How to Deal with Aggressive Children – Aggressive Children – आक्रामक बच्चे – Monica Gupta – #ParentingVideosInHindi – Monica Gupta – Aggression in Children – How to Deal with Aggression in Children – http://https://www.youtube.com/@MonicaGupta/ – Motivational Videos in Hindi – Aggression क्यों है आज बच्चों में…. इतने आक्रमक किसलिए हो गए है बच्चे… एक वीडियों में कारण पता लगाने की कोशिश की थी कि क्या क्या वजह हो सकती है कि बच्चे आक्रमक हो.. आज इस बारे में बात करती हूं कि इस Aggression को दूर कैसे किया जा सकता है…बात कल शाम की है जब मैं चाय बना रही थी… मन में चल रहा था कि बच्चों इतने आक्रमक हो गए हैं उन्हें कैसे समझाए.. कैसे aggressive हिंसक आक्रमक न हों.. चाय मे उबाल आ रहा था और मैं बार बार फूंक मार कर उसे शांत कर रही थी सोचे जा रही थी और उसे शांत कर रही थे. ऐसा लगा मानो चाय एक aggressive बच्चा है और मैं एक parents उसे शांत कर रही हूं तो सबसे पहली बात तो ये कि इन सब के लिए parents का शांति से काम लेना बहुत जरुरी है…
Aggressive Children – आक्रामक बच्चे – How to Deal with Aggressive Children
तो सबसे पहली बात कि माता पिता का शांत रहना बहुत जरुरी है..
ये Aggression एक दिन में आता नही इसलिए ये सोचना कि एक दिन में चला जाएगा ऐसा नही है… समय लगता है और बच्चे को भी समय दीजिए पर जरुरी है
माता पिता खुद पर कंट्रोल रखे..
अपने गुस्से पर काबू रखें शब्दों का प्रयोग करें न कि हाथों का यानि खुद सभ्य civilised और शांत … calm बने रहिए.. बहुत माता पिता आपा खो देते हैं और बच्चे को मारने लगते हैं.. बच्चे बडो से ही सीखते हैं जैसाकि मान लीजिए एक पिता फोन पर बात कर रहे हैं किसी से.. तू समझता क्या है तुझे तो देख लूंगा… और फोन रखने के बाद भी दस 12 गालियां उसी की बात करते हुए बोले जा रहे हैं कि सामने मिल जाए तो उसका खून कर दूंगा.. समझता क्या है… तो बच्चा क्या सीखेगा क्या उम्मीद रखते हैं Manage your own anger
कारण जानने की कोशिश कीजिए
किस बात पर ज्यादा आक्रमक हो जाता है… कारण बहुत सारे हो सकते हैं सही नींद न आना, किसी का तंग करना, तनाव, पढाई का, टीवी पर बहुत हिंसक देखना, या शरीर में विटामिन की कमी.. अस्वस्थ होना… Attention Deficit Hyperactivity Disorder (ADHD)
फिर कदम उठाने चाहिए.. मान लीजिए कोई बच्चे को तंग कर रहा है… तो उस दिशा मे सही कदम उठाना होगा… समझदारी के साथ… या बच्चा बहुत ज्यादा हिंसक फिल्में देखता है उसमे ज्यादा रुचि रखता है तो बच्चे को उस तरह से समझाना होगा..
बात करनी होगी… समझाना होगा
समय देना होगा और समय ऐसे भी नही कि हा बता क्या हुआ था… जल्दी बता उसे छोडूगा नही.. ऐसे नही.. आराम से बात सुनकर और फिर उसका निष्कर्ष निकालना होगा…
Discipline में रखना होगा और Consistent रहना होगा…
disciplining बच्चे को अनुशासन में रखने के लिए Consistent रहना होगा… ये नही की कोई बात हुई तब आपने कोई नियम बना दिया.. अगर कोई चीज गलत है तो हमेशा ही गलत है… बचपन से ही इस आदत को डेवलेप करना होगा… कभी डांट दिया कभी कुछ नही कहा कि चलो कोई बात नही… मान लीजिए एक बच्चा हमेशा दूसरों की पिटाई करके घर आता है तब कुछ नही कहते पर एक बार गम्भीर चोट उसके मारने की वजह से लग जाती है तब आप हरकत में आते हैं.. ऐसा नही होना चाहिए… मारना हमेशा ही गलत है… और हमेशा ही अपनी बात पर अडिग रहना चाहिए. बच्चे को समझाने के लिए नियम बनाने होगें और वो सभी पर लागू होंगे.. कि अगर गुस्सा आए तो कोई तोड फोड या मार पिटाई नही होनी चाहिए
कई बार पेरेंटस ही कारण बनते हैं.. बच्चा किसी की पिटाई करके आया… वाह देख मेरा बेटा है… आखिर बेटा किसका है… ऐसे शय मिलती है और बच्चे ज्यादा आक्रमक होते जाते हैं..
Consequences – परिणाम क्या हो सकते हैं
कभी कुछ ऐसे बात हो जाए कि बच्चे को बहुत गुस्सा आ रहा है तो आराम से बच्चे को बैठा कर बात कीजिए कि इसका परिणाम क्या होगा… अगर आपने इसे मारा और इसे खून निकला और पुलिस आ गई तो… इसलिए ऐसा काम ही नही करते… हम भावना पर गुस्से पर कंट्रोल करते है… ताकि ऐसी कोई बात हो ही नही…
समय समय पर गुस्से पर कंट्रोल करना भी सीखना चाहिए.. कि अपनी भावनाओं पर खासतौर पर जब गुस्सा आए तो किस तरह से रिएक्ट करना है
बच्चों को सीखाए कि दूसरो की Feelings को समझे Empathy भी बोलते हैं इसे…
ये बहुत जरुरी है कि बच्चों की सीखाना कि वो दूसरे की भावनाओं को समझे.. और वो क्या महसूस कर रहा है इसे समझना… मान लीजिए एक बच्चा बहुत शाररती है दूसरे बच्चे को किताब फाड दी… अब दूसरा बच्चा कैसे रिएक्ट करेगा… अगर बच्चे को ये पता होगा कि वो वापिस से मेरी किताब भी फाड देगा या टीचर से शिकायत कर देगा या सजा भी मिल सकती है तो वो ऐसा नही करेगा.. या उसने मेरी भी किताब फाड दी तो मैं कैसे रिएक्ट कर रहा हूं ऐसे ही वो करेगा… समानुभूति का मतलब है, दूसरा जैसा महसूस कर रहा है, वैसा ही महसूस करना… इसके लिए स्वयं को दूसरे के स्थान पर रखकर सोचना…
बच्चे का ध्यान बढाने की कोशिश कीजिए या माहौल बदलने की कोशिश कीजिए
चलो आज आपके पसंद का केक बनाते हैं या चलो बाजार से पैटीज लेकर आते हैं फिर कार्टून देखेंगे मिलकर… तनाव हटाने के लिए कुछ ऐसा करना चाहिए कि चेहरे पर स्माईल आ जाए या हंसाने की कोशिश से भी तनाव दूर हो सकता है.. एक बार तो बच्चा बोलेगा.. क्या है… पर फिर नॉर्मल होने लगेगा…
उदाहरण दीजिए…
ऐसे में कुछ उदाहरण जोकि वाकई में प्रेरणा है वो दीजिए या फिर कोई कहानी बना लीजिए कि एक बार मुझे भी बहुत गुस्सा आया था फिर तुम्हारे दादा जी ने मुझे किस तरह से समझाया… या किसी बचपन के दोस्त का उदाहरण जोकि उसे सच भी लगे…
Reawrd भी देना है बच्चे को..
आपने एक बार समझाया और बच्चे ने वैसा रिएक्ट नही किया यानि कहना माना तो शाबाशी देनी भी जरुरी है ताकि उसे मोटिवेशन मिले…
Enhance Your Parenting Skills बच्चों से सम्बंध बेहतर बनाएं…
बहुत लंबा gap न हो… बात करते रह्रे.. ताकि अगर कोई भावना उसके अंदर घर कर रही है… वो अंदर आने से पहले ही दूर कर दें.
How to Deal with Aggressive Children – Aggressive Children – आक्रामक बच्चे – Monica Gupta
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