Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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July 6, 2015 By Monica Gupta

Best Wishes- Happy New Year

 

best wishes photo

Photo by Sandie Edwards

Best Wishes- Happy New Year

आओ विश करें

नया साल शुरु होता नही कि सकंल्पो की बौछार शुरु हो जाती है. अच्छी बात है सकंल्प लेने कोई बुराई नही है पर कम से कम उसकी लाज तो रखनी चाहिए. हर बात को टालने के अभ्यस्त हम फिर टाल देते है कि कुछ समय और ठहर जाते हैं. कर लेगें, हम कौन सा भागे जा रहे हैं. सोच तो लिया है ना बस …

इन दिनो वैसे एक चिंता और भी हम लोगो मे पाई जाती है और वो है शुभकामनाएं देना. असल में, देने मे कोई परेशानी नही है पर देनी किस किसको हैं ये परेशानी का विषय बन जाता है उसका सबसे मुख्य कारण है हर साल हमारी जिंदगी मे नए लोगो का आवागमन होता रहता है या फिर जो लोग पिछ्ले साल बहुत काम आए इस साल इनकी महत्ता उतनी नही रही.  तो ज्यादा कंफ्यूजन से बचने के लिए मैने बिना समय गवाएं चार कैटेगिरी बना ली.

1 धक्के से
2 मजबूरी से
3 जरुरी से
4 दिल से

आप सभी इस बात से इत्तेफाक रखते होग़े कि कई बार कुछ शुभकामनाएं ना चाह्ते हुए धक्के से फोन करके हमे देनी पडती हैं. मसलन अपनी ससुराल मे या फिर अपने मकान मालिक को जो हमे फूटी आखँ ही नही सुहाता. समय की नजाकत को भापँ कर जीती मक्खी निगलनी ही पडती है.

अब बात मजबूरी की आती है.अब मेरी बात से आप इंकार कर ही नही सकते कि भले ही हमारी सम्पादक से जान पहचान हो ना हो पर उसे शुभकामनाएं भेजेगे जरुर.(भई, नही तो हमारा लेख कैसे छपेगा)ऐसे ही जिन से हमे हमारा काम निकलवाना है,पैमैंट निकलवानी है चाहे वो सरकारी नौकरी मे ही हो.चाहे वो कितने ही भाव ही क्यो ना खा रहा हो हमारा फोन ना उठा रहा हो पर हमे भी ढीठ बन कर लगातार उसे फोन मिलाते ही रहना है. जब तक वो फोन न उठा ले उसके बाद चाहे हमे कितना ही समय लगे उन्हे बताने मे कि हम कौन बोल रहे हैं. इसी का नाम मजबूरी है.
अब बारी आती है जरुरी से की. मेरे हिसाब से ये वाकई मे जरुरी है उन लोगो को शुभकामनाएं देने की जो जाने अंजाने सारे साल किसी ना किसी रुप मे हमारे काम आते हैं जैसे कि डाक्टर, गैस बुक करने वाले, बैंक मे काम करने वाले जो जाते ही हमारा सारा काम ना सिर्फ जल्दी निबटवा देते है बल्कि चाय भी पिलाते हैं. उधर गैस वाले तुरंत सप्लाई भेज देते हैं. वही अपने डाक्टर साहब भले ही फोन पर कितना ही व्यस्त क्यो ना हो वो हमे देखते ही फोन का चोंगा रख देते हैं. बच्चो की ट्यूशन सर या क्लास टीचर को भी बहुत जरुरी है शुभकामनाएं देना क्योकि सारे साल उन्होने ही तो ख्याल रखना है बच्चों को अच्छे अकं देने मे.

अब बात आती है दिल से की. ये आवाज दिल से ही निकलती है.अब भला जो हमारे साथ दफ़्तर मे कंधा मिलाकर काम करे मोना, रोजी पिंक आदि उन्हे तो विश करना बनता ही है न और जो सोशल नेट वर्क की साईट पर हैं उन्हे तो और भी ज्यादा और जल्दी विश करना हमारा हक बनता है.कही वो नाराज ना हो जाए या हमसे पहले कोई दूसरा की ना बाजी मार ले जाएं. वही दूसरी तरफ बास की माता जी का स्थान है भले ही बास को विश करे ना करे पर इनकी माता श्री या पत्नी श्री को दिल से प्रणाम करने को मन करता है. भई, आप भले ही कुछ भी समझे पर नौकरी मे तरक्की की चाह तो आपको भी होगी. है ना. तो मै आपसे अलग थोडे ही ना हूँ.
तो कुल मिला कर बताने का तात्पर्य़ ये है कि हमे संकल्प लेने की बजाय फोन करने वालो की लिस्ट मे ज्यादा जोर देना चाहिए ताकि हमारा आने वाला समय सुखद और मगंलमय हो.
आप हमारे प्रिय पाठकगण हैं तो आपकी जगह दिल से वाले कालम मे ही है आप सभी को  ढेर सारी शुभकामनाएं.

ये लेख Best Wishes आओ विश करें   कैसा लगा जरुर बताईगा …  🙂

July 6, 2015 By Monica Gupta

Take Care

Take Care

Pic by Monica Gupta

अभी कुछ देर पहले मणि मेरे घर खीर ले कर आई … अरे वाह खीर !!!! किस खुशी में … वो बोली कि जब पिछ्ले दिनों वो छुट्टियों में बाहर चले गए थे तो पौधे सूख गए थे. एक को तो बचा नही पाई थी पर एक पौधे को उसने बचा लिया. उसकी खूब देखभाल की सुबह दोपहर शाम पानी दिया और आज सुबह उसमे फूल खिला है. उसी खुशी में खीर … मैने उसकी आखों मे झिलमिलाती खुशी देखी.

सच, हम अक्सर पौधो के मामले मे सुस्त हो जाते हैं अगर उन्हे लगाया है तो पानी देना तपती गर्मी से बचाना भी हमारा ही फर्ज है. घर की सुंदरता बढाने के साथ साथ वो हमारे अच्छे दोस्त भी है. अगर आप भी बचा सकते हैं तो किसी को मुरझाने से बचा लिजिए… Take Care of plants …

पर्यावरण को सुरक्षित रखने के बहुत लोग अपने अपने तरीके से संदेश देते हैं … कोई टीवी पर, कोई नाटिका के माध्यम से तो कोई गीत गाकर तो कोई समाचार पत्र मे माध्यम से जनता को प्रेरित करते हैं …

दैनिक भास्कर ने भी एक अभियान छेडा

बरसात के इस मौसम में अपने नाम का पौधा लगाएं।

औषधीय पौधा लगाएंगे तो और भी उत्तम होगा।

एक पौधा हमारे लिए माध्यम बनेगा, अपने बचपन को फिर से जीने का।

मा नसून ने दस्तक दे दी है। फिलहाल इसने तेजी नहीं पकड़ी है। मगर पूरी उम्मीद है कि कुछ देर से ही सही, घटाएं जमकर बरसेंगी।

हर वर्ष की तरह, इस बार भी दैनिक भास्कर समूह अपने करोड़ों पाठक परिवारों के साथ मिलकर आज से पौधरोपण अभियान की शुरुआत कर रहा है। यही तो सही समय है, जब हमारे द्वारा लगाए गए पौधे धरती की गोद में आसानी से पल-बढ़ सकते हैं।

आइए, आज हम एक नई परंपरा की शुरुआत भी करते हैं। बरसात के इस मौसम में हम अपने नाम का एक पौधा लगाते हैं। और फिर उसकी देखभाल उतने ही प्यार से करें, जैसी हमारे बड़े हमारी करते थे। यकीन मानिए, जब हम रोज सुबह अपने नाम के इस पौधे को देखेंगे तो हमारे चेहरे पर कुछ वैसी ही मासूम मुस्कुराहट होगी, जैसी बचपन में हुआ करती थी। वह पौधा हमारे लिए माध्यम बनेगा, अपने बचपन को फिर से जीने का।

ऐसा हम अपने परिवार के सभी सदस्यों के लिए करें। परिवार का प्रत्येक सदस्य अपने नाम का एक पौधा लगाए। यदि भास्कर के करोड़ों पाठक अपने नाम का एक पौधा लगाएं और उसकी देखभाल करें, तो हम पर्यावरण को हराभरा करेंगे ही, आने वाली पीढ़ियों को अपने नाम की अनमोल विरासत भी देंगे।

 

 www.bhaskar.com

Via bhaskar.com

Take Care

July 6, 2015 By Monica Gupta

सादर चरण स्पर्श

बच्चों के लिए अच्छी आदतें

सादर चरण स्पर्श – आज घर पर एक मित्र आए . उनके छोटे  से बच्चे ने बहुत शालीनता से झुक कर पैर छुए. सच जानिए बहुत अच्छा लगा. बच्चों में इस तरह के संस्कार जरुर देने चाहिए. पुराने ऐतिहासिक धारावाहिकों में भी अक्सर  ये देखने को मिल जाता है. कुछ लोग पाव छूने पर आशीर्वाद देते हैं और पीठ थपथपाते हैं तो कुछ रोक लेते हैं कि अरे नही नही … हम इतने बडे अभी नही हुए हैं..!!!

सादर चरण स्पर्श

वैसे मेरी एक जानकार थी वो पैर छूने पर बस मुहं से ही बोलती थी खुश रहो पर सिर पर हाथ नही रखती थी … बाद मे महसूस किया कि वो कभी भी किसी को सिर पर हाथ रख कर आशीर्वाद नही देती थी पर दूर से ही खुश रहो बोल देती थी. वैसे पहले समय की अगर बात करें तो कई लोग जब अपने से बडे को पत्र लिखते थे तो वो शुरुआत ही सादर चरण स्पर्श से करते थे.

हिंदू परंपराओं में से एक परंपरा है सभी उम्र में बड़े लोगों के पैर छुए जाते हैं। इसे बड़े लोगों का सम्मान करना समझा जाता है. उम्र में बड़े लोगों के पैर छूने की परंपरा काफी प्राचीन काल से ही चली आ रही है। इससे आदर-सम्मान और प्रेम के भाव उत्पन्न होते हैं। साथ ही रिश्तों में प्रेम और विश्वास भी बढ़ता है। पैर छूने के पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण दोनों ही मौजूद हैं।

bow his head photo


जब भी कोई आपके पैर छुए तो सामान्यत: आशीर्वाद और शुभकामनाएं तो देना ही चाहिए, साथ भगवान का नाम भी लेना चाहिए। जब भी कोई आपके पैर छूता है तो इससे आपको दोष भी लगता है। इस दोष से मुक्ति के लिए भगवान
का नाम लेना चाहिए। भगवान का नाम लेने से पैर छूने वाले व्यक्ति को भी सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं और आपके पुण्यों में बढ़ोतरी होती है।
आशीर्वाद देने से पैर छूने वाले व्यक्ति की समस्याएं समाप्त होती है, उम्र भी बढ़ती है।
किसी बड़े के पैर क्यों छुना चाहिए:-
पैर छुना या प्रणाम करना, केवल एक परंपरा या बंधन नहीं है। यह एक विज्ञान है
जो हमारे शारीरिक, मानसिक और वैचारिक विकास से जुड़ा है। पैर छूने से केवल बड़ों का आशीर्वाद ही नहीं मिलता बल्कि अनजाने ही कई बातें हमार अंदर उतर जाती है।

पैर छूने का सबसे बड़ा फायदा शारीरिक कसरत होती है, तीन तरह
से पैर छुए जाते हैं। पहले झुककर पैर छूना, दूसरा घुटने के बल बैठकर तथा तीसरा साष्टांग प्रणाम। झुककर पैर छूने से
कमर और रीढ़ की हड्डी को आराम मिलता है। दूसरी विधि में हमारे सारे जोड़ों को मोड़ा जाता है, जिससे उनमें होने वाले
स्ट्रेस से राहत मिलती है, तीसरी विधि में सारे जोड़ थोड़ी देर के लिए तन जाते हैं, इससे भी स्ट्रेस दूर होता है। इसके
अलावा झुकने से सिर में रक्त प्रवाह बढ़ता है, जो स्वास्थ्य और आंखों के लिए लाभप्रद होता है। प्रणाम करने का तीसरा सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे हमारा अहंकार कम होता है। किसी के पैर छूना यानी उसके
प्रति समर्पण भाव जगाना, जब मन में समर्पण का भाव आता है तो अहंकार स्वत: ही खत्म
होता है।

 

Rajasthan Patrika:secret of feet touching sanskar

जयपुर चरण स्पर्श व चरण वंदना को भारतीय संस्कृति में सभ्यता और सदाचार का प्रतीक माना जाता है। आत्मसमर्पण का यह भाव व्यक्ति आस्था और श्रद्धा से प्रकट करता है। यदि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो चरण स्पर्श की यह क्रिया व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से पुष्ट करती है। यही कारण है कि गुरुओं, (अपने से वरिष्ठ) ब्राह्मणों और संत पुरुषों के अंगूठे की पूजन परिपाटी प्राचीनकाल से चली आ रही है।

यही कारण है कि गुरुओं, (अपने से वरिष्ठ) ब्राह्मणों और संत पुरुषों के अंगूठे की पूजन परिपाटी प्राचीनकाल से चली आ रही है।

इसी परंपरा का अनुसरण करते हुए परवर्ती मंदिर मार्गी जैन धर्मावलंबियों में मूर्ति पूजा का यह विधान दक्षिण पैर के अंगूठे की पूजा से आरंभ करते हैं और वहां से चंदन लगाते हुए देव प्रतिमा के मस्तक तक पहुंचते हैं। rajasthanpatrika.patrika.com

कुछ भी कहिए पर चापलूसी से दूर होकर चरण स्पर्श आदर के साथ किया जाए तो सुखकर होता है …

सादर चरण स्पर्श … लेख आपको कैसा लगा !! जरुर बताईएगा !!

July 4, 2015 By Monica Gupta

लडते झगडे मुद्दे

लडते झगडे मुद्दे

लडते झगडे मुद्दे – मीठा मीठा गप्प गप्प कडवा कडवा थू थू … लडते, झगडे तो कभी सुलझे बच्चे की तरह टीचर(एंकर} के सामने कुछ पूछ्ने के लिए ऊंगली उठाते, बीच बीच में विज्ञापन और अगले कार्यक्रम की सूचना … इतना सब कुछ होता है आजकल न्यूज चैनल की भैंस … ओह क्षमा बहस में, बस पूछिए ही मत…

लडते झगडे मुद्दे

लडते झगडे मुद्दे – कई बार इतना डरा देते हैं और खासकर  शाम का समय तो बेहद ही क्रूशियल होता है. कितनी बार तो चैनल की आवाज ही धीमी करनी पडती है कि पडोसी ये न समझ लें कि हमारे घर में लडाई हो रही है…

हर चैनल, बहस में लडने भिडने मारने को उतारु सा प्रतीत होता है… इसलिए बस आज तो सोच ही लिया कि रोज रोज बुराईयां करने से अच्छा है आज से फालतू की बहस देखना ही बंद … ना होगी भैस ओह पुन क्षमा.. न होगी बहस और न वो पानी मे जाएगी… बस आज शाम टीवी ही नही चलाया… समय गुजर रहा था. गुजर रहा था..

मन मे बुरे बुरे ख्याल आने शुरु हो गए कि आज का मुद्दा क्या होगा. कौन कौन किस चैनल पर आया होगा. किस बात पर लड मर रहे होंगें. किस की खाली कुर्सी दिखाई जा रही होगी.  कुछ सूनापन सा महसूस होने लगा.

खैर ध्यान बटाया कि मोनिका तू कार्टून की बना ले कोई ,पर फिर सोचा कि कार्टून बनाने का आईडिया भी तो यही से मिलता है … बस फिर क्या था. अब मैं टीवी के सामने बैठी  चाय पीते हुए बहस एंजाय कर रही हूं और बार बार चैनल ही बदल बदल कर देख रही हूं और सोच रही हूं  बिल्कुल बेकार मुद्दे … आज तो देख लिया बस पर कल से बिल्कुल नही देखूगी…   🙂

Cover story: Freedom for Women

लडकियां मोबाइल का प्रयोग न करें, जींस न पहनें। घर से बाहर निकलते हुए सिर पर पल्लू रखें, बाज्ार  न जाएं..।लडकियों की शादी कम उम्र में कर देनी चाहिए। इससे बलात्कार की घटनाएं कम होंगी और वे सुरक्षित रहेंगी..।

बलात्कार के 90 फीसदी मामले आपसी सहमति के होते हैं..।

लडकियों को देर रात घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए..।

ये सारे बयान और फरमान देश के ज्िाम्मेदार लोगों द्वारा दिए गए हैं। ऐसे समय में जबकि स्त्रियां हर क्षेत्र में अपना वर्चस्व कायम कर रही हैं, ऐसे बयान हास्यास्पद हैं। ये स्त्रियों के प्रति संवेदनहीन नज्ारिए का जीवंत उदाहरण हैं। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्राइम कैपिटल में तब्दील हो रही है। सेंटर फॉर सोशल रिसर्च ने दिल्ली में जनवरी 2009 से जुलाई 2011 के बीच दर्ज मामलों के अध्ययन के बाद एक रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली में महिलाएं दिन में भी सुरक्षित नहीं हैं।

http://www.jagran.com/sakhi/special-in-the-issue-cover-story-freedom-for-women-S7354SK.html

 

लडते झगडे मुद्दे -

लडते झगडे मुद्दे –

 

तेज खबरे – गरमा गरम खबर – Monica Gupta

तेज खबरे – गरमा गरम खबर तेज खबरे – गरमा गरम खबर Short term memory loss. खबरों का संसार जितनी तेजी से बदल रहा है हैरानी होती है  अभी एक मिनट पहले जो खबर सुर्खियों में होती है वही पल भर  में गायब भी हो जाती है और फिर सामने होती है एक और सनसनी खबर.. … read more at monicagupta.info

 

 

न्यूज चैनल और गर्मागर्म बहस – Monica Gupta

न्यूज चैनल और गर्मागर्म बहस मीडिया और हमारे खबरिया चैनल मणि का फोन आया कि तबियत ठीक नही लग रही. मैं तुरंत भागी. इधर उधर घूमती हुई बोली बैचेनी सी हो रही है धबराहट भी, कुछ अच्छा नही लग रहा. अरे !! मैने उसे आराम से बैठाया वो फिर खडी हो गई. बोली बैठा नही … read more at monicagupta.info

न्यूज़ चैनल और मुद्दे

न्यूज़ चैनल और मुद्दे किसने बिगाडा देश का माहौल … न्यूज चैनलों पर मुद्दा गरमाया हुआ है. चैंनलों पर अलग अलग पार्टियों के महारथी, पत्रकार और न्यूज एंकर ऊंची न्यूज़ चैनल और मुद्दे

 

वैसे लडते झगडे मुद्दे  के बारे में आपकी राय जरुर बताईएगा !!!

July 3, 2015 By Monica Gupta

ग्रीन टी के फायदे और नुकसान

ग्रीन टी के फायदे और नुकसान- Green Tea  क्या है इसे कितना पीए, किस तरह पीए और इससे वजन कैसे कम होगा इन सब बातों की जानकारी हमें जरुर होनी चाहिए. असल में भई भेड चाल है किसी ने बता दिया कि ग्रीन टी से वजन कम होगा तो हम सब जुट जाते हैं इसे पीने…

ग्रीन टी के फायदे और नुकसान

फैशन ग़्रीन टी का है तो भई हम पीछे कैसे रह सकते हैं. हमने भी खरीदी. अन्य चाय की अपेक्षा हालाकि ये चाय  महंगी थी पर सेहत के बारे में कोई समझौता नही खरीदी और सुबह सुबह  खाली पेट पीनी शुरु कर दी. वैसे कुछ भी कहिए इसकी पैंकिग बहुत ही स्टाईलिश सी  होती है वाकई में ऐसा महसूस होता है कि हम कुछ शानदार पी रहे हैं

कुछ सहेलियों से बातचीत हो रही तो पता चला कि खाली पेट नही पीनी चाहिए.  नुकसान होता है एक सहेली ने बताया कि वो दिन में पांच बार पीती है और उसे अपना वजन कम लग रहा है.हालाकि ये बात उस ने बेहद गम्भीरता से की थी पर हम सभी के चेहरे पर स्माईल आ गई. बात तो उस समय हंसी मजाक मे उड गई पर मेरे मन में बैठ गई कि हरी चाय क्या है इसके बारे मे नेट पर ही सर्च करुगी …

हरी चाय यानि   ग्रीन टी एक प्रकार की चाय होती है, जो कैमेलिया साइनेन्सिस नामक पौधे की पत्तियों से बनायी जाती है। इसके बनाने की प्रक्रिया में ऑक्सीकरण न्यूनतम होता है। इसका उद्गम करीब ५००० वर्ष पूर्व चीन में हुआ था और आगे चलकर एशिया में जापान से मध्य-पूर्व की कई संस्कृतियों से संबंधित रही. चीन देश में ग्रीन टी की शुरुआत हुई थी|कहते हैं कि चाय के कोमल पत्ते को यदि पीया जाए तो इससे काफी लाभ होता है| ग्रीन टी भी इन्ही पत्तों से बनाई जाती है|

भारत हो या ऑस्ट्रेलिया दोनों देशों में चाय के कई शौकीन लोग देखने को मिलते हैं और वे इन दिनों सेहतमंद चाय की तरफ कदम बढाते नजर आ रहे हैं| पश्चिम ऑस्ट्रेलिया स्थित स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ अध्यापक कोलिन बिन्स का कहना है कि ग्रीन टी की मांग पहले से काफी अधिक हो गई है| साथ ही यह सेहत की समस्याओं को काफी हद तक घटा देता है| इसकी मदद से स्टोक जैसी समस्याओं से छुटकारा पाने में मदद मिलती है|

प्रायः लोग ग्रीन टी के बारे में जानते हैं लेकिन इसकी उचित मात्र न ले पाने की वजह से उन्हें उनका पूरा लाभ नहीं मिल पाता है।

हरी चाय का फ्लेवर ताज़गी से भरपूर और हल्का होता है तथा स्वाद सामान्य चाय से अलग होता है। इसकी कुछ किस्में हल्की मिठास लिए होती है, जिसे पसंद के अनुसार दूध और शक्कर के साथ बनाया जा सकता है।[2] ग्रीन टी बनाने के लिए एक प्याले में २-४ ग्राम चाय पड़ती है। पानी को पूरी तरह उबलने के बाद २-३ मिनट के लिए छोड़ देते हैं। प्याले में रखी चाय पर गर्म पानी डालकर फिर तीन मिनट छोड़ दें। इसे कुछ देर और ठंडा होने पर सेवन करते हैं। विभिन्न ब्रांड के अनुसार एक दिन में दो से तीन कप ग्रीन टी लाभदायक होती है। इसका अर्थ है कि एक दिन में ३००-४०० मिलीग्राम ग्रीन टी पर्याप्त होती है।

ग्रीन टी के फायदे और नुकसान

ग्रीन टी के फायदे और नुकसान

 

Green Tea Can Also Be Harmful |

ज्यादातर लोग ग्रीन टी को सेहत के लिहाज से काफी फायदेमंद मानते हैं। इसलिए वे दिन भर में कई बार ग्रीन टी की चुस्कियां लेते रहते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं ग्रीन टी का ज्यादा सेवन सेहत के लिए नुकसानदेह हो सकता है। कई बार अच्छी चीजों को ज्यादा सेवन सेहत बिगाड़ सकता है। दिन भर में पांच से छह कप ग्रीन टी का सेवन परेशानियों को कारण बन सकता है।

 

ग्रीन टी आयरन को अवशोषित करता है जिससे शरीर में आयरन की कमी हो सकती है। इसलिए जो लोग एनिमीया के शिकार हैं उन्हें ग्रीन टी पीते समय सावधानी बरतनी चाहिए। इस प्रभाव से बचने के लिए आप चाहें तो खाने के बीच में ग्रीन टी ले सकते हैं या उसमें नींबू मिलाकर भी पी सकते हैं।

ग्रीन टी में कैफीन व टैनिक एसिड पाया जाता है जो गर्भावस्था में नुकसानदेह हो सकता है । इसलिए गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में महिलाओं को ग्रीन टी पीने से बचना चाहिए क्योंकि इसे होने वाले शिशु को न्यूरल ट्यूब( मस्तिष्क व रीढ की हड्डी में) जन्म दोष होने की संभावना रहती है।

ग्रीन टी में ऑक्सेलिक एसिड प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जो गुर्दे में पथरी का कारण हो सकता है। कैल्शियम, यूरिक एसिड व एमिनो एसिड काइस्टीन के साथ फॉस्फेट व ऑक्सेलिक एसिड के साथ संयोजन से गुर्दे की पथरी की समस्या होती है। See more…

Health Benefits of Green Tea In Hindi |

ग्रीन टी के लाभ के बारे में हम सब जानते हैं। एक शोध के मुताबिक रोजाना आठ कप ग्रीन टी हृदय रोग होने की आशंकाओं को कम करती है। इसके साथ ही यह कोलेस्ट्रॉल के स्‍तर को भी कम करती है। साथ ही ग्रीन टी शरीर पर जमा अतिरिक्‍त वसा को भी दूर करने में मदद करती है।

ग्रीन टी में विटामिन सी, पालीफिनोल्स के अलावा अन्य एंटीआक्सीडेंट मौजूद होते हैं, जो शरीर के फ्री रेडीकल्स को नष्ट कर इम्‍यून सिस्‍टम को मजबूत बनाते हैं। इससे शरीर में बीमारियां होने का खतरा कम होता है और शरीर रोग-मुक्‍त होता है।

ग्रीन टी पीने से मेटाबॉलिज्‍म का स्‍तर बढ़ता है। जिसके कारण शरीर में कोलेस्ट्राल की मात्रा संतुलित रहती है। कोलेस्‍ट्रॉल की मात्रा संतुलित रहने से रक्त चाप सामान्य रहता है। जिससे हार्ट अटैक आशंका बहुत कम रहती है।

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सिग्रेट लत से भी छुटकारा दिलाए   ग्रीन टी

सिगरेट पीने की लत से छुटकारा चाहते हैं तो ग्रीन टी पीजिए। एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार ग्रीन टी में मौजूद तत्व निकोटीन की लत छुड़ाने में मदद करते हैं। चीन की पत्रिका साइंस चाइना लाइफ में ए रेवोल्यूशनरी अप्रोज फॉर दे सिसेशन ऑफ स्मोकिंग शीर्षक से प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार वैज्ञानिकों ने निकोटीन की तलब को शांत करने के लिए ग्रीन टी के तत्वों को मिलाकर एक सिगरेट का निर्माण किया। मालाबार कैंसर इंस्टीट्यूट के अध्यापक फिंस फिलीप ने कहा कि धूम्रपान की लत छुड़ाने के लिए निकोटीन रिप्लेसमेंट थिरेपी कारगर पाई गई है।

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Green Tea Has Side Effects Too | | – Hindi Boldsky

green tea photo

Photo by A Girl With Tea

ग्रीन टी यानी की हरी चाय के अनेक प्रकार के स्‍वास्‍थ्‍य वर्धक गुण हैं। जब आप ग्रीन टी पीते हैं तो आपको पता होता है कि यह आपका वजन कम करेगी, त्‍वचा को सुंदर बनाएगी, बालों का झड़ना रोकेगी और शरीर से गंदगी को बाहर निकालेगी। लेकिन ग्रीन टी का ज्‍यादा सेवन स्‍वास्‍थ्‍य के लिये खराब हो सकता है। जानते हैं कैसे? हरी चाय कब्ज, दस्त, उल्टी, चक्कर और यहां तक कि सिर दर्द पैदा कर सकती है। हरी चाय में कैफीन होती है जो कि अनिद्रा पैदा कर सकती है। तो अगर आप हरी चाय पी कर वजन कम करना चाहते हैं, तो नीचे दिये गए इन चरणों का पालन करें और स्वस्‍थ्‍य तरीके से इस ग्रीन टी को अपने जीवन में शामिल करें।

 

केवल 2-3 कप: पहले भी बोला जा चुका है कि अत्‍यधिक चाय नुक्‍सानदायक हो सकती है। इसी तरह से अगर आप रोजाना 2-3 कप से ज्‍यादा ग्रीन टी पिएंगे तो यह नुक्‍सान करेगी। क्‍योंकि इसमें कैफीन होती है इसलिये तीन कप से ज्‍यादा चाय ना पिएं। Read more…

– LiveHindustan.com

ग्रीन टी हमारी सेहत के लिए फायदेमंद तो है, लेकिन कई बार यह नुकसानदेह भी साबित होती है। इसलिए खासकर इसकी मात्रा और बनाने के तरीके पर विशेष ध्यान देना चाहिए। इसके बारे में बता रही हैं ए. त्रिपाठी

ग्रीन टी को वजन कम करने में मददगार माना जाता है। इसलिए कई लोग इस गलतफहमी का शिकार हो जाते हैं कि अधिक ग्रीन टी पीने का अर्थ है जल्द वजन कम होना। लेकिन यह अवधारणा पूरी तरह से सही नहीं है। ग्रीन टी सेहत के लिए फायदेमंद है, यह तो हम सभी जानते हैं, लेकिन जरूरत से ज्यादा ग्रीन टी सेहत को फायदा कम और नुकसान अधिक पहुंचा सकती है। यह आंखों से नींद चुरा सकती है, शरीर में आयरन की कमी पैदा कर सकती है।

कैफीन हालांकि ग्रीन टी में ज्यादा मात्रा में कैफीन नहीं होता, लेकिन ज्यादा ग्रीन टी पीने से बेचैनी, हृदय गति में अनियमितता, अनिद्रा की समस्या, चिंता, चिड़चिड़ापन जैसे लक्षण देखने को मिल सकते हैं। जानकारों का कहना है कि दिन में चार से पांच कप तक ही ग्रीन टी पीनी चाहिए। इससे ज्यादा ग्रीन टी पीने से उन लोगों में परेशानियां जल्दी दिखने लगती हैं, जो कैफीन की ज्यादा मात्रा के आदी नहीं होते।

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तो ये तो थी नेट के अनुसार कुछ जानकारी पर अपना खुद का अनुभव भी बहुत मायने रखता है … अगर आपके पास भी कोई अच्छी जानकारी हो हरियाली चाय ओह मेरा मतलब ग्रीन टी के बारे में तो जरुर सांझा कीजिगा  🙂

 

July 2, 2015 By Monica Gupta

पोस्ट अच्छी बुरी

 

social networking sites photo

Photo by Franco Bouly

पोस्ट अच्छी बुरी

 

कल  फेसबुक पर एक पोस्ट देखी.  फोटो में आटो वाला अपने वाहन मे विकलांगों को फ्री सर्विस देता है उन्होने अपने ओटो मे यही बात बडा करके लिखवाई हुई थी. उस पोस्ट पर लिखा था बताओ कितने लाईक मिलेंगें और उस पर मुश्किल से 10 -12 लाईक थे.

बात लाईक करने या न करने की नही है क्योकि यकीनन पढते तो सभी है बस अच्छाई को पसंद करने के लिए बस क्लिक नही कर पाते. पर मुझे यकीन है कि ऐसे लोग दिल ही दिल मे प्रशंसा भी करते होंगें.

दो दिन पहले एक अन्य तस्वीर भी देखने को मिली. आठ दस साल की लडकी की तस्वीर थी और उसमे लिखा था कि ” मेरे पापा ने कहा है कि अगर इस फोटो को एक हजार लाईक मिले तो वो सिग्रेट पीना छोड देंगें. मुझे अच्छा लगा कि लगभग 900 से ज्यादा लाईक हो चुके थे. मैने भी तुरंत लाईक कर दिया. हालाकि उसके बाद मुझे वह फोटो न्यूज फीड मे नही दिखी. पता नही लोगो ने उसे लाईक किया या  नही  वैसे आप चाहे कुछ भी कहें पर कई पोस्ट वाकई में अच्छी होती है.

एक पोस्ट तो पढ कर मजा ही आ गया . उसमे लिखा था कि मैने अभी भगवान की फोटो शेयर की है. इंतजार कर रहा हूं कि शुभ समाचार क्या मिलेगा… क्योकि उस पोस्ट पर लिखा था कि जल्दी से शेयर करो और शुभ समाचार पाओ…

बहुत समय पहले इसी प्रकार के पोस्टकार्ड आया करते थे तब समझ नही आता था कि इसे फेंक दे , फाड दें या जवाबी 50 पत्र लिख कर डाल दे…

खैर पोस्ट हर तरह की है अच्छी बुरी … हमारी ऊपर है कि हम उसे देख कर अनदेखा कर देतें हैं या लाईक करके अपनी सहमति जताते हैं.

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GST बोले तो

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GST बोले तो –  चाहे मीडिया हो या समाचार पत्र जीएसटी की खबरे ही खबरें सुनाई देती हैं पर हर कोई कंफ्यूज है कि आखिर होगा क्या  ?  क्या ये सही कदम है या  देशवासी दुखी ही रहें …  GST बोले तो Goods and Service Tax.  The full form of GST is Goods and Services Tax. […]

डर के आगे ही जीत है - डर दूर करने के तरीका ये भी

सोशल नेटवर्किंग साइट्स और ब्लॉग लेखन

सोशल नेटवर्किंग साइट्स और ब्लॉग लेखन – Social Networking Sites aur Blog Writing –  Blog kya hai .कहां लिखें और अपना लिखा publish कैसे करे ? आप जानना चाहते हैं कि लिखने का शौक है लिखतें हैं पर पता नही उसे कहां पब्लिश करें … तो जहां तक पब्लिश करने की बात है तो सोशल मीडिया जिंदाबाद […]

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