Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

  • About Me
  • Blog
  • Contact
  • Home
  • Blog
  • Articles
    • Poems
    • Stories
  • Blogging
    • Blogging Tips
  • Cartoons
  • Audios
  • Videos
  • Kids n Teens
  • Contact
You are here: Home / Archives for Articles

July 22, 2015 By Monica Gupta

ब्रांड एम्बेस्डर

ब्रांड एम्बेस्डर

पिछ्ले दिनों अमिताभ बच्चन जी सुर्खियों में थे कि उन्होने किसान चैनल के लिए 6.31 करोड रुपए लिए हैं जिसका बाद में खंंडन हुआ और फिर ये सुनने मे आया कि वो रुपए लौटा रहे हैं. मामला अभी गर्म ही था कि हरियाणा में बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान की बैंड एम्बेसडर बनी परिणिती चोपडा का पता नही कितने पैसे लिए है?

कुछ समय पहले हमने भी एक छोटी सी संस्था बनाने की सोची थी और सोचा था कि जानी मानी हस्ती से बात करके उन्हे अपने साथ जोडेग़ें तो यकीनन बहुत लोग साथ जुड जाएगें. किसी के माध्यम से एक जानी मानी हस्ती से  बात भी पर मामला तब खटाई में पड गया जब वहां से पूछा गया कि आपका बजट कितना है. हम हैरान ?? हमने कहा जी, समाज सेवा का काम है ये और  आप तो वैसे भी समाज सेवा के काम करते दिखाई देते रहते हैं और साथ ही साथ आपके पास तो वैसे ही इतना नेम ऎंड फेम है…  अगर एक छोटा सा संदेश दे देंगें तो आपको क्या फर्क पडने वाला है ??? तब बिचोलिए ने बताया कि ये सैलीब्रेटी यकीनन समाज सेवा करती हैं पर बिना पैसे के एक कदम भी नही चलती. पहले पैसा बाद में कोई और बात… अब हमारा बजट तो था नही इसलिए हमें उनको वही नमस्कार करना पडा पर मन जरुर खटटा हो गया कि नाम बडा और दर्शन छोटे ….

आज अगर सैलिब्रेटी को लेकर पैसे का मुद्दा उठ रहा है तो यकीनन अच्छी बात है, किसी चीज का ब्रांड एम्बेसडर बनने में खुद की भी तो ब्रांडिंग होती है ऐसे में सरकारी पैसा किसलिए लुटाया जाए …ह हा हा !! हंसी इसलिए आ रही है कि ऐसा होगा नही क्योकि ये  बिना पैसे के कोई काम नही करेंगें इस बात में कोई किंतु परंतु या दो राय नही. हां वो अलग बात है कि पैसा किस तरह से लिया जाएगा कि समाज सेवा भी हो जाए और नाम भी खराब नही होगा…

 

BBC

डीडी किसान चैनल से पैसे लेने की बात से हालांकि अमिताभ बच्चन ने इंकार किया है लेकिन उनके प्रचार का कामकाज देख रही कंपनी – लिंटास, और किसान चैनल का कहना है कि बिग बी को मेहनताना दिया गया.

हालांकि अब कंपनी पैसा लौटाने की प्रक्रिया में है.

एक अंग्रेजी अख़बार में ख़बर छपी थी कि अमिताभ बच्चन ने किसानों के लिए शुरू किए गए सरकारी चैनल से साढ़े छह करोड़ रुपये से ज़्यादा का मेहनताना लिया है.

इसके बाद सोशल मीडिया और दूसरी जगहों पर ये सवाल पूछे जाने लगे कि क्या अमिताभ बच्चन को चैनल से पैसे लेने चाहिए थे, ऐसा करना जायज़ था?

बच्चन ने ट्वीट करके कहा कि उन्होंने डीडी किसान से किसी क़िस्म का मेहनताना नहीं लिया है.

फ़िल्मों में अभिनय के अलावा बच्चन ढेर सारी कंपनियों और उत्पादों के लिए विज्ञापन भी करते हैं. इनमें सरकारी विज्ञापन भी शामिल हैं.

ज़ाहिर है इन विज्ञापनों के लिए उन्हें मोटी रकम मिलती है.

किसान चैनल से पैसे लेने के विवाद पर किसान चैनल के प्रमुख नरेश सिरोही ने बीबीसी से बातचीत में कहा, “हमने लिंटास कंपनी को अमिताभ बच्चन से विज्ञापन कराने के लिए पैसे दिए थे.”

सिरोही का यह भी कहना था कि अब अचानक कंपनी ने यह कहकर पैसे लौटाने का फ़ैसला किया है कि अमिताभ ने पैसे लेने से मना कर दिया है.

लिंटास कंपनी ने भी इस संबंध में स्पष्टीकरण दिया और अपने बयान में पहले पैसे लेने और फिर लौटाने की बात कही है.

“डीडी किसान ने 31 मार्च, 2015 को औपचारिक रूप से हमें अमिताभ बच्चन के कार्यालय से बातचीत के लिए अधिकृत किया था. 12 मई को अमिताभ बच्चन के कार्यालय से हमें इसकी स्वीकृति मिल गई. उसके बाद हमने डीडी किसान चैनल के साथ काग़ज़ी कार्रवाई शुरू की और फिर डीडी किसान ने पैसे जारी किए.”

“श्री बच्चन ने सैद्धांतिक रूप से ये फ़ैसला लिया है कि राष्ट्र हित में इस विज्ञापन के लिए वह किसी तरह का शुल्क नहीं लेंगे इसलिए अब हमारी कंपनी डीडी किसान को पैसे वापस करने की प्रक्रिया शुरू कर रही है.” See more…

television photo

ब्रांड एम्बेस्डर

July 21, 2015 By Monica Gupta

भाग्य, अंधविश्वास और भारतीय

भाग्य, अंधविश्वास और भारतीय

हम लोग मंत्र तंत्र , Superstition और वहम को न सिर्फ मानते हैं बल्कि रोजमर्रा की जिंदगी में बहुत अहमियत भी देते हैं.

दो दिन पहले काम वाली बाई बोल कर गई कि वो कल काम पर नही आएगी क्योकि लडकी वाले उसके घर रिश्ते के लिए उसका लडका  देखने आ रहे हैं फिर अचानक ही कल वो काम पर आ गई. मेरे हैराने से पूछने पर उसने बताया कि शायद चामचुकाई नजर हो गई. उसने अपने पडोस में भी एक दो लोगों को बता दिया था शायद नजर लग गई कि हाय लडकी  वाले आ रहे हैं. उसकी बात सुन कर मैं सोचने लगी कि हम इन छोटी छोटी बातों में अभी भी हैं और शायद रहेंगें भी.

आज ही मैने नेट पर भी पढा कि घर पर महाभारत का कोई पोस्टर या ताजमहल या फिर डूबता जहाज की तस्वीर नही होनी चाहिए. फव्वारा भी नही लगाना चाहिए. इतना ही नही इसी बात को सर्च करते करते मैं भूत वाली खबर पर पहुंच गई. खबर दिल्ली की है. दिल्ली के सिविल लाइंस इलाक़े का एक विशाल बंगला 10 साल से इसलिए खाली पड़ा है क्योंकि उसे वहाँ रहने वाले के लिए अशुभ या भूतिया माना जाता था. सुनने में आया कि वहां रहने वाले कई मंत्रियों के करियर बर्बाद हुए और कुछ की समय से पहले मौत भी हो गई. लेकिन अब दिल्ली डायलॉग कमीशन ने इसे अपना दफ़्तर बनाया है. कमीशन के वाइस-चेयरमैन आशीष खेतान इसके मनहूस होने की बात को बकवास बताते हैं. खेतान के अनुसार कमीशन के दफ़्तर के लिए इस बंगले को ख़ुद उन्होंने चुना है. सुनने में अच्छा भी है पर डरावना भी.ऐसी बातो पर विश्वास करें या न करें मैं सोच ही रही थी तभी दरवाजे पर धंटी हुई. कोई काम वाली बाई के घर से आया था उसे बुलाने क्योकि लडकी वालों का अचानक कार्यक्रम बन गया और वो आ गए हैं उसके घर. मैने उसे all the best  कहा और वो स्माईल देती अपने घर भागी …

आज वो मिठाई लाई है क्योकि रिश्ता पक्का हो गया… मैं मिठाई खा ही रही थी तभी मणि का फोन आया. बोली, आज सिर दर्द कर रहा है  वो कल एक शादी में गई थी . सुंदर बहुत लग रही थी शायद किसी की नजर लग गई होगी इसलिए …

ह हा हा !! हे भगवान !! इन बातों को माने या न माने 🙂

फिलहाल तो आप ये खबर जरुर पढें….

150720114914_delhi_vidhan_sabha_in_1957_624x351_dhruvachaudhuri

  BBC

दिल्ली के सिविल लाइंस इलाक़े का एक विशाल बंगला 10 साल से इसलिए खाली पड़ा था क्योंकि उसे वहाँ रहने वाले के लिए अशुभ माना जाता था. लेकिन दिल्ली डायलॉग कमीशन ने इसे अपना दफ़्तर बनाया है.

तो क्या है इस ‘मनहूस’ बंगले की कहानी और क्या उसमें अब काम कर रहे लोग भी अफ़वाहों से डरे हुए हैं?

शामनाथ मार्ग का बंगला नंबर 33 पहली नज़र में ही आलीशान नज़र आता है. 5500 वर्गमीटर में फैले दो मंज़िला बंगले में तीन बेडरूम, ड्राइंग रूम, डाइनिंग हॉल और कांफ्रेंस रूम हैं.

बंगले में गॉर्ड के लिए अलग कमरा है और नौकरों-चाकरों के लिए अलग से 10 क्वार्टर हैं. बंगले के चारों तरफ़ एक बड़ा सा लॉन है. बग़ीचे में पानी का फव्वारा है.

राजधानी दिल्ली के पॉश इलाक़े के इस बंगले की क़ीमत करोड़ों में होगी. लेकिन ये सरकारी बंगला मनहूस माना जाता है और पिछले 10 साल से इसमें रहने वाला कोई नहीं था.

लोग तब यहाँ रहने से कतराने लगे जब ये माना जाने लगा कि इस बंगले में रहने की वजह से कइयों के करियर बर्बाद हुए और कुछ लोगों की असमय मौत हो भी हुई.

सिविल लाइंस को ब्रितानी शासकों ने अपने आला अफ़सरों के लिए बनाया था. यहाँ के पुराने बाशिंदे बताते हैं कि ये बंगला 1920 के दशक में तैयार हुआ था.

आज़ादी के बाद इसे दिल्ली के मुख्यमंत्री निवास के लिए सबसे बेहतरीन माना गया. दिल्ली विधान सभा यहां से महज़ 100 गज़ दूर है.

सूबे के पहले मुख्यमंत्री चौधरी ब्रह्म प्रकाश ने 1952 में इसे अपना निवास बनाया. 1990 के दशक में दिल्ली के एक अन्य मुख्यमंत्री मदन लाल खुराना भी यहीं रहे.

दोनों मुख्यमंत्रियों को कार्यकाल ख़त्म होने से पहले ही पद छोड़ना पड़ा. और फिर तो बंगले के साथ ‘मनहूस’ शब्द जुड़ गया.

महदूदिया कहते हैं, “खुराना की गद्दी जाने के बाद किसी ने इस बंगले को अपना घर नहीं बनाया. अफ़वाह फैल गई कि ये बंगला मनहूस है. मुख्यमंत्री बनने के बाद साहब सिंह वर्मा और शीला दीक्षित ने इसमें रहने से मना कर दिया.”

साल 2003 में दिल्ली की तत्कालीन सरकार में मंत्री दीपचंद बंधू ने सहयोगियों की सलाह को नज़रअंदाज़ करते हुए इसे अपना निवास बनाया.

महदूदिया कहते हैं, “उन्होंने कहा कि वो अंधविश्वासी नहीं हैं और बंगले में शिफ़्ट हो गए. लेकिन कुछ ही दिनों बाद वो बीमार पड़ गए. उन्हें मेनिनजाइटिस हो गया. जिससे उनकी अस्पताल में मौत हो गई.”

इसके बाद इस अफ़वाह ने और ज़ोर पकड़ लिया कि ये बंगला मनहूस है. इसके बाद अगले 10 सालों तक किसी नेता या अफ़सर ने इस बंगले को अपना घर नहीं बनाया.

साल 2013 में वरिष्ठ नौकरशाह शक्ति सिन्हा ने इसमें रहने का फ़ैसला किया. सिन्हा के अनुसार उनके लिए ये बंगला ख़ुशनुमा रहा लेकिन अन्य लोग ध्यान दिलाते हैं कि सिन्हा भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके थे.

इस साल 9 जून को इस बंगले को फिर से नया निवासी मिला. दिल्ली के वर्तमान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे दिल्ली सरकार को नीतिगत सलाह देने वाले दिल्ली डॉयलॉग कमीशन का दफ़्तर बना दिया.

कमीशन के वाइस-चेयरमैन आशीष खेतान इसके मनहूस होने की बात को बकवास बताते हैं. खेतान के अनुसार कमीशन के दफ़्तर के लिए इस बंगले को ख़ुद उन्होंने चुना है.

खेतान ने बीबीसी से कहा, “मुझे पता चला कि इतनी बड़ी सार्वजनिक संपत्ति को कोई नेता या अफ़सर इस्तेमाल नहीं कर रहा है क्योंकि उन्हें लगता है कि ये मनहूस है.”

उन्होंने कहा, “एक ऐसे वक़्त में जब हम डिजिटल इंडिया की बात कर रहे हैं, स्पेस में सैटेलाइट भेज रहे हैं, मुझे लगा इस मनहूसियत को तोड़ना ज़रूरी है.”

खेतान के साथी देवेंद्र सिंह बताते हैं कि जब वो लोग यहाँ आए तो ‘सारे कमरे टूटी हुई कुर्सियों और फ़र्नीचरों से भरे हुए थे.’

पिछले कुछ हफ़्तों में इस बंगले की साफ़-सफ़ाई हुई है. ताज़ा पेंट के गंध अभी तक इससे नहीं गई है. खिड़कियों पर नए पर्दे लग रहे हैं.

खेतान कहते हैं, “हर किसी को अंधविश्वास से लड़ने की क़सम खानी चाहिए और वैज्ञानिक चेतना को बढ़ावा देना चाहिए. ये बहुत दुख की बात है कि पढ़े-लिखे लोग काले जादू और अंधविश्वास को बढ़ावा देते हैं.” Read more…

 6 Things you should never bring in the house- 6

जयपुर। भारतीय वास्तु विज्ञान चाइनीज फेंगसुई से काफी मिलता-जुलता है। यह प्राकृतिक शक्तियों को मनुष्य के लिए उपयोगी बनाने का एक कलात्मक परंपरा है। हम अक्सर सुनते आए हैं कि घर में क्या रखना अच्छा होता है और क्या रखना बुरा। आइए आज आपको बताते हैं कि घर में कौनसी 6 चीजें कभी नहीं रखनी चाहिए।

1 महाभारत की तस्वीरें या प्रतीक : महाभारत को भारत के इतिहास का सबसे भीषण युद्ध माना जाता है। कहते हैं कि इस युद्ध के प्रतीकों, मसलन तस्वीर या रथ इत्यादि को घर में रखने से घर में क्लेश बढ़ता है। यही नहीं, महाभारत ग्रंथ भी घर से दूर ही रखने की सलाह दी जाती है।

2 नटराज की मूर्ति : नटराज नृत्य कला के देवता हैं। लगभग हर क्लासिकल डांसर के घर में आपको नटराज की मूर्ति रखी मिल जाती है। लेकिन नटराज की इस मूर्ति में भगवान शिव श्तांडव नृत्य की मुद्रा में हैं जो कि विनाश का परिचायक है। इसलिए इसे घर में रखना भी अशुभ फलकारक होता है।

3. ताजमहल : ताजमहल प्रेम का प्रतीक तो है, लेकि न साथ ही वह मुमताज की कब्रगाह भी है। इसलिए ताजमहल की तस्वीर या उसका प्रतीक घर में रखना नकारात्मकता फैलाता है। माना जाता है कि ऎसी चीजें घर पर रखी होने से हमारे जीवन पर बहुत गलत असर पड़ सकता है। यह सीधे-सीधे मौत से जुड़ा है इसलिए इसे घर पर न रखें।

5 फव्वारा : फव्वारे या फाउन्टन आपके घर की खूबसूरती तो बढ़ाते हैं लेकिन इसके बहते पानी के साथ आपका पैसा और समृद्धि भी बह जाती है। घर में फाउन्टन रखना शुभ नहीं होता। Read more…

इसी बात पर अगर आप भी अपना कोई अनुभव शेयर करेंगें तो अच्छा लगेगा !!!

भाग्य, अंधविश्वास और भारतीय

July 20, 2015 By Monica Gupta

प्रेरक बातें

प्रेरक बातें

प्रेरक बातें

पॉजिटिव बातें हो प्रेरक बाते हमेशा अच्छी होती है चाहे हम उस पर ध्यान दें या न दें अक्सर जाने अनजाने भी हमें बहुत बातें ऐसी सीखने को मिल जाती हैं जिनसे जिंदगी में एक बदलाव लाया जा सकता है. ऐसे कुछ छोटे छोटे उदाहरण मेरे नजरिए से…

कई बार बात करते करते या फिर टीवी के माध्यम से हमें बहुत सीख मिल जाती है  कुछ समय पहले टीवी पर अनुपम खेर का कार्यक्रम आ रहा था. वो बातों बातों में किसी को बता रहे थे कि एयर पोर्ट  पर उन्हें कोई मिला और बहुत गर्म जोशी से मिला. अनुपम खेर उन्हें पहचान नही पाए कि ये है कौन पर  अनुपम खेर ने उनसे पूछा नही बल्कि उससे दुगुने  अपनेपन से गले मिले और हाल चाल पूछा बात करते करते उन्हें याद आ गया कि वो कौन था.. ऐसा अक्सर हमारे साथ भी हो जाता है कोई मिलता है बहुत गर्मजोशी से पर याद ही नही आता इसलिए उस समय ये पूछ्ने   कि भई आप कौन है ?? मैं आपको कैसे जानता हूं …. हमें भी गर्म  जोशी से मिलना चाहिए … देर  सवेर  याद आ ही जाएगा …!! 

ऐसे ही एक बार बहुत साल पहले टीवी पर हेमा मालिनी का साक्षात्कार आ रहा था. उन्होने बताया कि हमें अपने बच्चे में अगर हमे कोई कमी लगती है तो बजाय दूसरों को  बताने के बच्चों को ही बतानी चाहिए. एक बार वो अपनी किसी सहेली से अपनी बच्ची के बारे में बात कर रही थी . ये बात उनकी बेटी ने सुन ली और उनके जाने के बाद टोका कि अगर यही बात आप हमे बताते तो हम उसे सुधारते.इस बात ने भी बहुत असर डाला मन पर. वाकई में हमें कोशिश यही करनी चाहिए कि घर की बात आपस में ही सुलझा लेनी चाहिए. 

एक बार जब मैं ज़ी न्यूज की ओर से उनसे साक्षात्कार ले रही थी और महिलाओं और फिल्म इंडस्ट्री के बारे में पूछा कि कितना सही है लडकियों या महिलाओं का इस तरफ रुझान  तो  उन्होने महिलाओ के बारे में बहुत बाते सांझा की. उन्होने बताया  कि महिला कही भी काम करें चाहे  आफिस में या फिल्मों में….  जरुरी बात ये है कि अपनी गरिमा बना कर रखनी चाहिए.

एक और उदाहरण है सचिन तेंदुलकर का..

शाबाश, वाह, बहुत खूब, क्या बात है, लगे रहो, शुभकामनाएं …. !!! बहुत अच्छा लगता है सुनना !!! पर अगर कोई काम अच्छा करे और यह शब्द उसे सुनने को न मिले तो यकीनन मन उदास हो जाता है और काम करने का उत्साह लगभग खत्म हो जाता है. मेरी सोच भी कुछ ऐसी ही है पर 17 नवम्बर को जब सचिन का स्टेडियम से भाषण सुना तब से मन बहुत कुछ सोचने पर मजबूर हो रहा है. सचिन ने भाषण के दौरान अपने कोच श्री रमाकांत आचरेकर के बारे मे बताया कि उन्होनें बहुत मेहनत करवाई. स्कूटर पर एक मैदान से दूसरे मैदान ले जाते पर पिछले 29 साल में उन्होंने एक बार भी कभी “वेल प्लेड” नहीं कहा। शायद उन्हें डर था कि मैं ज्यादा ही खुश न हो जाऊं और मेहनत करना न छोड़ दूं।’…

वाकई में, सचिन की यह बात बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर रही है. बेशक ,आगे बढने के लिए अपनो का साथ तो चाहिए ही होता पर इसके साथ साथ प्रोत्साहन भी बहुत जरुरी होता है पर सचिन ने इस बात को दिल से नही लगाया और मेहनत मे जुटे रहे. मेरी भी विचार धारा बदल रही है और अगर आप लोगों को भी किसी खास की शाबाशी नही मिल रही है. जिससे आपको बहुत उम्मीद है तो भी कोई बात नही. यकीन मानिए वो बेशक लफ्जों ना बोलें पर दिल से आपका बहुत भला चाह्ते हैं

तो है ना … अच्छी है ये बाते … अगर आप भी कोई ऐसी बात हमसे शेयर करना चाहें तो आपका स्वागत है …

hema-monica

July 17, 2015 By Monica Gupta

अरविंद केजरीवाल -एक साक्षात्कार

11733384_10207511251638759_873228756_n

अरविंद केजरीवाल -एक साक्षात्कार

आज, आज तक पर अरविंद जी का Exclusive साक्षात्कार देखा. बहुत दुख हुआ ये देख कर कि मीडिया की बातों में मैं भी आ गई थी. एक एक बात को अरविंद जी ने जब बताया तो लगा … अरे !!! ये तो हमे पता ही नही था. राजदीप सर देसाई को उन्होनें चुप करवा दिया और स्पष्ट बोले कि अगर आपने ही बोलना है तो बोले जाओ मेरी क्या जरुरत है … एक एक बात का इतना सही जवाब दिया कि मैं तो सुनती ही रह गई. वेट, तोमर, स्वाति, विज्ञापन, जंग साहब एक एक बात पर अपनी बात रखी. अगर आपको मौका मिले तो जरुर देखिएगा …!!!

http://aajtak.intoday.in/video/modi-is-creating-obstacles-says-arvind-kejriwal-1-823168.html

 

July 16, 2015 By Monica Gupta

Social Networking Sites

Social Networking Sites and our lives

 

tweet

क्या वाकई … सोशल नेट वर्किंग साईटस ही हमें अनसोशल बना रही है.. सबसे ज्यादा सवालिया निशान टवीटर पर उठ रहे हैं कम से कम शब्दों मॆं अपशब्दों का इस्तेमाल करते हुए किस तरह से किसका अपमान किया जाए उसका मजाक बनाया जाए ….कही न कही हमारे दिलो दिमाग पर हावी होता जा रहा है … बेशक,कुछ बातों मे टवीटर अच्छा भी होगा पर फिर भी प्रश्न यही खडा होता है कि कैसे बचे इससे और कैसे बचाए …!!

Another case of child abuse goes viral on social networking sites | Dhaka Tribune

Corporal punishment against two girls at an orphanage run by Social Welfare Directorate in Barisal has caused uproar among the public after its footage went viral on social networking sites.

Although the incident took place on July 4, the district administration became aware of it after the footage went viral.

The footage uploaded on Facebook shows Md Dulal, health assistant at the institution, is indiscriminately beating two girls as they try to flee from the shelter home.

Yesterday, Deputy Commissioner Dr Gazi Saifuzzaman went to the orphanage and asked officials concerned to take stern action against the people responsible for the abuse after a proper investigation. See more…

The Evolving Role of News on Twitter and Facebook | Pew Research Center

The share of Americans for whom Twitter and Facebook serve as a source of news is continuing to rise. This rise comes primarily from more current users encountering news there rather than large increases in the user base overall, according to findings from a new survey. The report also finds that users turn to each of these prominent social networks to fulfill different types of information needs.

The new study, conducted by Pew Research Center in association with the John S. and James L. Knight Foundation, finds that clear majorities of Twitter (63%) and Facebook users (63%) now say each platform serves as a source for news about events and issues outside the realm of friends and family. That share has increased substantially from 2013, when about half of users (52% of Twitter users, 47% of Facebook users) said they got news from the social platforms.

Although both social networks have the same portion of users getting news on these sites, there are significant differences in their potential news distribution strengths. The proportion of users who say they follow breaking news on Twitter, for example, is nearly twice as high as those who say they do so on Facebook (59% vs. 31%) – lending support, perhaps, to the view that Twitter’s great strength is providing as-it-happens coverage and commentary on live events. Read more…

July 15, 2015 By Monica Gupta

One Year Drop

student reading photo

One Year Drop

हमारे एक जानकार मित्र के बेटे ने आईआईटी क्लीयर न कर पाने के कारण आज एलान कर दिया है कि वो एक साल  ड्राप करेगा और कोचिंग ले कर अच्छा नतीजा लाएगा. अभी तक घर मे बहुत तनाव था. दो ग्रुप बन गए थे एक चाहता था कि ड्राप करे और दूसरा बिल्कुल नही चाह्ता था.

पर आज बेटे की इच्छा के आगे अब सब झुक गए हैं और मान गए हैं. अब बस उसे सलाह दी जा रही है कि एक साल बहुत मायने रखता है अब डट कर मेहनत करनी है और बहुत अच्छे कोचिंग मे दाखिला लेना है. इसी बीच मैने भी कुछ छानबीन की और पता लगाया कि ड्राप करने पर भी  अगर गम्भीरता से पढाई की जाए तो आईआईटी में अच्छी रैंक आ सकती है. एक जानकार के बेटॆ ने ड्राप करके पूरे साल कोचिंग ली और वो बहुत अच्छी रैंक से पास हो गया.

अब क्योकि निणर्य ले ही लिया है तो बार बार टोकने का क्या फायदा. अब बस ऐसा करना होगा कि वो बहुत आत्मविश्वास के साथ पढाई करे और अच्छा नतीजा ला कर दिखाए. बार बार यह भी कहने का कोई फायदा नही कि मोबाईल, टीवी सब बंद करके रख दो .. एक साल के लिए सब भूल जाओ.. आज के बच्चे समझदार है एक साक समय की क्या कीमत होती है शायद वो हमसे भी बेहतर समझते हैं …उन्हें बस अपने लक्ष्य पर केंद्रित होने दे.   उन्हें सही या गलता का हम से ज्यादा ज्ञान है.

टेंशन खत्म करने के लिए बच्चे की इच्छा का खुशी खुशी स्वागत करें और उस पर विश्वास बनाए रखें…

  • « Previous Page
  • 1
  • …
  • 205
  • 206
  • 207
  • 208
  • 209
  • …
  • 252
  • Next Page »

Stay Connected

  • Facebook
  • Instagram
  • Pinterest
  • Twitter
  • YouTube

Categories

छोटे बच्चों की सारी जिद मान लेना सही नही

Blogging Tips in Hindi

Blogging Tips in Hindi Blogging यानि आज के समय में अपनी feeling अपने experience, अपने thoughts को शेयर करने के साथ साथ Source of Income का सबसे सशक्त माध्यम है  जिसे आज लोग अपना करियर बनाने में गर्व का अनुभव करने लगे हैं कि मैं हूं ब्लागर. बहुत लोग ऐसे हैं जो लम्बें समय से […]

GST बोले तो

GST बोले तो

GST बोले तो –  चाहे मीडिया हो या समाचार पत्र जीएसटी की खबरे ही खबरें सुनाई देती हैं पर हर कोई कंफ्यूज है कि आखिर होगा क्या  ?  क्या ये सही कदम है या  देशवासी दुखी ही रहें …  GST बोले तो Goods and Service Tax.  The full form of GST is Goods and Services Tax. […]

डर के आगे ही जीत है - डर दूर करने के तरीका ये भी

सोशल नेटवर्किंग साइट्स और ब्लॉग लेखन

सोशल नेटवर्किंग साइट्स और ब्लॉग लेखन – Social Networking Sites aur Blog Writing –  Blog kya hai .कहां लिखें और अपना लिखा publish कैसे करे ? आप जानना चाहते हैं कि लिखने का शौक है लिखतें हैं पर पता नही उसे कहां पब्लिश करें … तो जहां तक पब्लिश करने की बात है तो सोशल मीडिया जिंदाबाद […]

  • Home
  • Blog
  • Articles
  • Cartoons
  • Audios
  • Videos
  • Poems
  • Stories
  • Kids n Teens
  • Contact
  • Privacy Policy
  • Terms of Use
  • Disclaimer
  • Anti Spam Policy
  • Copyright Act Notice

© Copyright 2024-25 · Monica gupta · All Rights Reserved