Mother Daughter relationships… ग्यारहवीं क्लास मे पढने वाली दीपा सुबह सो कर उठी और हमेशा की तरह अपना फेसबुक चैक किया . उसे देखते ही उसका पारा सातवें आसमान पर चढ गया. असल में, उसके दसवीं क्लास में मार्क्स बहुत कम आए थे. इस वजह से तनाव मे चल रही थी और उसकी face book wall पर मम्मी ने कमेंट कर दिया कि कोई बात नही कम ज्यादा तो होते रहते हैं इस बार ज्यादा मेहनत करना. इसी के साथ साथ उसका घर का नाम भी लिख दिया. चिल्लाते हुए दीपा कमरे से बाहर आई और बहुत बुरी तरह अपनी मम्मी से बात करने लगी. पहले पहल तो मम्मी चुपचाप सुनती रही . फिर उन्होनें भी चिल्लाना शुरु किया कि तुम भी तो सारा दिन फेसबुक पर लगी रहती हो अगर मैने लिख दिया तो क्या पाप कर दिया..थोडी ही देर में बात मरने मराने तक पहुंच गई.
मेरे विचार से जहां किशोर या युवा बच्चे रहते हैं वहां ऐसी बाते आमतौर पर होती रहती हैं. आज के बच्चे बहुत तनाव में रहने लगे हैं हर घर की अपनी अपनी वजह है. अगर हम सारी गलती मम्मी पर डालेंगें तो भी सही नही होगा और सारी गलती बच्चों पर डालेग़ें तो भी अन्याय होगा तो क्या करनां चाहिए. जी बिल्कुल सही … क्या करना चाहिए… बात का हल निकालना चाहिए . बच्चो के साथ बच्चा बन कर भी झगडा शुरु नही कर देना चाहिए. समझादारी से काम लेना चाहिए आखिर आप मम्मी है मम्मी !!!
कुछ ऐसी ही परेशानी मेरी सहेली मृदुला और उसकी बेटी गौतमी के साथ थी. गौतमी अभी 16 साल की हुई है. दोनों को कौंसलिंग की जरुरत थी. मैने एक दिन मृदुला को घर बुलाया और उसकी सारी बाते ध्यान से सुनी. सुनकर लगा कि बात इतनी ज्यादा नही है जितना बनाया जा रहा है. उसे समझाया कि सबसे पहले तो एक अच्छी मां होने के नाते अपने गुस्से पर काबू करना सीखों. उसकी जगह खुद को रख कर बात करो कि अगर तुम उसकी जगह होती तो कैसा बर्ताव करती. बच्चों को टोका टाकी पसंद नही होती इसलिए बजाय बात बात पर टोकने के बच्चों को विश्वास में लेकर उनसे बात करनी चाहिए. उनकी पसंद ना पसंद का भी ध्यान रखना चाहिए और अगर बच्चे का पहनावा पसंद नही आया तो कुछ इस तरह से बोले कि आप अपनी बात भी कह दें और बुरा भी न लगे. उसकी बातों में मुझे दो कारण और मिले. पहला तो ये कि जब भी उसका आफिस मॆं किसी बात पर तनाव होता है या फिर जब भी पति से किसी बात पर लडाई होती है तो माध्यम बच्चे बन जाते हैं उन पर सारा गुस्सा उतारा जाता है जबकि बच्चों क्या दोष है इसमें. एक कमी और भी मैने मृदुला में महसूस की कि वो अपने बच्चे की बुराई अपने रिश्तेदार या सहेलियों से अक्सर करती रहती . जबकि ये सही बात नही है और खास तौर पर बच्चों को यह पसंद नही होता. घर परिवार की बाते घर परिवार मे ही निबटाई जाए तो ही बेहतर होता है.
बच्चों को प्रोत्साहित करके उनके कार्य की कद्र करनी चाहिए और शापिंग के बहाने ही सही उनके साथ समय बीतना चाहिए इससे आत्मीयता बढती है और आपसी बातो से विचारों का आदान प्रदान होता है. मृदुला मेरी बाते सुनकर बहुत कुछ सोच रही थी शायद उसे लग रहा था कि कि कही न कही वो भी गलत है. उसने वायदा लिया कि वो कोशिश करेगी कि अपने गुस्से पर कंट्रोल करने का और बच्चों से बेवजह बहस न करने का. और रही बात मोबाईल और नेट पर रोक लगाने की तो वो इस विषय में भी ज्यादा नही टोकेगी …
मैने बस इतना कहा कि हफ्तें दस दिन यह करके तो देखो और वही उसको कहा कि गौतमी को भेजना पर इस बारे मे कोई बात नही बतानी कि हमारी क्या बात हुई है इस पर वो हंस कर बोली ” कौन सी बात ” ???
अगले दिन चावलों की खीर लेकर उनकी बेटी गौतमी घर आई. हमारे यहां वाई फाई है इसलिए वो कुछ देर बैठ कर नेट पर कुछ करने लगी. अब अगर मे उससे सीधा बात करती तो शायद उसे अच्छा नही लगता मैने अपनी कजिन का उदाहरण देख कर बात शुरु की कि वो भी उसकी उम्र की है और उसके विचार जानती रही. उसे मैने दिखाया कि मैने नेट से बहुत काम की वेबसाईट सेव की है ये उसे भेजने वाली हूं ताकि वो कुछ सीखे और उसे दिखाने लगी …
How to Be a Good Daughter – 14 Easy Steps (with Pictures)
How to Strengthen the Bond Between You and Your Mom See more…
उसे पढ कर बहुत अच्छा लगा. उसने कहा कि ये लिंक तो उसे भी मेल कर दो ताकि वो भी इसे पढ सके. फिर बातो ही बातों मे बोली कि कई बार वो मम्मी के सामने गुस्सा हो जाती है तेज बोल जाती है वो भी इसे सुधारने की कोशिश करेगी … बस मैं भी यही चाह्ती थी मैने उसे समझाया कि ऐसी कोई बात लगती तो नही पर अगर है अगर तुम ऐसा सोच रही हो तो ये तो और भी अच्छी बात है …मम्मी बेटी के रिश्ते मॆ सबसे बडा होता है विश्वास … बस दोनों को ईमानदार रहना चाहिए और एक दूसरे पर सहेली की तरह विश्वास करके सच बताना चाहिए.
अपने समय का सही इस्तेमाल करना चाहिए. हमे क्या बनना है हमारी भीतर क्या potential है उसे खोज निकलाना चाहिए और पढाई के साथ साथ extra curricular activity मे भी ध्यान लगाना चाहिए क्योकि उससे हम स्मार्ट बनते हैं खुद को challenge करना चाहिए और हमेशा be positive वाली सोच हो तो क्या कहने…
मैने उसे एक दो लिंक और दिखाए …
उसकी बातों से लग रहा था कि वो खुद को सुधारने की कोशिश करेगी और ये लिंक वो मम्मी के साथ भी शेयर करेगी.
15 Insights on Improving Mother-Daughter Relationships |
Mother-daughter relationships are complex and diverse. Some mothers and daughters are best friends. Others talk once a week. Some see each other weekly; others live in different states or countries. Some spar regularly. Some avoid conflict. Others talk through everything. And undoubtedly, there’s a hint of all these things in most relationships. See more…
How to Improve Your Mother Daughter Relationship: 15 Steps
Face it. You don’t always bond with your daughter. She might be busy on the computer, the phone, with her friends, or schoolwork. When you try to talk to her, she doesn’t listen, or just leaves the room. She thinks that you are embarrassing, and you don’t know how to change that.
You may be busy as well, with work, family, money, and so much more. Do either of these situations sound like you? If so, you need to improve your mother-daughter relationship and overall bond. See more…
वैसे आप अपने बच्चों के साथ तो झगडा नही करते होंगें अगर करते हैं तो आप भी इसे जरुर पढिएगा … और अपने विचार मुझसे सांझा करना नही भूलिएगा … हो सकता है आपके पास भी कोई बहुत अच्छा आईडिया हो …