Monica Gupta

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December 17, 2012 By Monica Gupta Leave a Comment

कार्टून वाच का स्वीट 17

 कार्टून वाच का स्वीट 17 

कार्टून वाच (देश की एकमात्र कार्टून मासिक पत्रिका,रायपुर) अपने सत्रहवें वर्ष मे प्रवेश कर रही है.निसंदेह, हम पाठको के साथ साथ पत्रिका के सम्पादक श्री त्र्यम्बक शर्मा जी के लिए भी बहुत खुशी का विषय है. आखिर इन सत्रह सालो का सफर कैसा रहा.

 

index

यह जानने के लिए मैने जब शर्मा जी से बात की तो वो मुस्कुराते हुए,यादो के झरोखो में, सन 1991 मे जा पहुचे जब उन्होनें लेखन के साथ साथ कार्टून जगत मे कदम रखा. राह आसान नही थी क्योकि उन्हे कार्टून की जरा भी जानकारी नही थी. बस एक जनून था कि कार्टून बनाने हैं.

फिर नव भारत समाचार पत्र  से एक नया सफर शुरु हुआ और उसके बाद दैनिक भास्कर मे आ गए. ‘अपनी अपनी” कालम से कार्टून जगत मे पदार्पण करने वाले कलाकार की आँखो मे अभी भी ढेरो सपने तैर रहे थे. एक मन हुआ कि वो भी दिल्ली या मुम्बई जाकर कार्टूनिस्ट रुप मे स्थापित हो जाए और एक बार प्रयास भी किया पर वहां की भागदौड भरी जिंदगी रास नही आई और फिर कुछ हट कर करने पर विचार करने लगे.

तभी उन्हे पता चला कि कार्टूनिस्टो की एक पत्रिका “शंकर विकली” के नाम से निकला करती थी पर वो सन 1975 मे बंद हो गई. उन्होने उस पत्रिका की खोज शुरु की और बहुत खोजने के बाद उन्हे उसकी कुछ प्रतियां मिली. बस, उसी दिन उन्होने मन ही मन यह निश्चय कर लिया कि वो भी एक ऐसी ही पत्रिका निकालेगे और नए, पुराने सभी कार्टूनिस्टों को इसमे स्थान देगे. यह विचार इसलिए भी मन मे आया क्योकि इस कला के क्षेत्र मे कलाकार तो बहुत थे पर कलाकारो को मंच ही नही मिल रहा था इसलिए कलाकार इस क्षेत्र को छोड रहे थे.

उन्होनें अपने मन की बात अपने पिता श्री मृत्युंजय शर्मा जी को बताई. उनके पिता जी ने  ना सिर्फ मबोबल बढाया बल्कि कदम कदम पर सहयोग भी किया और इस उत्साहन वर्धन का परिणाम यह हुआ कि  “कार्टून वाच” का जन्म हुआ.

त्रयंम्बक जी बता रहे थे कि उस दिन जब उन्होने अपने पिता जी के सामने कार्टून वाच की बात की तो उन्होने मुस्कुराते हुए बस  दो ही शब्द कहे  Go Ahead..!!! बस उनका आशीर्वाद मिलने के बाद वो इस क्षेत्र मे जुट गए  और उन्होने बहुत काम किया. अलग अलग राज्यों मे जाकर कार्टूनिस्टो को खोजा उनसे मुलाकात की और अपनी पत्रिका की जानकारी दी. धीरे धीरे इस क्षेत्र से जुडे कलाकार पत्रिका से भी जुडने लगे.  

पहला अंक सन 1996 मे छ्पा और उस समय खुशी और भावनाए ऐसी थी जिन्हे शब्दों में नही पिरोया जा सकता पर उस समय की भावनाओ को वो आज भी वैसे ही महसूस कर सकते हैं. वो बता रहे थे कि उस समय कार्टूनिस्ट “श्री पांडुरंग राव जी” का बहुत सहयोग मिला. कुछ एक नए उभरते कार्टूनिस्ट जैसे “रवि शर्मा” आदि का भी बहुत सहयोग रहा. इसके साथ साथ साथ कार्टूनिस्ट “वाही जी”(जोकि अब इस दुनिया मे नही रहे) का सहयोग भी चिरस्मरणीय रहेगा. उसके बाद से कार्टून वाच आगे बढती रही और नए नए लोग जुडते रहे. सफर आसान नही था पर मुशिकल भी नही था. बस एक जुनून था और सारे प्रयास सार्थक हुए जा रहे थे.

चेहरे पर मुस्कान लिए त्र्यम्बक जी बता रहे थे कि पत्रिका का 16वां साल भी बहुत शानदार रहा. ‘लिम्का बुक आफ रिकार्ड’ ने सम्मानित करके इस पत्रिका को नई पहचान दी. इसके साथ साथ अनेक राज्य और राष्ट्रीय स्तरीय प्रतियोगिताए भी करवाई गई. जिसमे ढेरो पुरुस्कारो से विजेताओ  को सम्मानित किया गया. इसके अतिरिक्त कामिक्स भी प्रकाशित की गई. जिसमे छतीसगढ के हीरो यानि पुरुष रत्न और नारी रत्न के व्यक्तित्व पर कामिक्स प्रकाशित की तथा “राजीम कुम्भ” जोकि वहाँ का बहुत सुप्रसिद्द कुंभ है उस पर भी सचित्र पौराणिक कथा बनाई गई. जिसे बहुत पसंद किया गया. इसके इलावा बाला साहिब ठाकरे जी के मातोश्री मे कार्यक्रम का आयोजन किया गया और वही उन्हे सम्मानित भी किया गया. वो भी एक शानदार अनुभव रहा था. कार्टूनिस्ट बाला साहब ने कार्टून वाच का भरपूर आन्नद लिया था.

बात आगे बढाते हुए मेरे पूछ्ने पर कि कार्टून विवादो मे भी बहुत रहा इस पर उन्होने बहुत सहज रुप मे जवाब दिया कि वैसे तो यह अप्रत्यक्ष रुप से राजनैतिक स्टंट ही था पर इन सारे विवादो से फायदा यह हुआ या सकारात्मक बात यह हुई कि कार्टून सुर्खियो मे आ गया और लोग कार्टूनस पर और ध्यान देने लगे.

अब मैं यह जानना चाह रही थी कि 17वे साल मे क्या योजनाए हैं. इस पर उन्होने पुन: मुस्कुराते हुए बताया कि बहुत कुछ सोचा हुआ है. अनेंक प्रतियोगिताए करवानी है. कार्टून फैस्टिवल का आयोजन करवाना है. इसके साथ साथ एक एनिमेशन फिल्म पर भी विचार किया जा रहा है. बाकि जैसे आदरणीय पाठक बताएगे उनकी पसंद नापसंद को ध्यान मे रखते हुए पत्रिका को सजाया संवारा जाएगा.

मेरे पूछ्ने पर कि पाठको के लिए क्या संदेश है. इस पर उन्होने बताया कि पाठको की तरफ से हमे बहुत प्रेम मिल रहा है बस ऐसा ही मिलता रहे. तनाव भरी जिंदगी मे हम अपने उपर हंसे और और अपने दारा की गई गल्तियो पर भी हंसे.कहने का मतलब यही है कि हास्य को महत्व दें और हमेशा मुस्कुराते रहें.

 

मेरा साक्षात्कार “मृत्युंजय शर्मा जी ”( कार्टून वाच पत्रिका के संस्थापक) के संदेश के बिना अधूरा था. मैने जब उनसे बात की तो वो भी बहुत उत्साहित थे. उन्होने सारा श्रेय अपने बेटे त्र्यम्बक शर्मा को देते हुए कहा कि कि ये उनका जनून ही है कि आज कार्टून वाच सफलता के शानदार 16 साल पूरे कर चुकी है. ना सिर्फ देश मे बल्कि विदेश मे भी कार्टून वाच अपने झंडे गाड चुकी है.लंदन मे भी प्रर्दशिनी लगी थी फिर अमेरिका, चीन, नेपाल से भी बहुत अच्छा रिस्पांस मिला. ईश्वर की असीम कृपा हुई है और वो हमेशा ही ऐसी बनी रहे. उन्होने ढ्रेरो आशीर्वाद और शुभकामनाएं कार्टून वाच को दी!

 कोई शक नही आज कार्टून वाच बेहतरीन मंच है जहां कलाकार कार्टूनो के माध्यम से अपनी प्रतिभा का मंचन करता है. देश भर के जाने माने कार्टूनिस्ट इस पत्रिका से जुडे हुए है.

मेरी तथा सभी पाठको की ओर से कार्टून वाच को एक बार फिर उसके सत्रहवें जन्मदिन पर ढेर सारी शुभकामनाएं और बधाई !!

 Monica Gupta

 

December 16, 2012 By Monica Gupta Leave a Comment

शादी बनाम नेता जी

शादी बनाम नेता जी

कुछ दिन पहले एक शादी मे जाना हुआ. अचानक माहौल मे गहमागहमी बढ गई. पता चला कि नेता जी पधारने वाले हैं. वर पक्ष वाले अपने नाते रिश्तेदारो को छोड कर नेता जी की आवभगत कैसे करेगे उसमे जुट गए.

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वही बारात भी आ गई थी पर वर वधू दोनो नेता जी की इंतजार मे बैठे रहे कि वो आएगे तो वरमाला होगी. पता चला को दस बजे के आते आते नेता जी 11.30 पर पहुचें क्योकि तीन शादिया और भी निबटानी थी. टू टू टू करती कार आई नेता जी उतरे.

शादी बनाम नेता जी

वरमाला के समय(जहां परिवार के लोगो को होना था ) वही नेता जी और उनके बोडी गार्ड ने फोटो करवाई. नेता जी को बडा सा उपहार प्यार स्वरुप दिया गया. कन्या पक्ष ने अपनी तरफ से नेता जी के स्वागत मे कोई कसर नही रखी पर ना जाने वर पक्ष ने नुक्स निकाल ही लिया.

वही दूसरी तरफ बराती व मित्र गण भी इतने इंतजार के बाद भूखे ही लौट गए क्योकि पहला भोग नेता जी ने लगाना था. नेता जी तो दो बादाम खाकर निकल लिए पर उनके साथ 10 गाडियां और उसमे सवार 50-60 अंगरक्षको ने जम कर खाया. खैर, ये तो अपनी अपनी हैसियत या रसूख की बात है पर वहां आए मेहमानो और रिश्तेदारो आदि किसी को दिखावा पसंद नही आया. टू टू टू टू काफिला चलता बना शायद नेता जी एक और शादी मे भी जाना था !!!!  शादी बनाम नेता जी !! ऐसे में आप क्या कहेंगें … !!!

 

 

December 16, 2012 By Monica Gupta Leave a Comment

दीदी की चिठ्ठी

दीदी की चिठ्ठी … मोनिका गुप्ता

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दीदी की चिठ्ठी

“दैनिक नवज्योति”, जयपुर से लगातार तीन साल तक रविवारीय में, “दीदी की चिठ्ठी” प्रकाशित होती रही.”

December 13, 2012 By Monica Gupta Leave a Comment

Teachers n Teaching

 Teachers n Teaching

 कुछ समय पहले एक सहपाठी मिली जो कालिज मे साथ पढती थी. वो बहुत नालायक किस्म की थी ना कभी पाठ याद करना और ना कभी कालिज नियमित आना इसलिए अक्सर टीचर से डांट खाती थी पर प्रैक्टिक्ल मे जब भी बाहर से परीक्षक आते उन्हे किसी की मृत्यु या घर के सदस्य की बीमारी का वास्ता देकर रोंदू सा मुहं बन लेती और बहुत सारे अंक बटोर लेती.

इतना ही नही फाईनल परीक्षा मे भी पता नही कैसे परीक्षक से सैंटिंग कर लेती और आराम से नकल मारती. सच, उसे देख कर बहुत दुख होता और गुस्सा भी आता था. मैं,बस, चुप ही हो जाती और सोचती कि इस लडकी का क्या होगा.

इसको सदबुधि देना भगवान!!! फिर मेरे पापा की बदली कही दूसरी जगह हो गई और हम चले गए.

 कुछ समय पहले जब वो मिली तो पता चला कि बहुत नामी गिरामी कालिज मे 15 साल से वो शिक्षिका है. आप सोच रहे होंगे कि तो क्या हुआ. हो सकता है कि अब समझदार हो गई हो और ढंग से पढाने लगी हो. पर जब मैने उसी के कुछ स्टूडेंट से बात की तो समझ गई कि अभी भी मामला वैसा ही है उन बच्चों ने कही और प्रैक्टिकल की ट्यूशन रखी हुई है और किसी अन्य शिक्षक से उस विषय की पढाई करते हैं. आज फिर ऐसी हालत देख कर हे भगवान निकल रहा है किस के लिए शायद आप भी समझ गए होग़ें ! Teachers n Teaching 🙁

 

Monica Gupta

December 9, 2012 By Monica Gupta Leave a Comment

दीदी की चिट्ठी

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दीदी की चिट्ठी

दैनिक नवज्योति, जयपुर से प्रकाशित दीदी की चिठ्ठी

मोनिका गुप्ता

December 7, 2012 By Monica Gupta Leave a Comment

Marriage and Girls

Marriage and Girls

 पिछ्ले साल इन्ही दिनो की बात है . हमारे एक परिचित की बहन कनु(परिवर्तित नाम) की शादी थी.कनु से मैं भी कई बार मिली थी.वर और वधू दोनो बहुत पैसे वाले थे और दिल खोल कर रुपया लगाया गया. कुछ महीने पहले कनु मुझे मार्किट मे मिली पर उसने मुझे अनदेखा कर दिया. फिर मुझे किसी से पता चला कि वो पेपर देने आई हुई है. चलो ये तो अच्छी बात है. अभी कुछ दिन पहले फिर वो दिखी पर सामने नही आई. इस बार मुझे हैरानी जरुर हुई.

ladies photo

 तभी वही जानकार मिले और मेरे पूछ्ने पर कि कनु कैसी है इस पर वो बोले कि वो वापिस आ गई है. उसका वहां मन नही लगा. उनकी बातो से बेहद उदासी झलक रही थी. दुख तो होना ही हुआ. शादी के बाद लडकी को भी बदलाव के लिए तैयार रहना चाहिए. शादी के बाद नए घर का माहौल समझने मे समय लगता ही है. वैसे तो आजकल लडका लडकी शादी से पहले ही बहुत खुल जाते है और परिवार भी एक दूसरे को जानने लगते है पर वहां रहकर जानना अलग बात है. कई बार एडजस्ट करना पडता है फिर धीरे धीरे सब ठीक होता चला जाता है.

Marriage and Girls

कनु का मन क्यों नही लगा ये तो पता चल ही जाएगा पर और जो लडकियां इस बंधन मे बंधने जा रही है वो प्लीज थोडा हौंसला रखे और खुद को उस वातावरण के अनुरुप ढालने की कोशिश करें और अगर फिर भी कुछ ठीक ना लगे तो बजाय बात घर की चार दीवारी के बाहर जाने के अपने पति से जरुर बात करे…. हो सकता है कि हल निकल ही आए !!! 🙂

 

Monica Gupta

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