Headache media and Earth Quake मीडिया आज के दौर में सिरस दर्द से कम नही … खबरो में भूकम्प लाना हो या ऐसे प्रश्न
होते हैं कि सिर दर्द ही हो जाता है ऐसा लगता है मानो भूकम्प ही आ गया …. सिर दर्दी बनाम चैंनल
Headache media and Earth Quake
24 -24 घंटे के लगातार बिना रुके चलने वाले चैनल, जब बहस के मुद्दे पर आते हैं तो पहली बात तो प्रतिभागी को अपनी बात रखने नही देते और फिर बार बार यही बात दोहराते हैं… क्षमा कीजिए.. मेरे पास समय नही है… मेरे पास समय बहुत कम है… मेरे पास बस दो सैंकिंड हैं आप जल्दी से अपनी बात कह डालिए और फिर एक घंटे की डिबेट बिना निष्कर्ष के खत्म हो जाती है .. पर … पर … पर … बेसिर पैर की खबरे दिखाने के लिए समय ही समय है… उदाहरण के तौर पर हाल ही मैं एक खबर आई कि सलमान खान ने नेपाल भूकम्प पीडितों को अपना प्राईवेट जहाज और करोडो रुपए दिए .जबकि अभी टवीटर पर पढा कि
Headache/ media
Superstar Salman Khan, also known for helping the underprivileged, says his Being Human foundation is not donating money to the victims of the Nepal earthquake.
“There are rumours about Being Human donating money for the Nepal earthquake. This is NOT TRUE as Being Human Foundation currently operates only in India,” Salman posted on his official page on Facebook on Saturday.
और एक अन्य खबर में वही जिस तरह से हमारा मीडिया नेपाल मे जुटा पडा था अब वहां से भी भूकंप से जुड़ी ख़बरों के भारतीय टेलीविज़न चैनलों के प्रस्तुतीकरण को लेकर सोशल मीडिया में तीखी प्रतिक्रियाएं देखी जा रही हैं.
“भारतीय मीडिया और उसके लोग ऐसे व्यवहार कर रहे हैं मानो वे कोई पारिवारिक धारावाहिक शूट करने आए हों.
“हिमाल साउथ एशियन के संपादक कनक मणि दीक्षित का कहना है कि नेपाल और नेपाल के लोग राहत और बचाव कार्यों में भारत की भूमिका के प्रति आभारी हैं, लेकिन हिंदी न्यूज़ चैनलों के प्रस्तुतिकरण का तरीका उन्हें पसंद नहीं आ रहा है.
उनका ये भी कहना है कि नेपाल में उग्र राष्ट्रवाद की भावना हमेशा से रही है जिसकी वजह से #GoHomeIndianMedia हैंडल ट्विटर पर काफ़ी देर तक ट्रेंड करता रहा. लेकिन नेपाल के अख़बारों में ऐसा कुछ नहीं छप रहा है.
कई लोगों ने भारतीय टेलीविज़न पत्रकारों पर संवेदनहीन होने का आरोप लगाया है और उन्हें सुझाव दिया है कि वे थोड़ा ऐहतियात बरतें.
एक यूज़र ज्ञान लोहनी ने ट्वीट किया, “भारतीय मीडिया की अनैतिक, तथ्यहीन और बढ़ा-चढ़ाकर दिखाई जा रही ख़बरें स्वीकार्य नहीं हैं.”
साजन राजभंडारी ने लिखा, “मुझे हैरानी है कि भारतीय अपने न्यूज़ चैनलों को रोज कैसे देखते हैं. मेरा सिर तो पाँच मिनट में ही चकरा गया.”
खबरों की तह तक जाकर अपनी बात रखनी चाहिए ना कि बस एक ही पक्ष दिखा कर किसी पर आरोप लगाकर अगली खबर पर बढ जाना चाहिए
भूकम्प की खबर ने एक बार फिर चौंका दिया… तभी ध्यान मोबाईल पर आए एक मैसेज पर किया …
मैसेज मे लिखा था कि भूकम्प आने पर धबराए नहीं …
फेसबुक और सोशल साईटस पर तुरंत स्टेटस अपडेट करें.
समय मिले तो एक वीडियो भी बना लें …
डरे धबराए लोगो के साथ सैल्फी लें
क्लिक की गई तस्वीरें और वीडियो ग्रुप में सबसे पहले भेजने का प्रयास करें… क्योकि जीवन में भूकम्प बार बार नही आते …
हे भगवान वैसे आप ऐसा नही कीजिए … क्योकि जान है तो फेसबुक और वटसअप है अन्यथा ……..
Headache/ media नमक मिर्च लगाना ही नही चाहिए निष्पक्ष खबरों का वाचन करना चाहिए और जो चैनल वाले किसी पार्टी से सम्बधित है उनका लाईसैंस रद्द कर देना चाहिए( हालाकि मुश्किल जरुर है पर नामुमकिन नही) और खबरों को फोलो भी करना चाहिए ना कि आगे दौड पीछे छोड वाला रवैया रखना चाहिए …
ज्यादा दिक्कत है तो समय कम कर देना चाहिए दस धंटे या बारह धंटे ही सही पर सही खबरे ही हों… ( यकीनन अब आप को दूरदर्शन याद आ गया होगा)यकीन मानिए कम से कम सिर दर्द से तो बचेंगें
पर वही खबरे बार बार खबरे … अब आप ही बताईए कि ऐसे मीडिया को क्या कहना चाहिए … Headache/ media सही नाम है … है ना 🙂