अतिथि कब आओगें
सुन कर बहुत अजीब लग रहा होगा कि कब आओगे…पर यह सही और सच लिखा है ..आमतौर पर हम किसी के आने से खुश नही होते… इसके ढेर सारे कारण है…. सारे तो बताने सम्भव नही पर कुछ इस प्रकार हैं… एक तो घर की दिनचर्या बिगड जाती है .. अगर कामकाजी महिला है तो डबल दिक्कत …घर पर अगर ज्यादा छोटे बच्चे हैं तो तीन गुणी दिक्कत और घर मे कोई बीमार है तो चार गुणा दिक्कत .. महेमान आने पर स्टोर से बर्तनो का सैट निकालना पडता है .. बिस्तर निकालने पडते है. नमकीन मीठा और शरबत ज्यादा मगँवा कर रखना पडता है..इत्यादि .. ..इत्यादि इत्यादि… अब भाई… इतने नुकसान है तो फायदा क्या है.
तो जनाब फायदा यह है कि बहुत दिनो से गंदे घर की सफाई हो जाती है रसोई घर साफ हो जाता है.स्नान घर मे पिचके हुए 3-4 टूथपेस्ट और शैम्पू के 5-7 रैपर और छोटे छोटे साबुन और साबुन दानी तुरंत साफ कर दी जाती है.
अलमारी भी साफ की जाती है कि कही महेमान गलती से खोल ना ले… बैठक के कमरो की भी सफाई की जाती है सोफे के गदे के नीचे जो अखबार बिल या फिल्मी किताबे पडी होती हैं साफ की जाती हैं. रद्दी दे दी जाती है.
आगंन के गमलो मे गुडाई की जाती है .. नए पौधे लगाए जाते हैं मानो सारे पर्यावरण की हमे ही चिंता है.
खुद को घर एक दम साफ साफ लगता है. हां … वो बात अलग है कि जब महेमान वापिसी की टिकट साथ लेकर आता है तो मन खुशी से नाच उठता है लेकिन जब टिकट भी नही हो और वो जम ही जाए तो बेचारा मन जाने अनजाने बोल उठता है… कब जाओगे अतिथि …
आप मेरी बात से सहमत है या नही .. जरुर बताना ..जल्दी बताना .. क्योकि आजकल छुट्टियां ही चल रही है … और टिग टांग … ओह मेरे घर की घंटी बजी … अरे बाप रे बाप … आज सुबह से ही लिखने का काम कर रही हूं घर इतना फैला हुआ है कि ध्यान ही नही दिया … कही कोई मेहमान वेहमान आए गए तो … नही ….. !!!