बीमार का हाल
मेरी एक जानकार बहुत बीमार थी. काफी समय अस्तपाल मे भी रही. छुट्टी मिली और घर आ गई. मैने फोन करके मिलने को कहा तो उसने बेहद शालीनता से मना कर दिया.
उसने कहा कि कुछ ही दिनों की बात है वो ठीक हो जाएगी तब वो खुद ही फोन कर देगी. तब जरुर आना. बातो बातों मे उसने बताया कि मिलने वाले बीमार की नही अपनी सहूलियत के हिसाब से आते और धंटों बैठ कर गप्पे भी मारते और चाय वाय पी कर आराम से जाते हैं.
एक रिश्तेदार तो इसलिए नाराज हो कर चले गए कि उसने खाने को नही पूछा.. बीमारी करके वैसे ही किसी का हंसना बोलना अच्छा नही लगता … ये तो लोगो को सोचना चाहिए … अगर उसने मुझे बुला लिया और दूसरों को मना कर दिया तो भी सब बुरा मान जाएगे …. इसलिए मना कर रही हूं …
सभी को मना किया है. प्लीज बुरा मत मानना…!!!
मैने बिल्कुल बुरा नही माना बल्कि बहुत सही है… अस्पताल में तो टाईम फिक्स होते हैं पर घर पर फिक्स नही कर सकते.. वाकई में लोग अपनी सहुलियत देख कर ही आते हैं और एक बार आकर आराम से बैठ जाते हैं …
अब मैं उसके जल्दी से ठीक होने की प्रार्थना कर रही हूं ताकि उससे मिल सकूं…
वैसे आप भी अगर किसी बीमार से मिलने जाते होंगें तो कम समय ही लगाते होंगे .. है ना … अगर नही तो जरा नही बहुत सोचने की दरकार है क्योकि बीमार का हाल अच्छा नही है … !!!





![Image taken from page 193 of '[The Caxtons.]' by The British Library sketch of a man photo](https://monicagupta.info/wp-content/uploads/2015/07/11294211583_670e5f075e_sketch-of-a-man.jpg)






