plan बना सकते हैं

किसी से advice भी ले सकते हैं… कोई समझदार व्यक्ति चाहे वो घर का हो कोई दोस्त हो या उसी क्षेत्र में कोई अनुभवी हो…

या मोटिवेशनल किताबें या वीडियोज देख सकते हैं ताकि प्रेरणा मिले…

कुल मिलाकर पॉजिटिव रहना है…

4. खुद को desire के साथ Attach कीजिए ना कि goal के साथ…

जैसा कि मैं बताती हूं कि एक कम्पनी है आपका गोल है कि उसे ज्वाईन करना क्योंकि वो बहुत बढिया है और बहुत benefits है उसमे… पर किसी वजह से आपको वो जॉब नहीं मिलती… तो आप ये सोचिए कि वो कम्पनी आपको किस लिए पसंद थी… इसलिए कि उसका बहुत नाम था.. तो और भी बहुत कम्पनिस हैं जिनका नाम है.. आप वहां कोशिश कीजिए… या फिर आपको वो कम्पनी इस लिए अच्छी लगी थी कि वहां का काम बहुत चैलेंजिंग है… आपका मन है कि ऐसी कम्पनी में का करें तो ऐसी भी बहुत मिल जाएगी… या तो आप निराश हो कर बैठ जाएगें और खुद को कोसना शुरु कर देंगें या फिर आप किसी दूसरी कम्पनी ज्वाईन करेंगे जोकि उतनी अच्छी तो नहीं पर काम वैसा ही चैलेंजिंग है… जिसमे आप बहुत कुछ करके दिखा सकते है..

या फिर मान लीजिए कोई है जिसे आप बहुत पसंद करते हैं पर वो आप पर उतना ध्यान नहीं दे रहा तो आप उदास और निराश हो जाएगें कि वो मेरी तरफ जरा भी ध्यान नहीं दे रहा… तो बजाय उसी के पीछे पडे रहने के… आप और देखिए.. वैसे और भी बहुत अच्छे लोग मिल जाएगें.. अच्छा दोस्त चाहिए आपको तो और देखिए… जरुर मिल जाएगें…

 

5. उम्मीद रखिए… Focus इस बात पर रखिए कि आप क्या best टू बेस्ट कर सकते हैं… हर चीज हमेशा परफेक्ट हो ये नहीं होता… कई बार चीजे ठीक होती है तो कई बार चीजे गलत भी होती हैं… पर हम क्या करते हैं जो चीज सही है उस पर ध्यान नहीं देते और जो चीज थोडी भी गलत हो गई उस पर पूरा ध्यान लगा देते हैं… इससे हम नेगेटिव होते जाते हैं और निराशा हमें घेर लेती है…

ये समय भी बीत जाएगा… Moving Forward – जो हुआ उससे सबक लेकर आगे बढना सीखना चाहिए… Know your worth. आप कितने valuable हैं इस बात को कभी नहीं भूलना… आप सबसे अलग है सबसे यूनीक हैं… अपनी अच्छी बातें सोचिए… अगर आप ही अपने बारे में नेगेटिव सोचेगें और बोलेगें तो दूसरे तो जरुर ही बोलेंगे  तो किस लिए मौका देना है उन्हें?

दिक्कत या परेशानी सभी पर आती हैं.. कोई बिखर जाता है तो कोई निखर जाता है…

अपने नज़रिए को इतना बेहतर बनाना चाहिए कि नजर हमेशा आधे भरे गिलास पर ही जाए…..

 How to Deal with Disappointment

December 10, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

Things You should Never Say to Your Child – Never Do This to Your Child -Parenting Tips for Teenagers

I am Proud to be an Indian

Things You should Never Say to Your Child – Never Do This to Your Child – Parenting Tips for Teenagers – How to Make My Kids Listen to Me – आमतौर पर human psychology होती है कि हम जब किसी को बोलते है कि ऐसा करना चाहिए तो उनमे resistance होती और उस बात को पसंद नहीं करते कि उन्हें समझाया जाए… और ये चीज सबसे ज्यादा teenagers में होती है…  उन्हे ज़रा भी पसंद नहीं आता कि उन्हे कहा जाए कि ऐसा करो वैसा करो ये नहीं करो वो करो…

ढूंढोगें….. तो ही रास्ते मिलेगें…..

मंजिल की फितरत है वो चल कर नही आती.. कोशिश कीजिए और अच्छे parents बनिए..

Things You should Never Say to Your Child

 

तो ऐसी क्या बाते होती हैं जो Teenagers को पसंद नहीं आती और वो अपने parents से चिढने लगते हैं, hate करने लगते हैं..  उनकी बात काटने लगते हैं…

इस बारे मे मैं आपको 7 बाते बता रही हूं…जो रोजमर्रा इस्तेमाल करते हैं जोकि नहीं करनी चाहिए..

1.सबसे पहला है bossy पना दिखाना.. जैसे बॉस dictate करते हैं ऐसे नहीं करना क्योंकि आप बॉस नहीं हो उनके और ना ही वो आपके subordinate.. ये नहीं करना, एक अकंल की शादी में तुम्हें भी चलना ही चलना है… चलो तैयार हो जाओ.. दो मिनट के अंदर फोन रख कर खाने के लिए आ जाओ.. music  धीरे चलाओ, shut up, बहुत बत्तमीजी से बात करने लगे हो तुम, जुबान देखो कैंची की तरह चलती है… कहना नहीं माना तो धमकी देंगें कि ये कर देंगें, TV बंद कर देंगें…  कर्फ्यू type धमकी देंगें इसे बच्चे पसंद नहीं करते… बेशक, उस समय काम कर देंगें पर नाराज होकर या मुंह बना कर उनके मन से respect खत्म हो जाती है parents के प्रति ..इसलिए इससे बचना चाहिए..

2. Criticize करते हैं. बात बात पर उनकी गलती निकालते हैं या जब मैं तुम्हारी उम्र का था तो ऐसे करता था वैसा करता था…

और बात बात पर टोकना मैंनें तुम्हें पहले ही बोल दिया था… told you so. तुम ऐसा कैसा कर सकते हो?? क्या कोई काम तुम ठीक भी करोगें.. कुछ प्रयास कर रहा है तो सीधा ही टोक देंगें.. या तुम से नहीं हो पाएगा… उससे क्या है कि आत्मविश्वास की कमी आ जाती है…बच्चे जब बडे हो रहे होते हैं तो नई नई चीजे experiment या explore करते है  तो बजाय ऐसे बोलने के उससे आराम से बात कीजिए और बेहतर तरीका बताईए..

3. मेरे पास अभी टाईम नहीं है.. बाद में बात करना.. देख नहीं रहे मैं अभी काम कर रहा हूं…खाली नहीं हूं मैं 100 तरह की परेशानियां हैं सिर पर.. बिजी हू… टाईम ही नहीं देते.. फिर अगर कुछ बात होती है फिर बच्चे की ही गलती निकलाते हैं.. और अगर ऐसे में बच्चा कुछ बोल दे तो क्या कहते हैं कि बस यही सुनना बाकि था.. यही सुनने के लिए पैदा किया था.. कुछ काम ये सही है जब हम बच्चे थे तब अपने बडो की सुनते थे अब जब बडे हो गए तो बच्चो की सुनो..  अगर वो कुछ पूछ्ना चाह रहा है तो ऐसे कैसे बात कर रहे हो तुम… हमारी तो हिम्मत ही नहीं होती थी ऐसे बात करने की… हम तुम्हारे parents हैं तुम हमारे पेरेंटस नहीं.. जैसे ही वो अपनी कोई बात रखे तो तुम मुझे बताओगे.. मेरे बाप बनोगे.

4. तुम्हारे उस classmate के ज्यादा नम्बर कैसे आ गए ? इस तरह की तुलना अकसर करते हैं… तो बजाय दूसरे से तुलना करने के बच्चे का रिजल्ट देख कर उसे गाईड करना चाहिए कि वो और बेहतर कैसे करे.. ताकि अच्छा रिजल्ट आए…दोस्त ही नहीं बल्कि अपने दूसरे बच्चों या कजिन के साथ भी तुलना करना शुरु कर देते हैं.. उसे देखा है कि वो कितना स्मार्ट है.. काश तुम उस जैसे होते..

उससे सीखो… उसके नम्बर कितने अच्छे आए थे.. और तुम ?? इससे क्या होता है sibling rivalry हो जाती है… या फिर अपने किसी दोस्त या सहेली से अपने बच्चे की बुराई… मेरा बच्चा तो ऐसा है उसने ये बोल दिया उसने ऐसा बोल दिया.. इन बातों से उनके आत्मसम्मान को भी चोट पहुँचती है… और वो चिढने लगते हैं भले ही वो भाई बहन हो या पडोस के अंकल आंटी या रिश्तेदार.. Speak privately कभी कोई ऐसी बात हो जाए तो अकेले अलग से करना समझाना ज्यादा सही है..

5. नेगेटिव बोलते है.. तुम्हें अक्ल नहीं नहीं.. तुम समझते नहीं हो… कितने आलसी हो तुम.. घर का कोई काम नहीं करते बस सारा दिन पडे ही रहते हो… इतनी facility दी हुई है तुम्हें अगर मुझे तुम्हारी जैसे opportunity  मिली होती तो मैं आज न जाने कहां से कहा होता और तुमसे तो कुछ होता ही नही..

excerise किया करो.. भागा दौडा.. हम तुम्हारी age के थे तो…. बात बात पर जताते हैं दिन रात लगे रहते हैं मेहनत करते हैं पर तुम हो कि ध्यान ही नहीं देते… Teens aware है कि parents ने बहुत sacrifices किए हैं पर बार बार जताने से उसका असर खत्म हो जाता है..

6. अपनी statement बदलते रहते हैं जैसा कि कभी बोलते हैं कि तुम बच्चे हो तो कभी बोलते हैं…बच्चों जैसी बात क्यों कर रहे हो… तुम बडे हो गए हो… behave  प्रोपरली  इस वजह से क्या होता है कि रोल मॉडल नहीं बनते…

7. दोस्तों को पसंद नहीं करते… दोस्त उनकी लाईफ में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं और parents उन्ही से चिढते हैं… या तो कोई स्ट्रांग वजह हो तो आप जरुर बात कीजिए कि वो बच्चा बहुत स्टालिश है या अजीब कपड़े पहनते है तो ये अच्छा नहीं है या मुझे तुम्हारे कोई दोस्त पसंद नहीं…

एक बच्चा है वो गिटार सीखना चाह रहा है और वो अपने parents को बोलता है तो वो क्या बोलते हैं.. तुम्हारा दोस्त सीखता है इसलिए ही सीखना चाहते हो ना… अपना दिमाग क्यों नहीं लगाते कि तुम्हें क्या पसंद है.. आप जानने की कोशिश तो कीजिए… कि उसे वाकई गिटार अच्छा लगता है..

बच्चा मोबाइल ज्यादा कर रहा है तो किसे मैसेज कर रहे हो या उसी को मैसेज कर रहे होंगें.. उसी के साथ ज्यादा रह कर बिगड रहे हो… अब सबसे जरुरी बात.. लाओ ये फोन मुझे दो.. बहुत हो गया…

तो ये थी कुछ बातें.. अगर आप भी कुछ ऐसा करते हैं तो जरुर विचार कर लिजिए और किस तरह से बात करनी चाहिए आपके में से बहुत parents के मन में आ रहा होगा.. तो वो मैं बहुत जल्दी अपनी वीडियो में बताऊंगी..

ढूंढोगें….. तो ही रास्ते मिलेगें….. मंजिल की फितरत है वो चल कर नही आती.. कोशिश कीजिए और अच्छे parents बनिए..

 

December 7, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

How to Avoid People – लोगों से बात करने से कैसे बचें – How to Avoid Talking to People –

How to Avoid People

How to Avoid People – लोगों से बात करने से कैसे बचें – How to Avoid Talking to People – जिंदगी में हमेंं कई बार अच्छे लोग मिलते हैं तो कई बार कुछ लोग अच्छे नही भी लगते.. हम उनसे बात करना भी पसंद नही करते तो कैसे उन्हें Avoid करें.. ?? आज की वीडियो इसी बारे में है…

वक्त सभी को मिलता है जिंदगी बदलने के लिए….. पर जिंदगी दुबारा नहीं मिलती वक्त बदलने के लिए…

How to Avoid People – लोगों से बात करने से कैसे बचें

 

 

How to Avoid People जहां लाइफ में कुछ लोग बहुत अच्छे मिलते हैं वही कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें हम Avoid करना चाहते हैं कारण कोई भी हो सकता है बस हम नहीं चाहते कि हमारा आमने सामना हो तो ऐसे में कैसे Avoid  करें.. तो इस बारे में मैं बता रही हू 7 बातें…

1.पहले तो खुद से ये पूछिए कि आप उसे किस लिए avoid करना चाहते हैं क्या उसने कुछ ऐसा क्या कह दिया या इसकी वजह कहीं इसकी वजह आप खुद तो नहीं..आपने तो कुछ ऐसा नहीं बोल दिया कि आप अब सामना नहीं करना चाह रहे… कोई आपकी ग़लती तो नहीं… अगर है तो बिना समय वेस्ट कीजिए बात करके सॉरी बोल दीजिए… या

फिर ये वजह तो बिल्कुल नहीं बल्कि

वो हमेशा नेगेटिव बात करता है मुझे नीचा दिखाने की कोशिश करता है या वो हमेशा पैसे ही मांगता है और आपको लगता है जब भी वो सामने आता है तो आपको बहुत तनाव हो जाता है और अपनी सेहत का ध्यान रखते हुए आप उससे दूरी बना कर रखना चाह्ते हैं…कारण सही है हमारी सेहत और शांति बहुत जरुरी है… तो एक बात हमारे मन में बिल्कुल क्लीयर है कि हम उससे दूरी बना कर रखना चाहते हैं

2. अब बात आती है कि किस हद तक हम उससे दूरी बना कर रखना चाहते हैं तो अपनी boundaries बना लेनी चाहिए कि मैंने उसे कितना और किस हद तक Avoid करना है. जब आमना सामना हो तब मुझे क्या करना है

मान लीजिए किसी पार्टी में जाना है और जिस दोस्त के घर है वहां वो भी जरूर आएगा तो समय लेकर पहले मिल आइए… बेशक, दोस्त को बात बता दीजिए कि मैं नहीं चाहता कि मन खराब हो… इसलिए पहले जाकर दोस्त को विश कर आइए.. ताकि कम से कम दोस्त से आपके सम्बंध न खराब हों… आप रोज सैर करने जाते हैं या जिम जाते हैं वो भी वही आता है तो समय बदल लीजिए…

बेशक, हम दूसरे को Avoid करने की कोशिश तो करते हैं पर फिर भी कई बार ऐसा होता है कि आमना सामना हो जाए तो  क्योंकि उसने अच्छे से बात नहीं की थी, चालाकी की थी तो मैं भी वैसा ही करुं.. बिल्कुल नहीं.. जब भी कभी आमना सामना हो तो खुद rude नहीं होना.. अपने हाव भाव ऐसे नहीं दिखाने…

3.पर जरुरत इस बात की है कि जब भी आमना सामना हो तो हमें अपना attitude positive रखना है.. decorum maintain करके रखना है… सभ्य रहना है.. और ये भी नहीं कि body language अजीब सी कर लें.. या तो मुंह बना लें या मुंह मारने लगे… बड बड करने लगे… या पीठ पीछे मज़ाक बनाने लगें..

ऐसा नहीं करना और जैसे ही आई कॉन्टेक्ट आप एक दूसरे को देख लें एक दूसरे को… तो आप एक हल्की सी स्माईल देकर Politely excuse मी कह कर वहां से जा सकते है… कि ओह मुझे कुछ काम है… Make a polite exit

4.और किस किस तरीके से हम… Avoid कर सकते हैं…

ऐसा शो कीजिए कि आपका फोन आ गया.. या आप कोई मैसेज कर रहे हैं या आप किसी से बात कर रहे हैं और चलते चलते बात करने लगिए.. या जैसे आप किसी काम में बहुत ज्यादा व्यस्त हैं… अनदेखा कर दीजिए… जैसे आपको पता ही नहीं कि वो वहां पर है.. और अगर गलती से आई कॉन्टेक्ट हो भी गया तो जाते जाते हाथ वेव कर दीजिए… या स्माईल दे दीजिए..

ऐसे ही अगर वो सोशल मीडिया पर है तो आप अनफ्रेंड कर सकते हैं वटसअप पर है तो ब्लॉक कर सकते हैं और अगर कोई बार बार अंजाने नम्बर से फोन आए तो मत उठाईए.. हो सकता है कि तंग कर रहा हो…

5.और अगर आपको सही लगे.. आपको लग रहा है कि मैं बहुत ज्यादा इसकी वजह से स्ट्रेस में जा रहा हूं तो खुल कर सारी बात कर लीजिए… सारी बात जो भी हुई resolve करने की कोशिश कीजिए..

6.या फिर किसी तीसरे की मदद ले लीजिए कि आपसे खुद बात नहीं हो पाएगी या कोई साथ में स्पोर्ट चाहिए कि सामने वाला न जाने कैसे रिएक्ट करे तो किसी को साथ ले लीजिए..

7.उन बातों से ध्यान हटाने के लिए खुद को activities में बिजी रखिए.. कुछ क्रिएटिव काम में लग जाईए ताकि उन बातों पर ध्यान ही न जाए… पर  honest रहिए अपने मन में किसी तरह का ग्रज मत रखिए..

वक्त सभी को मिलता है जिंदगी बदलने के लिए….. पर जिंदगी दुबारा नहीं मिलती वक्त बदलने के लिए…

How to Avoid People – लोगों से बात करने से कैसे बचें

December 5, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

How to Talk Less – कम कैसे बोलें – How to Talk Less and Listen More – Speak Less – Monica Gupta

How to Talk Less

How to Talk Less – कम कैसे बोलें – How to Talk Less and Listen More – Speak Less – Monica Gupta – कम बोले काम का बोलें.  बात चाहे सेहत की हो रिश्ते की ये पचास ग्राम की जीभ सब पर भारी पड जाती है तो बहुत ज़रुरी है कम बोलना और जब बोलना काम का बोलना पर कैसे ?? कम बोलना कम कैसे करें.. किन बातों का ख्याल रखें हम सभी अपने जीवन में खुश रहना चाहते हैं पर एक चीज गड़बड़ कर देती है… और वो है हमारी ज़ुबान..

How to Talk Less – कम कैसे बोलें – How to Talk Less and Listen More –

वो समझे थे कि तमाशा होगा

मैंने खामोश रह कर माहौल बदल दिया

तभी बोलना चाहिए जब ज़रुरी हो…

बोलना सिर्फ इसलिए नहीं है कि हमें खाना पूर्ति करनी है इसलिए बोलना ही है… जब लगे तभी बोलना है.. बहुत लोगो की आदत है बे वजह ही बोलना शुरु कर देते हैं वो कई बार मज़ाक का पात्र भी बन जाते हैं…

हमें बोलने से पहले सोचना चाहिए कि हम क्या बोलने जा रहे हैं… क्या कुछ ऐसा तो नहीं जो दूसरे की फीलिंग को हर्ट कर सकता है.. सोच समझ कर बोलना चाहिए.. जैसे कमान से निकला तीर वापिस नहीं लाया जा सकता वैसे ही जो बात बोल दी उसे वापिस नहीं ली जा सकती.. बाद में पछतावा हो इसका भी क्या फायदा… कि काश मैं मौन रहता..

रिश्ते खराब हो जाते हैं कई बार ज्यादा बोलने के चक्कर में कुछ ऐसा मुहं से निकल जाता है जो हम खुले आम नहीं बोलना चाहते थे.. जैसाकि मेरी सहेली ने मुझे कोई बात बताई… जो उसने किसी के साथ भी शेयर नहीं की थी और ना ही करना चाह्ती थी पर मैने वही बात दो तीन दोस्तों के बीच में पब्लिक कर दिया… बातों बातों में तो उससे क्या हुआ कि मेरी सहेली के साथ मेरे रिलेशन खराब हो गए ना…

वो कहते भी है ना कि वो समझे थे तमाशा होगा मैने कम बोल रह कर माहौल बदल दिया

कई बार ज्यादा बोलने के चक्कर में हमारे दोस्त भी कम हो जाते है कि ये तो बहुत बोलते हैं वो बोर हो जाते हैं और हमसे दूर भागते हैं

कई बार हम दूसरे को इम्प्रेस करने के चक्कर में भी बोलते रहते हैं जबकि इसका उल्टा असर भी पड सकता है

या किसी ने हमारी राय मांगी नहीं और हम ऐसे ही बीच में कूद पडे ये भी सही नहीं है…

इसलिए भी कम बोलें कि सुनना अच्छी कला है अच्छा वक्ता बनना है तो अच्छे श्रोता बनना चाहिए

इसके लिए हमें जो बोल रहा है उसकी बात ध्यान से सुननी चाहिए..

बॉडी लेग्वेज का ख्याल रखना चाहिए

और हमारा आई कॉन्टेक्ट, हमारी बॉडी लेग्वेज सही हो यानि हम उसकी बात ध्यान से सुने ना कि ऐसा महसूस करवाए कि बोर हो रहे हैं…या जब हम सुन रहे हो तो जो बोल रहा है उसे घूरे कर देखना शुरु कर दें… वो भी अजीब लगता है.. सुनने की कला पर वीडियो बनाई हुई है लिंक नीचे दे रही हूं…

और अगर हमें उनकी बात न समझ आए तो पूछ भी सकते हैं कि मैं समझा नहीं.. दुबारा बता दीजिए… कम बोलने का कई बार लोग ये मतलब ले जाते हैं कि dumb हैं

इसलिए जहां जरुरी हो वहां बोलना भी चाहिए.. जैसे मान लीजिए दो लोग यू टयूब की बात कर रहे है और उन्हें उसकी जानकारी नहीं मैं भी वही हूं मुझे भी उस बारे में जानकारी है तो मैं भी अपने वियूज शेयर कर सकती हूं… मेरी बात से किसी को कोई फायदा हो सकता है तो मुझे जरुर शेयर करना चाहिए

वैसे ज्यादा बोलने से एनर्जी भी वेस्ट होती है कई बार हम बेवजह बहस में उलझ जाते हैं तो उसका भी क्या फायदा.. मन भी खराब हो.. इसके लिए कम बोलना ही बेहतर..

अब टॉपिक है कम कैसे बोलें तो मुझे भी कम ही बोलना चाहिए… है ना.. इसलिए मैं कम ही बोलूगी पर एक बात जरुर बताना चाहूंगी कि

चुप रहने के फायदे बहुत हैं इस पर वीडियो बनाई हुई है लिंक नीचे दे रही हूं जरुर देखिएगा.. और आप क्या सोचते है कि कम कैसे बोल सकते हैं तो जरुर बताईएगा..

तो इतना मत बोलिए कि लोग चुप होने का इंतजार करें

इतना बोल कर चुप हो जाइए कि लोग दुबारा बोलने का इंतजार करें

सेहत और रिश्तों को ठीक रखने के लिए पचास ग्राम की जीभ को साठ या सत्तर किलो के शरीर पर हावी ना होने दीजिए

How to Talk Less – कम कैसे बोलें – How to Talk Less and Listen More – Speak Less – Monica Gupta

 

December 3, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

Parenting Styles – Types of Parenting Styles – परवरिश के तरीके

Parenting Styles

Parenting Styles – Types of Parenting Styles – परवरिश के तरीके –   कैसे parents  हैं आप ? जब भी parenting की बात आती है तो हमारे जहन में दो तरह के parents आते हैं अच्छे  या गंदे  parents पर असल में, Researchers ने 4 type की parenting styles identified की है..

Parenting Styles – Types of Parenting Styles

 

वो क्या हैं ?? आईए जानते हैं वैसे रुलाना हर किसी को आता है,  हंसाना भी हर किसी को आता है, रुला कर जो हंसा दे वो हैं पापा और रुला कर जो खुद रो दे वो है मां… ऐसे होते है माता पिता… आप कैसे मम्मी पापा है ??

असल में, इससे पहले एक video बनाई थी बच्चों की परवरिश पर की How to Raise Successful Kids

उसमे मैंने बताया था कि चार तरह के parenting styles है तो बहुत सारे पेरेंट्स के कमेंट्स मैसेज आए कि कौन से हैं वो 4 स्टाईल तो वो मैं आपको बता रही हूं आप देखिएगा कि आप किस स्टाईल में फिट होते हैं..

सबसे पहले हैं  Authoritative

इनका बच्चों के साथ पॉजिटिव रिलेशन होता है ये warm, केयरिंग ख्याल रखने वाले होते हैं…खुद खुश रहते हैं और बच्चे को खुश रखते हैं… discipline strategies बनाते हैं तो उनके कारण भी बताते हैं. उन पर अडिग रहते हैं पर बच्चे की फीलिंग्स का भी ख्याल रखते हैं.. बच्चे के साथ समय बिताते हैं और उन्हें अपने views बताने की पूरी आजादी होती है.. बच्चे की praise भी करते हैं encourage करते हैं और समय समय पर  reward भी देते हैं ये set limits करते हैं और उस पर  consistentभी रहते हैं..  ऐसे बच्चे decision लेते हैं और जिंदगी में successful होते हैं

Authoritarian Parenting  ये स्टाईल वाले parents strict होते हैं

बहुत demanding होते हैं उम्मीदें बहुत ज्यादा होती हैं जितनी डिमांड या उम्मीदें होती हैं उतना ध्यान देते नहीं हैं…

एक तरफा बातचीत होती है …मैंनें कह दिया तो करना ही है… blindly follow करें बच्चे…  वो चाह्ते हैं कि बिना उम्मीद रखे बच्चे rules follow करें

Independently बच्चे को कोई काम भी नहीं करने देते

बच्चों को discipline में रखने की बजाय punishment देने में ज्यादा विश्वास रखते हैं प्यार बहुत कम दिखाते हैं ज्यादातर हार्श ही होते हैं और बच्चों पर बात बात पर चिल्लाते  हैं

ऐसे में बच्चे की self development नहीं हो पाती…. बच्चे गुस्सैल बन जाते है. उर हर समय मन में एक डर समाया रहता है..

Permissive parenting

ये स्टाईल वाले parents बहुत lenient होते हैं दयालु kind, रियायती देने वाले होते हैं.. कोई demands या expectations नहीं होती बच्चे से…  बहुत  loving होते हैं, बच्चों के लिए guidelines, rules तो बना लेते हैं पर लागू नहीं करते.. mature behavior की बच्चों से उम्मीद नहीं रखते.. चलो कोई बात नहीं बच्चा ही तो है कोई बात नहीं…

माफ करने में विश्वास रखते हैं कि गलती हो जाती है… बच्चा अच्छे से बर्ताव न करे तो उसे इग्नोर करते हैं… अक्सर parent की बजाय बच्चे को दोस्त की तरह treat करते हैं.

क्योंकि ये बच्चे को किसी काम के लिए कुछ कहते नहीं… जैसा कि मान लीजिए बच्चे ने जंक फूड खाना है तो मना नहीं किया.. बच्चे ने आज नहाना नहीं है सफाई का ख्याल नहीं रखना तो चलो कोई बात नहीं… कोई भी limit impose करने में reluctant रहते हैं

तो ऐसे में बच्चे अपने मन की ज्यादा करते हैं टीवी देखना, ज्यादा खेलना, दर नहीं होता तो ऐसे बच्चे लाईफ में ज्यादा कुछ achieve नहीं कर पाते

Uninvolved Parenting इसे  neglectful भी कहा जा सकता है जैसा कि नाम से ही साफ साफ पता चल रहा है indifferent रहते हैं, बच्चे ने पढ़ाई की, कहां है क्या कर रहा है… किसके साथ है कोई मतलब नही,

बच्चे के बारे में बहुत कम जानकारी होती है.

अपनी ही आफिस या घर की परेशानियो से कि उसने ऐसा कह दिया, इतना खर्चा हो गया… उसी में उलझे रहते हैं अपनी ही  Problems से Occupied रहते हैं न बच्चे से प्यार जताते हैं और न कोई उम्मीदें होती हैं.

बच्चे decisions लेने में कमजोर रह जाते हैं . बच्चों को सही दिशा मिल ही नहीं पाती तो बिगडने के ज्यादा चांस हो जाते हैं

वैसे  authoritative parenting is the best parenting style…

रुलाना हर किसी को आता है

हंसाना भी हर किसी को आता है

रुला कर जो हंसा दे वो हैं पापा और रुला कर जो खुद रो दे वो है मां… ऐसे होते है माता पिता… आप कैसे मम्मी पापा है ??

Dedication, positive relationship and commitment से best parent बन सकते हैं

Parenting Styles

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