Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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July 23, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

Control Anger Motivation – How to control anger in Hindi

Life of a Teenager

Control Anger Motivation – How to control anger in Hindi – गुस्से पर कैसे काबू पाएं . Smart personality  बनानी है तो गुस्सा छोडना होगा…  कल मेरी सहेली घर आई और उसे बहुत गुस्सा आ रहा था बोली स्कूल में टयूशन फीस इतनी बढा दी और पढाते हैं नही सारा काम पेरेंटस को ही करना पडता है … मैंने उसे चाय दी … बोली नही पीनी … गुस्सा आ रहा है … और  अपना गुस्सा टीचर पर नही चाय पर उतारा …

 Control Anger Motivation – How to control anger in Hindi

अब बताईए कि इस तरह से चाय पर गुस्सा निकाल कर क्या वो सब ठीक हो जाएगा … नही ना … तो बजाय गुसा करने के कुछ हल निकालना चाहिए .. वैसे किसी न किसी बात पर गुस्सा हम सभी को आता है… कोई rare  लोग ही होंगें जिन्हें गुस्सा नही आता … अब प्रश्न ये है कि गुस्सा तो आता है पर कंट्रोल कैसे करें …  … गुस्सा कैसे ठीक करें बहुत सारी बातों पर गुस्सा आता है ..इसके लिए क्या करें … स्मार्ट भी तो बनना है … क्या नही बनना … !! बनना है ना

 

बहुत सारी बाते बताई जाती हैं कोई कहता है लम्बी सांस लो, गिनती गिन लो कोई कहता है पानी पी लो कोई कहता है योगा करो … कोई कहता है सो जाओ ... वो सब भी ठीक हैं पर मेरे विचार से …

सबसे पहले तो ये सोच लीजिए कि गुस्सा किया तो मेरे शरीर का नुकसान होगा … मेरी ही तबियत खराब होगी ..बीपी बढेगा … घबराहट होगी , बैचेनी होगी … तबियत खराब होगी डाक्टर के पास जाना नही भागना पडेगा … इसलिए गुस्से वाला आईडिया कैंसिल …

गुस्सा करते हैं हमारे चेहरे की मसल्स तन जाती हैं भवे , आखें लाल  आवाज भी गुस्से वाली हो जाती है …हम स्मार्ट ही नही लगते … उस समय भगवान न करे कोई हमारी फोटो क्लिक करके फेसबुक पर डाल ते … तो क्या रह अजएगा … बस यही सोच कर … शांत .. रिलेक्स हो जाईए … कहीं सीसीटीवी तो नही लगा …

हमें गुलामी पसंद नही … गुस्सा आया और हमने गुस्सा कर दिया … जी नही हमें गुलामी पसंद नही … हम अपनी मर्जी के मालिक है … नही करेंगें गुस्सा यानि नही करेंगें

एक बात ये कि  गुस्सा किसी चीज का हल नहीं होता.और वैसे भी

गुस्सा हम उतना ही करते हैं जितना afford कर सकते हैं

मान लीजिए आपको गुस्सा आ रहा है और आपको sir  बुलाते हैं और कुछ काम कहते हैं करने को तो क्या आप उसे कहेंगें … चल चल तू कर ले … नौकर समझ रखा है क्या …

या चुपचाप सिर झुका  कर खडे रहेगें मन ही मन बहुत कुछ कह रहे होंगें लेकिन चेहरा मासूम बना रहेगा … इसका मतलब हम चाहे तो कंट्रोल कर सकते हैं …

एक दूसरा उदाहरण सुनिए अगर हमे पता है कि काम वाली बाई नही आएगी तो हम गुस्से में कांच का बर्तन जमीन पर पटकेंगें … इसलिए नही पटकेंगें कि हमे ही साफ करना पडेगा … यानि हम चाहें तो कंट्रोल कर सकते हैं …

मन को अपना दोस्त बना लें … और अपने आप से बात करें … कुछ भी … पर मन से बात करें कि तूने गुस्सा नही करना तो नही करना .

बेस्ट यही है कि अपना ध्यान हटा लीजिए … कुछ और सोचने लगिए कुछ अच्छा … पर आपकी smile  वाले expression  सामने वाले को न दिखे … अगर उसे पता चल गया कि मैं गुस्सा कर रहा हूं और ये हंस रहा है तो बस … गई भैंस पानी में … सब ग़डबड हो जाएगा … ऐसा मेरे साथ होता था … जब मम्मी गुस्सा करते तो मुझे हंसी आ जाती और …

क्या आपने एक बात नोट की है कि हमारा गुस्सा कुछ पल का मेहमान होता है … कभी ऐसा देखा है कि किसे गुस्सा आए जा रहा है आए जा रहा है … दो घंटे हो गए … तीन घंटे हो गए … नही कुछ पल के लिए आता है तबाही मचा कर चला जाता है उन पलो को अगर कंट्रोल कर लिया तो सब ठीक हो जाता है ..

 ये वक्त गुजर जाएगा … फिर ये बात सोचिए कि गुस्सा क्षणिक होता है

हमेशा नही रहने वाला तो इस दो पल की बात के लिए पूरी जिंदगी किसलिए खराब करनी एक बार संत को एक व्यक्ति ने खूब अपशब्द कहे और उनका अपमान किया. संत ने उस व्यक्ति से कहा कि मैं कल वापस आकर तुम्हें अपना जवाब दूंगा.
अगले दिन वापस जाकर उस व्यक्ति से कहा कि अब तो तुम्हें जवाब देने की जरूरत ही नहीं….

उस व्यक्ति को बेहद आश्चर्य हुआ. उस व्यक्ति ने संत से कहा कि जिस तरीके से मैंने आपका अपमान किया और आपको अपशब्द कहे, संत ने कहा

मेरे गुरु ने मुझे सिखाया है कि   अगर हम उसी समय जवाब देते हैं तो वह आपके अवचेतन मन  से निकली हुई बात होती है इसलिए कुछ समय गुजर जाने दो.

चिंतन मनन हो जाने दो  कड़वाहट , नाराजगी खुद ही घुल जाएगी.  दिमाग शांत हो जाएगा . आपके आँखों के सामने का अँधेरा जल्द ही हट जाएगा.

चौबीस घंटे गुजर जाने दो फिर जवाब दो. समय बीत जाने दो …
वैसे आप कैसे कंट्रोल करते हैं जरुर बताईए हो सकता  है आपकी टेकनीक काम कर जाए … .

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July 23, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

Importance of Advertisement – Creative Advertising Methods

Life of a Teenager

Importance of Advertisement – Creative Advertising Methods – modern advertising methods थोडी देर पहले मैं टीवी पर एक सीरियल देख रही थी तभी उसमें advertisement शुरु हो गई और मैं जैसे ही उठने को हुई तो मुझे वो advertisement बहुत अच्छी लगी और मैं देखने लगी.. मम्मी और बेटे की वो छोटी सी advertisement इमोशनल भी कर गई .

वाकई, लाखों करोडों लोगो तक पहुचने का advertisement का यानि विज्ञापन शानदार जरिया है … होते ये कुछ ही सैकिंड के होते हैं पर असर गहरा डाल जाते हैं ..

 

हर कोई चाहे वो छोटे स्केल का बिजनेस कर रहा हो या बहुत बडा … अपनी ब्रेंडिंग अपनी प्रोमोशन हर कोई चाहता है और चाहता है कि उसकी प्रोमोशन खास अंदाज मे हो …कुछ अलग सा कुछ नयापन लाए ताकि लोग उसे देख कर आकर्षित हो…

अब जैसे मान लीजिए किसी ने अपना ब्लॉग बना रखा है और वो चाहते हैं कि उसकी ओनलाईन प्रोमोशन करें ताकि ज्यादा से ज्यादा ट्रैफिक आए या फिर किसी ने अपना नया बिजनेस शुरु किया है और  वो लोगो को अपनी प्रोडेक्टस की या सर्विस की जानकारी देना चाह्ता है या किसी का जमा हुआ बिजनेस है  स्केल अप करना चाहता है … या कोई प्रोफेशनल है

कहने का मतलब यही है कि वीडियो ग्राफिक्स शानदार माध्यम है अपनी बात दूसरों तक पहुंचाने का

चलिए आज आपको दिखाती हूं कुछ ऐसी विडियो जिसमे आप अपना लोगो लगा कर अपनी अलग पहचान बना सकते हैं  खूबसूरत वीडियों की दुनिया के शानदार सफर पर

इस सफर में समुद्र भी है …

और कैम्प फायर का खूबसूरत माहौल

मशीनी युग में मशीने न हो ऐसा कैसे हो सकता है

अपने विज्ञापन के परचम को ऐसे भी फहराया जा सकता है …

इस तरह के अलग अलग ढेरो टेमप्लेटस हैं जिसमें अपनी अपनी कम्पनी का लोगो लगा कर टैग लाईन लिख कर अलग अंदाज से इम्प्रेस कर सकते हैं …

https://www.facebook.com/ezign.in/

अगर आपको इस तरह की एडस पसंद आई और बनवाना चाह्ते हैं  या आप इसके बारे में जानना चाहते हैं तो आपको …. इस फेसबुक के इस लिंक पर जाईए इसे लाईक कीजिए और सारी जानकारी वहां से लीजिए…!!!

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July 22, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

Positive Parenting Tips for Child Development – Good Parenting Skills

बच्चों के लिए अच्छी आदतें

Positive Parenting Tips for Child Development – Good Parenting Skills  –  मेेेेरे You Tube Channel पर  Parenting को लेकर माता पिता के  बहुत सारे मैसेज आते रहते हैं … ज्यादातर पेरेंटस अपने बच्चों की कमी या शिकायत करते नजर आते हैं …मेरा बच्चा ये नही करता मेरा बेटा वो नही करता … ऐसा है वैसा है …  कल अचानक एक मैसेज पर नजर गई और यकीन मानिए मन बहुत खुश हो गया …

Positive Parenting Tips for Child Development – Good Parenting Skills

मैसेज एक महिला का था… उन्होने लिखा  कि उनका बेटा 5 साल का है और उसे कहानी बनाना बहुत अच्छा लगता है ..और कहानी सुनकर बहुत ही अच्छा लगता है ऐसा लगता है मानो ये रियल ही हो … यकेन मानिए मुझे बहुत खुशी हुई

 

असल में आज मैं उन पेरेंटस को कहना चाह रही हूं कि खूबी हर एक में होती है जरुरी है उसे देखे और पहचाने जिस महिला का मैसेज मेरे पास आया क्या उनका बेटा शरारती नही होगा … क्या वो भी किसी बात के लिए जिद नही करता होगा … करता होगा पर उन्हें इन बातो से हट कर उसकी खूबिया भी देखी … और उसे पहचाना और सबके सामने लाए …

इसलिए बच्चे में जो खूबी है उसे पहचानिए … वो केयरिंग हो सकता है उसकी मैमरी तेज हो सकती है … उसकी ड्राईंग बहुत अच्छी हो सकती है उसकी लिखाई बहुत खूबसूरत हो सकती है …

ना जाने कितनी अनगिनत बातें हो सकती हैं इसलिए बच्चे की अच्छी बातें पहचान कर उसे एनकरेज कीजिए …

तभी  कुछ बच्चे घर आए और बोले कि स्कूल में कहानी प्रतियोगिता है और जानवरो की कहानी सुनानी है और ऐसी कहानी जो प्रेरक हो ..

मुझे उसे ख्याल आई एक कहानी जो मैंने नेट पर पढी थी कि खूबी सभी में होती है …

जंगल में शेर होता है और वो युद्द की तैयारी कर रहा होता है इसलिए सभी जानवरों को बुला भेजता है कुत्ता, बिल्ली, सियार, हिरण, बंदर धोडा गधा, खरगोश सब आ जाते हैं … जब शेर सबको काम दे रहा होता है  कि आपने ये काम करना है आपने ये …

तो दूसरे जानवर बोलते हैं कि सभी अपन काम सही से करेंगें पर न तो गधा न खरगोश किसी काम का …  शेर ने पूछा कैसे तो जानवर बोले कि गधा तो एक नम्बर का मूर्ख है … अक्ल ही नही है और

खरगोश इतना डरपोक है कि पूछो ही मत … ये दोनो युद्द के लिए एक दम बेकार है …

तब शेर ने बोला कि आप सभी ने उनकी कमी तो देखी पर क्या अच्छाई देखी …

इस पर सब हैरान कि इनमे क्या अच्छाई है …

तो शेर बोले कि गधा जितनी जोर से ढेंचू ढेंचू यानि चिल्ला सकता है उतना तो कोई भी नही चिला सकता और वही खरगोश बेशक डरता हो पर उसकी स्पीड देखी फुर्ती देखी …

कर सकता है  कोई उसका मुकाबला … अब सब चुप …

तब राजा ने कहा कि अगर कमी हर एक मे होती है तो खूबी भी हर किसी में होती है …

गधे को उदघोषक बनाया गया और खरगोश को संदेश वाहक … तो बस यही बात है हम खूबी को प्रमुखता देंगें तो कमी अपने आप छिप जाएगी और बच्चों को जो मोटिवेशन मिलेगा उनका उत्साह बढेगा उसका तो कोई मुकाबला ही नही होगा …  तो अब अच्छाईयां खोजिए …

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July 21, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

छोटे बच्चों की सारी जिद मान लेना सही नही – Patience रखना सिखाएं

बच्चों के लिए अच्छी आदतें

छोटे बच्चों की सारी जिद मान लेना सही नही – Patience रखना सिखाएं  – chote bacho ki sari zid maan lena sahi nahi – Patience  यानि धैर्य – मेरी एक जानकार के पति बहुत lose temper हैं … यानि बहुत जल्दी आपा खो देते हैं दूसरे शब्दों में कहें तो patience , सब्र नही है … जैसे मान लीजिए गाडी चला रहे हैं और रेड लाईट हो तो गुस्सा आ जाता है … बच्चे की स्कूल बस दो मिनट लेट हो गई या कही लाईन में लगना पडे इंतजार करनी पडे तो गुस्सा आ जाता है और बहुत बोलते हैं …

छोटे बच्चों की सारी जिद मान लेना सही नही – Patience रखना सिखाएं

मेरी सहेली का कहना है कि वो अपने बच्चे को patience रखना सीखाएगी ताकि उसे पूरी जिंदगी दिक्कत न उठानी पडे … बहुत जरुरी है patience का होना … आमतौर पर हम कई बार गलती कर जाते हैं मान लीजिए बच्चा किसी बात के लिए जिद कर रहा है तो रो रहा है तो उसे चुप करवाने के लिए हम मोबाईल दे देते हैं और वो चुप भी हो जाता है पर अगली बार उसे आप मोबाईल नही दे पाते क्योकि आप जरुरी काम कर रहे हैं तब ऐसे में क्या करेंगें बच्चा तो रो ही रहा है जिद कर रहा है तो उसे चांटा मारेंगें … गुस्सा करेंगें … हाथ पकड कर धसीटते हुए ले जाएगें …

 

तो अच्छा क्या हो … अच्छा ये होगा कि बच्चे को प्यार से समझाएं … मुझे पता है आप यही सोच रहे हो कि बच्चा प्यार को समझता कहां है …आप कोशिश तो कीजिए … कोशिश उस समय नही कीजिए जब वो रो रहा हो चिल्ला रहा हो जब उसका मूड अच्छा हो … तब उससे बात कीजिए …

उसे झूठ मूठ किसी दूसरे बच्चे का उदाहरण दीजिए कि आपकी एक सहेली का बेटा है वो बहुत जिद्दी है उसे कैसे समझाना चाहिए … …

उन्हें खेल के माध्यम से या कहानी के माध्यम से सीखाए कि गुस्से का या सब्र न रखने का परिणाम कभी अच्छा नही होता …

बच्चे को समझाईए कि सफलता भी  उन्हें ही मिलती है जो सब्र रखते हैं …

ये सब सीखाने के लिए जरुरी है कि आप मे भी सब्र हो …

अच्छी मिसाल बनिए.. आप खुद भी बात बात पर उत्तेजित हो जाएगी तो बच्चा हो सीख ही नही सकता … छोटे बच्चों की सारी जिद मान लेना सही नही – Patience रखना सिखाएं  – Patience  यानि धैर्य – मेरी एक जानकार के पति बहुत lose temper हैं … यानि बहुत जल्दी आपा खो देते हैं

मान लीजिए आपका नेट नही चल रहा तो आप क्या करेगी … स्माईल देंगीं और कहेंगी कोई बात नही या बार बार चैक करेगी कि चला या नही और अपनी दूसरी सहेलियों से भी पूछेगी कि नेट चल रहा है या नही और भगनाव न करे इस बीच में बच्चा आ जाए तो वो तो पिटा ही समझो …

देखिए वक्त लगता है … क्योकि उन्हें अपनी इच्छा पर काबू करना न सिखाया , तो वे बड़े होकर भी सब्र रखना नहीं सीख पाएँगे..  पर अगर आपने बच्चों को सब्र का पाठ  पढा दिया तो बच्चे के साथ साथ आपका जीवन भी खुशियों भरा होगा …

छोटे बच्चों की सारी जिद मान लेना सही नही – Patience रखना सिखाएं

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July 18, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

समय पर काम करने के महत्व को समझें माताएं

बच्चों के लिए अच्छी आदतें

समय पर काम करने के महत्व को समझें माताएं – बच्चोंं की पढाई पर कल मैं वीडियो देख रही थी. किसी में लिखा था कि अगर वास्तु करें या ये टोटका करें या ये मंत्र का जाप करें तो बच्चा पढाई में जरुर ध्यान लगाएगा … ये सब बातें पढ ही रही थी कि मुझे मार्किट जाना पडा …  वैैैैसे  सभी पेरेंटस चाहते  हैं कि बच्चे खूब पढें,  फर्स्ट आएं … पर कई बार समय के हिसाब से न चलने पर गडबड भी हो जाती है samay par kaam karne ka mahatva …

समय पर काम करने के महत्व को समझें माताएं

कल सुबह सुबह मैं किसी काम से मार्किट जा रही थी तो देखा मेरे आगे एक बच्चा और एक महिला शायद उसकी मम्मी होंगे जा रहे थे और बच्चा गुस्से मे बोल रहा था कि आज भी आपने बस मिस करवा दी … आप सुबह जल्दी किसलिए नही उठ सकती … अब पापा को बोलना पडेगा और पापा भी आफिस के लिए लेट हो जाएगें … ऐसा होता है अकसर … हम सभी के साथ होता है … कभी कभार हो जाए तो कोई बात नही पर जब ये ही रुटीन बन जाए तो बहुत दिक्कत होती है और टेंशन अलग …

सुबह तो एक एक मिनट बहुत कीमती होता है इसलिए बहुत सोच समझ कर प्लानिंग कर लेनी चाहिए

 

कई बार तो सुबह सुबह समझ ही नही आता कि खाने में क्या दें … मैगी या फिर अचार परौंठी … बच्चे भी नाराज हो जाते हैं कि या आप हर रोज अचार ही देते हो … तो ऐसा क्या करें … या शर्ट नही मिल रही या नोट बुक कहां रख दी या डायरी में साईन करवाने हैं …  ऐसी प्रोब्लम  न हो ऐसे में क्या करना चाहिए . चलिए मैं बताती हूं

मेरी एक सहेली डिनर के बाद हर रोज बच्चों को कहानी सुनाती है और कहानी सुनाने से पहले वो रसोई ठीक करती है प्लानिंग करती है कल टिफिन में क्या देना है और इसई बीच  बच्चे भी अपना स्कूल बैग लगा लेते हैं और अपना यूनिफार्म एक तरफ रख देते हैं ताकि सुबह मारा मारी न हो … और मम्मी एक काम और करती हैं कि सुबह अगर पाचं बजे उठना है तो पौने 5 का अलार्म लगाती हैं ताकि कुछ समय अपने लिए भी निकाल पाए और सारा काम आराम से हो जाए …

एक बार अपना कर देखिए और अगर आपके पास भी कोई अच्छे अच्छी टिप्स हैं तो जरुर बताईए ताकि हम सभी के काम आए

जब हमारा समय और काम दोनो ही आपकी मुट्ठी में होता है तब आपके सामने और भी कई राहें खुल जाती हैं, हमें नए मौक़े मिलते हैं जिनका आनंद हम फ़ुर्सत के समय में उठा सकते हैं

यह हमारी प्रतिष्ठा को भी बढ़ाता है। जब आप अपना कार्य समय पर करते है वो भी अच्छे से तो इससे आपके स्कूल और ऑफ़िस में हमारा नाम  होता है।

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July 18, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

बच्चों को अच्छे संस्कार दें – गुड मैनर्स

बच्चों के लिए अच्छी आदतें

बच्चों को अच्छे संस्कार दें – गुड मैनर्स – good manner ,  good values to children  or acche sanskaar in everyday life बच्चों को गुड मैनर्स – छोटे बच्चों को पढाई लिखाई के साथ साथ manner  भी यानि शिष्टाचार भी सीखाना चाहिए …

बच्चों को अच्छे संस्कार दें – गुड मैनर्स

कुछ दिन पहले हम एक फ्रेंड के घर गए…हम ड्राईंग रुम मे बैठे ही थे कि उनकी 6 साल की बेटी Popins आ गई और हम सभी के पास जाकर हाथ जोडकर स्माईल लिए नमस्ते करने लगी … यकीन मानिए बहुत अच्छा लगा … नमस्ते करके वो बैठ गई और बोली मम्मी अभी आ रही हैं …

 

मुझे याद आई एक बात जब कुछ दिन पहले मैं एक जानकार के घर गई और उनका बच्चा वहां से बाहर निकलने लगा … शायद उसने देखा नही या खेलने की जल्दी होगी … इस पर मेरी जानकार ने उसे गुस्सा करके बुलाया और बोली … चल पांव छू इनके…

दिखता नही है कि घर पर मेहमान आए है और पागल को देखो … वो अनमने भाव से पाव छू कर भाग  गया … अब आप बताईए कि क्या ये सही है …

या तो बच्चे को पहले समझा कर रखें कि जब घर पर कोई आए तो आकर नमस्ते करो पर जब घर आए मेहमान के सामने ऐसे बोलेंगें तो बच्चे को बहुत महसूस होगा …

तो सबसे जरुरी बात ये है कि बच्चों को शिष्टाचार सिखाते व़क्त यह भी ध्यान रखें हमारी भाषा शैली भी अच्छी हो … बच्चे ज्यादातर पेरेंटस से ही सीखते हैं … अच्छी बात सीखाने के लिए खुद अच्छा बना पडेगा …

इसके लिए अच्छा ये है कि मम्मी खुद मेहमान बन कर जाए और फिर देखे की बच्चा कैसे act  करता है .. कोई कमी तो फिर समझाएं पर मेहमान के सामने ऐसे भी नही बोलें कि बच्चे को अपमान महसूस हो …

एक बार की बात है बचपन से नींव ऐसी डाल दी तो बस … जिंदगी में वो हमेशा respectful रहेगा … कि आप जो बातें उन्हें सिखा रहे हैं, उन्हें पहले ख़ुद अमल में लाएं, क्योंकि बच्चे देखकर जल्दी सीखते हैं. शुरुआत यहां से करें ..जरुर सोचिएगा .. !!

 

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