Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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May 13, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

ऑड ईवन दिल्ली और मेरे मन की बात

Odd Even Delhi aur mann ki baat

cartoon by Monica Gupta

ऑड ईवन दिल्ली और मेरे मन की बात

Odd Even Delhi aur mann ki baat

बधाई अरविंद केजरीवाल जी… !! ऑड ईवन की सबसे ईवन बात … अब दिल्ली सबसे प्रदूषित शहर नही रही और सबसे ऑड बात यह कि मीडिया ने इस खबर को कोई प्रमुखता नही दी… !! ह हा हा !! अरविंद जी शुभकामनाऎ और बधाई !! आप लगे रहिए !!

अब दिल्ली नहीं दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में – Youthens News

read more at youthensnews.com

Delhi No Longer Most Polluted In World. But 4 Of 5 Worst Cities In India

Delhi was ranked worst polluted city in 2014 with a PM2.5 reading of 153. read more at ndtv.com

 

 

भारत के चार शहर शामिल टॉप टेन लिस्ट में…

भारत में पहले से तो दिल्ली को सबसे प्रदूषित कहा जा रहा था लेकिन इस रिपोर्ट में विश्व में दूसरे स्थान पर भारत का ग्वालियर शहर है। वहीं उत्तर प्रदेश भी इस मामले में ज्यादा पीछे नहीं है। यूपी के शहर इलाहाबाद को भी टॉप टेन सूची में रखा गया है। इलाहाबाद को दुनिया का तीसरा सबसे प्रदूषित शहर बताया गया है। वहीं बिहार की राजधानी पटना को छठा और छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर को सातवें दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार किया गया है….

एक शानदार और सफल प्रयास

ऑड ईवन दिल्ली और मेरे मन की बात

May 10, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

स्कूली बच्चे और शारीरिक दंड

कार्टून
कार्टून

कार्टून

स्कूली बच्चे और शारीरिक दंड

मुर्गा बनाना मना है … कुछ देर पहले मेरी सहेली मणि का फोन आया वो खुशी खुशी बता रही थी कि आज 30 साल के बाद उसे वो टीचर मिली जो स्कूल में उसकी बहुत पिटाई करती थी. उन्हे  देख कर और मिलकर बहुत अच्छा लगा. आज वो जो भी है उन्ही की वजह से है क्योकि ना स्कूल में वो पिटाई करती न वो पढाई मे ध्यान लगाती और ना वो फर्स्ट डिवीजन में पास होती … !! वाकई मॆंं, थोडी बहुत सख्ती और डर जरुरी होता है मुझे भी याद आ गया जब क्लास में बोलने और गणित में सवाल हल न करने पर क्लास से बाहर दोनो  हाथ उपर खडा होने की सजा मिलती और फिर वो सवाल ऐसा याद हुए … ऐसे याद हुए कि जिंदगी भर नही भूले … मैं सोच ही रही थी तभी अखबार में एक खबर पर नजर गई कि अगर बच्चे को मुर्गा बनाया तो टीचर को होगी 3 महीने की जेल और एक लाख रुपया जुर्माना  …

 

 www.bhaskar.com

जस्टिस जुवनाइल एक्ट में हाल में ही संशोधन किया है। देश में जेजे एक्ट यानि जस्टिस जुवनाइल एक्ट को लागू हुए कई साल हो गए, लेकिन अब इसमें कई बदलाव कर नए सेक्शनों को शामिल किया है। सेक्शन 77 के तहत अध्यापक स्कूल में बच्चे को किसी तरह की सजा देता है और बच्चा उसकी शिकायत खुद जुवनाइल अदालत या जिला प्रोबेशन अधिकारी के माध्यम से अदालत में याचिका दायर करता है तो सजा व जुर्माना दोनों हो सकते हैं…..       read more at bhaskar.com

Rajasthan News | Hindi News | Latest News | Samachar

कई बार देखने में आया है कि विद्यार्थी सजा से इतने भयभीत हो जाते हैं कि काफी दिनों तक विद्यालय जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। मनोविज्ञानियों के अनुसार शारीरिक दंड का बच्चों के दिल और दिमाग पर गहरा असर पड़ता है। हीन भावना से ग्रस्त बच्चे इसी वजह से पढ़ाई में पिछड़ जाते हैं। कई बच्चे आत्महत्या जैसा कदम उठाने को मजबूर हो जाते हैं, जिसे देखते हुए किशोर न्याय अधिनियम-2015 लागू किया है। बच्चों या अभिभावक की शिकायत पर पुलिस को संबंधित शिक्षक के खिलाफ मामला दर्ज करना होगा। क्रूरता बरती तो 10 साल की सजा ‘आरटीई की धारा 17 के अनुसार शिक्षक द्वारा बच्चे को प्रताडि़त करने और जांच में सही पाए जाने पर कड़ी सजा का प्रावधान है। धारा 82 (1) में अनुशासन सिखाने के नाम पर यदि बच्चे जान-बूझकर शारीरिक दंड दिया गया तो पहली बार दोष सिद्ध होने पर 10 हजार रुपए जुर्माना, दूसरी बार में तीन माह की सजा तथा धारा 82 (2) में दोषी शिक्षक को बर्खास्त करने का प्रावधान है।Ó धारा 75 के तहत बच्चे के साथ शारीरिक दंड के नाम यह क्रूरता बरती गई तो आरोपित के खिलाफ 10 वर्ष तक की सजा पांच लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान भी है। read more at rajasthannews.net

इतना ही नही सेक्शन 75 के तहत अगर घर पर माता पिता बच्चे के साथ मारपीट या अभद्र भाषा बोलते हैं तो उन्हें भी 3 साल जेल और 1 लाख रुपया जुर्माना हो सकता है..

चाहे स्कूल हो या घर बच्चे में थोडा डर तो रहना ही चाहिए पर अब बच्चा बिल्कुल बेखौफ हो जाएगा जोकि कही न कही सही नही भी है वैसे आपका इस बारे मे क्या विचार है जरुर बताईएगा …

 

 

May 8, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

बदलता समय और मदर्स डे

मदर्स डे

बदलता समय और मदर्स डे – समय बदल रहा है. कुछ समय पहले मुझे एक सहेली के जाना था. वो खुद डाक्टर हैं. उसके एक दिन पहले बेबी हुआ था. मन मे यही सोच लिए गई कि वो सो ना रही हो मेरे जाने से खलल न पडे पर जब मिलने गई तो वो वहां थी ही नही पता चला कि किसी की डिलीवरी होनी थी इसलिए मरीज को देखने गई हुई हैं… मैं हैरान रह गई क्योकि आमतौर पर यही कहते हैं कि बच्चा होने के बाद 40 दिन पूरा आराम करना होता है.. लग रहा है वाकई समय बदल रहा है.

बदलता समय और मदर्स डे

अब देखिए ना एक समय था जब मम्मी ने हमारी उंगली पकड कर चलना सिखाया लिखना सिखाया और एक आज का समय है जब हम मम्मी को उंगली पकड कर स्मार्ट फोन इस्तेमाल करना टच स्क्रीन मोबाईल इस्तेमाल करना सीखा रहे हैं और मैसेज कैसे भेजे, स्माईली कैसे आएगी और वटस अप कैसे करना है सब सीखा रहे हैं … !!

 

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और मजा तो तब आता है जब हम उन्हें गुस्सा भी कर देते हैं क्या है आप ध्यान से समझ लो एक बार … !! और तब रुआसा मुंह देख कर हंसी छूट जाती है… ये बात मैं एक मां और एक बेटी के अनुभव से बता रही हूं !! डांट खाई भी है और खिलाई भी है !! पर जो है बहुत अच्छा है … बहुत ही अच्छा है …

मां का दिल ऐसा ही होता है - मदर्स डे पर एक अनुभव

मदर्स डे की सभी को शुभकामनाएं !!

 

https://monicagupta.info/videos/%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A5%80-%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%81-%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80-%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%81/

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May 4, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

हाय मोटापा -वजन कम करने के उपाय

कार्टून -मोनिका गुप्ता

मोटापा घटाने के तरीके – मोटापा कैसे कम करे

आमतौर पर छरहरी काया हम सभी को पसंद होती है पर हाय मोटापा -वजन कम करने के उपाय क्या है क्या करें वजन कम होगा या नही जानकारी ही नही होती और सोचना ही मुश्किल लगता है  इसलिए डर के मारे वजन कम करने का सोचते ही  पसीने छूटने लगते हैं..

 

कार्टून -मोनिका गुप्ता

 

वजन कम करना किसी हौव्वा से कम नही .. हमारी सोच

हाय मोटापा -वजन कम करने के उपाय बहुत सोचते रहते हैं हम . अक्सर वजन कम करना हौव्वा ही लगता है  इसके लिए  हम स्टाईल स्टाईल  में जिम जाना शुरु कर देते हैं पर वहांं से भी धबरा जाते हैं और फिर वहां न जाने के बहाने खोजते दिख जाते हैं या फिर अगर कोई जिम जैसी सुविधा घर भी ले आते हैं पर वो सुविधाए कुछ दिन शो पीस और कुछ दिनों बाद स्टोर का रुख कर लेती है … जिस चीज के आने के लिए कभी बहुत पैसा खर्च किया घर मे अलग जगह बनाई  उसे खुड्डे लाईन लगा दिया जाता है…

.. क्या वाकई !!

मो टापा कम करने के लिए खाना छोड देना बिल्कुल गलत सोच है… अपना वजन कम करने के लिए कुछ टिप्स तो मैं भी दे सकती हूं जैसा कि घर पर दूध डबल टोंड इस्तेमाल करना शुरु कर दीजिए.

रात को जितना सम्भव हो सके नमक न खाए और खाना भी हो तो जल्दी  यानि 8 बजे तक डिनर कर लेना चाहिए. खाना खाना खाते ही सोना सही नही है.

ग़्रीन टी नियमित दिन में एक या दो बार  लेनी चाहिए.

बजाय चावल छोडने के या तो ब्राउन राईस खाने  शुरु कर देने चाहिए या फिर चावल उबाल कर खाने की आदत बना लेनी चाहिए और जहां तक हो सके सब् में आलू भी उबाल कर ही  खाईए ताकि मोटापा न बढे.

पानी खूब पीना चाहिए और बटरमिल्क यानि छाछ का भी भरपूर इस्तेमाल करना चाहिए.

सबसे जरुरी बात ये कि पेट को खाली नही रखना चाहिए कुछ न कुछ हल्का फुल्का  रोस्टिड नमकीन जैसा खाते रहना चाहिए .

इसके इलावा वाईट ओटस, मूसली ,वीट ब्रैन, दलिया या इडली, ढोकला आदि चीजे वजन नही बढाती. और हां ,देसी घी को जरुर एक बार छोडना पडेगा यानि अगर आप चपाती पर लगाते हैं तो कोशिश कीजिए बिना घी लगाए खाएं

वैसे बातें तो बहुत हैं पर ये कुछ मुख्य मुख्य बातें हैं जिसे अगर आप अपनी दिनचर्या में अपना लेंगें तो वजन में फर्क पडना शुरु हो जाएगा …

… और जब आपके रिश्तेदार और दोस्त आपकी तारीफ करना शुरु करेंगें तो आपको इतनी खुशी होगी और हिम्मत आएगी  आपका मन करेगा कि आप और भी वजन कम कर सकते हैं …

Healthy Breakfast recipes-vermicelli  जरुर ट्राई कीजिए एक पौष्टिक और स्वादिष्ट नाश्ता

 

शेष फिर बात होगी .. पहले कम करना शुरु तो कीजिए … !!

May 3, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

करियर विकल्प , बच्चे और अपेक्षा के बोझ तले युवा

करियर विकल्प , बच्चे और अपेक्षा के बोझ तले युवा

करियर विकल्प , बच्चे और अपेक्षा के बोझ तले युवा

कुछ देर पहले सडक पर एक पिता शायद अपने छोटे से बच्चे को स्कूल छोडने जा रहे थे.बच्चा स्कूल नही जाना चाह रहा रहा था इसलिए रो रहा था और उसके पिता भी उसे गुस्से मे बोल रहे थे कि स्कूल नही जाएगा तो जमादार बन जाएगा सडक पर झाडूं लगाएगा कहते कहते और जोरदार चांटे जड दिए. अब सोचने की बात यह है कि बच्चा रो किसलिए रहा है यह वजह पता लगाने की कोशिश करके हल निकालना चाहिए. ये मारपीट कोई हल नही है.

 

आज अचानक एक खबर ने चौक दिया जिसमें एक लडकी ने छ्त से कूद कर आत्महत्या इसलिए कर ली कि IIT-JEE pass करने के बाद भी वो इंजीनियर नही बनना चाह्ती थी. उसने अपने सोसाईड नोट मे लिखा कि उसकी मम्मी ने उसे साईंस दिलवा दी थी .. जबकि उसका कोई interest नही था उसमे… !!

17 year old Girl commit suicide after cracking JEE, didn’t want to be an engineer – Navbharat Times

17 year old Girl commit suicide after cracking JEE, didn’t want to be an engineer – Navbharat Times

 

कोटा जहां ज्यादातर बच्चे शिक्षा के लिए जाते हैं एक खबर के अनुसार वहां ये पाचंवी खुदकुशी है…

कई पेरेंटस तो कालिज मे आने के बाद वो विषय दिलवाते हैं जिसकी बच्चे मे कोई रुचि नही होती. फिर वजह बनती है बच्चो मे टेंशन की और बच्चा पढाई मे पिछडता चला जाता है या फिर कोई गलत रास्ता( नशा या खुदकुशी आदि) रास्ता चुन लेता है.

 

इसी बीच एक अन्य खबर राहत लेकर आई जिसमे कोटा के डीसी ने माता पिता को चिठ्ठी लिख कर मार्मिक अपील की है कि वो बच्चे पर अपनी इच्छाओं का बोझ न डालें .डीसी कोटा श्री रवि कुमार ने पांच पेज का पत्र लिखा है

Kota DC writes To Parents, Do not burden your children – Navbharat Times

कुमार ने लिखा है, ‘कोटा शहर के DC होने के नाते मैं यहां पढ़ने आए आपके बच्चों का स्वागत करता हूं। यह मेरा सौभाग्य है कि मैं देश के युवा हुजूम का स्वागत करता हूं। यहां पढ़ने आए बच्चे भविष्य में सफल होकर आधुनिक भारत के निर्माण में अपनी भूमिका निभाते हैं।’ सुरपुर ने पत्र में अभिभावकों से परिपक्व व्यवहार करने की अपील की। पत्र में सुरपुर ने युवा छात्रों की खुदकुशी की घटनाओं का हवाला देते हुए लिखा कि खुदकुशी करने वाले बच्चों के माता पिता की उनसे बड़ी उम्मीदें थीं। अपेक्षाओं के बोझ तले बनावटी दुविधा में जीने के बजाय उन्होंने मौत को गले लगाना आसान समझा। यह बहुत तकलीफदेह है। उन्होंने लिखा, ‘बच्चों को बेहतर प्रदर्शन के लिए डराने धमकाने या फिर अपेक्षाओं का बोझ लादने की जगह आपके सांत्वना के बोल जरूरी हैं। नतीजों को भूलकर बेहतर करने के लिए प्रेरित करना, मासूम कीमती जानें बचा सकता है।’ DC ने पूछा, ‘क्या माता पिता को बच्चों की तरह अपरिपक्वता दिखानी चाहिए? Kota DC writes To Parents, Do not burden your children – Navbharat Times

 

कुल मिलाकर आज के बच्चो के मन को देखते हुए माता पिता की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है. उन्हें बच्चो को बहुत प्यार से हैंडल करने की जरुरत है अन्यथा .

करियर विकल्प , बच्चे और अपेक्षा के बोझ तले युवा के बारे में आपकी क्या राय और सोच है जरुर बताईएगा …

 

 

youth reading photo

Photo by Enokson

May 2, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

अजब गजब नाम और मेरे मन की बात

नाम बदलना कितना सार्थक - जब गुडगांव बना गुरुग्राम

अजब गजब नाम और मेरे मन की बात

अगर मैं क्रांति, आंदोलन, संघर्ष, भूख हडताल ,नेता की बात करुं तो आपको लगेगा कि मैं आज राजनीति की बात कर रही हूं पर नही ये एक परिवार में बच्चों के नाम हैं .. जी हां, मध्यप्रदेश के रहने वाले समाज सेवी मुन्नालाल ने अपने बच्चों के नाम बहुत खुशी खुशी रखे हैं… है ना हैरानी की बात … !!

वैसे कुछ शहर तो कुछ गांव के नाम भी अजीबो गरीब होते हैं मुझे याद है न्यूज के सिलसिले में जब अक्सर सिरसा के गांव जाना पडता था कुछ गांव के नाम ऐसे है कि बोलने मे झिझक सी महसूस होती जैसे कुताबढ, कुतियाना विचार आता था कि नाम परिवर्तन की इन गांवों को जरुरत है ना कि गुडगांव का गुरुग्राम होना …वैसे कुछ गावों के नाम प्यारे भी बहुत हैं जैसाकि दादू , मिठरी , हस्सू, कालूआना..वैसे कालूआना प्यारा नाम नही है …  😆

दैनिक भास्कर

दैनिक भास्कर

कुछ लोग चुनाव चिन्ह भी अजीबो गरीब रखते हैं तो कुछ एक दूसरे की वोट काटने के लिए एक जैसे नाम रख लेते हैं..

मैं पढ ही रही थी कि तभी मणि का फोन आया कि वो मेरे घर नही आ रही क्योकि उसकी कामवाली बाई शिमला गई है.. अरे वाह मैने कहा वाह शिमला.. क्या बात है !! इस पर वो बोली अरे वो वाला शिमला नही यही पास में एक गांव है शिमला वहां गई है… !!

अचानक मेरी नजर  उसी अखबार में छ्पी एक दूसरी खबर पर गई.. गुजरात के कुछ गांवो के नाम भूतडी, चुडैल… कैसे लेते होंगें ये लोग अपने गावों का नाम !!

गूगल सर्च और अजब वेबसाईट      भी जरुर पढिए

 

BBC

भारत में शहरों के नामों को बदलने का काम 20 साल पहले तब शुरू हुआ था जब भाजपा और शिवसेना की सरकार ने 1996 में बंबई का नाम बदलकर मुंबई रखा.

लेकिन यह गुरूग्राम से अलग मामला था, क्योंकि ज़्यादातर लोग बंबई, मुंबई या फिर बुंबई नाम का इस्तेमाल करते थे और उससे परिचित भी थे. लेकिन तब भी विरोध करने वालों का तर्क यही था कि बंबई एक ब्रांड था और उससे ब्रांड का नुक़सान होगा.

पीछे मुड़कर देखने पर और 20 साल के लंबे अंतराल पर नज़र डालने से ये नहीं लगता है कि नाम बदलने से ब्रांड का कोई नुक़सान हुआ है.

मुंबई की समस्या आधारभूत ढांचों की है. यह बाहरी लोगों को रोज़गार तो मुहैया कराता है लेकिन उनके रहने के लिए मुंबई के पास बस ख़स्ताहाल सुविधाएं ही बची हैं. read more at bbc.com

 

 

हे भगवान !! हे ईश्वर!! हे प्रभु !!

 

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