Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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September 9, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

स्वच्छता पर सुविचार

स्वच्छता पर सुविचार

 स्वच्छता पर सुविचार

(तस्वीर गूगल से साभार)

स्वच्छता पर सुविचार

भारत को स्वच्छ कैसे बनाए. स्वच्छता के बारे मे सर्वे भले ही कुछ हो पर इस बात में कोई दो राय नही कि स्वच्छता से खुशहाली आती है. स्वच्छता और स्वास्थ्य का एक दूसरे से सीधा सम्बंध है. केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री  ने एनएसएसओ यानि नेशनल सैम्पल सर्वे ऑफिस ने एक रिपोर्ट जारी की. यह सर्वे  पिछले साल मई-जून में यह सर्वे किया थाजिसमें देश के 26 राज्यों के 3,788 गांव इसमें शामिल थे।

सर्वे के मुताबिक देश के सबसे स्वच्छ राज्य में सिक्किम नंबर पर है। साफ-सफाई में इस राज्य को सबसे ज्यादा 98.2 का स्कोर मिला। वहीं केरल 96.4 स्कोर के साथ दूसरी पोजिशन पर है। नेशनल सैम्पल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) की ताजा रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है।

इस लिस्ट में मिजोरम का नंबर तीसरा है। इस राज्य ने 95.8 स्कोर बनाया है। वहीं, सबसे गंदे राज्यों में झारखंड नंबर वन है। एमपी 4th स्थान पर है।

स्वच्छता और सर्वे की रिपोर्ट भले ही कुछ भी कहे पर असल जिंदगी में स्वच्छता बदलाव  तो ला ही रहा है …

स्वच्छता पर सुविचार

स्वच्छता के बारे में लोगो के विचार

“ हमें हमारा गाँव स्वच्छ रखना चाहिए, यही हमारा कर्त्तव्य है।”

“ स्वच्छता हमारे जीवन का बहुत महत्वपूर्ण विषय है। स्वच्छता के बिना स्वच्छ समाज की कल्पना भी नही की जा सकती।”

इस अभियान ने हमारा जीवन ही बदल दिया।

“बेटी वही ब्याहेंगे,

शौचालय जहाँ बनवाऐंगे”

“ हमने समाज की सेवा करने के लिए दिल और दिमाग से गाँव को खुले में शौच से मुक्त्त करवाया है ताकि आने वाले पीढ़ी को सदियों से चली आ रही इस परम्परा की बीमारी न लगे। मेरा समाज साफ-सुथरा, स्वच्छ एवं उच्च शिक्षित समाज हो।”

 

“ ना जिले में, ना स्टेट में

सफाई सारे देश में”

स्वच्छता जिन्दाबाद

अभियान ने नई चेतना जगाई है। भविष्य में भी साफ-सफाई रखेंगें।

स्वच्छता ने हमें जीने का रास्ता दिखाया है।

मैनें ना सिर्फ अपने गाँव में बल्कि दूसरे गाँवों में भी स्वच्छता का महत्व समझते हुए स्वच्छता का संदेश दिया। बोलो, “जय स्वच्छता”

हमारा गाँव खुले में शौच से मुक्त से मुक्त हो गया है। आज सभी गाँव वालें खुशी से नाच-गा रहें हैं। इसमें सभी गाँव वासियों  का सहयोग रहा।

हमने बहुत लोगों को समझाया कि बाहर खेतों में शौच जाना ठीक नही। जब वो नही मानो तो हम उनके शौच पर मिट्टी ड़ालने लगे। आज उन्होनें घर में कुई खुदवा ली है।

सभी गाँव वाले चाहे सरपंच, पंच, स्कूली टीचर, बच्चें, बूढ़े, या फिर  महिलाएँ सभी ने  इस अभियान में योगदान दिया। आज हमारा गाँव सुंदर और पवित्र है।

पहले लोगों को बातों से समझाया। बातों से ना समझने पर हमने लोगों के पैर भी पकड़े। आज हमारा गाँव खुले में शौच से मुक्त्त हैं।

एक महिला ने तो कहा कि मैं तो खुले में शौच जाऊँगी। मैनें उसके आगे झोली फैला दी। इस बात को उसने इतना महसूस किया कि अगले ही उसने घर में कुई खुदवा ली।

नारे सुनकर लोगों में विशेष तरह का उत्साह आता है इसीलिए मैने नारे लगा-लगा कर लोगों को समझाया कि वो बाहर शौच न जाए

जब तक जिन्दगी रहेगी, तब तक हम समर्थन देंगें। हमारे बाद बच्चें भी इस अभियान को समर्थन देंगें।

पहले हम भी शौच के लिए बाहर जाते थे परेशानी भी होती थी। जब हमें इस अभियान का पता चला तो हमने उसी दिन से जाना बंद कर दिया और दूसरों को भी समझाने में जुट गए।

अगर हम सफाई की तरफ ध्यान देंगें तो हमारे बच्चें भी शिक्षा लेंगें। जिससे उनका आनेवाला कल स्वच्छ और उज्जवल होगा।

पहले हमें लगता था कि यह असम्भव है। पर ये तो सम्भव हो गया।

जिसने हमारी बात नहीं मानी और बाहर शौच के लिए गए, हम उन्ही के शौच पर मिट्टी ड़ाल कर आए। शर्म के मारे उनकी शौच ही बदल गई।

दूध में डाले चावल तो खीर बनती है

जो देश की सेवा करें उसकी तकदीर बनती है।

मैं सुबह-शाम निगरानी में जाती और पहरा देती। आज गाँव में पूर्णतया सफाई है क्योंकि लोगों ने हम बच्चों की बात को समझा। मैं चाहती हूँ

अब लौटेगा खोया गौरव, होगी सफाई चारों ओर

लोटा बंद, नाली बंद, कदम बढ़ेगे, प्रगति की ओर

जब मैं जय स्वच्छता के नारे लगाती हूँ तो मुझे बहुत ही  खुशी होती है,

मुझे खुशी है कि गाँव को स्वच्छ बनाने में मैं भी अपना योगदान दे सका और आगे भी ऐसे अभियानों में शामिल होने की इच्छा रखता हूँ।

स्वच्छ शरीर ही सब कामों का आधार हैै।

मेरे विचार से सरकार द्वारा चलाया गया अभियान एकदम सही है।

हमने इन बातों को गम्भीरता से लिया। आज हमारा गाँव निर्मल है।

धीरे-धीरे हमें स्वच्छता का महत्व समझ आ गया है।

 

इस अभियान के तहत गरीब तबके लोगों को जो आगे आने का मौका मिला है। हमने आगे आकर गाँव को स्वच्छता युक्त्त कर दिया है। यह हमारा आगे बढ़ने का सफलतापूर्ण कदम है।

स्वच्छता हैं जहाँ जिन्दगी है वहाँ।

स्वच्छता ही अच्छे स्वास्थ्य की निशानी है।

जब मैनें लोगों को बाहर शौच जाने से रोका तो वो मुझसे नाराज हुए पर बाद में वो मेरे साथ ही हो गए। और हमने मिल कर गाँव को स्वच्छ बना दिया।

सभी घरों में शौचालय होना चाहिए ताकि बाहर कोई व्यक्ति शौच के लिए ना जाए।

यह सरकार का अच्छा प्रयास है। गाँव में अनेक किस्म की बीमारियों से बचा जा सकता है। गाँव हरा-भरा और साफ-सुथरा है।

गाँव को पूर्ण रूप से खुले में शौच से मुक्त्त करना, लोगों को इसके लिए जागृत करना और गाँव में सफाई रखना ही अब मेरे जीवन का उदेश्य बन गया है।

सभी गाँव वासी- स्वच्छता हैं जहाँ जिन्दगी है वहाँ ।

मैं खुल्ले जान वालया नूँ समझाया के खुल्ले में जाने से बीमारियाँ लगती है।

मैनें सुबह उठकर निगरानी की और बाहर जाने वाली महिलाओं को समझाया। अपनी इज्जत का ज्ञान करवाया और आने वाली सम्सयाओं के बारे में बताया। आज मेरा गाँव साफ-सुथरा है।

हमें खुशी है कि हमारा गाँव साफ-सुथरा है। कोई भी खुले में शौच नही जाता।

गाँव की सफाई का हमारे स्वास्थ्य पर बहुत अच्छा असर पड़ेगा। हमं साफ- सुथरे माहौल में रहने की आदत पड़ेगी।

हमारा गाँव एक बार तो स्वच्छ हो गया है लेकिन हमें एक वचन लेना चाहिए कि सभी गाँव वासी भी आगे मिलकर गाँव को साफ-सुथरा रखें।

हमारे गाँव में जब से स्वच्छता कीे लहर चली है तब से हमारा गाँव बहुत स्वच्छ है।

मुझे अपने गाँव पर गर्व है।

हमारा गाँव पूरी तरह से खुल्ले में शौच से मुक्त्त है। चारों तरफ पूरी स्वच्छता हैं।

हमारे गाँव में इस अभियान के शुरू होने से गंदगी कम है। हम बीमारियों से सुरक्षित हैं।

मैं सुबह 5 बजे से 7ः30 बजे तक की फिरनी पर खड़ा हो जाता और गाँव की देख-रख करता। स्कूल की छुट्टी होते ही फिर काम शुरू कर देता।

स्वच्छता ही सबसे बड़ी धरोहर है। इसको हमें सम्भाल कर रखना है।

शीतल मन, नम्रता, सच्चाई व आपसी भाईचारे से कोई भी कार्य कठिन नही है।

“ हर दिल से है दोस्ती, ना किसी से बैर

हर वक्त मैं मांगू सारे जगत की खैर”

वैसे तो हमारा गाँव पहले भी साफ-सुथरा था। पर इस अभियान के बाद हम और ज्यादा जागरूक हो गए और स्वच्छता रखने लगे।

पहले गाँव का बहुत बुरा हाल था। पर आज हमारा गाँव बहुत सुंदर लग रहा है।

मैनें सुबह-शाम पहरा लगा कर गाँव को खुल्ले से शौच मुक्त्त करवाया है।

गाँव की महिलाओं ने मिल-जुल कर काम किया। आज हमने गाँव को चाँदी जैसा बना दिया। जय स्वच्छता।

हमने जिसे भी समझाया वो समझते चले गए। आज हमारा गाँव स्वच्छ है।

फाई की शुरूआत अपने ही घर से होती है। बस हमने वो किया

स्वच्छता अभियान से मेरी एक नई पहचान बनी है। मैने अपने भाई-बहनों के साथ मिलकर स्वच्छता की अलख जगाई है।

“मुझे गर्व है अपने गाँव पर” और चाहती हूँ कि और लोग भी अपना गाँव हमारे जैसा बना लें।

हमने सभी को प्रेम से समझाया। आज हम बहुत खुश है। यह स्वच्छता अभियान गाँव की भलाई के लिए ही है।

हाथ जोड़कर विनती की कि बाहर शौच नही जाना। घर में ही जाओ। आज हर गाँव साफ है।

गाँव के सभी लोगों ने इस अभियान में हिस्सा लिया और आज साफ, स्वच्छ और निर्मल है।

इस अभियान से लोग जागरूक हो गए हैं। अपने-अपने घरों की सफाई रखने लगें हैं।

हमारा गाँव पूर्ण रूप से खुले में शौच से मुक्त्त है। गाँव की गलियाँ साफ-सुथरी हैं।

मैंने स्वच्छता अभियान में बहुत काम किया और गाँव को स्वच्छ कर दिखाया।

हम सबने मिलकर गाँव सुन्दर बना लिया जी।

आज हमारे गाँव में कोई बाहर शौच के लिए नही जाता। गाँव निर्मल है।

हमारा गाँव  बहुत ही साफ-सुथरा हैं। यहाँ के हर घर में शौचालय है। शौच के लिए कोई बाहर नही जाता।

मैने सुबह 5 बजे उठकर निगरानी की है और लोगों को समझाया है।

हमारा गाँव सबसे पीछे था। हमने कभी सपने मे भी नही सोचा था कि हमारा गाँव तरक्की कर सकता है। आज हमारा गाँव साफ-सुथरा है।

मेरेे पूरे परिवार ने स्वच्छता अभियान में बहुत योगदान दिया। पहले हम गुरूद्वारे जाते तो रास्ते में गंदगी मिलती थी। लेकिन अब सुधार है।

अच्छे विचार ही देश का विकास करते हैं इसीलिए देश के सभी नागरिक स्वस्थ और स्वच्छ बने

व्यवहार परिवर्तन से समाज और समुदाय में कोई भी परिवर्तन सम्भव है।

वैसे स्वच्छ्ता के बारे में आपकी राय क्या है .. जरुर बताईएगा !!!

August 31, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

स्वास्थ्य ही जीवन है

अच्छे स्वास्थ्य का महत्व

स्वास्थ्य ही जीवन है और इसे समझने के लिए हमें व्‍यक्तिगत स्‍वच्‍छता को समझना बहुत जरुरी है व्‍यक्तिगत स्‍वच्‍छता  दो शब्‍दों से मिलकर बनी है  ”व्‍यक्ति”  एवं ”स्‍वच्‍छता” इस बात में कोई दो राय नही कि हमारा  स्वास्थ्य हमारे स्वच्छ हाथों में है… हाथ कैसे धोऎ यानि hand wash पर तो बहुत बातें हैं पर कुल मिला कर हमारा स्वास्थय हमारे हाथों में ही है.

हाथ धोने की विधि

स्वास्थ्य ही धन है

स्वास्थ्य ही जीवन है और इतना ही नही हमारा स्‍वास्‍थ्‍य ही धन है. इसकी महत्ता हमे समझनी होगी. व्यक्तिगत स्वच्छता और स्‍वास्‍थ्‍य का ख्याल रखना बेहद जरुरी है.  व्यक्तिगत स्‍वास्‍थ्‍य में शरीर की स्‍वच्‍छता,  दॉंतों की सफाई, नाखूनों तथा पैरो की देखभाल,  भोजन,  आहार,  व्‍यायाम,  विश्राम एवं नींद ध्रूमपान लत,  मानसिक विचार तथा मद्यपान संबंधी नियमों का पालन आतें हैं। इनके प्रति लापरवाही हमारे स्‍वास्‍थ्‍य पर बुरा प्रभाव डाल सकती है उदाहरण के तौर पर दॉंतों की सफाई भरे मैल में जमे रोगाणुओं से ऑंतों में कृमि तथा अन्‍य विकार पैदा हो सकते हैं।

इससे बहुत सारी बीमारियों को निमत्रंण मिल जाता है और वो हाथो के जरिए या नाखूनों के माध्यम से मुह में चले जाते है और जाने कितनी तरह तरह की बीमारियों फैलती चली जाती है। इसलिए हाथों को राख या साबुन से भली प्रकार धोना चाहिए। कई बार घरो में लोग और खासतौर पर महिलाए नंगे पांव रहना ज्यादा पसंद करती है। नंगे पाव से हुकवार्म शरीर में घुस जाते है और इसकी वजह से शरीर में कमजोरी और खून की कमी हो जाती है।

त्वचा की सफाई ना होने पर पसीने और मैल की परत चढ़ती चली जाती है इसकी वजह से दाद खाज, खुजली और त्वचा के रोग हो जाते है। इस तरह के रोग बहुत जल्दी फैलते है इसलिए शरीर की सफाई रखनी बहुत ही जरूरी हो जाती है दांतो की सफाई भी उतनी ही जरूरी है अगर नियमित रूप से दात साफ नहीं होगे तो खाने के कण दांतो में पड़े पड़े सड़ जाऐगे इससे ना सिर्फ दांतो में सड़न होती है बल्कि पेट सम्बन्धी रोगो के होने का भी अंदेशा रहता है इन्ही सब बातों को ध्यान में रखते हुए व्यक्तिगत सफाई बहुत जरूरी है खाने से पहले और खाना खाने के बाद हाथ या तो साबुन अथवा राख से अच्छी तरह धोने बहुत जरूरी है

एक सर्वे से पता चला है कि अगर हाथ सही प्रकार से wash हो तो दस्त जैसे अनेक रोगो में 50 प्रतिशत से भी ज्यादा कमी आई है इसलिए शौच के बाद या खाना बनाने से पहले और खाते समय हाथ साफ रखने बहुत जरूरी है जिन महिलाओं के बच्चे अभी बहुत छोटे है और उन्ही का दुग्धपान करते है उनके लिए यह और भी जरूरी हो जाता है कि हाथों को साफ रखे।

शौच त्यागने के बाद भी भली प्रकार हाथ धोने चाहिए हाथों के नाखूनों को भी नही बढ़ने देना चाहिए। इन नाखूनों में अन्दर की तरफ रोगाणु लम्बे, गंदे नाखूनों से भोजन करते वक्त भोजन में चले जाते है और  दूषित कर देते है इस भोजन का सेवन करने से दस्त व अन्य रोग पैदा हो जाते है

चप्पल पहनना भी बहुत जरूरी हो जाता है ताकि कीटाणु पैरो के जरिए शरीर में प्रवेश करके बीमार ही ना कर दे।

शरीर में सिर के बालों की सफाई भी बहुत जरूरी होती है क्योंकि गन्दे सिर में जुए आ जाती है जोकि इसे नुकसान पहुंचाती है इसी प्रकार दांतो की सफाई बहुत जरूरी है ताकि मुंह की दुर्गन्ध ओर सड़न से बचा जा सके इसके लिए या तो दातुन या फिर नमक का भी इस्तेमाल किया जाता है

हर रोज नहाने से शरीर भी स्वच्छ और तरो ताजा रहता है इसलिए नहाना धोना बहुत जरूरी है जब हम खुद साफ और स्वच्छ होगे तो हमारा मन करेगा स्वच्छ जगह पर ही खेलने का सफाई का ध्यान सिर्फ खुद रखे बल्कि दूसरों को भी इसकी महता समझाए।

कई लोग चलते फिरते सड़क पर ही थूक देते है। उन्हें इसके होने वाले नुकसान बता कर स्वच्छता के प्रति जागरूक करना हमारा पहला कर्तव्य है। यही बात लागू होती है कि जिस व्यक्ति को जुकाम है। कई बार बच्चे या बड़े नाक आने पर अपनी आस्तीन से या कमीज से और महिलाएं अपने दुपटटे से ही साफ कर लेती है। जोकि सीधे तौर पर बीमारी को न्यौता देता है इसलिए ऐसे कामों से बच कर ही रहें। अपने पास साफ रूमाल ही रखे और उसे ही इस्तेमाल करे।

घर की सफाई

खेतो को पॉस्टिक खाद तो मिलेगी ही जिससे मिटटी की उर्वरकता बढ़ेगी। और जो कूड़े कचरे और प्लास्टिक के सामान से पर्यावरण का नुकसान हो रहा है उससे बचाव हो जाऐगा कई बार गांव वासियों द्वारा खाद के ढ़ेर पर सफाई के दौरान इतनी गन्दगी डाल दी जाती है कि वो खाद का ढेर कम और गन्दगी का ढेर ज्यादा लगता है जिससे बीमारियों का निमत्रंण मिलता है।

गडडों में इसे डाल कर ना सिर्फ बीमारियों से बचेगे बल्कि उन कूड़े के ढेर की बजाय सड़क पर पेड़ लगाए जा सकेगे जिससे पर्यावरण की स्वच्छता बढ़ेगी। चूल्हा एक ही कमरे में होने की वजह से घर के लोगो को सांस की दिक्कत हो जाती है और चूल्हे के धुएं से आंखो में भी जलन हो जाती है

आकडे तो यहा तक बताते है कि महिलाओं के खाना बनाते वक्त जितना धुआं सांस के साथ अन्दर जाता है। वो 200 सिग्रेट के धुए के बराबर होता है ऐसे में गर्भवती महिलाए खुद भी बीमार रहेगी और होने वाला बच्चा भी किसी ना किसी बीमारी से ग्रस्ति होगा ये तो रही घर की बात। अब लोग जब खेतो में शौच जाते है तो खुले में मल पड़ा रहने से संक्रामक रोगाणु फलो और सब्जियों में लग जाते है यही फल सब्जियां बिना धोए खा लेने पर दस्त या अन्य ऐसे रोग हो सकते है जो जानलेवा भी साबित हो सकते है।

तो इतनी सारी दिक्कतों के चलते इससे छुटकारा पाने का क्या कोई तरीका हो सकता है या नही तो जवाब सीधा सा है कि जिस घर में लोग रहते है सबसे पहले तो वो हवादार हो, पूरी रोशनी आए और घर में मच्छर मक्खी के बचाव के लिए जालीदार दरवाजे भी लगे हो अगर घर में धुए वाले चूल्हे है तो ऐसे चूल्हे बनाए जाए जो धुआ रहित हो इससे आखों की जलन के साथ साथ संास के रोगो में भी कमी आऐगी।

अब बात आती है सफाई की घर को खासकर फर्श को साफ रखना चाहिए।

घर का कूड़ा उठाकर सड़क पर फेकने की बजाय कूड़े के डि़ब्बे में ही डालना चाहिए। भोजन पर मक्खियां बैठ कर उसे दूषित ना कर दे उसके लिए जाती का इस्तेमाल करना बहुत जरूरी हो जाता है जो बना हुआ भोजन है उसे भी ढ़क कर ही रखना चाहिए ताकि वो प्रदूषित ना हो।

पीने के पानी को भी ढ़क कर रखने के साथ साथ मटके या किसी अन्य बर्तन से निकालने के लिए डण्डी वाले लोटे का प्रयोग करना चाहिए और पानी का हमेशा जमीन से थोड़ा उचां रखना चाहिए। इसके साथ साथ या तो सुराही या फिर ऐसे मटकें या डिब्बे जिनमें नलके की सुविधा हो तो इस्तेमाल करने चाहिए। कच्ची सब्जी को बनाने से या कच्ची सब्जी खाने से पहले भली प्रकार धो लेनी चाहिए ताकि सारे कीटाणु दूर हो जाए। बर्तनों को भी साफ पानी से ही धोना चाहिए अगर गन्दे पानी से धोऐगें तो बर्तनों के साथ-2 उनमें रखा सामान भी दूषित हो जाऐगा

खोमचे वाले से खुला रखा खाना खाने से भी बीमार होने के लक्षण जल्दी दिखने लगते है इसलिए वहां का भोजन ना ही करे और जो भोजन घर पर भी बनाए उसे अच्छी तरह हाथ धोकर ही बनाए अब हाथ या तो साबुन से या राख से धोने बहुत जरूरी है ताकि खाने के साथ-2 अपनी और घर के सदस्यों की स्वस्थता भी बनी रहे।

इन सभी बातों के साथ साथ अपना अड़ोस-पड़ोस भी साफ रखना चाहिए। कूडे को घर के बाहर ना फेंक कर गडे में डालना चाहिए छोटे बच्चों के घर में ही शौच करने की स्थिति में उसे तुरन्त साफ करके हाथ धो लेने चाहिए ताकि ना मच्छर, मक्खी आए और ना कोई बीमारी फैले। जानवरो के गोबर को भी कूड़े के गडडे में ही डाल देना चाहिए और उनके मूत्र के लिए नाली द्वारा सोख्ता गडडे में ही बहने देना चाहिए।

इसके लिए घर से अलग पशुशाला का प्रावधान होना चाहिए। इसमें पक्का फर्श और नाली की ओर ढलुवा हो ताकि उनका मूत्र वहां इकठठा रहने की बजाय बह जाए।

नाली को सोख्ता गडडे से मिला देना चाहिए इसमें सफाई का ध्यान देना बहुत जरूरी है ताकि दुधारू पशु किसी भी तरह की बीमारी से बचे रहे।

स्वच्छता अपनाने से  फायदे बहुत है …

कम मृत्यु दर और बेहतर स्वास्थ्य

पैसे की बचत

उत्पादकता में वृद्धि

ज्यादा आय के साधन

आत्म सम्मान

और सबसे बड़ी बात तो यह होगी कि स्वच्छता अपनाने से ड़ाक्टरों के चक्कर नही लगाने पड़ेगें जिससे पैसे बचेगें। पैसे बचेगें तो खुशियाँ आऐगी, खुशियाँ होगी तो आय के साधन और बढेगें क्योंकि अक्सर तनाव में रहने से काम नही हो पाता जब तनाव ही नही होगा तो और काम करने को मन करेगा, जिससे आय बढे़गी और आय बढे़गी तो जीवन स्तर में सुधार होगा और फिर देश को आगे बढ़ने से कोई  रोक ही नही सकता।

 

खुले में शौच, महिलाएं और स्वच्छता अभियान – Monica Gupta

खुले में शौच, महिलाएं और स्वच्छता अभियान स्वच्छ सर्वेक्षण 2017 हो या जन आंदोलन के रुप में चला स्वच्छता अभियान. महिलाओ को इसकी महत्ता समझ कर बढ चढ कर आगे आना ही होगा. अपनी और अपने गांव की स्वच्छता की ,कामयाबी की कहानी बनानी होगी. आज अचानक एक खबर ने फिर चौंका दिया. बदायूं बरेली … read more at monicagupta.info

वैसे स्वच्छता के बारे में आपका क्या ख्याल है … जरुर बताईएगा !!

 

 

August 30, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

स्वच्छता और स्वास्थ्य

स्वच्छ भारत अभियान के असली हीरो

स्वच्छता से स्वास्थ्य रक्षा

स्वच्छता और स्वास्थ्य की बात चलती है  तो हमारे जहन में सबसे पहले स्वच्छता से स्वास्थ्य रक्षा ही आती है आमतौर पर लोग स्वच्छता का सीधा सम्बंध शौचालय बनाने या इसका इस्तेमाल करने से ही निकालते है. यह बात ठीक है कि शौचालयों का बनाना और इस्तेमाल करना स्वच्छता का जरूरी अंग है पर इसक साथ साथ दूसरी बात भी उतनी ही जरूरी है जितनी शौचालयों के बारे में जागरूकता का होना…

क्या हैं स्वच्छता के अन्य जरूरी अंग

स्वच्छता और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए कुछ बातो का ध्यान रखना बहुत जरुरी है

  1. पीने का पानी का रख रखाव और बर्ताव
  2. बेकार पानी की निकासी
  3. मानव मल का सही निबटान
  4. कूड़े कचरों का सही निबटान
  5. घर तथा भोजन की स्वच्छता
  6. व्यक्तिगत सफाई
  7. ग्रामीण स्वच्छता सामुदायिक एवं पर्यावरण स्वच्छता

पीने के पानी का रख रखाव और बर्ताव

जब बात पीने के पानी की चलती है और खास तौर पर गांवों की बात होती है ता हमारे मन में पनघट कुऐं या हैंंड पम्पों की तस्वीर ही घूमती है जहां पर ठेठ घूघंट में ढकी महिलाए मटको में पानी भर भर के ले जा रही है  और वही दूसरी तरफ औरते कपडेे भी धो रही है.   बच्चे नहा भी रहे है और तो और  उसी पास खड़े गंदे पानी में  मच्छर, मक्खी भिनभिना रहे है वही पानी कच्चे रास्ते को गंदा बदबूदार बनाता हुआ जोहड़ में जा मिलता है   वही पशु स्नान कर रहे होते है बस यही से शुरू होती है बीमारियों की जड़ अगर ऐसे वातावरण दूषित जल का प्रयोग किया जाए तो हैजा, दस्त, पीलिया जैसे रोगों का खतरा बना रहता है इसलिए यह बहुत जरूरी हो जाता है कि साफ और स्वच्छ पानी ही इस्तेमाल करे। पर ऐसे माहौल में पानी स्वच्छ पानी कैसे हो। उसके लिए हमें कुछ बातों का खासतौर पर ध्यान रखना चाहिए जैसे कि जहां से पानी भरे… अगर कुआ है तो ढ़का हो अगर वहां जल हत्था लगा है तो वो जगह एकदम से सूखी और साफ हो वहां सही प्रकार से नाली बनाई हो ताकि पानी वहां जमा ही ना होने पाएं आमतौर पर खुली नदी या तालाब बीमारियों के घर माने जाते है इसलिए इसे बचे।

पानी भरने के जो भी स्त्रोत है वो सब पक्के होने चाहिए अब एक बात और बहुत जरूरी है कि जब भी पानी भरे उसे बर्तन का पहले धो ले और उसमें अपनी अगूलियां ना डुबवाए

पानी पीने के लिए डण्डी वाले लोटे का इस्तेमाल करे और पानी के बर्तन को हमेशा ढक कर ही रखें। हां कई बार पीने का सुरक्षित स्थान नही होता तो ऐसे में पानी का उबालना चाहिए।

20 मिनट उबाल कर पानी के रोगाणु नाष्ट हो जाते है उबालने के साथ साथ एक अन्य साधन भी है क्लोरीन से उसे साफ करना  असुरक्षित पानी का सुरक्षित बनाने का यह सबसे सरल, असरदार रसायन है क्लोरीन की दवाई स्थानीय चिकित्सा केद या दुकानों से मिल जाती है। इसलिए हमें अगर स्वस्थ रहना है तो पानी का स्वच्छ पान बहत जरूरी है इसलिए यह जरूरी है कि पानी जहां से ले वो जगह ढ़की हुई। साफ हो।

–           साफ बर्तन में पानी भरना चाहिए या फिर पानी भरने से पहले बर्तन साफ पानी  में धोना बहुत जरूरी है।

–           पाने के पानी को ढ़क कर रखना निहायत जरूरी है और उससे भी ज्यादा जरूरी है कि डंंडी वाला लोटा इस्तेमाल किया जाए या फिर लम्बी गर्दन वाली सुराही पीने के पानी के लिए इस्तेमाल की जाएं इसमें पानी दूषित होने के कारण बहुत कम होते है वैसे भी आजकल मटको एवं घड़ो में नलके लगे आने लेग है यह भी सुविधा जनक तथा स्वच्छता लिए होते है क्योंकि बार-बार ढ़कन्न हटा कर पानी पीने की जरूरत ही नही रहती

इसके पीने वाले पानी को हमेशा उंची जगह पर रखना चाहिए ताकि जल्दी से घूल मिटटी ना पड़े तो हमने देखा कि अगर साफ पानी का कोई साधन ही ना मिले तो पानी का उबाल कर या फिर क्लारीन की टिकिया डाल कर उसका इस्तेमाल करना चाहिए।

बेकार पानी की निकासी:-

जैसा कि पहले बताया गया है कि आमतौर पर पानी भरने वाली जगह सही ढ़ग से निकासी ना होने के कारण पानी खड़ा रह जाता है ऐसे मे ना सिर्फ गन्दगी बदबू फल जाती है बल्कि मच्छर, मक्खी बीमारियों का केन्द्र बन जाते है ऐसे में यह बहुत जरूरी हो जाता है कि बेकार पानी की निकासी सही ढ़ग से हो घर में अगर रसोई घर में पानी बाहर निकलने का पक्का रास्ता हो तो वो सबसे बेहतर है और वो रसोई घर से निकला बेकार पानी अगर बगीचे में लगी सब्जियों और खेते में जाए तो सोने पर सुहागा हो जाए। इससे पानी का सही इस्तेमाल भी हो जाता है और बगीचा और खेतो को भी पानी मिलता रहता है।

कूड़े कचरे का सही निबटान:-

गांव का नाम लेते ही हमारे दिलों दिमाक में बस भैंसे गाय, गौबर, गन्दगी ही आते है तो क्या यह गोबर और गन्दगी ही गांव की पहचान बन चुकी है इससे छुटकारा नही पाया जा सकता। जी हां, इसे बिल्कुल दूर किया जा सकता है सड़क और गलियों में पड़ा कूड़ा ना सिर्फ मच्छरों को जन्म देकर बीमारियों बढ़ाता है बल्कि टेटनस के रोगाणु खुले घाव से शरीर मे आते है और इससे नवजात बच्चों की जान का भी जबरदस्त खतरा हो सकता है।

अकसर कूड़े और गदगी के ढेर के पास सूअर, कुतो सांड़ो आदि जानवरों का जमावड़ा लगा रहता है और मच्छर, मक्ख्यिों और कॉकरोच की संख्या तो पूछिए ही मत … अगर बीमारी से बचना है तो स्वच्छता रखनी ही पडेगी.

मानव मल का सही निबटान

जहां खुल्ले में मल बीमारियों को निमत्रंण देता है  इसको बनाने के लिए ज्यादा जगह की भी जरूरत नही होती अब यह अपनी घरेलू स्थिति, भूजल विज्ञान, क्षेत्र में प्राप्त निर्माण वस्तुओं का प्रकार, आदत, निवाज और खुद की सहुलियत और दुष्टिकोण पर निर्भर करता है कि वो किस प्रकार का शौचालय बनाना चाहते है।

घर की सफाई, सुव्यवस्था एवं सुरक्षित भोजन

गांव के लोगों के ज्यादातर घर छोटे, अंधेरे वाले होते है जहां ताजी हवा की निकासी सही प्रकार से नही होती इसके साथ-2 सारा परिवार एक ही कमरे में रहता है और ज्यादातर रसोई घर भी वही एक कोने में बना होता है ऐसे में सहज ही कल्पना इससे ना सिर्फ गांव स्वच्छ और सुन्दर बनेगा बल्कि निर्मल ग्राम पुरस्कार के लिए भी दावेदार हो सकते है।

व्यक्तिगत सफाई

अभी तक हमने बात की घर व आस पड़ोस की सफाई की। अब हम आते है अपनी व्यक्तिगत सफाई पर। जी हां जितनी जरूरी घर की सफाई है उतनी ही जरूरी खुद की सफाई भी है। कई रोग ऐसे है जो व्यक्तिगत सफाई के अभाव में ही फलते है हमे विश्वास नही होगा लेकिन हाथो की सफाई हममें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। आमतौर पर झाडू या बर्तन धोने के बाद या शौच जाने के बाद या सिर्फ बच्चे का शौच साफ करने के बाद हाथो को उतनी अच्छी तरह नहीं धोते जितने धोने चाहिए।

सामुदायिक एंव पर्यावरण स्वच्छता:-

स्वच्छता के बारे में जागरूकता होनी बहुत ही जरूरी है। क्योंकि अगर वातावरण स्वच्छ नहीं होगा तो स्वच्छ जीवन शैली नही बन पाऐगी। मान ले कि हमने अपना घर तो साफ करके चमका लिया पर कूड़ा बाहर ही सड़क पर फेंक  दिया। ऐसे में गन्दगी के कीटाणु मच्छर, मक्खी सब गन्दगी पर जाने के बाद आराम से घर के भीतर भी आऐगे और ज्यादा गन्दगी फैलाऐगे अब लोग घरो में सोख्ता गडडे तो बनवा लेते है पर उसकी देखभाल ना होने की वजह से उसका पानी सड़क पर ही बहे जाता है और गन्दगी फैलाता है।

स्वच्छ भारत

स्वच्छ भारत बनाम गांधी जयंती पिछ्ले साल यानि सन 2014 में 2 अक्टूबर से स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की गई. आरम्भ में झाडू हाथ मे लेकर फोटो खिचवाने See more…

 

तो यह हुए स्वच्छता के सात विभिन्न अंग सभी बहुत जरूरी है और इनको अपनाने से जीवन खुशहाल और रोग मुक्त हो जाएगा।

अगर आपके भी स्वच्छता को लेकर कोई विचार हों तो जरुर सांझा करें …

 

 

August 28, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

खुले में शौच, महिलाएं और स्वच्छता अभियान

खुले में शौच, महिलाएं और स्वच्छता अभियान

खुले में शौच, महिलाएं और स्वच्छता अभियान

महिलाओं का खुले में शौच जाना बेहद शर्मनाक

आज हम बात करते हैं खुले में शौच, महिलाएं और स्वच्छता अभियान की . स्वच्छ सर्वेक्षण 2017 हो या जन आंदोलन के रुप में चला स्वच्छता अभियान. महिलाओ को इसकी महत्ता समझ कर बढ चढ कर आगे आना ही होगा. अपनी और अपने गांव की स्वच्छता की ,कामयाबी की कहानी बनानी होगी.

खुल्ले में शौच से अकसर होते हैं रेप

खुले में शौच, महिलाएं और स्वच्छता अभियान की बारत करें तो अनायास ही रेप जैसी धिनौनी धटना सामने आती है आज अचानक एक खबर ने फिर चौंका दिया. बदायूं बरेली के गांव की रहने वाली तीन लड़कियों जोकि चचेरी बहनें थी और जिनकी उम्र 13, 14 और 15 साल थी। शौच के लिए निकली थी मृत पाई गई. मृत 14 साल की बच्ची के पिता रोते हुए कहते हैं कि उनकी बेटी अगर शौचालय के लिए बाहर नहीं गई होती, तो आज जिंदा होती।

ये पहली घटना नही है अगर हम गूगल सर्च करेंगें तो ऐसी न जाने कितनी धटनाएं हमारे सामने होंगी … जोकि बेहद दुखद है… !!

ये खबर देख ही रही थी दूसरी ओर मोदी जी की मन की बात कार्यक्रम चल रहा था. वो इस बात पर जोर दे रहे थे कि शौचालय बनवाने चाहिए…

वाकई में, कुछ चीजे बहुत जरुरी हैं जिसमें शौचालय बनवाना तो बहुत ही जरुरी है क्योकि महिला की इज्जत और मान सम्मान से जुडा है ये मामला… एक तरफ पर्दा करना और दूसरी तरफ वो ही महिला खुले में शौच जाए कितने शर्म की बात है..

खुले में शौच करना स्वास्थ्य के लिए जितना हानिकारक है उतना ही महिलाओं की गरिमा और सुरक्षा के लिए भी खतरा है. महिलाएं खुले में शौच करती हैं. अकेले जाने से डरती हैं, समूह में जाती हैं क्योंकि अकेले जाने से उनपर यौन हिंसा होने का डर हमेशा बना रहता है. देखा गया है कि गांवों और झुग्गियों में महिलाओं से बलात्कार की अधिकतर घटनाएं शौच को जाते समय ही होती हैं.खास कर मासिक धर्म के दौरान किन दिक्कतों का सामना करना पडता होगा जिसका अंदाजा हम और आप नही लगा सकते…  लड़कियों के बड़े होते ही वो स्कूल जाना कम कर देती हैं क्योंकि स्कूलों में शौचालय नहीं हैं, अगर हैं भी तो वो स्वच्छता  की दृष्टि से जाने लायक नहीं हैं.

गांवों की लड़कियां स्कूल जाने से वंचित रह जाती हैं इसका सबसे बड़ा कारण शौचालय ही हैं. बेशक जागरुकता आ रही है पर जितनी तेजी से आनी चाहिए वो नदारद है.

स्वच्छता के साथ साथ बीमारी से भी जोड कर देखा जाना जरुरी है. इससे होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं भी काफी गंभीर हैं. एक सर्वे के मुताबिक हमारे देश के पांच साल से कम उम्र के 140,000 से भी ज्यादा बच्चे हर साल डायरिया की भेंट चढ़ जाते हैं. बच्चे जीवाणु संक्रमण और परजीवियों के संपर्क में आते हैं जिससे उनकी छोटी आंत को नुकसान पहुंचता है. वृद्धि और विकास के लिए जरूरी पोषक तत्वों को अवशोषित करने की क्षमता रुक जाती है. फिर बच्चे चाहे जितना भी खाना खाएं, उन्हें पोषण नहीं मिलता.

प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत अभियान को  2 अक्टूबर 2014 को शुरू किए गया था और इस अभियान का मिशन 2 अक्टूबर 2019 तक खुले में शौच करने से भारत को मुक्त करना है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ़ के आंकड़ों के मुताबिक़ गांवों में स्थिति और भी ख़राब है. ग्रामीण इलाक़ों में 65 फ़ीसदी लोग खुले में शौच करते हैं. इनमें शामिल महिलाओं को हिंसा और उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है, क्योंकि वो शौच के लिए बेहद सुबह या फिर देर रात निकलती हैं. जब सन्नाटा होता है. कई अध्ययन  यह ही बताते हैं कि शौचालय के अभाव में खुले में शौच के लिए निकलने वाली महिलाएं यौन हिंसा की ज़्यादा शिकार बनती हैं.

स्लोगन स्वच्छ भारत अभियान

कुछ साल पहले जब हरियाणा के जिला सिरसा में सरकार की तरफ से सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान का कार्यक्र्म चला तो मैं भी रिकार्डिंग के लिए जाती थी .. अक्सर वहां महिलाओ से बातचीत  होती थी तो जहां तक बच्चियों की बात है वो यही कहती थी कि वो अपनी मम्मी के साथ जाती है बाहर और कुछ कहती कि दिन छुपने का इंतजार करना पडता कुछ कहती कि यही भाग्य है … तो क्या हुआ पर जब प्रशासन की तरफ से महिलाओ को जागृत किया गया उन्हें बाहर शौच जाने से होने वाली बीमारी और शर्म का अहसास करवाया गया तो मानो उन्हें नई जिंदगी ही मिल गई… उन्होने ना सिर्फ घर पर शौचालय बनवा लिए बल्कि अन्य ladies को भी बाहर न जाने और घर मे शौच  toilets बनवाने के लिए प्रेरित किया और इस काम में आगे आईं युवा लडकियां, school students …

देखते ही देखते पूरा गांव एक परिवार बन गया और जुट गया स्वच्छता लाने में

 

महिलाए आज घर बने शौचालय इस्तेमाल करके इज्जत की जिंदगी जी रही हैं  और बहुत खुश है … !!

स्वच्छता अभियान और मेरे मन की बात – Monica Gupta

क्लिक करिए और सुनिए स्वच्छता अभियान पर  4 मिनट और 35 सैकिंड की ऑडियो… मेरा अनुभव बात स्वच्छता अभियान के दौरान की है.

क्लिक करिए और सुनिए स्वच्छता अभियान पर 4 मिनट और 35 सैकिंड की ऑडियो… मेरा अनुभव स्वच्छता अभियान और मेरे मन की बात बात स्वच्छता अभियान के दौरान की है. जब गांव गांव जाकर लोगों को जागरुक किया जा रहा था.लोगो को समझाया जा रहा था कि खुले मे शौच नही जाओ आसान नही था क्योकि सदियों से चली आ रही मानसिकता बदलना मुश्किल था. Read more…

अगर आपके पास भी कोई अनुभव हो तो जरुर बताईएगा !!!

July 7, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

नकारात्मक खबरों को परोसता टीआरपी का बाजार

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नकारात्मक खबरों को परोसता टीआरपी का बाजार

ईद का दिन और मेरे मन की बात

जाकिर नाइक, जाकिर नाइक, जाकिर नाइक… !! सभी चैनलों पर अंतहीन बहस का मुद्दा बना हुआ है जाकिर नाइक… !!आज जब सुबह उठते ही यह पता लगा कि ईद मुबारक के शुभ अवसर पर लखनऊ में महिलाएं पहली बार ईदगाह पर नमाज अदा करेंगी जोकि एतिहासिक होगा. यकीनन नजरे बार बार सभी चैनलों पर थी कि कैसा मंजर होगा. कितना अच्छा लगेगा. बुर्के में महिलाओं के भी विचार दिखाएगें उनके अनुभव पूछेगें और एक नए बदलाव की ओर हमारा देश अग्रसर होगा पर चैनल बदलती रही… बदलती रही पर वो खबर नही दिखी.

पहले बांग्लादेश में ईद के दौरान विस्फोट की  खबर  और फिर जाकिर नायक पर खबरें आकर ठहर गई. बहुत दुख हुआ कि मैं नमाज अदा करती महिलाओं को नही देख पाई ( हो सकता है किसी एक आध  चैनल ने दिखाया भी हो ) अलबत्ता नेट पर सर्च करके फोटो जरुर देख ली..

मेरा प्रश्न चैनल वालो से है कि क्या ये सही है क्या वो इस एतिहासिक खबर को प्रमुखता नही दे सकते थे या फिर टीआरपी बढाने और लडाने भिडवाने के लिए मेहमान बैठाए हुए थे और ईद जैसे मुबारक मौके पर भी सब अंट शंट गलत सलत बस बोले ही जा रहे थे… !!

ये वही चैनल वाले हैं जो सलमान के रेप्ड वूमन पर कितना बोल रहे थे और आज उसी सलमान खान के दीवाने हुए जा रहे हैं … जो हो रहा है सही नही है .. !! असल में न्यूज हमारी जिंदगी में बहुत असर डालती है इसलिए समाज अच्छा बने तो कुछ खबरे भी ऐसी सकारात्मक हो तो ज्यादा बेहतर अन्यथा …

 

लखनऊ ईदगाह में पहली बार महिलाओं ने पढ़ी नमाज – PardaPhash

लखनऊ: लखनऊ के ऐशबाग इलाके में आज एक नया नजारा था। सैक़ड़ो के संख्या मे बुर्का नशीं महिलाओ ने इस मस्जिद मे प्रवेश किया और 300 पुरानी ईदगाह में आज एक नया इतिहास रचा गया। पहली बार इतनी बड़ी तादाद मे महिलाओं ने यहा नमाज पढ़कर एक नया इतिहास रचा।

मुद्दे सारे जरुरी है और प्रमुखता सभी को देनी चाहिए और गम्भीरता से सोचना भी चाहिए  पर एक ही खबर को पकड कर बैठ जाना और अगले दिन फिर नया मुद्दा … ये सही नही !!

आपके  क्या विचार हैं नकारात्मक खबरों को परोसता टीआरपी का बाजार बारे मॆ..

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