Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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July 30, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

जिंदगी का सच ये भी है – खट्टे मीठे अनुभव

Monica Gupta

जिंदगी का सच ये भी है – खट्टे मीठे अनुभव – Zindagi Ka Sach  Yeh bhi hai . जिंदगी में अक्सर कडवे अनुभवो के साथ साथ खट्टे मीठे अनुभव भी होते रहते हैं… कई बार हम झेंप जातें हैं सिर खुजलाने लगते हैं और हम कह उठते हैं … हे भगवान !!

जिंदगी का सच ये भी है – खट्टे मीठे अनुभव

कुछ ऐसा ही खट्टा मीठा अनुभव मेरे साथ हुआ … कल मैं अपनी सहेली के घर गई वहां बहुत तनाव का माहौल था … असल में उसकी मम्मी का चश्मा नही मिल रहा था और पूरा घर हिला डाला … मेरी सहेली आराम से चाय बना रही थी और उसकी सास परेशान थी … मैंनें कहा कि आप आराम से बैठ कर सोचिए कि चश्मा कहां रखा था ..

उन्हें बैठाया और मैं उनके लिए पानी लेने गई और फ्रिज खोला तो चश्मा फ्रिज के ऊपर रखा था … उन्हें याद आया कि हां वही रखा था … मैंने  उन्हें चश्मा पकडाया और बोला कि कई बार चीज न मिलने पर शांत होकर बैठने से चीज मिल जाती है .. इस बीच में मैंनें देखा कि मेरी सहेली मुझे गुस्से से देख रही है … मुझे समझ नही आया और मैं आंटी से कहने लगी आपने वो कहानी नही सुनी … वो बोली सुनाओ … तो मैंनें सुनाई एक कहानी

एक आदमी अपने घर मे अपनी घडी रख कर कही भूल गया. बहुत जगह खोजा. नही मिली. उसने अपने घर मे पत्नी और बच्चो सभी से कहा. सभी ने खोजी पर नही मिली.

उन्होने ईनाम भी रख दिया कि सौ रुपए इनाम मिलेगा जो घडी खोज कर लाएगा. इसी बीच उसके बेटे ने कहा कि यह काम वो अकेले ही करना चाहता है.

पहले वो एक कमरे में फिर दूसरे कमरे मे गया और बाहर आया तो उसके हाथ मे घडी थी. सब हैरान !!

पिता ने पूछा कि आखिर तुम्हे यह मिली कैसे?? इस पर बेटा बोला कि मैंने कुछ नहीं किया बस मैं कमरे में गया और चुप-चाप बैठ गया, और घड़ी की आवाज़ पर ध्यान केन्द्रित करने लगा , कमरे में शांति होने के कारण मुझे घड़ी की टिक-टिक सुनाई दे गयी , जिससे मैंने उसकी दिशा का अंदाजा लगा लिया और आलमारी के पीछे गिरी ये घड़ी खोज निकाली.”

. इसलिए बजाय हाय तौबा मचाने के हमें शांत होकर बैठ जाना चाहिए और सोचना चाहिए इससे चीज मिल जाएगी …

बात खत्म करके मैंने आंटी को देखा वो चश्में से बडे आराम से अपना कान …

और मेरी सहेली बोली कि चश्मा गुमा नही था हमनें छिपाया था जान बूझ कर क्योकि ये उसे पहनने के लिए इस्तेमाल नही करती बल्कि …. कान में बहुत इंफेक्शन है इसलिए डाक्टर के कहने पर ही हमने

हे भगवान !! अब समझ आया … तो ऐसा ही होता है … जिंदगी को चटपटा बनाने के लिए ऐसे अनुभव बहुत जरुरी भी हैं … आंंटी बोली कि और कहानी सुनाओ न … पर मैं अब जाना नही भागना चाह रही थी …

वैसे आप तो ऐसे नही हैं ना … वो कहते भी है ना कि

…. नाक में उंगली, कान में तिनका मत कर, मत कर, मत कर …  दाँत में मंजन, आँख में अंजन नित कर, नित कर, नित कर ”

खट्टे मीठे , ऐसा भी होता है , जिंदगी का सच- ये भी है

खट्टे मीठे अनुभव –  खट्टी मीठी जिंदगी , चश्मा कैसे हटाये –

जिंदगी का अर्थ, जिंदगी का कड़वा सच, जिंदगी का खेल, जिंदगी का तजुर्बा, जिंदगी का फलसफा, जिंदगी का मजा लीजिए, जिंदगी का सच,

जिंदगी का सफर,  जिंदगी का सार,

 

जिंदगी का कड़वा सच ये भी – कड़वी बाते लेकिन सच्ची बाते

 

July 29, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

छोटे बच्चों की बडी सीख देती एक कहानी – दुनिया के 7 आश्चर्य

Monica Gupta

छोटे बच्चों की बडी सीख देती एक कहानी  –  दुनिया के 7 आश्चर्य  – Chote Bacho Ki Bade Seekh Deti Kahani – बच्चे किसी से कम नहीं होते .. उनकी सोच … यकीनन कई बार हमें आश्चर्य चकित कर देती है कल मैं टीवी देख रही थी उसमें दुनिया के सात आश्चर्यों के बारे में बता रहे थे … उसमे हमारा ताजमहल भी था … तभी मुझे ख्याल  आई एक कहानी जोकि मैंने नेट पर पढी थी और बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर गई …

छोटे बच्चों की बडी सीख देती एक कहानी  –  दुनिया के 7 आश्चर्य

कहानी एक 5  क्लास में पढने वाली लडकी की है कि वो गांव से शहर पढने आती है नए स्कूल में दाखिला लेती है … सब बच्चे उसे अजीब सी नजरों से देखतें हैं क्योकि वो बहुत साधारण सी होती है.. क्लास टेस्ट हो रहा था कि दुनिया के 7 आश्चर्य लिखों .. अब बच्चों ने लिखना शुरु किया .. टीचर ने नई लडकी को कहा कि आप भी लिखो जितना आता है … जो भी आता है यहां के बच्चों को तो पहले ही बता दिया था …

 

तो वो भी लिखने लगती है … अब टीचर एक एक एक बच्चे से पढ़वाती है … लगभग सभी ने सही लिखे होते हैं फिर बारी आती है उस लडकी की .. टीचर बोलती है कि आप भी सुनाओ कि क्या लिखा है

और वो लडकी लिखा बोलने लगती है कि … दुनिया के आश्चर्य हैं …

देख पाना , सुन पान, महसूस कर पाना, हंस पाना, दया कर पाना, प्रेम कर पाना … वो बोलती जा रही थी और टीचर हैरान की कभी इस बारे मे तो सोचा ही नही … वाकई में … ईश्वर ने जो शक्तियां हमें दी हैं वो किसी आश्चर्य से कम नही … हमें इसकी महत्ता समझ कर इनका उपयोग सही दिशा में करना चाहिए …  एक

छोटे बच्चों की बडी सीख देती एक कहानी

एक बच्ची की सोच ने बदल दिया सोचने का नजरिया … अब पूरी क्लास उसकी दोस्त बन गई थी …

छोटे बच्चों की कहानी,

बच्चों की कहानी- सोच बदल देगी

बच्चों की कहानी हिंदी,

बच्चों की कहानी हिंदी में,

छोटे बच्चों की बडी सीख देती एक कहानी

बच्चों की मनोरंजक कहानी – समझदार कौन

July 28, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

छोटे बच्चों की परवरिश के तरीके – Chote Baccho Ki Parvarish Ke Tarike

Monica Gupta

छोटे बच्चों की परवरिश के तरीके – Chote Baccho Ki Parvarish Ke Tarike – Parenting Tips  छोटे बच्चों को अच्छा माहौल दें – बच्चों की परवरिश इन हिंदी- बच्चों की परवरिश कैसे करें . अकसर सभी माता पिता चाह्ते हैं कि अपने बच्चे को ऐसा माहौल दें कि वो खुश रहे … चिडचिडा न रहे … और जब वो बडे हो अपने बचपन को याद करे तो एक खुशी का अहसास हो …!!

छोटे बच्चों की परवरिश के तरीके – Chote Baccho Ki Parvarish Ke Tarike

कुछ दिन पहले मौसम अच्छा था तो हम लोग पार्क में सैर कर रहे थे … बहुत सारे बच्चें खेल रहे थे इस पर एक सहेली ने कहा कि मन करता है फिर से बच्चे बन जाएं.. इस पर एक दूसरी सहेली ने कहा कि बच्चा … अरे नही … मैं तो भूल कर भी नही बनना चाहती बच्चा. तनाव सा हो जाता है बचपन का नाम सुनकर …

 

हमनें बहुत पूछा इसने कुछ नही बताया पर इतना तो पक्का था कि कुछ जरुर ऐसा हुआ है कि जिसे वो याद नही करना चाहती इसलिए बहुत सोचने की बात है कि बच्चों को ऐसा माहौल दें कि वो बडे होकर न सिर्फ उसे याद करें बल्कि अपने बचपन को फिर से जीना चाहें …

मैं सोचती हूं कि कुछ एक बातें …

जैसाकि मार पिटाई , गुस्सा न करें … ये बात आप जानते ही हैं पर मानते नही है … इसे मानिए भी ..

समय दें …

इस समय के बीच में मोबाईल भी न आएं … ज्यादातर पैरेंटस क्या करते हैं कि हां भई … बच्चों के साथ हूं समय दे रही हूं घर पर जरुर है पर मोबाईल के साथ … इसलिए समय दें … क्वालिटी टाईम … ये भी नही होना चाहिए कि जब कोई प्रोब्लम आएं तभी बात करें … हर रोज आधा घंटा तो जरुर दें … चाहे वो डिनर टाईम हो या सुबह का समय हो ..वो आप पर है ..

तुलना न करें … एक मेरे पास मैसेज आया कि मेरा बेटा तीन साल का है वो टयूशन नही जाना चाह्ता जबकि उसकी उम्र के सारे बच्चे जाते हैं … देखिए यही है तुलना … दूसरे बच्चों से नही कई बार घर के भाई बहन से ही तुलना करने लगते हैं ऐसे में बच्चे को कॉम्प्लेक्स भर जाता है और ईर्ष्या की भावना आने लगती है …

बच्चों को ईमानदार बनना सीखाएं इसकी महत्ता बताए

बच्चों को बात बात पर प्रोत्साहित करें …  बजाय ये कहने केे  तुम नही कर सकतेे… ये कहिए तुुुुम क्योंं नहीं कर सकते … Give them encouragement along with constructive criticism.  मान लीजिए आपने एक पौधा लगाया है उसे बोलिए कि इसका ख्याल रखो समय समय पर पानी दो  इसमे जब फूल आ जाएगें हम पार्टी करेंगें …या चिडिया के लिए पानी रखना .. या किसी बहुत गरीब की मदद करना … एक परिवार हमेशा अपने अपने  जन्मदिन पर वृद्धाश्रम जाता है वही बात वही गुण बच्चे में भी आ गए ..वो स्कूल में भी टोफी देता और वृद्धाश्रम ओल्ड एज होम भी जाता..

 बच्चों को कभी ज्यादा समय के लिए नौकर या ड्राईवर के भरोसे न छोडे. इन पर पूरा ख्याल रखें या सीसीटीवी लगवा लें … ये खासकर उन महिलाओं के लिए है जो ज्यादातर किटी पार्टी में अपना सोशल स्टेटस बनाने में व्यस्त रहती है और बच्चे की ओर जरा भी ध्यान नही देती

Be the role model .. बच्चों के साथ बच्चा बन जाएं … उसके साथ जीए … समय गुजरते देर नही लगती … बच्चे अगर अच्छे और प्यारे माहौल में पला है तो हमेशा याद करेगा और बचपन में जाना चाहेगा … नही तो … !!! ???

जब बच्चा झूठ बोले तो – What To Do When Child Lies

बच्चों की परवरिश कैसे करें , बच्चों की परवरिश इन हिंदी,
बच्चों की परवरिश के तरीके,

July 27, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

जब बच्चा झूठ बोले तो – What To Do When Child Lies

Life of a Teenager

जब बच्चा झूठ बोले तो – what to do when child lies- कल एक जानकार के घर जाना  हुआ ... पैरेंट्स  नें अपने 3 साल के बेटे को बुलाया और बोला कि राईम सुनाओ जो स्कूल मे सीखी है … उसने सुनाई जॉनी, जॉनी यस पापा eating  शुगर नो पापा टेलिंग लाइस नो पापा  open your mouth ha ha ha… छोटे बच्चों को कैसे समझाए – जब बच्चा झूठ बोले – Parenting Tips

जब बच्चा झूठ बोले तो – what to do when child lies

तभी दरवाजे पर घंटी बजी … कोई मिलने आए होंगें तो मेरी जानकर ने बोला अपने बेटे को कि अगर पडोस वाली आंटी हो तो कह देना मम्मी घर पर नही है …

और वो बच्छा बहुत खुशी से भागा और झूठ बोल कर आया और मम्मी से बोला कि बोल दिया आंटी चली गई और मुझ्से बोला दूसरी भी सुनाऊ … यकीन मानिए मेरा राईम सुनने का उत्साह खत्म हो गया था …

क्या फायदा हुआ जब हम असल जिंदगी में झूठ बुलवाते हैं …

कई बार पापा लोग भी बच्चों को बोल देते हैं आज आफिस से जल्दी आ जाऊंगा फिर आईसक्रीम खाने चलेंगें पर पापा का कोई समय नही … ऐसे में बच्चा गुस्सा करेगा …

नाराज होगा तो हम क्या कहेंगें … बच्चा बिगड गया है … तो हम ये भी मान सकते हैं कि बच्चे अगर झूठ बोलते हैं तो इसके लिए ज्यादातर जिम्मेदार ज्यादा मामलों में मां-बाप ही होते हैं।बच्चें वही करते हैं जो देखते हैं …

घर उनकी पहली पाठशाला होता है और पैरेंट्स  टीचर

पर ज्यादातर होते हैं हमेशा नही …

ये उनकी संगत का असर भी हो सकता है इसलिए कारण जानने की कोशिश करनी चाहिए कि पर मार पिटाई करके ही सुधार आ सकता है

ये सम्भव नही इससे और ज्यादा बिगडने के चांस होते हैं …

patience की बहुत जरुरत होती है

बहुत साल पहले हमारे पडोस में एक परिवार रहता था उनकी बेटी भी बहुत झूठ बोलती थी मम्मी बहुत समझती पर वो समझती ही नही थी … एक दिन स्कूल में जब टेस्ट हुआ और वो फेल थी तो टीचर ने बोला कि सभी बच्चे घर से मम्मी के साईन करवा कर लाएगें और जो नही लाएगा उसे सजा मिलेगी …

उस शाम को वो लडकी पहले सहेलियों के साथ खेलती रही फिर पार्क चली गई … रात को सो गई … सुबह उठी और तैयार होकर स्कूल चली गई … स्कूल जाकर ख्याल आया कि मम्मी के साईन तो करवाए नही …

अब एक दो पक्की सहेलियों को बता दिया … और क्या किया कि चुपचाप खुद ही साईन कर दिए मम्मी के … अब जिन बच्चों को सजा मिली उन्हें पता था कि ये साईन नही करवा कर लाई है और अपने आप किए है …

बात टीचर तक पहुंची और … पांच ही मिनट में टीचर ने उसकी मम्मी को स्कूल बुलवा लिया … अब उस लडकी की हालत खस्ता … सारे भगवान के नाम ले लिए … मन ही मन सोचा कि आज के बाद से झूठ न्ही बोलूगी …

हे भगवान बचा ले …  थोडी देर में मम्मी आई और उनसे पूछा गया कि क्या आपने इसकी कॉपी पर साईन किए हैं उन्होनें हैरानी से उसकी तरफ देखा …

मन में तो बहुत गुस्सा था पर अचानक उनके मुंह से निकला कि हां जब ये कॉपी लेकर आई तो मैं किचन मे कुछ काम कर रही थी इसलिए सही से साईन नही कर पाई …

उनकी बेटी अपनी कॉपी लेकर क्लास में चली गई और उसकी मम्मी  वापिस लौट गई…

जब स्कूल से वो वापिस लौटी तो एकदम बदल चुकी थी … उस दिन के बाद से उसने कभी झूठ नही बोला उसे सबक मिल गया था …

कई बार patience रख कर माता पिता को बच्चों को समझाना चाहिए पर उससे पहले ये भी कोशिश करनी चाहिए कि वो झूठ न बोले …

वैसे आप कैसे समझातें हैं जब बच्चा झूठ बोलता है  जरुर बताईएगा …

जब बच्चा झूठ बोले तो – what to do when child lies

झूठ के पाँव नहीं होते, झूठ नहीं बोलना चाहिए, झूठ बोल, झूठ बोलना पाप है, झूठ मत बोलो

 

July 26, 2017 By Monica Gupta 1 Comment

How to Write a Story for Children – बच्चों की कहानी कैसे लिखें – कैसे लिखें कहानी

 राइटर कैसे बने इन हिंदी

 How to Write a Story for Children – बच्चों की कहानी कैसे लिखें – कैसे लिखें कहानी  – राइटर कैसे बने इन हिंदी – कहानी कैसे लिखें – writer kaise bane –  बच्चों की कहानी कैसे लिखें . कहानी इन हिंदी फॉर चाइल्ड- कहानी ऑनलाइन.  बहुत सारे मैसेज आते हैं कि हम भी लिखना चाहते हैं बच्चों के लिए बताईए कि कैसे लिखें … तो आज मैं कहानी कैसे लिखी जाती है बताती हूं अगर आप मेरी वीडियो देखते रहते हैं तो मैंने एक कहानी को लेकर बताया था कि कैसे बन जाती है कहानी … आज बच्चों की कहानी कैसे लिखें ये बताती हूं

How to Write a Story for Children – बच्चों की कहानी कैसे लिखें – कैसे लिखें कहानी

मैं हूं राजकुमारी … ये मैंने लिखी थी बहुत साल पहले… और इस किताब को हरियाणा साहित्य अकादमी की तरफ से बाल साहित्य सम्मान भी मिला था …

बच्चों की कहानी के लिए खुद का बालमन होना बहुत जरुरी है … बच्चे जैसा महसूस करना बहुत जरुरी है…मैंनें जब ये कहानी लिखी थी तब मैं किसी के घर गई थी और उनके बच्चे कार्टून भी देख रहे थे और खेल भी रहे थे … कार्टून चल रही थी सिंड्रेला की … और वो लडकी कार्टून देखते देखते उठी और बहुत प्यारे शूज ले आई और मुझे दिखाते हुए बोली कि ये देखो मेरे शूज .. पापा लाए हैं … प्यारे हैं ना … इसी बीच में उसके छोटे छोटे दोस्त भी आ गए और वो खेलने लगे …

 

उन सब बच्चों में लडकी सबसे बडी थी तो वो सब को हिदायत दे रही थी और बच्चों को डांट भी रही थी …अपने दोस्तों को भी उसने शूज दिखाए जब एक बच्चे ने कहा पहन कर तो दिखाओ तो उसके पांव में फंसे ही नही … इतने में एक और कार्टून शुरु हो गई थी … जिसमे एक लडकी के लम्बे बाल होते हैं और एक राजकुमार उसके बाल पकड कर ऊपर आता है …

बस अब मुझे आईडिया मिल गया था और मोटा मोटा मैंनें नोट कर लिया और घर भागी … असल में,  एक भी एक पहचान होती है लेखकों की जब आईडिया आता है और लिख नही लेते आधीर से हो जाते हैं …

अब मेरी कहानी बनी … मैं हूं राजकुमारी मणि … 6 लडकी होती हैं बहुत प्यारी और गोल मटोल …  एक शाम उसके घर पापा के दोस्त के बच्चे आते हैं तो वो क्योकि सभी बच्चों में सबसे बडी होती है तो धाक जमानी शुरु कर देती है कि मैं हूं राजकुमारी …

अब बच्चे पूछ्ते हैं कैसे … वो बताती है क्योकि उसके पास सिंड्रेला जैसे शूज है … वो भाग कर शूज लाती है पर पहन नही पाती … फिर वो बोलती है कि तुमने कहा नी सुनी है जिसमे एक लडकी के इतने लम्बे बाल होते हैं कि एक राजकुमार उसके बाल पकड कर ऊपर आता है उससे मिलने महल में …

मैं भी राजकुमारी हूं … तुम मेरी चोटी पकडो और जैसे ही वो उसकी चोटी पकडते हैं वो दर्द से चिल्ला उठती है … और बच्चे डर कर उसके बाल छोड देते हैं … और हंसने लगते हैं कि तू राजकुमारी नही है … नही है …

इतने में मणि का डोगी आ जाता है अंदर और वो बताती है कि फ्राग प्रिंस की कहा नी तो जरुर सुनी होगी कि जब एक किस करने से मेंढक राजकुमार बन जाता है … और बच्चों पर अपनी धाक जमाने के लिए वो अपने dog  को जोर से खींचती है और dog को पता नही क्या होता है वो उसे काट लेता है …

और फिर उसके पापा फटाफट से डाक्टर  के पास ले जाते हैं और डाक्टर सूई लगाकर उसेका इलाज करता है जब उसकी आंख खुलती है तो उसके पापा डाक्टर को कह रहे होते हैं ये तो मेरी राजकुमारी है राजकुमारी … तब मणि स्माईल देती है और बोलती है कि और नही तो क्या .. मैं हूं अपने पापा की राजकुमारी मणि…

अब बच्चों की कहानी भी हो गई , परियों की भी बात हो गई … पुरानी कहानियों के बारे में भी बता दिया… तो ऐसे बन जाती हैं कहानी … कोशिश कीजिए चारो तरफ ध्यान से गौर से देखिए … बिखरी हुई हैं कहानियां …

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July 24, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

बच्चों की परवरिश कैसे करें

Life of a Teenager

बच्चों की परवरिश कैसे करें – bachon ki parwarish kaise kare – bachon ki parwarish ka tarika .. परवरिश की जिम्मेदारी मातापिता की होती है इसलिए जरुरी है कि वो उनकी देखभाल बहुत अच्छी तरह करें

बच्चों की परवरिश कैसे करें

घर के बाहर एक महिला अपने बहुत छोटे से बच्चे को खींच कर ले जा रही थी और बोल रही थी … देखती हूं कैसे नही जाता स्कूल  … वो बच्चा बहुत सहमा हुआ बस धसीटता हुआ ही जा रहा था … यकीन मानिए मेरे ही हाथ में दर्द हो गया देख कर … क्या लगता है आपको ये सही हो रहा था … !! बेशक कुछ बच्चे आनाकानी करते हैं पर ये तरीका परवरिश का नही है .. कई बार माता पिता भी गलती कर जाते हैं वैसे तो बहुत सारी बातें हैं पर कुछ जरुरी बातो का ख्याल रखना चाहिए ..

1 सबसे पहली तो ये कि बच्चों के साथ जबरदस्ती या मार पिटाई नही करनी चाहिए .. उसकी भावनाएं समझिए … वो स्कूल जा रहा है आपसे दूर  नया माहौल है वहां समय लगेगा उसे … समय दीजिए पर प्यार से..

2 . बच्चों के सामने झग़डा नही करना … हम बडे बच्चों को हमेशा बोलते हैं झगडा करना बुरी बात है तो खुद भी तो सोचना चाहिए कि नही … आपको पता है झगडे से बच्चे पर क्या असर पडता है वो सहम जाता है … पढाई में पीछे हो जाता है … चुप रहने लगता है

कई बार लडाई झगडे में मदर्स बच्चों को ही दोष देने लगती हैं कि तेरी वजह से ही यहां रुकी हुई हूं नही तो कभी की चली जाती … ऐसे में बच्चा खुद को दोषी मानने लगता है … और इस असर क्या हो सकता है आप सोच भी नही सकते … जरुरत इस बात की है झगडा बैठ कर सुलझाएं और किसी भी वजह से बच्चे को पता चल जाए तो उसे समझाएं कि सॉरी आगे से पापा से झगडा नही करुंगीं …

3   कई पैरेंटस तो पिटाई करते हैं और कई ओवर प्रोटेक्टिंग overprotective होते हैं यानि बहुत ज्यादा ख्याल रखतें हैं  ज्यादा ख्याल रखना भी बहुत नुकसान देय होता है.. हर बात बात बात में चिंता करेंगी बात बात में स्कूल में फोन करेंगी … तो मजाक बन जाते हैं बच्चें   इसमें बच्चे को उपाधि मिल जाती है mama’s boy की..   मां का लाडला .. और बच्चे को इतनी शील्ड मिल जाती है कि वि कुछ भी कर देता है उसे पता है कोई कुछ नही कहेगा … इसलिए overprotective भी नही होना …

4 कुछ पैरेंटस बच्चों  को फीलिंग व्यक्त नही करने देते … अगर किसी बात पर रो रहा है तो बोलेगें खबरदार चुप्प हो जाओ … रोना नही … तुम बच्चे नही हो अब … और अगर वो जोर जोर से हंसेंग़ें तो भी नाराज हो जाएगें को मैंनर्स नही हैं … खुल कर खेलेंगें कपडे गंदे कर के आएगें तो गुस्सा करेंगें …  …

5 बच्चे से जासूसी नही करवाएं.. बेशक  सीआईडी सीरियल सभी को अच्छा लगता है…  पर देखना पापा फोन पर किससे बात कर रहे हैं … बच्चा पढ रहा है और आप पापा के फोन के मैसेज चैक कर रहे हैं कि किसने लिखा और क्या क्या लिखा … ऐसे में पता है क्या होगा … बच्चे के मन में शक बैठ जाएगा … और वो बडा होकर शक्की बन जाएगा …

हर बात में शक करेगा … अच्छा पति या पिता नही बन पाएगा …

ऐसी और भी बहुत सारी बातें हैं फिलहाल पर इन्हें से शुरु करें … कल फिर ..

 bachon ki parwarish ka tarika, बच्चों की परवरिश कैसे करें
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