Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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October 14, 2015 By Monica Gupta

डाइट प्लान – त्योहारों का मौसम

डाइट प्लान - त्योहारों का मौसम

अकसर हम डाइट प्लान  बनाते हैं पर त्योहारों का मौसम आते ही सारे प्लान गडबड हो जाता है. डाइट प्लान और त्योहारों का मौसम आखिर क्या किया जाए.

डाइट प्लान – त्योहारों का मौसम

पतला होना नही आसान !! डाइट प्लान  त्योहारों का मौसम आते ही हमारी चिंता अब्ढ जाती है कि क्या होगा …कई बार हम ये भी सोचते है6 कि   पतला होना बहुत सस्ता सौदा है खाना पीना बंद करो और हो गए पतले !! पर नही !! पतला होना, वाकई, बहुत महंगा सौदा है.

त्योहारों का मौसम डाईटिंग कैसे हो

डाइट प्लान  कैसा हो ? त्योहारों के मौसम में डायटिंग कैसे करें . हर किसी की कामना होती है छरहरा बनने की … अगर ऐसा न होता तो लोग जिम मे हजारों रुपए खर्च न करते. और तो और जिम के इलावा खाने में भी फल,ढेरों हर्बल चीजे, ब्रैन, ओट, मूसली, फलेक्स खाने होतें हैं जोकि अच्छे खासे महंगें होते हैं.

diet photo

डाइट प्लान – त्योहारों का मौसम

मेरी एक सहेली आजकल इन्ही चीजों से अपना कर वजन कम कर रही है जब भी उसे कुछ सर्व करो तो यही कहती है न बाबा कुछ नही लूगी. 100 ग्राम वजन बढ जाएगा 500 ग्राम वजन बढ जाएगा. वाकई, मोटा होना बहुत आसान है

परौंठी, ताजा मखन्न, मीठा, चिप्स, आलू पूरी खाओ और दो चार किलो बढाओ पर कम करना हो तो ग्राम मे ही कम होता है वो भी धीरे धीरे…तभी तो ये पतला होना नही आसान … बस इतना समझ लीजिए त्योहारों का मौसम है और जी भर के खाना है !!!

पानी पीने के फायदे – Monica Gupta

पानी कितना पीना चाहिए अकसर हमारे मन में प्रश्न आता है कि पानी पीने के फायदे क्या है और कितना पानी पीना चाहिए. हम सुनते हैं कि अगर वजन कम करना है तो खाने के read more at monicagupta.info

 

October 13, 2015 By Monica Gupta

साहित्य अकादमी सम्मान

Award Monica Gupta
मोनिका गुप्ता( हरियाणा साहित्य अकादमी अवार्ड )

मोनिका गुप्ता( हरियाणा साहित्य अकादमी अवार्ड )

साहित्य अकादमी सम्मान

हरियाणा साहित्य अकादमी सम्मान

बात 2009 की है जब मेरी पहली पुस्तक” मैं हूं मणि” को हरियाणा साहित्य अकादमी की ओर से “बाल साहित्य पुरस्कार” मिला. इसके इलावा अभी तक दो अन्य लिखी किताबों “ समय ही नही मिलता”, “ अब मुश्किल नही कुछ भी”  को हरियाणा साहित्य अकादमी की ओर से अनुदान मिला.

पहली पुस्तक और उसे ही बाल साहित्य पुरस्कार  मिलना बेहद खुशी और गर्व की बात थी. ऐसी खुशी और गर्व उन सभी साहित्यकारों और लेखकों को होता होगा जिन्हे ये सम्मान मिलता है. अब मैं आती हूं आज की बात पर कि आज इतने साल बाद मुझे यह बताने की जरुरत क्यो पडी. वो इसलिए कि कई साहित्यकारों द्वारा मिला सम्मान लौटाया जा रहा है.

इसी बारे में, पिछ्ले एक दो दिन में बहुत लोगो को सुना और उनकी प्रतिक्रिया भी देखी. बेशक, हम जिस समाज मे रहते हैं हमे अगर अपनी बात रखने का हक है तो उसी तरह हमे किसी बात का विरोध करने का भी हक है पर सम्मान को लौटाने का ये  तरीका सही नही. हां एक बात हो सकती थी कि देश के सभी साहित्यकारों और लेखको को इसमे शामिल करके उनकी राय जानी जाती और फिर एक जुट होकर ऐसा कदम उठाया जाता जो समाज हित मे होता तो शायद कुछ बात बनती.

कोई कदम उठाने से पहले एक बात जरुर जहन में रखनी चाहिए कि ना मीडिया हमारा है और न ही नेता हमारे हैं हमें अगर अपनी बात रखनी है तो कलम को ताकत बनाए और उसी के माध्यम से अपना विरोध व्यक्त करें. टीवी चैनल पर  एक धंटे बैठ कर, बहस कर, लड झगड कर अपने स्तर से गिर कर बात रखने का क्या औचित्य है… !! धरना प्रर्दशन और भूख हडताल भी कोई समाधान नही जैसा कुछ लोग अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं.

हमारी ताकत हमारी लेखनी है और सोशल मीडिया एक खुली किताब है. इस पर  हम सब मिलकर अपनी बात दमदार तरीके से रखे तो सोच मे जरुर बदलाव आएगा.

साहित्य अकादमी सम्मान

मोनिका गुप्ता( हरियाणा साहित्य अकादमी अवार्ड )

मोनिका गुप्ता( हरियाणा साहित्य अकादमी अवार्ड )

मोनिका गुप्ता( हरियाणा साहित्य अकादमी अवार्ड )

 

October 13, 2015 By Monica Gupta

Bread News

bread cartoon by monica gupta

bread cartoon by monica gupta

Bread News

Bread News ya Bad News

Thank God !!! कल जब सुधीन्द्र कुलकर्णी जी की स्याही पोतने वाली खबर आनी शुरु हुई तो राहत की सांस ली कि चलो भई, न्यूज चैनल वालो का ध्यान तो हटा बीफ़ टाईप खबरों से … क्योकि अब नवरात्रि शुरु हो गए हैं और इस तरह की खबरों से जी खराब हो जाता है. आज सुबह गर्मा गर्म चाय और ब्राउन ब्रैड नाश्ते में लेते हुए टीवी पर खबरे चला ली और खाते खाते देख कर सोच रही थी कि आज तो सारी pure veg.यानि शुद्द शाकाहारी न्यूज ही होंगी.

वैसे ब्रेड की कितनी तरह की हो गई है ना . पहले ब्रैड मतलब ब्रैड होता था पर आज मल्टी ग्रेन ब्रैड, आटा ब्रैड  , गार्लिक ब्रैड, वाईट ब्रैड, सैंडविच ब्रैड, और चाय का भी यही हाल है. ब्लैक टी, लैमन टी, ग्रीन टी, हर्बल टी, पोदीना टी, जैसमीन टी, और आधा कप टी ह हा हा !!! मैं सोच ही रही थी कि  तभी अचानक एक खबर ने फिर होश उडा दिए. खबर है कि ब्राउन ब्रैड में जिंदा चूहा मिला और दिल्ली के एम्स अस्पताल मे उस ब्रैड पर तीन साल का प्रतिबंध लगा दिया है. हे भगवान !! फिर से non veg खबरें !!आज से ब्राऊन ब्रैड क्या सभी किस्म की ब्रैड खानी बंद !!!

 

AIIMS bars breadmaker for 3 years after live rodent found inside sealed packet : Mail Today, News – India Today

Imagine you’ve opened the sealed packet containing your favourite brown bread and a rat jumps out. Too bizarre to be true? That is just what happened at country’s premiere All India Institute of Medical Sciences (AIIMS), where thousands of patients get admitted for treatment daily. A live rat was found inside the sealed packet of Brown-Hi Fibre bread manufactured by M/s Bonn Nutrients. The medical institute has now banned the bread maker for three years.

Bonn Nutrients produces a variety of food products including breads, biscuits, cakes and cookies that are not only sold in India but in international market as well. Mail Today tried to contact the bread division manager of the company, but there was no response to our query sent via e-mail.

The Bonn sliced bread is served to patients admitted in various wards of the hospital, including patients who have undergone surgery and those suffering from severe infections. According to doctors, consumption of rodent-infected food could normally lead to allergy, fever, diarrhea, and even cause blood infection and meningitis.

AIIMS Medical Superintendent (MS) denied having any information about the incident. However, a senior doctor claimed the incident indeed took place and the bread packet with the rat inside it was noticed by alert AIIMS staff.

On September 24, the medical institute issued a notice in which it mentioned the incident and barred Bonn Nutrients from supplying any orders for a period of three years. Mail Today has a copy of the notice served to the manufacturer.

“A live rat was found on 29.07.2015 in the sealed packet of Brown-Hi Fibre Bread Slice manufactured by M/s Bonn Nutrients Pvt. Ltd and the company has failed to submit satisfactory reply to the showcause notice dated 09.09.2015,” the notice says.

“The company has also failed in keeping ‘Good Manufacturing Practice’. The quality wing of the company has failed in detecting such incident before the supplies are packed in cartons,” says the notice issued by AIIMS. Via indiatoday.intoday.in

वैसे ऐसा कैसा हो गया ?? बेहद हैरानी का विषय है !!!

October 12, 2015 By Monica Gupta

राजनीति, चुनाव और जुमले

 politics photo

Photo by tjmwatson

         

राजनीति, चुनाव और जुमले

चुनावी घमासान

पिछ्ले दिनों चुनावों के चलते जबरदस्त राजनीति छाई हुई है. वही मीडिया भी बढ चढ कर एक एक टवीट और एक एक कुरेदा हुआ बयान बढ चढ कर दिखा रहा था. इसी बीच एक खबर और आई. सम्बंधित और प्रेरित वो राजनीति से थी पर अफसोस वो सुर्खिया नही बन पाई बस न्यूज चैनल पर स्क्रोल पर ही अपना स्थान बना पाई .

खबर थी जाने माने साहित्यकारों का सम्मान लौटाना. मशहूर लेखिका नयनतारा सहगल  जोकि पंडित जवाहरलाल नेहरू की भांजी  हैं उन्होनें ने अपना  साहित्य अकादमी पुरस्कार(पुराना ही सही)

   लौटाने का फ़ैसला  यह कह कर किया कि  “सरकार, भारत की सांस्कृतिक विविधता की हिफ़ाज़त करने में नाकाम रही है. इस वजह से ये सम्मान लौटाने का फ़ैसला किया है. इनके साथ साथ अनेक जाने माने साहित्यकार जैसाकि अशोक वाजपेयी, शशि देशपांडे, सारा जोज़ेफ़, सच्चिदानंदन गुरबचन भुल्लर ने भी साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाए .

http://www.bbc.com/hindi/india/2015/10/151011_atamjit_singh_sahitya_academy_sdp

सोच की बात ये है कि क्या मात्र सम्मान लौटाने से हमारे नेता और उनकी राजनीति का स्तर सुधर जाएगा .. जितनी मुझे समझ आई वो  बात ये है कि बजाय सम्मान लौटाने के उन लेखकों और जाने माने साहित्यकारों  अपनी लेखनी को सशक्त माध्यम बनाते हुए अपने विचार जन जन तक पहुंचाने होंगे ताकि नेताओ के साथ साथ जनता  जनार्दन की मानसिकता मे बदलाव आए. हां, सम्मान लौटा कर कोई हल निकलेगा. एक प्रश्न चिन्ह है. जहां तक मैने देखा और सुना है कि किसी नेता की इस बाबत प्रतिक्रिया तक नही दी … ऐसे मे सम्मान लौटाने का औचित्य ???

वही एक बात और देखी. मोदी जी का एक कार्यक्रम मे बोलना कि ‘अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल भारत के नेल्‍सन मंडेला हैं.’बादल ‘वो महान नेता हैं जिन्हें आज़ाद हिन्दुस्तान में संघर्ष करते हुए भिन्न कारणों से क़रीब दो दशक जेल में रहना पड़ा. इसी बयान को लेकर टवीटर गर्माया रहा और विपक्ष बौखलाया रहा.. आम प्रबुद्द जन से पूछा तो सभी का यही विचार था कि क्या हो गया नेताओ को कुछ भी बोल देते हैं … !!!  

http://www.bbc.com/hindi/india/2015/10/151011_modi_compares_badal_mandela_md

हैरानी इस बात की भी है कि केजरीवाल जी अपना संदेश ओडियों के माध्यम से देते हुए कहते हैं कि इससे नेताओ का फायदा होगा…  अरे !! नेता जी शायद आप भूल गए नेता की श्रेणी में तो आप भी आते हैं वही राहुल जी  का कहना था कि नेताओ के लिए दंगें करवाना आसान हैं..!! समझ से बाहर से कि ये को क्या रहा है और आगे होगा क्या !!!

 राजनीति, चुनाव और जुमले  के बारे में आपके क्या विचार हैं ??

 

 

October 10, 2015 By Monica Gupta

एक मुलाकात रविंद्र जैन जी से

 

 

Ravinder Jain ( monica Gupta )

 

एक मुलाकात रविंद्र जैन जी से

Ravinder Jain – Famous Playback Singer

बात बहुत साल पुरानी  है जब  रविंद्र जी से  ज़ी न्यूज चैनल के लिए इंटरव्यू लेते हुए मिलने का सुअवसर मिला… उनसे बहुत सारी बाते पूछी और इंटरव्यू खत्म होने के बाद मैने अपने सबसे पंसदीदा गाने की फरमाईश की जोकि उन्होने सुनाया भी …

गाना था फिल्म अखियों के झरोखों से का …. जाते हुए ये पल छिन्न क्यो जीवन … !!! बेहद बेहद शानदार गाना जो सीधा दिल की गहराईयों मे उतर जाता है … !!

आज आप दुनिया मे नही रहे पर आपका संगीत, आपकी आवाज सदा सदा इस दुनिया में गूंजती रहेगी …

ईश्वर आपकी आत्मा हो शांति दे !!!

Ravinder Jain ( monica Gupta )

 

October 8, 2015 By Monica Gupta

रैली लीला

 

रैली ( मोनिका गुप्ता) रैली ( मोनिका गुप्ता)

 

रैली लीला

रैली का रौला .. रैली लीला है या राम लीला  या महाभारत अबकी बार  बहुत जल्दी शुरु हो गई है  कही आग उगलते नश्तर की तरह चुभते नेताओ के  बयान,  कही अठ्ठाहस करती राक्षसी और पिशाच जैसी हंसी, कही जंगल राज की बात तो कही धृर्त् राष्ट्र की तरह आखॆ बंद किए बैठी कानून व्यव्स्था, तो कही नेता और मीडिया के चक्रव्यूह मे फसंती जनता …

आज के संदर्भ में यक्ष प्रश्न

आज के समय में किसे सुधरना चाहिए
नेता को ( भडकाऊ भाषणों से)
न्यूज चैनलों को (बेसिर पैर की बातों को तूल देने पर )
या जनता को कि जो ये हो रहा है होता रहेगा इसलिए अपना मन खराब न करे…
है कोई जवाब ???

24 घंटे के खबरिया चैनल, एक एक घंटे की बहस और बहस के अंत में बोलेगें कि समय नही है समय खत्म हो रहा है अरे !!!… जब इतना समय लगाया है तो कुछ समय और देकर कम से कम किसी निष्कर्ष पर तो पहुंचों.. हर रोज यही ड्रामा चलता है … दर्शकों को अधर मे छोड कर क्या दिखाना चाह्ते हो अगर, वाकई आप अपने उठाए मुद्दों के प्रति गम्भीर हैं तो हटाओ विज्ञापन जो बहस के दौरान बार बार दिखाते हो … मत लो ब्रेक… लगातार दिखाओ बहस !! पर नही !! ये न होगा आपसे !! बस दिखावा ही करो कि आप जैसा जागरुक और सजग चैनल कोई दूसरा हो ही नही सकता…!!! हुह !!

भेजा फ्राय !!!

 

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