Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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March 5, 2013 By Monica Gupta Leave a Comment

रक्तदाता महिलाएं

रक्तदाता महिलाएं

Blood Donation के क्षेत्र में महिलाएं भी किसी से कम नही हैं. वो चाहे तो रक्तदान की पूरी जानकारी लेकर  अपने पूरे परिवार को  रक्तदान के लिए प्रेरित कर समाज में अलग पहचान बना सकती हैं

 

कुछ समय पहले आईएसबीटीआई की ओर से स्वैच्छिक रक्तदान पर एक दिवसीय सम्मेलन था. बहुत दर्शक और बहुत वक्ता थे. रक्तदान के बारे मे बहुत पुरुषों ने  बोला कि उन्होने जब रक्तदान किया तब घर पर अपनी पत्नी को नही बताया या अपनी मां को नही बताया क्योकि वो नाराज हो जाती कि रक्त किसलिए दे कर आए हो. एक ने तो बताया कि उन्होने 5 साल तक अपने घर मे किसी को खबर नही लगने दी कि वो रक्तदान कर रहे हैं. अगर पता चल जाता तो वो उसे रक्तदान नही करने दिया जाता.

वही उसी कार्यक्रम मे एक सज्जन ने बताया कि महिलाओ की कुछ परेशानियां ऐसी होती है कि वो खून नही दे सकती जैसा कि स्तनपान, महावारी और एनीमिया इसलिए पुरुषो को आगे आना चाहिए और ज्यादा से ज्यादा रक्तदान करना चाहिए.

एक सज्जन ने यह भी बताया कि भले ही रक्तदान के लिए महिलाओं मे बहुत उत्साह देखने को मिलता है और वो बढ चढ कर र्क्तदान के लिए कैम्पो मे आती भी हैं  पर जब उन्हे पता चलता है कि उनमे खून की कमी यानि एनीमिया है वो रक्तदान नही कर सकती तब उन्हें मजबूरन पीछे हटना पडता है.

तब मेरे दिमाग मे बस एक ही बात आई कि भले ही हम महिलाओं को हर महीने किसी न किसी रुप मे परेशानी से दो चार होना पडता है पर अगर कम से कम हमें रक्तदान के बारे मे विस्तार से जानकारी होगी तो अपने घर परिवार के लोगो को तो बजाय रक्तदान पर नाराज होने के होने प्रेरित तो कर सकती हैं.और इसके साथ साथ  भले ही रक्तदान ना करे पर इतना तो करें कि खुद मे तो रक्त  हो यानि ब्लड डोनर से पहले रक्त ओनर तो बनें.

अगर महिलाए एनीमिया से कम ग्रसित होगी तो रक्त की भी कम जरुरत पडेगी. इसके साथ साथ यह भी जानकारी भी होनी जरुरी है कि रक्तदान से कोई नुकसान नही होता.चाहे स्वयं रक्तदान करे या अपने घर परिवार मे किसी का, तो भी बहुत जागरुकता आ सकती है. असल मे, रक्तदान के बारे मे जब भी महिलाओ से बात की तो यही जवाब मिला कि हमे तो किसी ने कहा ही नही या हमे तो पता ही नही था.

महिला दिवस पर यही संकल्प लें कि रक्तदान के बारे मे सारी जानकारी लेगी और अगर होमोग्लोबिन 12.5 है तो रक्तदान करके खुद महसूस करेगी कि क्या अनुभव रहा और अगर किसी वजह से खुद ना कर पाई तो कम से कम अपने परिवार के सदस्यो को नाराजगी दिखाने के बजाय रक्तदान के लिए जरुर प्रेरित करेगी. जैसे

किसी को जन्म देना एक खूबसूरत अहसास है ठीक वैसे ही किसी को नई जिंदगी देना भी एक खूबसूरत अहसास से कम नही है.

रक्तदाता महिलाएंblood donor photo

Photo by Armed Services Blood Program

February 7, 2013 By Monica Gupta Leave a Comment

रक्तदान वर्कशाप आयोजित

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  रक्तदान वर्कशाप आयोजित

सुरत में पिछले दिनों सुरत रक्तदान केद्र और
रिसर्च सैटर द्वारा स्वैच्छिक रक्तदान कैम्प आयोजको की वर्कशाप का आयोजन
किया गया .

जिसमे सुरत रक्तदान केद्र की डाक्टर स्नेह लता गुप्ते, डाक्टर
बसावडा ,डाक्टर इटालिया आईएसबीटीआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाक्टर युद्द्बीर
सिह ख्यलिया,डाक्टर सगीता पाठक, डाक्टर पालीवाल व सीओओ संजय गुप्ता,मोनिका
गुप्ता सहित अनेक गणमान्य लोगो ने हिस्सा लिया।

monica gupta

January 29, 2013 By Monica Gupta Leave a Comment

Jai Rakhdata

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 Jai Rakhdata 

 हरियाणा के जिला रोहतक मे आईएसबीटीआई, जिला रैड क्रास सोसाईटी और ब्लड बैंक पीजीआईएमएस ने मिलकर स्वैच्छिक रक्तदान पर एक दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया. यह आयोजन 27.1.2013 को किया गया.

इसमे रक्तदाता, कैम्प आयोजको के साथ साथ जिले की आशा वर्क्स, स्वय सहायता समूह, साक्षरता समूह,पंचायती राज संस्थाए, युवा क्लब, शिक्षण संस्थान व अन्य गण मान्य लोगो ने आदि ने बढ चढ कर हिस्सा लिया.

इस सम्मेलन में महिलाओ की संख्या 90% थी और खुशी की बात तो यह हुई कि सभी महिलाए यह जानने के लिए जागरुक थी कि खून की कमी यानि एनीमिया को कैसे दूर कर सकते हैं और किस तरह का खान पान किया जाए ताकि महिलाए जो अक्सर पीछे रह जाती है वो रक्तदान के क्षेत्र मे बराबर की भूमिका निभा पाए. मेरा भी प्रयास रहा कि महिलाओ को रक्तदान के लिए प्रेरित कर सकूं.

कार्यक्रम का उदधाट्न श्री एस.एस. सागंवान ( वाईस चांसलर) ने किया और डाक्टर युद्बीर सिह ख्यालिया(राष्ट्रीय अध्यक्ष, आईएसबीटीआई ने रक्तदाताओ को रक्तदान के लिए प्रेरित किया. सभी आए महिला व पुरुष रक्तदान के प्रति नया जोश और जज्बा ले कर गए.

  Jai Rakhdata    जय रक्तदाता

रक्तदान है महादान !!!

 

 

 

December 19, 2012 By Monica Gupta Leave a Comment

रक्तदान और हीमोफीलिया

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रक्तदान और हीमोफीलिया

आमतौर पर जब भी मैं स्वैच्छिक रक्तदान के बारे मे लोगो को प्रेरित करती हूं तो थैलेसीमिया तथा हीमोफीलिया नामक बीमारी का जिक्र जरुर करती हूं क्योकि इन रोगो के होने पर रक्त की बहुत ही ज्यादा आवश्यकता पडती है.थैलेसीमिया के मरीजो से तो बहुत बार बात हुई है पर हीमोफीलिया के किसी मरीज से कभी मिलना नही हुआ. हीमोफीलिया अनुवांशिक रोग है. जिसमे शरीर के बाहर बहता रक्त जमता नही है.लगातार बहता ही रहता है. इस कारण ऐसे रोगियो के लिए कोई भी चोट या दुर्धटना जानलेवा हो सकती है.

तभी एक दिन श्री जगदीश कुमार जी से मुलाकात हुई. 49 साल के जगदीश जी जम्मू में रहते हैं और सीनियर लेक्चरर हैं. जगदीश जी हीमोफीलिया से पीडित हैं. दिल्ली मे जन्मे जगदीश को बचपन मे अक्सर नकसीर या दांत टूटने पर रक्तस्राव तो होता पर कभी इस बारे मे सोचा नही कि यह एक बीमारी भी हो सकती है.

सन 90 मे अचानक परिवार मे एक साथ तीन मौत हुई. एक इनकी माता जी की और दो मामा जी की. जगदीश जी ने बताया कि जब इनकी माता जी को पीजीआई चंडीगढ ले  कर  गए तब उनको  इस बीमारी का पता चला. पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी और अत्याधिक रक्तस्राव के कारण उनकी माता जी नही बच पाई.

सन 94 मे इनको कोहनी से रक्तस्राव होने लगा. जोकि 24-25 दिन लगातार होता ही रहा. तब ये दिल्ली के एम्स मे भर्ती हुए और चैकअप करवाया तब पता चला कि यह बीमारी इनको भी है. वहां के डाक्टर ने बताया इलाज का खर्च 5 लाख आएगा.

जगदीश बहुत साधारण से परिवार से है पर फिर भी कैसे भी करके रुपया इकठठा करके इलाज करवाया गया. थोडा ठीक होने पर जब ये वापिस जम्मू पहुचे तब तक यह मन मे ठान चुके थे कि ऐसे लोगो की एक संस्था बनाएगे और इस बारे मे  आम जनता को जागरुक करेगे. करीब सौ से ज्यादा उन्हे जम्मू मे ऐसे मरीज मिले और इन्होने अपनी जेब से रुपए लगाकर संस्था का गठन किया.

आजकल ये संस्था जगह जगह कैम्प लगाकर बच्चों और बडो को इस रोग के बारे मे जागरुक करती है. कैम्प लगाती है और इंजेक्शन आदि लगाने का भी प्रबंध करती है. जगदीश जी ने बताया कि चाहे घर पर हो या आफिस मे, सडक पर जा रहे हो या किसी वाहन मे, बहुत ध्यान से रहना पडता है.

हर समय एक अंजाना सा डर लगा रहता है कि कही कट ना लग जाए, चोट न अलग जाए. इसके साथ साथ दवाई खासकर दर्द निवारक दवा भी बहुत ध्यान से लेते हैं. कोई भी दवाई डाक्टर से पूछ कर लेनी पडती हैं. काफी लोग तो इस बीमारी के आने पर डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं.

जगदीश जी ने बताया कि वो सिर्फ और सिर्फ रक्तदाताओ की वजह से ही जिंदा हैं. अगर उन्हे रक्त नही मिलेगा तो इस बीमारी से पीडित कोई भी रोगी बच नही पाएगे. उन्हें इस बात का दुख है कि पढे लिखे लोग भी रक्तदान के प्रति जागरुक नही है इसलिए सभी रक्तदाताओ से उन्होने नम्र निवेदन किया कि स्वैछिक रक्तदान करें और दूसरो को भी इसके लिए प्रेरित करें क्योकि उनके द्वारा दिया हुआ अमूल्य दान बहुत घरों के चिरागो को बुझने से रोक सकता है.

जगदीश जी ने बताया कि आज बेटे हर तीसरे महीने नियमित रुप से रक्तदान करते हैं और जब तक उन्हे अपनी बीमारी का भी पता नही था तब तक वो भी 11 बार रक्तदान कर चुके थे.

 वाकई में, जगदीश जी  बहुत बहादुरी से इस बीमारी का सामना कर रहे है. संस्था के माध्यम से  ना सिर्फ वो जनता को बीमारी के प्रति जागरुक कर रहे है बल्कि इस बीमारी से पीडित दिलो मे नई आशा का भी संचार कर रहे हैं. उनकी यह एक छोटी सी पहल है पर अगर हम दिल से उनका साथ देना चाह्ते है तो स्वैछिक रक्तदान करके उनका साथ देना चाहिए. इस बीमारी का मात्र रक्तदान ही उपचार है कोई शक नही कि  रक्तदान वाकई मे पुण्य का काम है. और मह्त्वपूर्ण बात यह है कि हम यह कर सकते हैं.

जगदीश जी के उत्साह को देखते हुए बस एक ही बात मन मे आ रही है …

जो सफर की शुरुआत करते हैं

वो मंजिलो को पार करते हैं

एक बार चलने का हौंसला तो रखो

मुसाफिर का तो रास्ते भी इंतजार करते हैं

 

मोनिका गुप्ता

  

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